Khabar Baazi
सर्वेः विश्व के 89 न्यूज़रूम में हो रहे एआई तकनीक के साथ प्रयोग
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और गूगल न्यूज़ इनिशिएटिव द्वारा किए गए एक सर्वे की रिपोर्ट सामने आई है. सर्वे में विश्व के 46 देशों के 105 न्यूज़रूम को शामिल किया गया था. इसके मुताबिक, 75 प्रतिशत से अधिक न्यूज़रूम समाचार संग्रहण, उत्पादन (प्रोडक्शन) और वितरण (डिस्ट्रिब्यूशन) आदि में से कम से कम एक के लिए एआई का उपयोग करते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, 105 में से लगभग 89 छोटे-बड़े न्यूज़ रूम ने आधुनिक तकनीक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के साथ प्रयोग किया है और उनमें से ज्यादातर अपनी संस्था में एआई की उपस्थिति को बढ़ाने की कोशिश में हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि मीडिया कंपनियों ने ज्यादातर कोड लिखने, छवि निर्माण और सारांश लिखने के लिए एआई का प्रयोग किया है.
इन कंपनियों को उम्मीद है कि एआई चार मुख्य क्षेत्रों फैक्ट चेंकिंग और दुष्प्रचार विश्लेषण, कंटेंट पर्सनलाइजेशन और ऑटोमेशन, पाठ सारांश और निर्माण और चैटबॉट्स का उपयोग कर प्रारंभिक साक्षात्कार आयोजित करने और मुद्दों पर जनता की भावनाओं को जानने के लिए उपयोगी होगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूज़रूम में एआई के उपयोग के नैतिक निहितार्थ से संबंधित चिंताएं अभी भी बड़ी हैं. कई उत्तरदाताओं ने "व्याख्या योग्य एआई" और एल्गोरिदमिक पूर्वाग्रह को कम करने के लिए नैतिक दिशानिर्देशों की वकालत की. सर्वेक्षण में 60 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों ने संपादकीय गुणवत्ता और "सटीकता, निष्पक्षता और पारदर्शिता" जैसे पत्रकारिता के मूल्यों पर एआई के प्रभाव से संबंधित चिंताओं पर प्रकाश डाला.
रिपोर्ट में बताया गया है कि एआई प्रौद्योगिकी के प्रयोग से पत्रकारिता का व्यावसायिकरण और ज्यादा बढ़ेगा. इससे खराब गुणवत्ता वाले कंटेंट को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही यह सामग्री का ध्रुवीकरण भी करेगी. जिससे पत्रकारिता में जनता के विश्वास में और कमी आएगी.
न्यूज़रूम में एआई के प्रयोग से एक और चिंता यह है कि तकनीकी कंपनियां पूर्णतः लाभ आधारित होती हैं. कंपनियां सत्ता के साथ साठ-गांठ का फायदा उठाती हैं और उनमें पारदर्शिता की कमी होती है. साथ ही रिपोर्ट में नौकरियों के विस्थापन और अस्थिरता के डर की भी बात कही गई है.
रिपोर्ट में एक और चिंता पर प्रकाश डाला गया है. बताया गया है कि न्यूज़रूम में पूर्णतः एआई के प्रयोग करने में वित्तीय और तकनीकी कठिनाइयां भी शामिल हैं. आधे से ज्यादा न्यूज़रूम का मानना था कि रचनात्मक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए एआई उपयोगी हो सकता है.
इस सर्वे में लैटिन अमेरिका, उप-सहारा अफ्रीका और मध्य पूर्व देशों के न्यूज़रूम को शामिल किया गया था. सर्वे ने वैश्विक दक्षिण और वैश्विक उत्तर के मीडिया में एआई के प्रयोग में असमानता पर भी प्रकाश डाला
Also Read
-
TV Newsance 307: Dhexit Dhamaka, Modiji’s monologue and the murder no one covered
-
Hype vs honesty: Why India’s real estate story is only half told – but fully sold
-
2006 Mumbai blasts: MCOCA approval was based on ‘oral info’, ‘non-application of mind’
-
South Central 37: VS Achuthanandan’s legacy and gag orders in the Dharmasthala case
-
The Himesh Reshammiya nostalgia origin story: From guilty pleasure to guiltless memes