NL Tippani
मीडिया के 3 सीले हुए बिस्कुट और आज तक का नस्लवादी सुधीर चौधरी
इस टिप्पणी में हम विस्तार से बात करेंगे सुधीर चौधरी और आज तक की. और साथ में बात होगी खबरिया चैनलों के तीन सीले हुए बिस्कुटों की. कभी एसपी सिंह, राहुल देव, क़मर वाहिद नक़वी जैसे पत्रकारों की शाइस्तगी में टेलीविज़न पत्रकारिता की बुनियाद रखने वाला आज तक चैनल आज रेडियो रवांडा बन चुका है. अपने प्राइम टाइम पर यह नस्ली जहर से बुझे शो दिखाता, मुसलमानों के खिलाफ भड़काने वाली खबरें चलाता है, आदिवासियों का अपमान करता है. बाकी समय सत्ता की चापलूसी और विपक्ष पर हमले करता है.
साथ ही हमने इस टिप्पणी में विस्तार से मीडिया के तीन सीले हुए बिस्कुटों पर भी बात की है. इनके नाम जानने के लिए आपको यह टिप्पणी देखनी होगी. सीले हुए बिस्कुट यानी जिनके व्यक्तित्व का कुरकुरापन खत्म हो चुका हो. लिजलिजापन ही स्थायी चरित्र बन गया हो. अस्तित्व की समाप्ति का सर्वनाम हैं ये सीले हुए बिस्कुट. सीले हुए बिस्कुट यानी जीवन से स्वाद का लोप हो जाना. जीवन का मकसद शून्य हो जाने का प्रतीक हैं सीले हुए बिस्कुट. मुलायमियत इनके व्यवहार का हिस्सा न बन कर इनके रीढ़ का हिस्सा बन गई है. कह सकते हैं जीवन के अंत की मुनादी हैं सीले हुए बिस्कुट. आकर्षण की सारी संभावनाएं शून्य हो जाने का पर्यायवाची भी हैं सीले हुए बिस्कुट. इनकी होपलेस कवरेज देखने के बाद आप इन्हें सिर्फ सीले हुए बिस्कुट ही कह सकते हैं.
Also Read
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
‘Grandfather served with war hero Abdul Hameed’, but family ‘termed Bangladeshi’ by Hindutva mob, cops
-
India’s dementia emergency: 9 million cases, set to double by 2036, but systems unprepared
-
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का सार: क्रेडिट मोदी का, जवाबदेही नेहरू की