Who Owns Your Media
आपके मीडिया का मालिक कौन: प्रोडक्शन हाउस से ब्रॉडकास्ट दिग्गज तक नेटवर्क18 का सफर
आज जिसे नेटवर्क18 ग्रुप के नाम से जाना जाता है, उसकी शुरुआत 90 के दशक में टीवी18 के रूप में हुई थी. एक साधारण से स्टूडियो से लेकर एक विशाल मीडिया समूह बनने तक के सफर पर आइए एक नजर डालते हैं.
"मुझे हमेशा बिजनेस के साथ-साथ मीडिया से भी लगाव था."
राघव बहल ने 2016 में जब यह कहा, तब वह इंदिरा कन्नन द्वारा अपनी विरासत पर लिखी किताब 'नेटवर्क18: द ऑडेशियस स्टोरी ऑफ ए स्टार्ट-अप दैट बिकम अ मीडिया एम्पायर' के प्रमोशन के दौरान पुराने दिन याद कर रहे थे.
बहल का झुकाव शुरू से ही बिज़नेस की ओर था. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की, उसके बाद दिल्ली की फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त की. उनका करियर भी ब्रिटिश-भारतीय अकाउंटिंग फर्म एएफ फर्ग्यूसन एंड कंपनी और उसके बाद अमेरिकन एक्सप्रेस के साथ मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में शुरू हुआ.
बहल ने कॉलेज के दौरान शौक के तौर पर मीडिया में काम करना शुरू किया था; वह नियमित रूप से दूरदर्शन पर यूथ फोरम जैसे कार्यक्रमों की एंकरिंग करते थे. जब विनोद दुआ ने उन्हें भारत की पहली वीडियो पत्रिका न्यूजट्रैक की एंकरिंग के लिए आमंत्रित किया, तब भी बहल अमेरिकन एक्सप्रेस में काम कर रहे थे. लेकिन फिर भी उन्होंने इसमें पार्ट-टाइम काम किया. वह शाम और वीकेंड पर काम करते थे. 1987 तक वह इंडिया टुडे में पूर्णकालिक रूप से शामिल हो गए और मधु त्रेहन के साथ मिलकर न्यूज़ट्रैक की एंकरिंग करने लगे.
टीवी18 का जन्म
उपरोक्त किताब में बताया गया है कि 1989 में खराब स्वास्थ्य के कारण बहल को छुट्टी लेनी पड़ी. कुछ महीने बाद वह वापस लौटे और उन्हें बिजनेस इंडिया पत्रिका के मालिक अशोक आडवाणी ने बिजनेस के क्षेत्र के लिए न्यूजट्रैक जैसा एक शो बनाने को कहा. आडवाणी एक पायलट शूट करना चाहते थे और उनके पास शूटिंग के लिए पर्याप्त बजट था- वह 5 लाख रुपए तक लगाने को तैयार थे.
इस नए प्रोजेक्ट से सबसे पहले जुड़ने वालों में थे संजय रे चौधरी या रे सी, जो तब एक फ्रीलांसर थे और दूरदर्शन के लिए भी काम करते थे; और सीबी अरुण कुमार या सीबी, जो वीडियो संपादक थे. यही आगे चलकर बहल के साथ टीवी18 की कोर टीम बनी. जल्द ही इस प्रोजेक्ट से रितु कुमार भी जुड़ गईं, जो बाद में बहल की जीवन संगिनी बनीं.
किताब के अनुसार, पायलट कुछ महीनों में तैयार हो गया था, लेकिन एक साल तक कुछ खास नहीं हुआ बल्कि सैटेलाइट टेलीविजन के आ जाने से पूरा खेल ही बदल गया.
आडवाणी ने उनके वीडियो को रोककर उसके स्थान पर एक चैनल शुरू करने का निर्णय लिया; उन्हें दूरदर्शन पर बिजनेस एएम नामक शो के लिए एक स्लॉट भी मिला.
बहल और उनके साथियों के लिए यह एक झटका था, लेकिन उन्होंने सलाहकार के रूप में काम करना जारी रखा. अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के लिए एक लाइफस्टाइल शो का पायलट एपिसोड बनाने के लिए भी बहल से संपर्क किया गया था. फिर भी, उपरोक्त किताब के अनुसार, उन्हें छिटपुट काम ही मिल रहा था.
बहल ने उसी कार्यक्रम के दौरान बताया, "यह सब 1990 के दशक की शुरुआत में हो रहा था. हम उस शाम एडिट सूट में बैठे थे और खुद से काफी दुखी थे. और हमने सोचा कि हमारा काम आगे नहीं बढ़ रहा है. हम दूसरों के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर जो भी काम कर रहे हैं, उसे रोककर अपनी खुद की कंपनी लॉन्च कर सकते हैं. वहां रे सी, सीबी और मैं थे."
इस प्रकार टीवी18 का जन्म 21 मई 1991 को हुआ- उसी दिन जब राजीव गांधी की हत्या हुई थी.
बहल का प्रस्ताव था कि पार्टनरशिप में 51 प्रतिशत उनके पास और बाकी रे सी और सीबी के पास रहे.
बहल ने बताया कि '18' संख्या प्रयोग करने के पीछे 'सिर्फ अंधविश्वास' है. "सभी की तरह हमारी भी कमजोरियां होती हैं. जैसा कि मैंने कहा, 90 के दशक की शुरुआत में हमारे पास बहुत कम काम था और जब हमें कोई नाम चुनना था, तो हमने कहा, ठीक है, अगर 18 भाग्यशाली सिद्ध होता है, तो इसे टीवी18 क्यों न कहा जाए? चैनल 9 दुनिया की बहुत मशहूर मीडिया कंपनी थी. टेलीविज़न कंपनियों का नाम चैनल नंबरों के आधार पर रखा जाता है. टेलीविज़न कंपनियों में नंबर बहुत अच्छे से काम करते हैं - इसलिए टीवी18."
उन्होंने दोनों पायलट एपिसोड्स के अतिरिक्त फुटेज का उपयोग करके दो और एपिसोड बनाने का फैसला किया: एक बिजनेस शो के लिए, दूसरा लाइफस्टाइल शो के लिए. यह पायलट एपिसोड्स बीबीसी पर इंडिया बिजनेस रिपोर्ट और स्टार प्लस पर इंडिया शो के तौर पर प्रसारित हुए और टीवी18 को इस क्षेत्र में मजबूती से स्थापित कर दिया.
2019 में आशुतोष गर्ग के पॉडकास्ट पर रे सी ने याद करते हुए कहा, "दोनों शो आठ से 10 साल तक हर हफ्ते चले. उनके कारण हमें और भी बहुत सारे कार्यक्रम मिले क्योंकि सभी चैनल हमारी ओर देखने लगे.. सभी को लगता था कि टीवी18 का काम है तो अच्छा ही होगा।.'
प्रोडक्शन से ब्रॉडकास्टिंग में पदार्पण
फिर, जैसा कि रे सी ने गर्ग को बताया, वह "बड़ी समस्या" आई जिसका सभी उद्यमियों को सामना करना पड़ता है.
"(यह प्रश्न था कि) आगे बढ़ते हुए आप कैसे अपनी गुणवत्ता बनाए रखते हैं? इसलिए, लगभग पांच-छह वर्षों तक, हम हर साल दोगुने, तिगुने की दर से बढ़े…"
सितंबर 1993 में टीवी18 को टेलीविज़न एटीन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (टीईआईपीएल) के रूप में पंजीकृत किया गया, जिसे पहला निवेश बहल के दोस्तों द्वारा संचालित कंपनी कंसोर्टियम फाइनेंस एंड लीजिंग द्वारा मिला. निवेशकों को 49 प्रतिशत हिस्सेदारी दी गई थी. बाद के अनुभव ने बहल को सिखाया कि यह बहुत ज़्यादा हिस्सेदारी थी.
उस समय बहल ब्राडकास्टिंग में कदम रखने के खिलाफ थे, लेकिन सीबी, आडवाणी के चैनल शुरू करने के विचार से उत्साहित थे. इसलिए 1994 में वे अलग हो गए. उसी वर्ष, टीईआईएल एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई और इसने मॉरीशस में एक सहायक कंपनी- टेलीविज़न एट मॉरीशस लिमिटेड, या टीईएमएल- की स्थापना की, ताकि वे भारत में विकसित किए जा रहे सॉफ़्टवेयर को मार्केट कर सकें और अपने विदेशी ऋण का बचाव (हेजिंग) कर सकें.
टीवी18 के विकास के इस चरण के दौरान एक निर्णायक क्षण 1995 में आया, जब इसने एशिया बिजनेस न्यूज़ के साथ गठजोड़ किया. एशिया बिजनेस न्यूज़ को बिजनेस समाचार और फीचर स्टोरीज़ तैयार करने के लिए डॉव जोन्स और वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा प्रोमोट किया गया था. जल्द ही, एक त्रिपक्षीय संयुक्त उद्यम का गठन किया गया. 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ एशिया फीड की जिम्मेदारी एबीएन के पास आई, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का काम करने वाले हिंदुजा समूह के पास 25 प्रतिशत हिस्सेदारी थी और स्थानीय प्रोग्रामिंग करने वाले टीवी18 के पास 24 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.
