छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाके में चुनाव करवाने जा रहे मतदानकर्मी न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए.
Chhattisgarh Elections 2023

छत्तीसगढ़ चुनाव: सुदूर इलाकों में इस बार सड़क नहीं हवाई मार्ग से पहुंच रहे मतदान कर्चमारी

चार नवंबर की दोपहर बस्तर संभाग के नारायणपुर जिला मुख्यालय के शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के ग्राउंड से वायुसेना के दो हैलीकॉप्टर उड़ान भर रहे थे. ये हैलीकॉप्टर मतदान कराने वाले पीठासीन अधिकारियों को मतदान केंद्र पर पहुंचाने जा रहे हैं. 

यहां सात नवंबर को मतदान है, लेकिन तीन दिन पहले ही मतदान कर्मचारी ईवीएम मशीन और दूसरे ज़रूरी कागजात को लेकर मतदान केंद्रों के लिए रवाना हो रहे हैं. दरअसल, इनकी ड्यूटी अति संवेदनशील मतदान केंद्रों पर लगी है. जहां सड़क मार्ग से जाना खतरनाक हो सकता है.  

नक्सलवाद से प्रभावित बस्तर के कई मतदान केंद्र अति संवेदनशील हैं. अगर सिर्फ नारायणपुर की बात करें तो यहां 126 संवेदनशील मतदान केंद्र हैं. जिसमें से 29 अति संवेदनशील हैं. यहां नक्सलियों के हमले का खतरा हमेशा बना रहता है. नक्सलियों ने मतदान के बहिष्कार का ऐलान किया हुआ है. हालांकि, वो ऐसा हर चुनाव में करते हैं.

शिव मंडावी, पेशे से शिक्षक हैं. वो नारायणपुर के ओरछा में मतदान कराने जा रहे हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘सड़क मार्ग से जाने से डर लग रहा था. लेकिन अब हैलीकॉप्टर से ले जाया जा रहा है तो कोई डर नहीं है. मैं इससे पहले भी दो चुनावों में अतिसंवेदनशील क्षेत्रों कुंदला और धौड़ाई में मतदान करवा चुका हूं. तब हम सड़क मार्ग से गए थे. जब हम धौड़ाई में वोटिंग कराने के लिए जा रहे थे. तो 10-15 किलोमीटर ही गए होंगे कि फायरिंग शुरू हो गई. हालांकि, किसी को कुछ हुआ नहीं लेकिन मैं पहली बार मतदान कराने गया था तो डर गया था, आखिर जान सबको प्यारी है.’’

पहले भी कई बार यहां मतदान कराने गए पीठासीन अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों पर नक्सली हमला कर चुके हैं. अप्रैल 2014 में एक ही दिन में बस्तर और बीजापुर जिले में दो नक्सली हमले हुए थे. इस हमले में 15 के करीब लोगों की मौत हुई थी, जिसमें छह जवान,  सात मतदान कर्मी,  एम्बुलेंस के चालक और चिकित्सा सहायक थे. इनके अलावा कुछ लोग घायल भी हुए थे. 

इस दौरान बीजापुर में जिस बस से मतदान कर्मचारियों को लाया जा रहा था, उसे नक्सलियों ने बस से उड़ा दिया था. इसी कारण इस बार मतदान दल को हैलीकॉप्टर से भेजने और लाने की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है.     

ऐसे ही 2013 में भी मतदान दल पर दंतेवाड़ा जिले में हमला हुआ था. इस घटना में एक जवान शहीद हो गया था. जानकारों की मानें तो नक्सली अक्सर मतदान कराकर लौट रहे अधिकारियों पर हमला करते हैं. 

शिक्षक सुदेश सोनी इससे पहले भी अति संवेदनशील इलाकों में पांच-छह बार मतदान करा चुके हैं. अपना अनुभव साझा करते हुए वह कहते हैं, ‘‘मैं अब तक पुलिस सुरक्षा में सड़क मार्ग से चुनाव कराने जाता था. जाने में तो कम तकलीफ होती है लेकिन आते वक़्त ज़्यादा परेशानी होती है. 2011 में भाजपा के वरिष्ठ नेता और बस्तर से सांसद बलिराम कश्यप के निधन के बाद उप-चुनाव हुआ था. जिसे कराने के लिए मैं गया हुआ था. तब गौरगढ़ में नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी. तो हम लोगों को कनार गांव से धोरे डंगल आना था. हम पैदल चल रहे थे और लगातार फायरिंग हो रही थी.’’   

यहां मिले ज्यादातर लोगों के पास बस्तर में चुनाव कराने का अपना-अपना अनुभव है. हालांकि, इसबार सब खुश हैं कि प्रशासन ने उनके लिए हैलीकॉप्टर का इंतज़ाम किया है. 

नारायणपुर के एसपी पुष्कर शर्मा चुनावी तैयारियों को लेकर कहते हैं, ‘‘नक्सल संवेदनशीलता को देखते हुए हम कुछ जगहों पर हैलीकॉप्टर के माध्यम से मतदान दलों को भेज रहे हैं ताकि वो ठीक तरह से मतदान करवा सकें.’’

बस्तर रेंज के आईजी सुंदर राज पी न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, ‘‘सुरक्षा कारणों से मैं यह तो नहीं बता सकता कि कितनी फ़ोर्स हमने लगाई है. लेकिन यहां पर डीआरजी, कोबरा, सीआरपीएफ, आईटीबीपी समेत तमाम सुरक्षा व्यवस्था चुनाव आयोग के माध्यम से उपलब्ध हुई है. इन सबको लेकर हम काम कर रहे और हम शांतिपूर्ण चुनाव कराने की स्थिति में हैं.’’

हालांकि, प्रशासन के तमाम दावों के बीच शनिवार शाम नारायणपुर में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष रत्न दुबे की हत्या कर दी गई. वे चुनाव प्रचार कर रहे थे. इसी दौरान दो नक्लसियों ने धारधार हथियार से हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया.  इससे पहले भी कांकेर में तीन ग्रामीणों की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. नक्सली बार-बार चुनावों के बहिष्कार के पोस्टर लगा रहे हैं और उम्मीदवारों को धमका रहे हैं.       

इन इलाकों में वोटिंग कराने जाने से पहले क्या आप लोगों को कोई विशेष प्रशिक्षण और सुविधा दी जाती है? इसके जवाब में शिक्षक शिव मंडावी कहते हैं, ‘‘हमें प्राइमरी किट दी गई है. जिन्हें हार्ट या बीपी की बिमारी है. उन्हें ट्रेनिंग दी गई है. अगर कोई परेशानी आती है तो हम उसे निपटने के लिए तैयार हैं. वहीं जो भी लोग मतदान कराने जा रहे हैं, सरकार ने उनका बीमा करवाया हुआ है. वैसे यह बीमा राशि कितनी है इसकी हमें जानकारी नहीं है.’’ 

मंडावी के पास खड़े एक शिक्षक बताते हैं कि यह बीमा राशि 45 लाख रुपये की है. 

देखिए ये वीडियो रिपोर्ट. 

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