NL Tippani
मेरे घर आके तो देखो’, Independence day पर विशेष टिप्पणी
इस बार की टिप्पणी थोड़ा अलग है. देश आज़ादी की सतहत्तरवीं वर्षगांठ मना रहा है. सतहत्तर साल एक पकी हुई उम्र है इंसान के लिए. होना तो यह चाहिए था कि 77 साल बाद का भारत ज्यादा परिपक्व, ज्यादा उदार और ज्यादा आत्मविश्वासी होता. लेकिन अफसोस कि इसमें से कई चीजें हो नहीं सकी. भारत का पहिया उलटी दिशा में घूम रहा है. यहां संकीर्णता आदर्श है, धर्मांधता परिपक्वता पर हावी है, बहुसंख्यकों में अल्पसंख्यकों का भय इसके आत्मविश्वास पर कब्जा करके बैठा है, कूढ़मगजी इसकी वैज्ञानिकता को ढंक चुकी है, उदारता की जगह नफरत इसकी प्रेरणा बन गया है.
77 साल के प्रौढ़ भारत में नफरत का सामान्यीकरण हो गया है. यह न्यू नॉर्मल है. बहुत हाल-हाल तक जो बातें सार्वजनिक रूप से कहना या साझा करना असभ्यता, अशिष्टता और जहालत समझी जाती थी, वो अब सामान्य हो चुकी हैं. नफरत अनगिनत रूपों में हमारे सामने है. यह न्यायेत्तर मुठभेड़ों, पुलिसिया एनकाउंटरों के रूप में सामने आ रही है. यह भीड़ की हिंसा के रूप में सामने आ रही है. यह गौरक्षा के नाम पर खुल्ला घूम रहे हिंसक विजिलांटे समूहों के रूप में सामने आ रही है. यह बुलडोज़र न्याय के रूप में सामने आ रही है. यह नफरत खबरिया चैनलों और सरकार के चारण बन चुके अखबारों की शक्ल में सामने आ रही है. नफरत और घृणा मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मदिन यानी रामनवमी पर उनका नाम लेकर भी फैलाई जा रही है. नफरत का सामान्यीकरण हो चुका है.
इस सामान्य हो चुके नफरत के माहौल में हम भारत की आजादी की 77वीं सालगिरह मना रहे हैं. इस माहौल में उम्मीद की रोशनी बहुत छोटे-छोटे कोनों से पैदा हो रही है. हिंदू और मुसलमानों के बीच पैदा हुई दूरी को पाटने की एक पहल है “मेरे घर आके तो देखो”. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की इस सराहनीय पहल को परवाज देने का सही मौका स्वतंत्रता दिवस ही हो सकता था. नफरतों को हराने का, पूर्वाग्रहों को मिटाने का अभियान है मेरे घर आके तो देखो. इसी पर इस स्वतंत्रता दिवस की विशेष टिप्पणी.
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
Air India crash aftermath: What is the life of an air passenger in India worth?