जैसा कि पीटर चर्च ने अपनी पुस्तक एडेड वैल्यू: द लाइफ स्टोरीज़ ऑफ इंडियन बिजनेस लीडर्स में लिखा है, ‘1990 के दशक के अंत तक टीवी18 बिजनेस समाचारों के साथ-साथ अंग्रेजी फीचर प्रोग्रामिंग के बाजार में भी अग्रणी हो गया. कंपनी ने ज़ी, सोनी और यहां तक कि एमटीवी के लिए भी शो बनाए. भंवर जैसी श्रृंखला के साथ उन्होंने कथा और नाटक में भी हाथ आजमाया. उन्होंने परिचालन का विस्तार किया, कार्यालय, उपकरण और कैब किराए पर लिए. टीम 10 लोगों से बढ़कर 60 की और फिर 100 लोगों की हो गई, और राजस्व $10,000 प्रति माह से $100,000 प्रति माह हो गया. उन्होंने एक व्यावसायिक प्रशिक्षण स्कूल एकेडमी18 की भी स्थापना की.’
हालांकि, एबीएनआई एक बड़ा कदम था, प्रोडक्शन बढ़ने के साथ लागत भी बढ़ी. लागत बढ़ने का यह भी कारण था कि खर्च कम करने और घरेलू प्रतिभा का उपयोग करने के बजाय, टीवी18 ने मीडिया उद्योग के बड़े-बड़े नामों को काम पर रख लिया, कभी-कभी उनके वेतन को दोगुना भी कर दिया लेकिन उनके मुनाफे का मार्जिन केवल 10 प्रतिशत था; एबीएनआई से अपेक्षित राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा था. इसलिए मतभेद पैदा हो गए, विशेषकर फंडिंग को लेकर. 1997 में हिंदुजा समूह इस पार्टनरशिप से बाहर हो गया.
उनकी हिस्सेदारी भी टीवी18 ने ले ली और फिर वह बिक्री और वितरण को भी नियंत्रित करने लगे. इसका मतलब था टीवी18 को एक पहचान देने वाले बीबीसी के साथ हितों का टकराव. लेकिन वे महत्वाकांक्षी थे और उन्होंने जोखिम लेने और किसी तरह पूंजी जुटाने का फैसला किया.
लेकिन जल्द ही एबीएन का सीएनबीसी में विलय हो गया, जिसके पास पहले से ही एक भारतीय कंपनी थी जो कंटेंट प्रोडूस कर रही थी. इससे टीवी18 की प्रासंगिकता समाप्त हो सकती थी, लेकिन सद्भावना, अच्छी किस्मत और एक अच्छे वकील की बदौलत, वह इंडिया पार्टनर बने रहे, जबकि सीएनबीसी ने यहां अपना परिचालन बंद कर दिया. सीएनबीसी एशिया की मालिक बिजनेस न्यूज (एशिया) प्राइवेट लिमिटेड और टीईएमएल ने एक संयुक्त उद्यम बनाकर सीएनबीसी इंडिया लॉन्च किया.
बहल कुछ इसी तरह के कदम की तलाश में थे. स्टार और बीबीसी प्रोडक्शन के लिए एनडीटीवी की ओर जा रहे थे, और बाजार में कई नए खिलाड़ी भी प्रवेश कर चुके थे. हालांकि सीएनबीसी का मामला शांति से निपट गया था, फिर भी टीवी18 को कमर कसनी पड़ी और विभिन्न विभागों और ब्यूरो में काम कर रहे कर्मचारियों में से लगभग पांचवें हिस्से की छंटनी करनी पड़ी. बाद में रे सी ने इसपर अफ़सोस जताया. एकेडमी18 को भी बंद करना पड़ा.
एनबीसी के साथ एक संयुक्त उद्यम, जिसमें टीवी18 ने 3-4 करोड़ रुपए का निवेश किया था, वह भी विफल हो गया. जबकि एनबीसी ने तुरंत निवेश और लागत को कवर करने के लिए कदम उठाए, बहल तब कानूनी रूप से इतने सक्षम नहीं थे कि अपना खोया हुआ मुनाफ़ा मांग सकें.
ब्रॉडकास्टर बनने के लिए पूरी तरह तैयार और (कंपनी को) सूचीबद्ध करने के इच्छुक बहल एक सीईओ चाहते थे. उनकी नज़रें टिकीं हरेश चावला पर, जो उस समय टाइम्स ग्रुप के साथ थे.
चावला की देखरेख में छंटनी का दूसरा दौर चला. उन्हें लगा कि प्रोडक्शन में कटौती और व्यावसायिक समाचार तथा सीएनबीसी इंडिया पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. नेटवर्क18 किताब के अनुसार, फीचर्स और एंटरटेनमेंट से दूरी बनाते हुए उन्होंने कुछ महान प्रतिभाओं को अलविदा कहा. रितु कपूर ने भी कंपनी से छुट्टी ले ली.
1999 के अंत में टीवी18 ने 53 करोड़ रुपए जुटाने के लिए आईपीओ के लिए आवेदन किया और एक शेयर की कीमत 180 रुपए रखी. आईपीओ को 51 गुना अधिक सब्सक्राइब किया गया. टीवी18 ने ओवरसब्सक्रिप्शन से सिर्फ ब्याज के तौर पर 16 करोड़ रुपए जुटाए. जब आईपीओ का कारोबार शुरू हुआ तो 15 मिनट के भीतर कीमतें 1,990 रुपए तक पहुंच गईं- जिससे निवेशकों को 1,006 प्रतिशत का लाभ हुआ. पीटर चर्च की किताब के अनुसार, उस समय दुनिया भर की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी और मीडिया कंपनियों का शानदार मूल्यांकन हो रहा था. किताब में कहा गया है कि इससे ठीक एक दिन पहले, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज 6,006 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर बंद हुआ था.
नेटवर्क18 किताब में दावा किया गया है कि टीवी18 कुछ चुनिंदा कर्मचारियों, खासकर पत्रकारों को स्टॉक विकल्प की पेशकश करने वाली पहली कंपनी थी. हालांकि, उस समय विवेक गोयनका के नेतृत्व में इंडियन एक्सप्रेस ने भी असाधारण रूप से प्रधान संपादक शेखर गुप्ता को हिस्सेदारी दी थी.
आईपीओ की सफलता के बाद, बहल और चावला की महत्वाकांक्षाएं एक जैसी थीं, और इसी के साथ टीवी18 जोखिम लेने, नया निर्माण करने और खरीदारी करने जैसे अधिक साहसी कदम उठाने के लिए तैयार थी.
सीएनबीसी इंडिया की सहयोगी साइट के रूप में रूपीमेकर.कॉम विकसित किया गया. लेकिन, किताब और एक्सचेंज4मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चूंकि यह कमज़ोर और त्रुटिपूर्ण था, 2000 में टीवी18 ने एक सहायक कंपनी, ई-एटीन.कॉम लि. के माध्यम से संगीता और विक्टर फर्नांडीस से मनीकंट्रोल का अधिग्रहण कर लिया. उस समय, मनीकंट्रोल के पास एक स्टॉक गेम, बेसिक पोर्टफोलियो और संपूर्ण स्टॉक डेटाबेस था.
विदेशों में भारतीय प्रवासियों के लिए उन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत में न्यू जर्सी स्थित पत्रिका मंत्रम को भी खरीदा. और 2003 तक उन्होंने साउथ एशिया वर्ल्ड नाम से एक चैनल शुरू किया. लेकिन दोनों ही जल्दी बंद हो गए.
जल्द ही, एक नए सरकारी रेगुलेशन ने ने भारत से अपलिंकिंग को अनिवार्य बना दिया और विदेशी इक्विटी को 26 प्रतिशत तक सीमित कर दिया, जिसके बाद सीएनबीसी ने इक्विटी रिलेशनशिप भंग करके ब्रांड और कंटेंट फ्रैंचाइज़ समझौता करने का निर्णय लिया. इसी के साथ संयुक्त उद्यम भी भंग हो गया, टीवी18 कंटेंट प्रोड्यूसर से ब्रॉडकास्टर बन गया और सीएनबीसी इंडिया का नाम बदलकर सीएनबीसी-टीवी18 कर दिया गया.
कारोबार का विस्तार और रिलायंस को बिक्री
साल 2005 व्यस्तता भरा था. टीवी18 ने भारत का पहला हिंदी बिजनेस चैनल सीएनबीसी आवाज़ लॉन्च किया. संजय पुगलिया, जो वर्तमान में अडानी मीडिया नेटवर्क के पहले एडिटर-इन-चीफ हैं, इसके पहले एडिटर थे.
इसके बाद, एनडीटीवी को टीवी18 की तिहरी मार झेलनी पड़ी. किताब के अनुसार, अंग्रेजी न्यूज़ मार्केट में कदम रखने के उद्देश्य से टीवी18 ने एक नई सहायक कंपनी, ग्लोबल ब्रॉडकास्ट न्यूज के तहत आईबीएन लॉन्च करने की योजना बनाई. इसके लिए टीवी18 ने न सिर्फ एनडीटीवी के वित्तीय सलाहकार समीर मनचंदा, बल्कि स्टार एंकर राजदीप सरदेसाई को भी अच्छा ऑफर दिया. यह सौदा 75 करोड़ रुपए के अग्रिम निवेश और 25 प्रतिशत हिस्सेदारी का था, जिसमें से मनचंदा को 10 प्रतिशत, सरदेसाई और चावला को पांच-पांच प्रतिशत और पांच प्रतिशत कर्मचारियों के ट्रस्ट को मिला.
आखिरी दांव में इसने एनडीटीवी से सीएनएन के साथ लगभग हो चुकी डील भी छीन ली, जब बातचीत अंतिम चरण में थी, जिसके परिणामस्वरूप सीएनएन-आईबीएन बना.
