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EXCLUSIVE: मणिपुरी महिलाओं का वीडियो- राष्ट्रीय महिला आयोग से 38 दिन पहले की गई थी महिलाओं को नंगा घुमाने की शिकायत

19 जुलाई, बुधवार से सोशल मीडिया पर मणिपुर का एक वीडियो वायरल है. इसमें भीड़ द्वारा दो कुकी महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाते हुए देखा जा सकता है. महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया, उनमें से एक महिला के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था.

यह वाकया 4 मई का है, लेकिन वीडियो दो दिन पहले सामने आया. इसके बाद बहुत तेजी से राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आईं. लगभग ढाई महीने से जारी मणिपुर हिंसा पर चुप्पी साधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार अपना बयान दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार कार्रवाई नहीं करेगी तो अदालत कार्रवाई करेगी और राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले का स्वतःसंज्ञान लेने की घोषणा की.

हमारी जानकारी में कुछ और तथ्य आए हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग जो अब इस मामले को स्वत:संज्ञान में लेने का दावा कर रहा है उसके पास इस घटना की लिखित शिकायत वीडियो सामने आने के 38 दिन पहले यानी 12 जून को ही कर दी गई थी. लेकिन इन 38 दिनों में राष्ट्रीय महिला आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की, न ही कोई प्रतिक्रिया दी.

यह शिकायत आयोग को दो मणिपुरी महिलाओं और मणिपुर आदिवासी संघ द्वारा दी गई थी. इस संगठन का मुख्यालय विदेश में है. शिकायतकर्ताओं ने, जिनकी पहचान हम इस रिपोर्ट में उजागर नहीं कर सकते, दोनों पीड़िताओं से बात की थी और फिर आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा को ईमेल भेजा था.

न्यूज़लॉन्ड्री के पास शिकायत की एक प्रति है. शिकायत को chairperson-ncw@nic.in, complaintcell-ncw@nic.in and northeastcell-ncw@nic.in ईमेल पतों पर भेजा गया था.

शिकायत में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 4 मई को, कांगपोकपी जिले के एक गांव की दो महिलाओं को "निर्वस्त्र किया गया, उन्हें नंगा कर घुमाया गया, पीटा गया और फिर दंगाई मैतेई भीड़ ने सार्वजनिक रूप से सामूहिक बलात्कार किया."

पत्र में आयोग से "तत्पर अपील" की गई थी कि "बलात्कार, अपहरण, सार्वजनिक हत्या, जलाने और हत्या सहित यौन हिंसा के क्रूर और अमानवीय कृत्यों के माध्यम से कुकी-ज़ोमी स्थानीय आदिवासी महिलाओं के उत्पीड़न का तत्काल आकलन करें."

इसमें कुकी-ज़ोमी महिलाओं के खिलाफ "टकराव के हथियार के रूप में" इस्तेमाल किए जा रहे बलात्कार, यौन उत्पीड़न और हत्या के अन्य उदाहरणों का हवाला दिया. साथ ही इशारा किया गया कि इस घटना को लेकर "स्तब्ध कर देने वाली चुप्पी" थी. न्यूज़लॉन्ड्री ने इस रिपोर्ट में उन जगहों का जिक्र नहीं किया है जहां ये घटनाएं हुईं.

शिकायत में आरोप लगाया गया कि, “गवाहों के ब्यौरे से बेहद दुखद और परेशान करने वाले विवरण सामने आए हैं, जिसमें मैतेई महिला दंगाइयों को लिंग-आधारित हिंसा में बतौर सहायक और अपराधी के रूप में दोषी ठहराना भी शामिल है. पीड़ितों और बचे लोगों का आरोप है कि मैतेई महिलाओं ने कुकी-ज़ोमी महिलाओं व बच्चों पर हमलों और उनके उत्पीड़न में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया.”

शिकायत में यह भी कहा गया कि, “कई कुकी-ज़ोमी महिलाओं को गर्भावस्था के पूरे होने करीब या सी-सेक्शन सर्जरी से उबरने के दौरान अपनी जान बचाने के लिए भागने को मजबूर किया गया. कुछ ने अस्थाई शरणार्थी शिविरों में बच्चे को जन्म दिया है…”

शिकायत में आरोप लगाया गया कि 3 मई को एक विश्वविद्यालय में महिला छात्रों को "भीड़ के द्वारा उनके हॉस्टल से बाहर निकाला गया, उनके साथ दुर्व्यवहार और गाली-गलौज की गई." एक छात्रा ने  बाथरूम में छिपकर जान बचाई. इस दौरान कथित तौर पर भीड़ "कुकी महिलाओं को मार डालो" जैसे नारे लगा रही थी. शिकायत में कहा गया कि "असम राइफल्स ने सुबह 3.15 बजे छात्रों को बचाया.”

