NL Interviews
डेटा प्रोटेक्शन बिल: ‘‘क्या केंद्र सरकार लोगों के पर्सनल डेटा पर नियंत्रण करना चाहती है”
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल (डीपीडीपी) लोकसभा में सोमवार, 7 अगस्त को और राज्यसभा से बुधवार, 9 अगस्त को पास हो गया. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह यह कानून बन जाएगा.
एक तरफ केंद्र सरकार का कहना है कि इस कानून को बनाने का मकसद लोगों की निजता की रक्षा करना है. वहीं, विपक्षी दल और अलग-अलग संगठनों के सदस्य इसको लेकर अंदेशा जाहिर कर रहे हैं. एक अंदेशा सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) को कमज़ोर करने से भी जुड़ा है.
आरटीआई कानून आम लोगों को 2005 में मिला एक ऐसा टूल है, जिसका इस्तेमाल कर महज 10 रुपए में वो सरकार से जानकारी मांग सकते हैं. पिछले 17 सालों में आम लोगों ने, पत्रकारों ने इसका इस्तेमाल कर खूब सारी सूचनाएं निकाली.
लंबे समय से आरटीआई पर काम कर रही अंजलि भारद्वाज इस विधेयक के आने के बाद से ही इसके खतरे की तरफ इशारा कर रही हैं. वे इस बिल को आरटीआई के लिए खतरा मानती हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री ने भारद्वाज से डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल से जुड़ी आशंकाओं को लेकर बात की. हमारी उनसे बातचीत राज्यसभा में इसके पारित होने से ठीक पहले हुई थी.
Also Read
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
I&B proposes to amend TV rating rules, invite more players besides BARC
-
Scapegoat vs systemic change: Why governments can’t just blame a top cop after a crisis
-
Delhi’s war on old cars: Great for headlines, not so much for anything else