2006 के आसपास समूह ने जागरण के स्वामित्व वाले चैनल 7 का अधिग्रहण किया, जब टीवी18 के पूर्व कर्मचारी पीयूष जैन ने बहल को बताया कि जागरण एक रणनीतिक साझेदार की तलाश में है. चैनल का नाम बदलकर आईबीएन7 कर दिया गया. समूह ने व्यावसायिक समाचार एजेंसी क्रिसिल मार्केट वायर का भी अधिग्रहण किया, जिसे पहले लाइववायर मोशन पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड, फिर न्यूज़वायर18 इंडिया और अंततः न्यूज़वायर18 नाम दिया गया.
इसी बीच अपलिंकिंग की एक नई शर्त आई जिसके तहत प्रसारण कंपनियों के सबसे बड़े भारतीय शेयरधारक के लिए कंपनी में कम से कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी होना अनिवार्य था. इसकी वजह से टीवी18 और ज़ी जैसी अन्य कंपनियों को पुनर्गठन करना पड़ा. फलस्वरूप टीईआईएल, नेटवर्क18 और एसजीए न्यूज लिमिटेड- जिसके पास आवाज का बिजनेस था- के बीच ‘ठहराव की स्कीम’ के तहत, नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट्स समूह की होल्डिंग कंपनी बन गई.
नेटवर्क18 को मूल रूप से 1996 में एसजीए फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड के रूप में शुरू किया गया था, जिसे शुरू में अनिल जिंदल परिवार ने प्रोमोट किया. रितु कपूर ने 2002 में 100 प्रतिशत पेड-अप कैपिटल हासिल करने के बाद प्रबंधन का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया. 2003 में जारी किए गए नए शेयरों में से 91 प्रतिशत हासिल करने के बाद बहल इसके नए प्रमोटर बन गए. 2006 में एसजीए का नाम बदलकर नेटवर्क18 फिनकैप प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया- और अंततः 2007 में इसका नाम नेटवर्क18 रखा गया.
ब्रॉडकास्ट और डिजिटल मीडिया में सफलता के बाद अब नेटवर्क18 की नज़रें प्रिंट मीडिया पर टिकी थीं. बिजनेस स्टैंडर्ड को लुभाने में असफल होने के बाद, इसने फाइनेंशियल टाइम्स की ब्रिटिश प्रकाशन कंपनी और बिजनेस स्टैंडर्ड में माइनॉरिटी शेयरधारक पियर्सन पीएलसी के साथ गठजोड़ करके एक उद्यम शुरू करने की योजना बनाई. लेकिन 2008 के वित्तीय संकट के कारण यह प्रयास विफल हो गया.
लेकिन 2007 में ही समूह का प्रिंट मीडिया में पदार्पण का सपना पूरा हुआ जब इसने इन्फोमीडिया में 43.38 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया, जिसमें येलो पेजेज डायरेक्टरी, प्री-प्रेस बीपीओ सेवाएं और एक प्रिंटिंग प्रेस शामिल थी. टाटा ने इसे आईसीआईसीआई वेंचर्स को बेच दिया था, जो इसे किसी और को बेचना चाहती थी.
उसी वर्ष ग्लोबल ब्रॉडकास्ट न्यूज़ को लिस्ट करके 105 करोड़ रुपए जुटाए गए. बहल ने दो निजी उद्यम भी शुरू किए: द इंडियन फिल्म कंपनी और वेंचर कैपिटल फर्म कैपिटल18, जिसने बुकमाइशो, यात्रा और वेब चटनी जैसी स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया. चूंकि बहल के पास इसके लिए फंड नहीं था, इसलिए टीवी18 ने इसमें 20 प्रतिशत का निवेश किया.
एक साल बाद, द इंडियन फिल्म कंपनी ने लंदन के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट मार्केट से 400 करोड़ रुपए जुटाए. एएमआई में इसके निवेशकों में से एक, लेहमैन ब्रदर्स ने टीवी18 को 50 मिलियन डॉलर की विदेशी क्रेडिट लाइन भी दी. इस लोन का एक हिस्सा ऑन-एयर शॉपिंग चैनल होमशॉप18 लॉन्च करने के लिए इस्तेमाल किया गया. और एक हिस्सा वायाकॉम आईएनसी (एमटीवी, वीएच1 और निकेलोडियन की मालिकाना कंपनी) के साथ 50:50 एक संयुक्त उद्यम को वित्तपोषित करने के लिए भी इस्तेमाल किया गया, जिसमें नेटवर्क18 को 500 मिलियन डॉलर लगाने पड़े, जो उसकी वित्तीय क्षमता से कहीं अधिक था. नेटवर्क18 ने न केवल वायाकॉम की मौजूदा संपत्तियों को पुनर्जीवित किया, बल्कि एक नया हिंदी एंटरटेनमेंट चैनल कलर्स भी लॉन्च किया.
2008 तक टीम को एहसास होने लगा कि इन्फोमीडिया में पैसे लगाकर गलती हुई. मनीकंट्रोल की संस्थापक संपादक विद्या कुमारस्वामी ने नेटवर्क18 पुस्तक में कहा है कि मनीकंट्रोल और आईबीएनलाइव आदि को छोड़कर, समूह की इंटरनेट शाखा वेब18 के तहत किए गए ज्यादातर प्रयास "निराशाजनक" रहे.
वित्तीय मंदी के दौरान फिल्म उद्योग को जो झटका लगा, उसका असर टीआईएफसी पर भी पड़ा, हालांकि बहल ने ईमानदारी से माना कि वह वैसे भी नहीं चल सकती थी. किताब के अनुसार, अंततः नेटवर्क18 द्वारा अधिग्रहण के बाद इसे स्टूडियो18 में बदल दिया गया, ताकि एआईएम निवेशकों को बाहर निकलने का रास्ता मिल सके. विज्ञापन से मिलने वाला राजस्व भी कम हो गया था, जिससे सीएनबीसी-टीवी18 पर असर पड़ा, जबकि टाइम्स नाउ के 26/11 के आक्रामक कवरेज ने सीएनएन-आइबीएन पर असर डाला. बाद में इसके कारण अन्य समाचार चैनलों के कामकाज का तरीका भी बदल गया.
लेकिन इन सबके बीच भी नेटवर्क18 की चाल धीमी नहीं हुई. 2008 में इसने एक मेल सेवा इन.कॉम लॉन्च की. अप्रैल 2009 में इसने फोर्ब्स के साथ एक संयुक्त उद्यम में शुरू किया. और 2011 में फर्स्टपोस्ट लॉन्च किया, जिसके संपादक आर जगन्नाथन थे; और ए एंड ई नेटवर्क के साथ एक संयुक्त उद्यम के माध्यम से हिस्ट्री चैनल लॉन्च किया.
जून 2010 में मनीलाइफ़ ने एक रिपोर्ट में कहा कि "2006-08 के बीच गलत समय पर बड़े विस्तार और विविधीकरण के बाद, पिछले दो वर्षों से अधिक समय से" नेटवर्क18 का "मुख्य व्यवसाय पैसे की बर्बादी रहा है." हालांकि कलर्स तब भी पैसा कमा रहा था.
2011 तक नेटवर्क18 का कर्ज 1,800 करोड़ रुपए तक पहुंच गया और बहल ने साल के अंत तक 10 गुना अधिक कर्ज ले लिया. इसके शेयर की कीमत 160 रुपए से घटकर 50 रुपए हो गई. यहां तक कि इसने जो 1,000 करोड़ रुपए जुटाए थे- 500 करोड़ रुपए 2009 में टीवी18 के राइट्स इश्यू से और 500 करोड़ 2011 में प्राइवेट प्लेसमेंट से- उनका इस्तेमाल भी कर्ज को कम करने के बजाय और विस्तार करने के लिए किया गया.
समूह में 2009 के बाद से लोगों की छंटनी हुई और 2010 में पुनर्गठन हुआ. सीएनबीसी-टीवी18, सीएनएन-आईबीएन, सीएनबीसी आवाज, वायाकॉम18 चैनल और आईबीएन लोकमत सहित सभी टीवी चैनलों को नए टीवी18, यानी आईबीएन18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड के अंतर्गत ले आया गया. 2008 में जीबीएन का नाम बदलकर आईबीएन18 और 2011 में टीवी18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड कर दिया गया. सभी वेबसाइट, प्रकाशन और वेंचर कैपिटल डिवीजन, खेल और इवेंट प्रबंधन व्यवसाय नए नेटवर्क18 के तहत ले आए गए.
लेकिन, जैसा कि मनीलाइफ़ ने कहा था, पुनर्गठन से कोई लाभ नहीं हुआ. अंततः बहल ने मुकेश अंबानी से संपर्क किया. समूह के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चावला ने इसके बजाय प्रस्ताव रखा कि वित्तीय संकट को हल करने के लिए वायाकॉम की हिस्सेदारी बेच दी जाए. इस मतभेद के बाद वह अलग हो गए और बहल ने नवंबर 2011 में रिलायंस के साथ एक डील की.
जनवरी 2012 में नेटवर्क18 ने घोषणा की कि इंडिपेंडेंट मीडिया ट्रस्ट के माध्यम से रिलायंस समूह के प्रमोटरों को टीवी18 और नेटवर्क18 में राइट्स इश्यू के द्वारा अतिरिक्त शेयर हासिल करने में मदद करने के लिए फंड देगा. यह 4,000 करोड़ रुपये जुटाएगा, जिसमें प्रमोटर संस्थाओं का 1,700 करोड़ रुपये का योगदान भी शामिल है. इससे 4,000 करोड़ रुपए जुटाए गए, जिसमें प्रमोटर संस्थाओं का योगदान 1,700 करोड़ रुपए था. टीवी18 ने इस आय का उपयोग करके लगभग 1,300 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाया, 2,100 करोड़ रुपए में रिलायंस से ईटीवी चैनल खरीदे और वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा किया. बहल की 51 फीसदी हिस्सेदारी उनके पास ही रही.