4 मई को, राज्य के एक नर्सिंग संस्थान की 22 वर्षीय छात्रा को "लगभग 40 लोगों की मैतेई भीड़ ने परेशान किया और उस पर हमला किया.” “हमलावरों के प्रहार से छात्रा के आगे के दांत टूट गए, तब मैतेई महिलाएं चिल्लाने लगीं 'उसका बलात्कार करो! इसे यातना दो! इसके टुकड़े-टुकड़े कर दो!”

शिकायत में कहा गया कि 5 मई को 20 साल की दो महिलाओं को “मैतेई बदमाशों ने मुंह बंद करके, घसीटा और दो घंटे तक एक बंद कमरे में कैद रखा". इसके बाद उनके साथ बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई. 6 मई को, एक 45 वर्षीय विधवा को "मैतेई भीड़ द्वारा बेरहमी से काटा गया, गोली मारी गई और जला दिया गया."

शिकायत में यह आरोप भी लगाया गया कि एक 15 वर्षीय लड़की का अपहरण कर लिया गया था और मेडिकल जांच रिपोर्ट में उस लड़की के साथ "बलात्कार की पुष्टि हुई."

शिकायत में कहा गया है कि ये उदाहरण "लिंग आधारित हिंसा की गंभीर परिस्थिति, महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन के भयावह स्तर और कुकी-ज़ोमी महिलाओं की शारीरिक सुरक्षा और मनोवैज्ञानिक हाल-चाल के लिए लगातार बने खतरों" को रेखांकित करते हैं.

इसमें कहा गया है: “इसलिए, हम विनम्रतापूर्वक और तत्काल आपसे मामले का स्वत:संज्ञान लेने और यदि संभव हो तो एक जांच समिति गठित करने का अनुरोध करते हैं. हमें भारत के संविधान और राष्ट्रीय महिला आयोग की शक्ति पर भरोसा है, जो एक ऐसी न्यायपूर्ण दुनिया बनाने के लिए इस्तेमाल हो जहां सभी भारतीय महिलाओं के अधिकारों को संघर्ष और युद्ध के समय में भी सम्मान, एहसास और महत्व दिया जाता है.”

पत्र में आयोग से पीड़ितों और बचे लोगों को आपदा काउंसलिंग और ट्रॉमा थेरेपी के रूप में सहायता प्रदान करने पर विचार करने का भी आग्रह किया गया।

शिकायतकर्ताओं को आयोग से कोई प्रतिक्रिया या किसी प्रकार का जवाब नहीं मिला.

लगभग एक महीने बाद, उनके द्वारा लिखे गए उदाहरणों में से एक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया - और उसके बाद ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया ट्वीट की.

शिकायतकर्ताओं में से एक ने कहा, "उन्होंने शिकायत स्वीकृत तक नहीं की. हर चीज़ का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था, क्योंकि दूसरे शिकायतकर्ता ने हिंसा से बचने वालों और यौन हमलों की पीड़िताओं से बात की थी. हमने उस घटना का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है जहां महिलाओं को नग्न घुमाया गया और उनके साथ बलात्कार किया गया.”

शिकायतकर्ता ने कहा कि उस समय उन्हें नहीं पता था कि जो कुछ हुआ, उसका कोई वीडियो भी था.

उन्होंने कहा, "लेकिन इसके बावजूद, हमने पत्र में उल्लेख किया है कि कुकी-ज़ो महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा और अपराध होने के सबूत हैं. मैंने कई समाचार लेखों को भी संलग्न किया था ताकि एनसीडब्ल्यू को पता चले और कम से कम उसे यकीन हो जाए कि मैं कोई मनगढ़ंत बात नहीं कर रही हूं. अन्य घटनाओं के साथ इस घटना का स्पष्ट रूप से बुलेट पॉइंट के रूप में उल्लेख किया गया था.”

रेखा शर्मा ने न्यूज़लॉन्ड्री की फोन कॉल का जवाब नहीं दिया. हमने उन्हें अपने प्रश्नों के साथ एक ईमेल भेजा है, यदि वह जवाब देती हैं तो इस रिपोर्ट में जोड़ दिए जाएगा.

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