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क्या है अडाणी को 3900 करोड़ सरकारी पैसे के भुगतान का मामला और मीडिया की चुप्पी?
गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने बीते शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर एक प्रेसवार्ता की. जिसमें उन्होंने एक पत्र दिखाया. यह पत्र गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) के महाप्रबंधक जेजे गांधी ने 15 मई, 2023 को अडानी पावर मुंद्रा लिमिटेड (एपीएमयूएल) के प्रबंध निदेशक को लिखा था.
पत्र के मुताबिक, 15 सितंबर 2018 से 31 मार्च 2023 के बीच जीयूवीएनएल ने अडाणी ग्रुप की एपीएमयूएल को 13 हज़ार 802 करोड़ रुपए दिए हैं. हालांकि, दोनों कंपनियों के बीच हुए समझौते में तय नियमों के मुताबिक एपीएमयूएल को सिर्फ 9902 करोड़ रुपये का ही भुगतान करना था. यानी इन पांच सालों में गुजरात सरकार ने अडाणी ग्रुप की कंपनी को 3900 करोड़ रुपए ज्यादा दे दिए. न्यूज़लॉन्ड्री के पास यह पत्र मौजूद है.
पत्र में आगे लिखा गया है कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि एपीएमयूएल को ऊर्जा बिलों के लिए अतिरिक्त भुगतान प्राप्त हुआ है. ऐसे में एपीएमयूएल से अनुरोध किया जाता है कि वह अतिरिक्त पैसा तत्काल वापस कर दे ताकि राज्य के उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भुगतान के कारण अनुचित लागत का बोझ न पड़े.
दरअसल, गोहिल ने बताया कि अडाणी की कंपनी एपीएमयूएल और जीयूवीएनएल के बीच एक पावर परचेज़ एग्रीमेंट (ऊर्जा खरीद को लेकर समझौता) हुआ था. इसमें ऊर्जा की कीमतों (एनर्जी चार्ज) को लेकर एक शर्त थी कि इंडोनेशिया से जो कोयला आएगा. पहले उस कोयले की अंतरराष्ट्रीय बाजार के आधार पर कीमत तय होगी और फिर उसके हिसाब से ही अडाणी पावर को भुगतान होगा.
गोहिल के मुताबिक, कोयले की कीमत कैसे तय होगी, उसको लेकर भी साफ तरीके से पीपीए में लिखा गया. इसके तहत अडाणी पावर की ओर से जो भी कोयला खरीदा जाएगा उसकी पूरी जानकारी और खरीद के सारे दस्तावेज उसे सरकार के पास जमा करवाने होंगे. इसके बाद सरकार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तय कीमत से उसकी तुलना करेगी. अंतरराष्ट्रीय कीमत के आधार पर अडाणी पावर को भुगतान किया जाएगा भले ही उसने कोयला ज्यादा कीमत में खरीदा हो.
गोहिल दावा करते हैं कि पिछले पांच साल तक एपीएमयूएल ने कोयले की खरीद से संबंधित कोई भी दस्तावेज सरकार के पास जमा नहीं किया जबकि सरकार की ओर से उसे भुगतान होता रहा.
गोहिल कहते हैं, "अगर हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट नहीं आती. सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती न दिखाई होती और अडाणी के मामलों में जांच शुरू न हुई होती तो बहुत कम संभावना थी कि ये गड़बड़ी उजागर होती. साथ ही गोहिल इस बात की जांच की मांग भी करते हैं कि अधिकारी किसके कहने पर अडाणी पावर को भुगतान करते रहे. वे इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के मुख्यमंत्री की भूमिका को लेकर भी सवाल करते हैं.
गुजरात सरकार की सफाई- भुगतान अंतरिम है
पीटीआई के मुताबिक, अडाणी की कंपनी को 3900 करोड़ रुपये अधिक भुगतान किए जाने के आरोपों पर गुजरात सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि ये आरोप "भ्रामक" हैं और भुगतान केवल अंतरिम था, अंतिम नहीं.