बहल ने पत्रकारों से वादा किया कि संपादकीय कामकाज में हस्तक्षेप नहीं होगा. लेकिन नेटवर्क18 किताब खुद इस बात की पुष्टि करती है कि वे रिलायंस पर गहन रिपोर्टिंग नहीं कर सकते थे. केवल समाचार कवरेज की अनुमति थी, संपादकीय कवरेज की अनुमति नहीं थी.
एक साल बाद, 300-400 कर्मचारियों की छंटनी की गई. नए सीईओ बी साईकुमार इसे केवल लागत में कटौती की बजाय दक्षता में वृद्धि के रूप में देखते थे और वह चाहते थे कि वायाकॉम18, डिज्नी, एएंडई18 और समाचार संचालन को एक डिस्ट्रीब्यूशन के तहत लाया जाए.
साईकुमार ने 2014 तक स्थिति पूरी तरह बदल दी. किताब के अनुसार, वार्षिक राजस्व 12 प्रतिशत बढ़कर 2,692 करोड़ रुपए हो गया, और 2013 तक जहां (परिचालन लागत के बाद) 39 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा था, वहीं 2014 में 89 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ. लेकिन मई 2014 में रिलायंस ने जीरो-कूपन ऑप्शनली कनवर्टिबल डिबेंचर, यानी ज़ेडओसीडी को इक्विटी शेयर में बदलने का फैसला किया (ज़ेडओसीडी ऐसा बॉन्ड होता है जो एक कंपनी पूंजी जुटाने के लिए जारी करती है, लेकिन इनपर बॉन्डधारकों को कोई ब्याज नहीं दिया जाता, हालांकि उनके पास इसे इक्विटी शेयर में बदलने का विकल्प होता है).
समूह की पत्रिका फोर्ब्स ने इस खबर को सबसे मनहूस हेडलाइन दी: "रिलायंस ने किया नेटवर्क18 पर कब्ज़ा: क्या यह मीडिया की स्वतंत्रता का अंत है?"
ईपीडब्ल्यू की हेडलाइन थी, "भारत में मीडिया का क्या है भविष्य?" जबकि ई4एम की इम्पैक्टोननेट पत्रिका ने सवाल किया, "आरआईएल ने किया नेटवर्क18 का अधिग्रहण: मीडिया क्यों है परेशान?"
अंबानी द्वारा इस अचानक अधिग्रहण के कारणों के बारे में कई कहानियां सामने आईं. सबसे चर्चित वजह बताई जा रही थी कि नेटवर्क18 चैनल, आम आदमी पार्टी को बहुत अधिक जगह दे रहे थे, जो 2015 के चुनाव से पहले अंबानी पर हमले कर रही थी. कई लोगों ने इस अधिग्रहण को तख्तापलट के रूप में देखा, खासकर इसलिए क्योंकि बहल ने उसी वर्ष थिंक इंडिया फाउंडेशन की स्थापना की थी, साथ ही क्योंकि 2012 के समझौते के तहत उन्हें ईटीवी के चैनल खरीदने पड़े थे.
लेकिन बहल ने कम से कम सार्वजनिक रूप से इसे ख़ारिज किया.
उन्होंने किताब में भी यह दावा किया है कि जब उन्होंने यह समझौता किया था, तो साफ तौर पर बात हुई थी कि रिलायंस (चाहे तो) एक मिनट के नोटिस पर डिबेंचर्स को (इक्विटी में) बदल सकता है. "यह बात और है कि किसी ने भी उनसे ऐसा करने की उम्मीद नहीं की थी."
यह उसी तरह था जैसे हाल ही में अडानी ने एनडीटीवी का अधिग्रहण किया. फर्क सिर्फ इतना था कि एनडीटीवी की तरह बहल ने उन शर्तों के कार्यान्वयन का विरोध नहीं किया जिनपर वह सहमत हुए थे. इसके बजाय, उन्होंने स्पष्ट रूप से उसे कानूनी बताया और कहा कि वह अपने वादे से पीछे नहीं हटेंगे.
रिलायंस के टेकओवर के बाद
जून 2014 तक, कैपिटल18 लिमिटेड और बीके होल्डिंग्स लिमिटेड का नेटवर्क18 होल्डिंग्स लिमिटेड में विलय हो गया. जल्द ही, शीर्ष प्रबंधन के ज्यादातर लोगों ने इस्तीफा दे दिया. जुलाई तक निदेशक का पद छोड़नेवालों में थे: मनोज मोहनका; जुबिलेंट भरतिया समूह के संस्थापक और एचटी की शोभना भरतिया के पति हरि एस भरतिया; संजय राज चौधरी; और बहल की बहन वंदना मलिक और मां सुभाष.
बहल ने भी प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन फरवरी 2016 तक गैर-कार्यकारी निदेशक बने रहे. क्वार्ट्ज की रिपोर्ट के अनुसार, आईबीएन18 के प्रधान संपादक राजदीप सरदेसाई, जिनकी नेटवर्क18 में 1.5 प्रतिशत हिस्सेदारी अधिक इक्विटी जारी होने के बाद एक प्रतिशत से नीचे आ गई थी, को 16.4 करोड़ रुपए मिलने थे.
शिरीन भान, जो 2013 में सीएनबीसी-टीवी18 की प्रबंध संपादक बनी थीं, अपने पद पर बनी रहीं.
नए बोर्ड में शामिल थे मैकिन्से के पूर्व चेयरमैन आदिल ज़ैनुलभाई, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज के निदेशक भी थे; एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख; मीडिया दिग्गज रोहित बंसल और वेबदुनिया और डायस्पार्क आईएनसी के ग्रुप चेयरमैन विनय छजलानी.
बहल-चावला जिस बदलाव और विस्तार के लिए जाने जाते थे, वह नए प्रबंधन के तहत भी जारी रही. अधिग्रहण के एक साल के भीतर, ईटीवी के क्षेत्रीय मनोरंजन चैनलों को वायाकॉम18 के कलर्स में रिब्रांड कर दिया गया. पांच क्षेत्रीय ईटीवी समाचार चैनल लॉन्च किए गए: कन्नड़, बांग्ला, गुजराती, हरियाणा/हिमाचल प्रदेश और उड़िया. गुजराती में एक बिजनेस चैनल, सीएनबीसी बाजार भी लॉन्च किया गया.
वहीं, प्रिंट बिज़नेस में घाटे में चल रहे 13 प्रकाशन बंद हो गए. फोर्ब्स इंडिया, ओवरड्राइव, बेटर फोटोग्राफी और बेटर इंटीरियर्स को बरकरार रखा गया. इवेंट बिज़नेस बंद कर दिया गया और होमशॉप18 के ई-कॉमर्स ऑपरेशन्स को कम करके उसके टीवी सेगमेंट को बढ़ावा दिया गया.
नेटफ्लिक्स इंडिया के लॉन्च होने के ठीक दो महीने बाद, जनवरी 2016 में वायाकॉम18 ने वूट लॉन्च किया. जो नए चैनल लॉन्च हुए उनमें शामिल थे रिश्ते सिनेप्लेक्स, हिंदी फिल्मों के लिए; एमटीवी बीट्स, बॉलीवुड संगीत के लिए और एफवाईआई टीवी18 लाइफस्टाइल के लिए; कलर्स सुपर दूसरा कन्नड़ जनरल एंटरटेनमेंट चैनल था. क्षेत्रीय मनोरंजन को इकठ्ठा करने के लिए, एक अप्रत्यक्ष सहायक कंपनी प्रिज्म टीवी का वायाकॉम18 में विलय कर दिया गया.
फ़र्स्टपोस्ट के पूर्व संपादक जयदीप गिरिधर, जिन्होंने उस साल दिसंबर में जॉइन किया, बताते हैं, "हमें जो निर्देश मिले थे वह रिलायंस की खासियत है- प्रभुत्व स्थापित करना और विस्तार करना. केवल हमें ही नहीं बल्कि पूरे नेटवर्क को जिस तरह के संसाधन उपलब्ध कराए गए वह महत्वपूर्ण थे. क्योंकि कोशिश इसे एक ऐसा ब्रांड बनाने की थी, जो टेलीविजन और डिजिटल दोनों क्षेत्रों में शीर्ष पांच या शीर्ष तीन में हो. पहुंच बढ़ाने का भी निर्देश था. डिजिटल में इसका मतलब था ट्रैफ़िक आदि के लिए आक्रामक रणनीति बनाना. यही कारण है कि हमारे पास इतने सारे डेस्क थे. अपने पीक समय में हम रोज लगभग 300-400 स्टोरीज कर रहे थे."
उन्होंने याद किया कि उन शुरुआती सालों में बहुत आज़ादी थी.
"हम बिल्कुल निरंकुश थे. संसाधनों के संदर्भ में- लेखों को कमीशन करने या टीम बनाने के लिए मिलनेवाला पैसा- और यहां तक कि संपादकीय पदों पर भी कोई सख्ती नहीं थी, कोई शर्त नहीं थी, कुछ भी नहीं था. हम क्या कवर कर सकते थे या क्या कह सकते थे, उस पर कोई प्रतिबंध नहीं था, बशर्ते हम पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करते रहें."
मार्च 2017 तक समूह ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी लॉन्च किया. फिर न्यूज़18.कॉम को सिंगल डिजिटल समाचार गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए, आईबीएनलाइव पोर्टल को रीब्रांड किया गया और क्षेत्रीय समाचारों का भी विलय कर दिया गया. सीएनएन-आईबीएन को सीएनएन-न्यूज़18 और आईबीएन7 को न्यूज़18 इंडिया नाम दिया गया. ईटीवी के क्षेत्रीय समाचार चैनल भी न्यूज़18 में बदल गए. क्षेत्रीय समाचारों को संभालने वाली इकाई को टीवी18 में विलय करने की मंजूरी ली गई. समूह ने न्यूज18 केरल, तमिलनाडु और असम/उत्तर-पूर्व में भी लॉन्च किया और न्यूज18 इंडिया को कनाडा में लॉन्च किया गया.
