NL Tippani

भाजपा के घोषित और अघोषित प्रवक्ता की मुठभेड़ में चंद्रयान-3 के कुछ सबक

हिंदी में हमारा एक पॉडकास्ट है एनएल चर्चा. इसका सफर पांच साल से ज्यादा लंबा हो चुका है. मुझे खुशी हो रही है कि चर्चा हिंदी पॉडकास्ट के क्षेत्र में हुए कुछेक शुरुआती प्रयासों में से है. इस सफर के लिए न्यूज़लॉन्ड्री अपने सब्सक्राइबर्स के सहयोग का शुक्रगुजार है. उन असंख्य सब्सक्राइबर्स और श्रोताओं को धन्यवाद. चर्चा जल्द ही पेवाल के पीछे होगा यानी कि सिर्फ उनके लिए जो न्यूज़लॉन्ड्री के नियमित सब्सक्राइबर हैं. हम बार-बार कहते हैं कि विज्ञापन का मॉडल पत्रकारिता के लिए समस्या है. इससे बचने का एक ही उपाय है सब्सक्रिप्शन. तो जल्द से जल्द आप न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब कर लें ताकि गर्व से कह सकें- मेरे खर्च पर आज़ाद हैं खबरें.

लंबे अंतराल के बाद धृतराष्ट्र का दरबार सजा था. इस बीच हस्तिनापुर में बाढ़ आकर जा चुकी थी. डंकापति के खिलाफ संसद में अविश्वास का प्रस्ताव गिर चुका था. पहाड़ों में कुदरत ने जमकर तबाही मचाई थी. और इस सबके बीच डंकापति ने एक हजार साल का अपना अमरत्व वाला विज़न देश के सामने रख दिया था.

इस हफ्ते टिप्पणी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है भाजपा के एक घोषित और दूसरे अघोषित प्रवक्ता के बीच हुई मुठभेड़. दोनों ने तय किया था कि समय बिताने के लिए दोनों इंटरव्यू- इंटरव्यू खेलेंगे. लेकिन दोनों का ईगो आपस में टकरा गया. इसके बाद जो हुआ, उसे दोनों किसी दु:स्वप्न की तरह भूल जाना चाहते हैं.

लगे हाथ हम इस टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी की उस दीए की आग जैसी पवित्र नीयत और घनघोर तपस्या की पड़ताल भी करेंगे, जो उन्होंने इस देश के किसानों की किस्मत बदलने के लिए की थी. जिसे पूरा देश तीन कृषि कानूनों के नाम से जानता है. 

Also Read: डंकापति की निगरानी वाया ड्रोन और सिलिंड्रेला देवी का राहुल राग

Also Read: मेरे घर आके तो देखो’, Independence day पर विशेष टिप्पणी