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प्रसार भारती कर्मचारियों का आरोप: समान काम लेकिन असमान वेतन और असमान सुविधाएं

देश के लोक सेवा प्रसारक, प्रसार भारती के कर्मचारियों का आरोप है कि उनके साथ दोहरी नीति अपनाई जा रही है. इसको लेकर उन्होंने प्रसार भारती सचिवालय के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी किया. प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों की कई मांगें रहीं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मांग थी- बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए भारत सरकार की केंद्रीय कर्मियों को मिलने वाली केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) का लाभ.  

एसोसिएशन ऑफ प्रसार भारती इंजीनियरिंग एम्प्लॉइज़ के प्रमुख हरि प्रताप गौतम ने कहा, ‘‘पिछले दिनों प्रसार भारती के कर्मचारी ज्योति प्रकाश त्रिवेदी की कैंसर से मौत हो गई. उनको अगर बेहतर इलाज मिलता तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी. प्रसार भारती के कर्मचारियों के इलाज की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. सरकार से हमारी मांग है कि सीजीएचएस का लाभ हमें भी दिया जाए.’’ 

प्रसार भारती के अंतर्गत दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो आते हैं. यहां तीन तरह के कर्मचारी काम करते हैं. एक, जो कर्मचारी संविदा पर हैं. इसके अलावा दो तरह के सरकारी कर्मचारी हैं. जिनमें एक वो हैं, जो 5 अक्टूबर, 2007 से पहले चयनित हुए और दूसरे वो जो इस तारीख के बाद चयनित हुए. 

हरि प्रताप गौतम का आरोप है कि 5 अक्टूबर, 2007 के बाद चयनित कर्मचारियों के साथ प्रसार भारती भेदभाव कर रहा है. वे कहते हैं, “हमारे साथ शोषण इस तारीख से ही है. इसकी वजह से सिर्फ स्वास्थ्य सुविधाएं ही नहीं, बल्कि अन्य सुविधाएं भी हमें नहीं मिलती हैं. जैसे एक ही पोस्ट पर दो लोग काम करते हैं, लेकिन उनकी सैलरी ज़्यादा हैं, हमारी कम. उन्हें प्रमोशन मिलता है, हमें नहीं मिलता है.”

गौरतलब है कि प्रसार भारती एक स्वायत्त इकाई के रूप में 23 नवंबर, 1997 को अस्तित्व में आया. इसके अस्तित्व में आने के बाद प्रसार भारती को अपने कर्मचारियों के लिए अलग से व्यवस्था बनानी थी. साल 2012 में प्रसार भारती एक्ट में संशोधन किया गया. इस संशोधन के साथ ही मंत्रिसमूह का एक फैसला लागू हुआ. जिसमें फैसला लिया गया कि 5 अक्टूबर, 2007 से पहले जो कर्मचारी यहां काम कर रहे थे, वो भारत सरकार के और उसके बाद आने वाले कर्मचारी प्रसार भारती के कर्मचारी माने जाएंगे. इस तरह यहां दो तरह के सरकारी कर्मचारी काम करने लगे. एक केंद्रीय कर्मचारी और दूसरे प्रसार भारती के. इसके अलावा संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी भी हैं.

प्रसार भारती के एक कर्मचारी बताते हैं, “2015 तक सभी कर्मचारियों को एक समान सुविधा मिलती रही. लेकिन 28 जुलाई  2015  को इसको लेकर एक आदेश जारी किया गया. इसमें साफ-साफ लिखा गया कि 5 अक्टूबर, 2007 के बाद प्रसार भारती से जुड़े कर्मचारी सीजीएचएस के पात्र नहीं होंगे.’’ न्यूज़लॉन्ड्री के पास यह दस्तावेज मौजूद है. 

कर्मचारी आगे कहते हैं, ‘‘इस आदेश के  बाद से जिन कर्मचारियों का सीजीएचएस कार्ड एक्सपायर हो रहा था. उसे रिन्यू नहीं किया जा रहा था. यह हमारे लिए हादसे की तरह था. हमने विरोध दर्ज कराया कि हमारे लिए भी कोई हेल्थ पॉलिसी हो. इसके बाद 2018 में एक हेल्थ पॉलिसी बनी.’’

16 मई 2018 को प्रसार भारती द्वारा जारी आदेश में साफ तौर पर लिखा है कि 5 अक्टूबर 2007 के बाद चयनित जिन कर्मचरियों की बेसिक सैलरी 60 हज़ार रुपए तक है. उन्हें ओपीडी में इलाज के लिए अधिकतम 30 हज़ार रुपये ही मिलेंगे. वहीं, जिनकी बेसिक सेलरी 60 हज़ार से ज़्यादा है, उन्हें 75000 हजार सालाना ओपीडी में इलाज के लिए मिलेंगे. यह तब होगा जब आप तमाम बिल जमा करा देंगे. 

आगे चल कर दिसंबर 2018 में भी एक आदेश जारी किया गया. जिसमें कहा गया कि स्टेशन प्रमुखों को निर्देशित किया जाता है कि वे कम से कम दो पीएसयू / सीजीएचएस / सीएस (एम) सूचीबद्ध अस्पताल / मेडिकल और कम से कम दो डायग्नोस्टिक सेंटरों के साथ संपर्क कर, समझौता करें.  इसमें प्रसार भारती कर्मचारियों को ओपीडी और आईपीडी इलाज होगा. इसे प्रसार भारती स्वास्थ्य योजना (पीबीएचएस) नाम दिया गया.

पीबीएचएस ठीक तरीके से जमीन पर नहीं उतर पाई. हरि प्रताप गौतम का कहना है कि हमने लड़-झगड़कर दिल्ली में सात-आठ अस्पतालों के साथ प्रसार भारती का एएमयू साइन करा लिया. जहां  सीजीएचएस के हिसाब से हमें इलाज मिल जाता है. लेकिन हमारे साथी जम्मू-कश्मीर, नार्थ ईस्ट और दूसरे अन्य राज्यों में भी हैं. वहां उन्हें ये सुविधा नहीं मिलती है. 

बेहतर स्वास्थ्य सेवा के अलावा कर्मचारियों ने समान काम के लिए समान वेतन और सामूहिक बीमे की भी मांग रखी. उल्लेखनीय है कि 5 अक्टूबर, 2007 के बाद भर्ती हुए कमर्चारियों की संख्या तक़रीबन 2500 हैं. ये तमाम कर्मचारी इस व्यवस्था से परेशान हैं. 

कर्मचारियों के साथ दोहरे बर्ताव के आरोपों के बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी से संपर्क किया. उन्होंने व्यस्तता के हवाला देते हुए हमें सवाल भेजने को कहा. जिसके बाद हमने उन्हें सवाल भेज दिए हैं. मगर उनका कोई जवाब नही मिला है.

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