अगले वित्तीय वर्ष में समूह ने वायाकॉम18 में हिस्सेदारी 51 प्रतिशत तक बढ़ाकर उसका परिचालन अपने हाथ में ले लिया. कुछ नए लॉन्च भी किए गए, जैसे टिपिंग प्वाइंट (वायाकॉम18 स्टूडियोज का डिजिटल पूरक), कलर्स तमिल; ब्रांड के कंटेंट के लिए प्रीमियम डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में सीएनबीसी-टीवी18.कॉम और सीएनबीसी-टीवी18 ऐप; और अंत में (प्रीमियम, विज्ञापन-रहित पेड ऐप) एमसी प्रो, और मनीकंट्रोल के पाठकों से और कमाई करने के लिए (निवेश ऐप) एमसी ट्रांजैक्ट.
द हिंदू के बिजनेस हेड (डिजिटल) प्रदीप गैरोला द्वारा लिखित और वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूज पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, जून 2021 तक एमसी प्रो 3,30,000 पेड सब्सक्राइबर्स तक पहुंचा. बिजनेस स्टैंडर्ड के प्रायोजित कंटेंट के रूप में वर्गीकृत किए गए एक लेख के अनुसार, 2022 में यह संख्या 5,00,000 तक पहुंच गई.
होमशॉप18 ने ऐसे ही एक चैनल शॉप सीजे का अधिग्रहण किया, जबकि नेटवर्क18 ने लोकप्रिय रेस्तरां लिस्टिंग और रेकमेंडेशन साइट बर्रप.कॉम को बिगट्री एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया. वायाकॉम18 और इंडियाकास्ट की सहायक कंपनियां, जो पहले संयुक्त उद्यम थीं, वह (नेटवर्क18 की) सहायक कंपनियां बन गईं.
वित्तीय वर्ष 2019 में न्यूज़18 ने मलयालम और तेलुगु चैनल लॉन्च किए.
न्यूज़18 की क्षमता और क्षेत्रीय विस्तार को देखते हुए, गिरिधर समझ सकते थे कि ज्यादातर व्यवसाय उसकी ओर क्यों जा रहा है. लेकिन उन्होंने कहा, "इसमें कई तरह के संसाधन लगते हैं- लोग, प्रौद्योगिकी इत्यादि. फ़र्स्टपोस्ट को एक तरह से दूसरे स्तर पर धकेल दिया गया, इसलिए हमारे संसाधन कम हो गए और हमें टीम छोटी करनी पड़ी. लगभग 125 की अधिकतम संख्या से घटकर, 2019 तक टीम लगभग 50 लोगों की रह गई.''
परिणामस्वरूप, उन्होंने कहा, "लक्ष्यों को उसी हिसाब से संशोधित किया गया. कभी प्रति माह 42-45 मिलियन यूनिक व्यूज के अधिकतम लक्ष्य से घटकर यह संख्या आधी हो गई, और फिर 12-15 मिलियन तक सिमट गई."
उसी वर्ष फ़र्स्टप्रिंट लॉन्च किया गया, लेकिन वह केवल छह महीनों में बंद हो गया.
2019 में समूह पुनः संगठित होता दिखा. एक समर्पित ऐप के साथ क्रिकेटनेक्स्ट को फिर से लॉन्च किया गया और इन.कॉम को एक ऐसी प्रमुख वेबसाइट के तौर पर रीलॉन्च किया गया, जिसमें मशहूर हस्तियों से संबंधित विचार और टिप्पणियां रखे जाते हों. अवशोषण की एक योजना के तहत महत्वपूर्ण रीएलाइनमेंट किए गए और नेटवर्क18 की पूर्ण स्वामित्व वाली प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष सहायक कंपनियों का मूल कंपनी में विलय कर दिया गया. इन कंपनियों में शामिल थीं डिजिटल18 मीडिया लिमिटेड, कैपिटल18 फिनकैप प्राइवेट लिमिटेड, आरवीटी फिनहोल्ड प्राइवेट लिमिटेड, आरआरके फिनहोल्ड प्राइवेट लिमिटेड, आरआरबी इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, सेटप्रो18 डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड, रीड इंफोमीडिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, वेब18 सॉफ्टवेयर सर्विसेज लिमिटेड, टेलीविजन एटीन मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, टेलीविजन एटीन मॉरीशस लिमिटेड, वेब18 होल्डिंग्स लिमिटेड, ई-18 लिमिटेड और नेटवर्क18 होल्डिंग्स लिमिटेड.
एक अन्य योजना के द्वारा पैनोरमा टेलीविज़न प्राइवेट लिमिटेड, आरवीटी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, आईबीएन18 (मॉरीशस) लिमिटेड और ईटीवी व्यवसाय का स्वामित्व रखने वाली इक्वेटर ट्रेडिंग एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड का टीवी18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड के साथ समामेलन कर दिया गया.
जब आरआईएल ने नेटवर्क18 का अधिग्रहण किया, तो इसका एक उद्देश्य था दूरसंचार व्यवसाय को वेब और डिजिटल के साथ एकीकृत करना. डिजिटल और टेलीविजन के एकीकरण को लेकर जो बातें होती थीं वह गिरिधर को याद हैं, उनका कहना है कि यह चलन दुनिया भर में फैल रहा था.
“भारत में 65% इंटरनेट ट्रैफिक वीडियोज़ पर होता है. सिर्फ डिजिटल समाचार सेवाएं इस तरह के वीडियो का उत्पादन नहीं करती हैं, क्योंकि उनके पास लोगों या प्रतिभा या धन के संदर्भ में उतने संसाधन नहीं हैं,” उन्होंने कहा. "लेकिन टेलीविजन नेटवर्क ऐसा करते हैं."
इसलिए, उन्होंने कहा, नेटवर्क18 ने इस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक टीम बनाई. "उन्हें अध्ययन करना था कि टेलीविजन कैसे काम करता है, डिजिटल कैसे काम करता है, और देखना था कि दोनों में कैसे बेहतर तालमेल बिठाया जा सकता है. सर्वश्रेष्ठ टीवी रिपोर्टर या एंकर डिजिटल में कैसे योगदान दे सकते हैं, और टेलीविजन जो कर रहा है उसे डिजिटल कैसे आगे बढ़ा सकता है. उन्होंने [क्षेत्रीय] भाषा वाले दफ्तरों समेत, देश भर में मौजूद हमारे कई न्यूज़रूम्स से बात करने में काफी समय दिया."
विभिन्न टीवी18 चैनलों और प्रमुख डिजिटल प्रॉपर्टीज को रिलायंस जियो इन्फोकॉम के साथ बंडल किया गया, जिसका उल्लेख केयर रेटिंग्स की 2019 रिपोर्ट में किया गया है. तब से, वार्षिक रिपोर्टों के अनुसार, वूट को टेल्को सेवाओं, पारंपरिक वितरकों के डिजिटल एक्सटेंशन और उच्च-स्तरीय गैर-मीडिया प्लेटफार्मों के साथ भी बंडल किया गया है.
बोर्ड ने डेन नेटवर्क्स, हैथवे और टीवी18 का नेटवर्क18 में और केबल, ब्रॉडबैंड और डिजिटल व्यवसायों का तीन अलग-अलग पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों, क्रमशः मीडिया18, वेब18 और डिजिटल18 में समामेलन करने की योजना को भी मंजूरी दे दी. लेकिन इसके लिए डेन और हैथवे को जितनी न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग चाहिए होती, उसे देखते हुए बाद में उन्होंने इसे छोड़ दिया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल के अंत में होमशॉप18 वेंडर्स एसोसिएशन द्वारा 150-200 करोड़ रुपए के बकाया का भुगतान न करने के आरोपों के बीच, होमशॉप18 को स्काईब्लू बिल्डवेल को बेच दिया गया.
चार साल बाद, इस साल 12 मई को, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने टेलीविज़न होम शॉपिंग नेटवर्क लिमिटेड के खिलाफ कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया, जो होमशॉप18 ब्रांड नाम के तहत भारत में ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस के रूप में काम करता है. यह आदेश ट्रेजर रिटेल प्राइवेट लिमिटेड की एक याचिका पर दिया गया, जिसमें 1.4 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान की मांग की गई थी. आदेश में पाया गया कि टीएचएसएनएल द्वारा किया गया डिफ़ॉल्ट "रिकॉर्ड पर साबित हुआ है" और इसके निष्कर्षों में कहा गया कि "यह भी विवादित नहीं है कि डिफ़ॉल्ट 25.09.2019 को हुआ था."
2020 में वायाकॉम18 ने मूल और अंतर्राष्ट्रीय कंटेंट सब्सक्रिप्शन-आधारित प्लेटफार्म वूट सेलेक्ट, और बच्चों के लिए एडूटेनमेंट स्पेस वूट किड्स लॉन्च किया. निकलॉडियन के विषय और प्रारूप दोनों में स्थानीयकरण हुआ, और कन्नड़, गुजराती और बंगाली चैनलों के लॉन्च के माध्यम से फिल्मों में भी. फ्री-टू-एयर चैनल के तौर पर रिश्ते सिनेप्लेक्स लॉन्च किया गया और कलर्स रिश्ते को फिर से डीडी फ्रीडिश पर लाया गया.
