वर्कशॉप के दौरान हृदयेश जोशी
Khabar Baazi

द मीडिया रंबल: पर्यावरण और जलवायु पत्रकारिता के समक्ष चुनौतियां और समाधान 

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की रिपोर्टिंग करते समय आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? इन मुद्दों की रिपोर्टिंग के सामने क्या चुनौतियां हैं? और कैसे इन चुनौतियों से पार पाया जा सकता है? कुछ इसी तरह के सवालों का जवाब आज ‘द मीडिया रंबल’ की पर्यावरण और जलवायु पत्रकारिता को लेकर आयोजित वर्कशॉप में दिए गए. वर्कशॉप को देश के जाने-माने वरिष्ठ पर्यावरणविद और पत्रकार हृदयेश जोशी ने संबोधित किया. 

एक घंटे से ज्यादा चली इस वर्कशॉप में आए प्रतिभागियों ने भी खूब रूचि दिखाई. जिनके सभी सवालों के जोशी ने बखूबी जवाब दिए.

ऐसे ही एक सवाल के जवाब में हृदयेश ने बताया कि पर्यावरण और जलवायु पत्रकारिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती है आंकड़े और मुद्दे की सही समझ होना. जैसे भूकंप, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं की रिपोर्टिंग उस तरह से नहीं की जा सकती जैसे किसी अन्य घटना की रिपोर्टिंग होती है. 

जोशी ने कहा कि रिपोर्टिंग में भाषा का बहुत महत्व है लेकिन उससे ज्यादा महत्व इस बात का है कि आप अपनी बात कैसे कहते हैं, किन शब्दों के जरिए कहते हैं.   उन्होंने इस दौरान विस्तार से पर्यावरण और जलवायु पत्रकारिता के बारे में समझाया. साथ ही पर्यावरण पत्रकारिता के कई जरूरी पहलूओं से भी अवगत करवाया. उन्होंने कहा कि रिपोर्टिंग के लिए जरूरी है कि मुद्दे की सही से समझ हो. साथ ही उन्होंने एक उदाहरण के जरिए बताया कि क्यों मुद्दे की समझ के साथ-साथ रिपोर्टिंग और रिसर्च को समय देने का बड़ा महत्व है.  

एक सवाल के जवाब में हृदयेश ने कहा कि वे पर्यावरण जागरूकता और पर्यावरण एवं जलवायु पत्रकारिता को लेकर काफी आशावादी हैं. साथ ही उन्होंने जिक्र भी किया कि कैसे धीरे-धीरे लोगों में भी इस विषय के बारे में समझ बढ़ रही है.  

वर्कशॉप में भाग लेने आई छात्रा मुस्कान आर्य ने कहा कि उन्होंने वर्कशॉप से काफी कुछ सीखने को मिला. जोशी ने पर्यावरण, जलवायु और उसमें आ रहे बदलावों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में अच्छे से समझाया. 

वर्कशॉप के बाद सवालों के जवाब देते हृदयेश जोशी

पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे राजन ने बताया कि छात्रों या नए पत्रकारों के सामने रिपोर्टिंग में संसाधनों की कमी सबसे बड़ी समस्या है. इस वर्कशॉप से उन्हें कम संसाधनों में भी अच्छी रिपोर्टिंग कैसे की जा सकती है, ये सीखने को मिला. 

मीडिया आलोचक मौलिक ने कहा कि मुझे ये जानकर हैरानी हुई कि पर्यावरण और जलवायु की वजह से हमारे जीवन पर गहरे दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं. लेकिन मुझे इस बात की भी खुशी हुई कि इस बारे में रिपोर्टिंग भी हो रही है. वर्कशॉप का मुझे ये फायदा हुआ है कि अब मैं पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर आत्मविश्वास से बात कर सकता हूं. 

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