अडाणी मामले को अनदेखा करता मीडिया
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान गोहिल ने यह पत्र पत्रकारों के बीच बांटा भी था लेकिन मीडिया के एक बड़े हिस्से ने इससे किनारा कर लिया. खासकर टीवी और प्रिंट मीडिया ने. वहीं समाचार एजेंसी एएनआई ने इस मामले पर एक ट्वीट तक नहीं किया.
यह प्रेस कांफ्रेंस शनिवार सुबह साढ़े दस बजे हुई थी. प्रेस कांफ्रेस में ज़्यादातर चैनलों के रिपोर्टर मौजूद थे. कुछ ने सवाल भी पूछा लेकिन टीवी और अख़बारों से यह ख़बर गायब रही.
एक नेशनल टीवी चैनल के रिपोर्टर ने बताया कि इस खुलासे को कवरेज नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह यह रही कि उस रोज प्रधानमंत्री इसरो गए थे. इसके अलावा मुजफ्फरनगर में महिला शिक्षक द्वारा बच्चे को दूसरे बच्चों से पिटवाए जाने का मामला भी तूल पकड़े हुए था. इन दो मामलों के बीच इस खबर को जगह मिलना मुश्किल थी.
इसके बाद वो एक और कारण बताते हैं. अडाणी समूह के बारे में ख़बर चलाना आज के दौर में मुश्किल काम है. तुरंत नोटिस आ आता है. अगर राहुल गांधी या दूसरे विपक्ष के नेता संसद में कुछ बोलते हैं तो वो चलता है क्योंकि उस वक़्त चैनल के पास बहाना है कि वो तो संसद में बोला जा रहा है और हम लाइव दिखा रहे हैं. लेकिन यह मामला आरोप लगाने का था. इसे चलाते तो नोटिस आ जाता. इसीलिए ज़्यादातर मीडिया संस्थानों ने इसे दिखाना ज़रूरी नहीं समझा.
एक अन्य रिपोर्टर कहती हैं कि अगर कांग्रेस स्वयं अडाणी पर लगाए गए इन आरोपों को गंभीरता से लेती तो राहुल गांधी या दूसरे कोई वरिष्ठ नेता इस मामले पर प्रेस कांफ्रेस करते लेकिन ऐसा नहींं हुआ.
अख़बारों से गायब, वेबसाइट पर थोड़ी कवरेज
टीवी मीडिया की तरह अख़बारों से भी यह खबर गायब रही. 26 अगस्त को प्रेस कांफ्रेंस हुई. अगले दिन के अख़बारों में रेलगाड़ी में सिलिंडर फटने से मौत, प्रधानमंत्री का इसरो सेंटर में दिया भाषण और नूह में यात्रा को लेकर बीएचपी का भाषण आदि सुर्खियां बने.
हिंदी के प्रमुख अख़बारों दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, जनसत्ता, अमर उजाला और दैनिक भास्कर आदि से यह खबर पूरी तरह गायब रही. वहीं, अंग्रेजी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, फाइनेंशियल एक्सप्रेस में भी यह खबर नहीं दिखी. ‘द हिंदू’ ने जरूर इस ख़बर को सातवें पन्ने पर जगह दी.
अडाणी, कांग्रेस और मीडिया
गौरतलब है कि कांग्रेस लंबे समय से बिजनेसमैन गौतम अडाणी और प्रधानमंत्री के रिश्ते को लेकर आरोप लगा रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी और अडाणी की तस्वीर दिखाते हुए कई सवाल उठाये थे.
हाल ही में जांच एजेंसियों द्वारा छत्तीसगढ़ में की जा रही कार्रवाई को राजनीतिक बताते हुए वहां के सीएम भूपेश बघेल ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. उन्होंने अडाणी का नाम लिए बिना उनके और पीएम मोदी के रिश्ते पर बयान दिया. तब पत्रकारों ने कहा कि आप नाम क्यों नहीं ले रहे हैं? इस पर बघेल ने कहा कि मैं तो नाम ले लूंगा लेकिन आप लोग दिखा नहीं पाएंगे.
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