जैसे-जैसे महामारी ने डिजिटलीकरण को गति दी, नेटवर्क18 की पत्रिकाओं ने भी नई डिजिटल गतिविधियां शुरू कीं. फोर्ब्स इंडिया ने डिजिटल-फर्स्ट मॉडल अपनाया, ओवरड्राइव ने डिजिटल संस्करण, इंस्टाग्राम लाइव्स, साप्ताहिक लाइव-स्ट्रीम शो, साथ ही ई-कॉमर्स बिक्री और सोशल मीडिया इवेंट प्रस्तुत किए. बेटर फ़ोटोग्राफ़ी ने इंस्टा लाइव सत्र के साथ-साथ ऑनलाइन पाठ्यक्रम और कार्यशालाएं भी शुरू कीं. हालांकि लगता है बेटर इंटीरियर्स बंद हो चुकी है. यह अब समूह की वेबसाइट के पोर्टफोलियो पर दिखाई नहीं देती है और इसकी वेबसाइट पर आखिरी समाचार पोस्ट जुलाई 2021 में हुआ था.
एक और स्पष्ट बदलाव आया, वह था दक्षिणपंथी विचारधारा की ओर झुकाव- गिरिधर ने बताया कि ऐसा दुनिया में हो रहा था, विशेष रूप से भारत में 2019 के चुनावों के बाद यह जोर पकड़ रहा था. समाज में पनप रहा ध्रुवीकरण मीडिया में प्रतिबिंबित होने लगा, और तटस्थ रहना फायदेमंद नहीं रह गया. गिरिधर ने कहा कि उनके लिए माहौल दमघोंटू हो गया था और उन्होंने 2021 में फ़र्स्टपोस्ट छोड़ दिया. गिरिधर ने कहा कि फ़र्स्टपोस्ट को लेकर उनका और बीवी राव का दृष्टिकोण और निर्देशन "इसे समावेशी, बहुलवादी और पारंपरिक अर्थों में उदारवादी बनाना था." जिसका मतलब था हर तरफ के विचार आने चाहिए, (दक्षिण और वाम सभी ओर के समझदार विचारों के साथ) सभी पक्षों की बात रखनी चाहिए, और मुद्दों की रिपोर्टिंग में यह झलकना चाहिए. लेकिन जब एक पक्ष की बात को पूरी तरह से खत्म करने और उसकी रिपोर्टिंग हटाने का निर्णय होता है, तो आपके पास पूरी तरह से एकतरफा स्टोरी रह जाती है जो पत्रकारिता के बजाय आपकी मंशा या तत्कालीन माहौल के अनुकूल होती है.”
हालांकि, सीएनएन-न्यूज़18 कथित तौर पर ऐसी छवि स्थापित करने की कोशिश कर रहा है जहां 'शोर से अधिक समाचार' समाचार को महत्त्व दिया जाता है.
पिछले दो सालों से समूह ने खेलकूद के क्षेत्र में भी बड़ा विस्तार किया है. वायाकॉम18 ने फीफा विश्व कप 2022, एनबीए, तीन प्रमुख फुटबॉल लीग और आईपीएल जैसे प्रमुख आयोजनों के टेलीविजन और डिजिटल अधिकार प्राप्त किए. इसने स्पोर्ट्स18 के तहत तीन खेल चैनल भी लॉन्च किए.
हाल ही में, वायाकॉम18 ने जियोसिनेमा का मालिकाना हक प्राप्त किया है और इसमें 15,000 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है. बिजनेस टुडे के अनुसार, रिलायंस ने 10,839 करोड़ रुपए का निवेश किया और जेम्स मर्डोक समर्थित बोधि ट्री सिस्टम्स ने लगभग 4,306 करोड़ रुपए का योगदान दिया. शेयरहोल्डिंग में रिलायंस को 60.37 प्रतिशत (टीवी18 को अतिरिक्त 13.54 प्रतिशत), और बोधि ट्री और पैरामाउंट ग्लोबल (पूर्व में वायाकॉमसीबीएस) को क्रमशः 13.08 प्रतिशत और 13.01 प्रतिशत की हिस्सेदारी मिलेगी. मूल रूप से, बोधि ट्री को बड़े पैमाने पर निवेश करना था और 40 प्रतिशत शेयरहोल्डिंग प्राप्त करनी थी. लेकिन सीएनबीसी-टीवी18 की एक रिपोर्ट बताती है कि हाल ही में जियोसिनेमा के मजबूत प्रदर्शन को देखते हुए, रिलायंस ने वायाकॉम18 में अपनी हिस्सेदारी को जल्दबाज़ी में कम करने से बचने के लिए इस डील में संशोधन किया होगा.
रिपोर्ट में इस बात की भी उत्साह से चर्चा की गई है कि इस निवेश का उपयोग समूह बाजार में उथल-पुथल मचाने के लिए कर रहा है, विशेषकर तब जब "शीर्ष पर एक नई अनुभवी टीम- उदय शंकर (पूर्व अध्यक्ष वॉल्ट डिज़नी, एपीएसी) और जेम्स मर्डोक (पूर्व सीईओ, सेंचुरी फॉक्स)- उसे ऐसा करने में मदद कर सकती है."
अंत में, इस तरह व्यवसायों के साथ आने की प्रक्रिया की दिशा में प्रयास और भी अधिक गति पकड़ते दिख रहे हैं.
पिछले साल डिजिटल-फर्स्ट शो के रूप में वांटेज- वैश्विक घटनाओं पर एक भारतीय दृष्टिकोण -लॉन्च किया गया था, जो कथित तौर पर फर्स्टपोस्ट और उसके यूट्यूब चैनल पर, सप्ताह के दिनों में रात 9 बजे और सीएनएन-न्यूज18 पर रात 10 बजे प्रसारित होता था. वियॉन की पूर्व होस्ट पालकी शर्मा को इसमें शामिल किया गया था.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, "समूह के अभिसरण (कन्वर्जेन्स) और सभी डिजिटल प्रौद्योगिकी पहलों, जैसे टेक आर्किटेक्चर, कंटेंट, डेटा और मुद्रीकरण प्रबंधन उपकरण, समूह के सभी सामान्य और व्यावसायिक समाचार ब्रांडों के लिए सॉफ्टवेयर और प्रोडक्ट इंजीनियरिंग" का नेतृत्व करने के लिए, एमेज़ॉन और बायजूस में काम कर चुके सुनील शर्मा को पिछले महीने नियुक्त किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह के चीफ प्रोडक्ट एंड टेक्नोलॉजी ऑफिसर के रूप में, शर्मा "प्रक्रियाओं में सुधार, दर्शकों के विकास, स्टोरीज के स्थानीकरण और कंटेंट वितरण के लिए नवीन प्रौद्योगिकी जैसे जेनरेटिव एआई पर ध्यान केंद्रित करेंगे."
इस महीने की शुरुआत में मनीकंट्रोल के चीफ कंटेंट एंड स्ट्रेटेजी ऑफिसर के रूप में जावेद सईद की नियुक्ति की गई. उनके विस्तृत अनुभव को देखते हुए, यह नियुक्ति भी दर्शाती है कि फिलहाल समूह की प्राथमिकताएं क्या हैं. ई4एम के अनुसार, एसोसिएट एक्सेक्यूटिव एडिटर के रूप में ईटी के राष्ट्रीय समाचार संचालन का नेतृत्व करने के अलावा, वह प्रिंट-डिजिटल इंटीग्रेशन और ईटी नाउ की संस्थापक टीम का भी हिस्सा थे.
आय का लेखा-जोखा
आइए देखें आंकड़े क्या कहानी बताते हैं?
आख़िरकार समूह को मुनाफा हो रहा है. वित्त वर्ष 2021 में नेटवर्क18 को 548 करोड़ रुपए का समेकित शुद्ध लाभ हुआ, जो वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 841 करोड़ रुपए हो गया. वित्त वर्ष 2023 की वार्षिक रिपोर्ट अभी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर उपलब्ध नहीं है. हालांकि, जैसा कि वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही की इनवेस्टर अपडेट में बताया गया है, वित्त वर्ष 2023 में 12 करोड़ रुपए का नुकसान दर्ज किया गया है.
2014 में अधिग्रहण के बाद, केवल 2016 और एक साल था जब समूह को 99 करोड़ रुपए का लाभ हुआ. सबसे अधिक नुकसान 1,060 करोड़ रुपए का 2015 में हुआ था, और सबसे कम नुकसान, 5.81 करोड़ रुपए, 2020 में महामारी के दौरान हुआ था. अन्य वर्षों में दर्ज किया गया घाटा औसतन लगभग 200 करोड़ रुपए था.
केयर रेटिंग की 2022 रिपोर्ट के अनुसार, नेटवर्क18 की स्टैंडअलोन बिजनेस प्रोफाइल में डिजिटल कंटेंट (फर्स्टपोस्ट और न्यूज18.कॉम) और प्रिंट (फोर्ब्स इंडिया, ओवरड्राइव और बेटर फोटोग्राफी) और संबद्ध बिजनेस सेगमेंट से प्राप्त राजस्व शामिल है. 39 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ, यह बुकमायशो में सबसे बड़ा शेयरधारक है, और इसने कोलोसियम, यात्रा, उबोना और अन्य कंपनियों में निवेश किया है. स्टैंडअलोन बैलेंस शीट में एक भी वर्ष ऐसा नहीं दिखाया गया है जब मुनाफा हुआ हो.
ठहराव, अवशोषण और समामेलन की विभिन्न स्कीमों के बाद, खासकर 2019 में जब लगभग 17 सहायक कंपनियों का विलय किया गया, वित्त वर्ष 2022 के एओसी-1 के अनुसार नेटवर्क18 के पास 18 सहायक कंपनियां, दो संयुक्त उद्यम और एक सहयोगी कंपनी है.
