Media
सालों बाद जेल से बाहर आए कश्मीरी पत्रकार आसिफ सुल्तान
जेल में बंद कश्मीरी पत्रकार आसिफ सुल्तान मंगलवार को अम्बेडकर नगर जेल से रिहा हो गए. जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट ने करीब 78 दिन पहले उनकी हिरासत के आदेश को खारिज करते हुए रिहाई के आदेश दिए थे. सुल्तान पिछले 5 सालों से ज्यादा वक्त से जेल में थे. सबसे पहले उन्हें साल 2018 में गिरफ्तार किया गया था.
मालूम हो कि आसिफ को सबसे पहले गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और उसके बाद रणबीर पीनल कोड के तहत गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत फिर से जेल भेज दिया गया.
पिछले साल 11 दिसंबर को आसिफ सुल्तान की हिरासत को जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट ने यह खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि “गिरफ्तार करने वाले अधिकारियों ने प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं का पालन न ही कागज पर किया और न ही व्यवहार में.”
हालांकि, इसके बावजूद आसिफ को जेल से बाहर आने में दो महीने से ज्यादा का वक्त लग गया क्योंकि कश्मीर के गृह विभाग से क्लीयरेंस लेटर नहीं मिला था.
अम्बेडकर नगर जेल के जेलर गिरिजा शंकर यादव ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहा, “कश्मीरी कैदियों को जमानत मिलने के बाद भी उन्हें छोड़ने के लिए कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होतीं हैं.”
उन्होंने बताया, “आधिकारिक प्रक्रिया के अनुसार जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग से क्लीयरेंस पत्र चाहिए होता है. आसिफ के परिवार ने हमें क्लीयरेंस पत्र लाकर दिया, जिसके बाद उसे तुरंत छोड़ दिया गया.”
इस समय उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिला कारागार में जम्मू-कश्मीर के 50 कैदी हैं.
2018 में पब्लिक सेफ्टी एक्ट में आए संशोधन के बाद इस कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को दूसरे प्रदेशों के कारागारों में रखा जा सकता है और उन्हें जेल से बाहर आने के लिए अलग से ‘क्लीयरेंस लेटर’ चाहिए होता है.
‘कश्मीर नैरेटर’ के साथ बतौर रिपोर्टर काम कर रहे आसिफ सुल्तान को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन की मदद करने के आरोप में साल 2018 में गिरफ्तार किया गया था.
चार साल बाद 5 अप्रैल, 2022 को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने आसिफ को जमानत दे दी. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियां उनका आतंकवादी संगठन से संबंध साबित करने में असफल रही हैं. लेकिन इसके 4 दिन बाद श्रीनगर जिला मजिस्ट्रेट ने उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में ले लिया था.
पत्रकार के वकील आदिल पंडित ने कहा कि आसिफ की रिहाई “उनके और उनके परिवार के लिए बड़ी राहत है.”
आसिफ के पिता मोहम्मद सुल्तान ने बताया, “जब आसिफ की गिरफ्तारी हुई थी तब उनकी बेटी छह महीने की थी. अब छह साल की हो गई है. वह अपने पिता को पहचानती भी नहीं है. जब भी वह हमसे पूछा करती थी कि वह अपने पिता से कब मिल पाएगी तो हम उसे हमेशा कहते थे ‘कल”.
इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
सीपीजे यानी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बनी समिति की साल 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 दिसंबर, 2023 को भारत में कुल सात पत्रकार जेल में बंद थे. जिनमें से पांच गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी यूएपीए के तहत आरोपी हैं. आसिफ भी इन्हीं में से एक थे.
अनुवादक- सक्षम कपूर
Also Read
-
Adani met YS Jagan in 2021, promised bribe of $200 million, says SEC
-
Pixel 9 Pro XL Review: If it ain’t broke, why fix it?
-
What’s Your Ism? Kalpana Sharma on feminism, Dharavi, Himmat magazine
-
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग ने वापस लिया पत्रकार प्रोत्साहन योजना
-
The Indian solar deals embroiled in US indictment against Adani group