समूह को सबसे अधिक राजस्व वायकॉम18 मीडिया प्राइवेट लिमिटेड से मिलता है. 2015 के बाद से इसका राजस्व 4.5 गुना और मुनाफा आठ गुना बढ़ गया है, जब वे क्रमशः 940.45 करोड़ रुपए और 84.24 करोड़ रुपए थे. राजस्व में पहली बड़ी वृद्धि 2016 में हुई थी, जब यह 1,206 करोड़ रुपए था, जो 2018 में दोगुना होकर रु 3,685 करोड़ हो गया. 2020 में मुनाफा 100 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर 353 करोड़ रुपए तक पहुंच गया और तब से लगातार बढ़ रहा है.
कमाई में अगला नंबर टीवी18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड है. इसका राजस्व 2015 से दोगुना हो गया है, जो 2022 में 1,262 करोड़ रुपए तक पहुंच गया. नौ सालों में इसे सबसे अधिक लाभ भी हुआ- 175.06 करोड़ रुपए. 2022 को छोड़कर, पिछले वर्षों में औसत मुनाफा 73.42 करोड़ रुपए रहा है, जिसमें 2016 में सबसे अधिक 123 करोड़ रुपए और 2020 में सबसे कम 14.8 करोड़ रुपए और 2015 में 14.63 करोड़ रुपए रहा है.
यह समूह की प्रमुख सहायक कंपनियां हैं.
लगातार मुनाफा कमाने वाली अन्य कंपनियों में है मनीकंट्रोल की मालिक ई-एटीन.कॉम लिमिटेड. 2015 से 2017 के बीच इसके मुनाफे में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो 58.63 करोड़ रुपए से बढ़कर 68.58 करोड़ रुपए हो गया. फिर 2018 में 23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 84.23 करोड़ रुपए, 2019 में 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 96 करोड़ रुपए और 2021 में फिर से बड़ी उछाल के साथ 126 करोड़ रुपए तक पहुंच गया. वित्त वर्ष 2022 में मुनाफे में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई और यह 202 करोड़ रुपए तक पहुंच गया.
इस कड़ी में अगली कंपनी है इंडियाकास्ट मीडिया डिस्ट्रीब्यूशन प्राइवेट लिमिटेड है, जो वायाकॉम18 और टीवी18 का संयुक्त उद्यम है, और दुनिया भर में समूह के कंटेंट एसेट मॉनेटाइज़ेशन का काम देखती है. 2017 से इसका राजस्व लगातार 200 करोड़ रुपए से 300 करोड़ रुपए के बीच रहा है, जो इससे पहले 75-95 करोड़ रुपए हुआ करता था. लेकिन 2018 तक मुनाफा 1 करोड़ रुपए से कम था. बल्कि 2019 में तो 1.64 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. लेकिन 2021 में मुनाफा बढ़कर 3.51 करोड़ रुपए और 2022 में 2.33 करोड़ रुपए हो गया.
हिस्ट्री-टीवी18 की मालिक एईटीएन18 मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का राजस्व 2014 (29 करोड़ रुपए) से 2015 (52 करोड़ रुपए) के बीच दोगुना हो गया और धीरे-धीरे 2019 तक 96 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जिससे वर्षों के घाटे के बाद मुनाफा हुआ. 2019 में 7.5 करोड़ रुपए के मुनाफे के बाद, 2022 में 14 करोड़ रुपए इसका उच्चतम नेट प्रॉफिट है.
कोलोसियम मीडिया प्राइवेट लिमिटेड -- नेटवर्क18 की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी जो टीवी शो और फिल्में बनाती है- का औसत राजस्व 2015 से 2022 तक लगभग 45.56 करोड़ रुपए रहा है. इसका औसत शुद्ध लाभ 1.5 करोड़ रुपए रहा है; इसे 2022 में 7.32 लाख रुपए का शुद्ध घाटा हुआ.
टीवी और डिजिटल मीडिया के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने वाली ग्रेसेल्स18 मीडिया लिमिटेड, जिसमें नेटवर्क18 की 89.69 प्रतिशत प्रत्यक्ष हिस्सेदारी है (बाकी एडुकॉम्प सॉल्यूशंस के पास है), उसका राजस्व 2015 के 5 करोड़ रुपए से दोगुना होकर 2022 में 10 करोड़ रुपए हो गया. 2021 में इसे मात्र 0.66 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था, जो 2022 में बढ़कर 1.02 करोड़ रुपए हो गया.
आईबीएन लोकमत न्यूज प्राइवेट लिमिटेड, टीवी18 और लोकमत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का संयुक्त उद्यम है जिसकी दोनों के पास बराबर हिस्सेदारी है, और यह आईबीएन लोकमत का मालिक है. 2017 में इसका नाम बदलकर न्यूज18 लोकमत कर दिया गया था. इसके राजस्व में धीरे-धीरे गिरावट देखी जा रही है. 2015 में 3.8 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ के साथ यह आंकड़ा 18 करोड़ रुपए था. तब से राजस्व ज्यादातर 14-14.5 करोड़ रुपए के बीच रहा, लेकिन 2020 में यह गिरकर 13.3 करोड़ रुपए हो गया और 2021 में और गिरकर 9.17 करोड़ रुपए हो गया. 2022 में यह वापस बढ़कर 11.43 करोड़ रुपए हो गया.
डिजिटल18 मीडिया लिमिटेड, मीडिया18 डिस्ट्रीब्यूशन सर्विसेज लिमिटेड और वेब18 डिजिटल सर्विसेज लिमिटेड ने कोई राजस्व नहीं दिखाया है. पहले इन्फोमीडिया18 लिमिटेड कहे जाने वाले इन्फोमीडिया प्रेस लिमिटेड ने भी अधिग्रहण के बाद से ऐसा नहीं किया है.
बिग ट्री एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, जो बुकमायशो की मालिक सहयोगी कंपनी है, 2016 में 3 करोड़ रुपए के लाभ को छोड़कर, 2015 से घाटे में चल रही है. 2015 में घाटा 13.53 करोड़ रुपए था, जो 2017 में 50 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, 2020 में यह बढ़कर 80 करोड़ रुपए हो गया. और अंत में, 2022 में घटकर 33 करोड़ रुपए रह गया.
उबोना टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, एक संयुक्त उद्यम, जिसका मुनाफा घट रहा था -- 2015 में 0.95 करोड़ रुपए से घटकर 2018 में 0.39 करोड़ रुपए -- और जिसे अगले दो वर्षों में 1.5 करोड़ रुपए और 0.5 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, वह फिर से मुनाफे की ओर बढ़ रही है. 2021 और 2022 में इसका शुद्ध लाभ क्रमशः 1.95 करोड़ रुपए और 5.11 करोड़ रुपए था.
स्क्रीनर.इन के अनुसार, 18 जुलाई 2023 तक नेटवर्क18 का मार्केट कैप (कुल शेयरों का बाजार मूल्य) 6,740 करोड़ रुपए था.
स्वामित्व का पैटर्न
2014 के अधिग्रहण के बाद से, आरआईएल नेटवर्क18 की मूल कंपनी बनी हुई है, जिसके पास विभिन्न प्रमोटर्स के माध्यम से कुल 1,04,69,48,519 शेयरों का 75 प्रतिशत हिस्सा है.
बीएसई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस 75% में आरबी मीडियासॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड, आरबी मीडिया होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, एडवेंचर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड, कलरफुल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और वॉटरमार्क इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड में से प्रत्येक के पास 12.18 प्रतिशत हिस्सेदारी है. आरआरबी मीडियासॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के पास 10.36 प्रतिशत शेयर्स हैं. आईएमटी के पास (इसके ट्रस्टी, संचार कंटेंट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर) 1.88 प्रतिशत शेयर्स हैं. बीएसई में आरआईएल को इन सभी के एसबीओ (महत्वपूर्ण लाभकारी स्वामी) के रूप में दर्शाया गया है.
आरआईएल और आरबी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड को भी प्रमोटर्स के रूप में, और रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट्स एंड होल्डिंग्स लिमिटेड को प्रमोटर ग्रुप के रूप में दर्शाया गया है. गुजरात स्थित प्राइवेट लिमिटेड कंपनी तीस्ता रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, जिसका अहमदाबाद-स्थित सिद्धांत कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड के साथ विलय हो गया है, यह भी बीएसई पर नेटवर्क18 के प्रमोटर ग्रुप के रूप में सूचीबद्ध है, और इसकी हिस्सेदारी 1.85 प्रतिशत है.
तीस्ता के पिछले दो निदेशकों के रिलायंस के साथ मजबूत संबंध हैं. 2017 में नियुक्त हरिहरन महादेवन 2014 तक रिलायंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष थे और अधिग्रहण के बाद नेटवर्क18 के समूह सीएफओ बन गए. 2021 में निदेशक पद संभालने वाले तापस मित्रा 19 वर्षों तक रिलायंस के हेड ऑफ़ एकाउंट्स रहे हैं.
सिद्धांत कमर्शियल के निदेशक रिलायंस में भी निदेशक हैं. शंकर नटराजन इसकी कई समामेलित कंपनियों और ऊर्जा व्यवसाय से संबंधित कंपनियों में निदेशक हैं. विशाल कुमार भी कई समामेलित कंपनियों के निदेशक हैं, जिनमें शिनानो रिटेल प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल है. इसी कंपनी के जरिए रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट्स एंड होल्डिंग्स लिमिटेड ने 2009 में एनडीटीवी को उधार देने के लिए वीसीपीएल को फंड भेजा था, जिसका अंततः पिछले साल अडानी ने अधिग्रहण कर लिया.
शेष 25 प्रतिशत शेयर विभिन्न प्रकार की संस्थाओं में फैले सार्वजनिक शेयरधारकों के पास हैं. इनमें से, घरेलू संस्थागत निवेशक हैं बैंक, आरबीआई स्वीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, और, सबसे महत्वपूर्ण, म्यूचुअल फंड, जिनकी हिस्सेदारी 0.58 प्रतिशत है. शेयरधारकों में विदेशी संस्थान भी हैं. विदेशी बैंकों की हिस्सेदारी नाममात्र है, लेकिन विदेशी पोर्टफोलियो धारकों के पास 5.62 प्रतिशत शेयर हैं. इनमें से नॉर्वे सरकार से संबंधित गवर्नमेंट पेंशन फंड ग्लोबल के पास 1.9 प्रतिशत हिस्सेदारी है और एक निजी निवेश फर्म अकेशा बानियन पार्टनर्स के पास 2.47 प्रतिशत शेयर्स हैं.
गैर संस्थागत धारकों में शामिल है इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (आईईपीएफ) जिसकी 0.01 प्रतिशत हिस्सेदारी है. लगभग 1,28,173 निवासी व्यक्तियों के पास 2 लाख रुपए तक की नॉमिनल शेयर पूंजी है, जो कुल शेयरों का 4.95 प्रतिशत है, जबकि 179 निवासी व्यक्तियों के पास 2 लाख रुपए से अधिक की नॉमिनल शेयर पूंजी है, जो कुल शेयरों का 3.03 प्रतिशत है. वहीं 1,030 गैर-निवासी भारतीयों के पास 0.21 फीसदी हिस्सेदारी है.
636 कॉर्पोरेट निकायों के पास 8.93 प्रतिशत शेयर्स हैं. इनमें दिल्ली-स्थित एरिजोना ग्लोबल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड - जो टॉफलर के अनुसार पोस्ट और टेलीकॉम के क्षेत्र में है-- के पास 2.9 प्रतिशत शेयर्स हैं. हरियाणा-स्थित ट्रेडिंग कंपनी नेक्सजी वेंचर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के पास 4.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
2,233 अविभाजित हिन्दू परिवारों (एचयूएफ) के पास 0.54 प्रतिशत शेयर्स हैं, नेटवर्क18 मीडिया ट्रस्ट के पास (इसके ट्रस्टी के नाम पर) 1.11 प्रतिशत हिस्सेदारी है. अन्य 1.11 प्रतिशत शेयर्स पांच ट्रस्टों के पास हैं और 0.01 प्रतिशत क्लियरिंग सदस्यों के पास हैं. हालांकि, यह प्रतिशत के संदर्भ में महत्वपूर्ण नहीं है, विदेशी कॉर्पोरेट निकायों के पास कुल 1,564 शेयर्स हैं, और कुल 14,845 शेयर्स लावारिस/सस्पेंस/एस्क्रो खातों के अंतर्गत आते हैं.
सभी वित्तीय और स्वामित्व विवरण नेटवर्क18 द्वारा कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ दायर वित्तीय विवरणों और अन्य कंपनी दस्तावेजों से प्राप्त किए गए हैं.
इन्फोग्राफिक्स: गोबिंद वीबी द्वारा.
उद्धरण
1. रिवील्ड: द सीक्रेट बिहाइंड राघव बहल्स ऑब्सेशन विद 18 https://www.youtube.com/watch?v=10LZQrcbmR0
2. नेटवर्क18 2012 रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस - शैक्षिक और बुनियादी पृष्ठभूमि की जानकारी हेतू
3. पीटर चर्च की किताब - एडेड वैल्यू: द लाइफ स्टोरीज़ ऑफ इंडियन बिजनेस लीडर्स
https://books.google.co.in/books?id=48guEAAAQBAJ&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false
4. एफएमएस एलुमनी मीट पर राघव बहल की जीवनी: https://www.facebook.com/FMSAlumniRelations/photos/a.627481113939080/4097122380308252/?type=3
5. द अर्ली डेज ऑफ़ राघव बहल, कारवां पत्रिका
https://caravanmagazine.in/vantage/early-days-raghav-bahl
6. इंदिरा कन्नन की किताब - नेटवर्क18: द ऑडेशियस स्टोरी ऑफ़ अ स्टार्ट-अप दैट बिकेम अ मीडिया एम्पायर
आरआईएल द्वारा नेटवर्क18 के अधिग्रहण तक की कहानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इस पुस्तक से संदर्भित है.
7. पॉडकास्ट - आशुतोष गर्ग के साथ संजय रे चौधरी की बातचीत: https://www.youtube.com/watch?v=z8NzUtxmhS8
8. टेलीविज़न एटीन इंडिया लिमिटेड (टीईआईएल), कंपनी का इतिहास - द इकोनॉमिक टाइम्स
9. टीवी18 इम्प्लीमेंट्स क्रॉस प्रोगरामिंग बिटवीन सीएनबीसी, मनीकंट्रोल.कॉम
10. टेलीविज़न एटीन इंडिया लिमिटेड, प्रस्ताव पत्र, 2009
11. राघव बहल: द डिजिटल बॉल गेम
https://www.livemint.com/Leisure/HY1h1x5IXmLBCkPZFV7J1J/Raghav-Bahl-The-digital-ball-game.html
12. नेटवर्क18 राइट्स इश्यू 2008
13. इंडियास टीवी18 अंडरगोज़ नेम चेंज
https://www.hollywoodreporter.com/business/business-news/indias-tv18-undergoes-name-change-149856/
14. नेटवर्क18 ग्रुप रीस्ट्रक्चरिंग वोंट मेंड क्रैक्स इन द बिज़नेस मॉडल
15. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के साथ समझौते का पंजीकरण
16. रिलायंस टेक्स ओवर नेटवर्क18: इस दिस द डेथ ऑफ मीडिया इंडिपेंडेंस?
17. आरआईएल टेकओवर ऑफ नेटवर्क18: व्हाय डस इट मेक द मीडिया नर्वस?
18. व्हाट फ्यूचर फॉर द मीडिया इन इंडिया?
https://www.epw.in/journal/2014/24/web-exclusives/what-future-media-india.html
19. https://www.facebook.com/superpowerthebook/
20. ओनली अ फ्रैक्शन ऑफ व्हाट रिलायंस पेज़ फॉर नेटवर्क18 विल गो टू इट्स फाउंडर्स
21. शिरीन भान टेक्स चार्ज एज़ मैनेजिंग एडिटर ऑफ सीएनबीसी-टीवी18
22. नेटवर्क18 हैस डिसाइडेड टू रिब्रांड सीएनएन-आईबीएन एज़ सीएनएन-न्यूज़18
23. द डॉन ऑफ रीडर रेवेन्यू इन इंडियन डिजिटल पब्लिशिंग
https://wan-ifra.org/2021/09/the-dawn-of-reader-revenue-in-indian-digital-publishing/
24. मनीकंट्रोल प्रो गेन्स 500,000 पेइंग सब्सक्राइबर्स इन 36 मंथ्स
25. फर्स्टपोस्ट टू लॉन्च अ वीकली न्यूज़पेपर इन डेल्ही-एनसीआर एंड मुंबई ऑन 26 जैनवरी
https://www.medianama.com/2019/01/223-firstpost-print-newspaper/
26. वेंडर्स एक्यूस होमशॉप18 ऑफ रु 200-क्रोर फ्रॉड बाय नॉट पेइंग ड्यूज़
27. राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण: सी.पी. 984/आईबी/एमबी/2020
28. 'न्यूज़ बीट्स नॉयज़’: ऑन फ्रंट पेज ऑफ़ हिंदुस्तान टाइम्स, सीएनएन-न्यूज़18 अनाउंसेस इट हैस ट्रम्प्ड टाइम्स नाउ
29. बोधि ट्री-वायाकॉम18 डील: व्हाय द न्यू डील पॉइंट्स टुवर्ड्स रिलायंसेस अग्रेसिव पुश इन ब्रॉडकास्टिंग
30. बॉटमलाइन | व्हाट रिलायंसेस न्यू वायाकॉम18 डील स्पेल्स
31. पालकी शर्मा टू होस्ट ‘वांटेज’ ऑन फर्स्टपोस्ट फ्रॉम जैन 26
32. नेटवर्क18 रोप्स इन सुनील शर्मा टू लीड टेक ट्रांसफॉर्मेशन
33. ईटीज़ एसोसिएट एक्सेक्यूटिव एडिटर जावेद सईद जॉइन्स नेटवर्क18 ग्रुप
34. बीएसई से नेटवर्क18 के शेयरहोल्डिंग दस्तावेज़ और वार्षिक रिपोर्ट (2014 - 2022)। वित्तीय वर्ष 2024 की पहली तिमाही की इनवेस्टर अपडेट अर्निंग रिलीज़।
35. ग्रे सेल्स मीडिया का वित्तीय विवरण, वित्तीय वर्ष 2022
36. केयर रेटिंग्स रिपोर्ट
37. टॉफलर, ज़ौबाकॉर्प, इंस्टाफाइनेंशियल्स
38. लिंक्डइन
Also Read
-
Adani met YS Jagan in 2021, promised bribe of $200 million, says SEC
-
Pixel 9 Pro XL Review: If it ain’t broke, why fix it?
-
What’s Your Ism? Kalpana Sharma on feminism, Dharavi, Himmat magazine
-
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग ने वापस लिया पत्रकार प्रोत्साहन योजना
-
The Indian solar deals embroiled in US indictment against Adani group