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धर्मांतरण पर टाइम्स नाउ नवभारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट का एक्सप्लोसिव फर्जीवाड़ा

टाइम्स नाउ नवभारत ने चार जुलाई को तौकीर अहमद नाम के एक शख्स के बयान के आधार पर  धर्मांतरण को लेकर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट दिखाई. इस मुद्दे पर चैनल ने कई डिबेट कीं. टाइम्स नाउ के मुताबिक तौकीर 'गजवा ए हिंद' की साजिश में लिप्त है. 

टाइम्स नाउ ने अपने शो में दावा किया कि तौकीर को धर्मांतरण के मामले में उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) ने 2021 में गिरफ्तार किया था. जब इन दो दावों की पड़ताल न्यूज़लॉन्ड्री ने की तो एक अलग ही कहानी सामने आई. तौकीर धर्मांतरण के मामले में एटीएस द्वारा नहीं बल्कि लैपटॉप चोरी के मामले में यूपी पुलिस द्वारा जेल भेजा गया था. एक साल जेल में रहने के बाद वह इसी साल अप्रैल में जमानत पर बाहर आया है. 

हमने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान पाया कि जिस शख्स को टाइम्स नाउ ‘गजवा ए हिंद’ और ‘धर्मांतरण गैंग’ का सदस्य बता रहा है, वह पहले भी अनेक चोरी-फर्जीवाड़े के आरोपों में शामिल रहा है. तौकीर की इन हरकतों के कारण उसका परिवार उससे सारे रिश्ते तोड़ चुका है.   

टाइम्स नाउ पर तौकीर के दावे 

टाइम्स नाउ के लखनऊ रिपोर्टर मनीष यादव ने तौकीर से बात की. यह वीडियो यू-ट्यूब चैनल पर मौजूद है. इस बातचीत को चैनल ने ‘ऑपरेशन धर्मांतरण एक्सक्लूसिव खुलासा’ बताकर दिखाया. चैनल का दावा था कि वह किसी बहुत बड़े नेटवर्क का खुलासा कर रहा है.

इस बातचीत को कई हिस्सों में बांटकर गजवा ए हिंद' की साजिश का बड़ा खुलासा, तौकीर का एक-एक शब्द आपको हिला देगा!, तौकीर बोल रहा.. 'तब्लीग' के सारे राज खोल रहा! और मोदी-योगी को मुसलमान बनाने वाली साजिश का खुलासा, जैसी हेडिंग और थंबनेल के साथ लगातार चलाया गया. 

बातचीत में तौकीर कई दावे करता है. मसलन वह बताता है कि बीते नौ सालों में 20 लाख लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित किया गया है. उसने यह भी दावा किया कि धर्मांतरण के लिए 99 प्रतिशत तब्लीगी जमात जिम्मेदार है. और इसके लिए विदेशों से, खासकर इस्लामिक देशों से पैसा आता है.  

न्यूज़लॉन्ड्री ने तब्लीगी जमात के क़ानूनी विभाग के प्रमुख फुजैल अहमद अय्यूबी से बात की. उन्होंने बताया, ‘‘ना ही टाइम्स नाउ ने इस संबंध में हमसे बात की थी और न ही हम तौकीर नाम के किसी शख्स को जानते हैं.”

तौकीर लगातार अविश्वसनीय दावे करता जा रहा था. वह धर्मांतरण की प्रक्रिया भी बताता है. इसके मुताबिक वो खुद एक दायी है. दायी की जिम्मेदारी गैर मुस्लिम लोगों को इस्लाम के बारे में बताकर उन्हें धर्मांतरण के लिए तैयार करना होता है. 

दावा किया गया कि दायी रहते हुए तौकीर ने लखनऊ और मुरादाबाद में 70 लोगों का धर्मांतरण कराया था. बातों-बातों में तौकीर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस्लाम कबूल करने की दावत भी देता है.

चैनल आगे यह भी दावा करता है कि तौकीर डेफ सोसायटी के नाबालिग बच्चों के धर्मांतरण के मामले में आरोपी था. इस मामले में यूपी एटीएस ने उसे 2021 में गिरफ्तार किया था. इसी साल फरवरी में वह जमानत पर रिहा हुआ है. 

यूपी पुलिस की गिरफ्त में तौकीर

गिरफ्तारी का सच 

टाइम्स नाउ ने दावा किया कि तौकीर अहमद 2021 में धर्मांतरण के मामले में जेल गया था. उसे यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया था, और वह इसी साल फरवरी में जमानत पर बाहर आया है. अप्रैल महीने में रिपब्लिक भारत न्यूज़ चैनल को दिए एक इंटरव्यू में भी तौकीर ऐसा ही दावा करता नजर आया था. 

न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद दस्तावेज, एफआईआर की कॉपी और तस्वीरें एकदम अलहदा कहानी की ओर इशारा करती हैं. इसके मुताबिक तौकीर मई 2022 तक जेल से बाहर था. यानी वह साल 2021 में जेल में था ही नहीं. उसकी गिरफ्तारी 18 मई, 2022 को लखनऊ में हुई थी. इस गिरफ्तारी की वजह भी बड़ी दिलचस्प है. तौकीर के ऊपर लखनऊ के गुडम्बा थाने में दो लैपटॉप चोरी करने की एफआईआर दर्ज हुई थी.

18 मई, 2022 को लखनऊ के गुडम्बा थाने में आदर्श शर्मा ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें उन्होंने बताया कि वो मालवीय बॉयज हॉस्टल, जानकीपुरम में रहते हैं. उनके हॉस्टल में तौकीर भी रहता था. मेरे और मेरे दोस्त मुस्लिम खान के पास अपना लैपटॉप था. मुझे शक ही नहीं पूरा यकीन है कि ये दोनों लैपटॉप तौकीर 12 मई, 2022 को चुराकर ले गया. 

चोरी के शिकार मुस्लिम खान कहते हैं, “तौकीर मेरे पड़ोसी के यहां रूममेट बनकर आया था. एक दिन बाद ही वह गायब हो गया. उसी रोज हॉस्टल से दो लैपटॉप गायब हुए थे. पुलिस ने दोनों लैपटॉप तौकीर के पास से बरामद किए. आज भी मैं वही लैपटॉप चला रहा हूं.’’

इस मामले में तौकीर को पुलिस ने 18 मई को ही गिरफ्तार कर लिया था. उसके बाद यूपी पुलिस ने एक प्रेस नोट जारी किया. जिसमें बताया गया कि गुडम्बा पुलिस ने एक शातिर चोर को दो लैपटॉप के साथ गिरफ्तार किया. उसके पास से चोरी के दो लैपटॉप बरामद किए गए, जो यह बेचने जा रहा था. 19 मई को इसे जेल भेज दिया गया.

तौकीर करीब एक साल तक जेल में रहा. एक वकील के माध्यम से तौकीर को नवंबर 2022 में 75,000 रुपए की बांड राशि पर जमानत मिली. इसको जमानत दिलाने वालों में से एक शख्स ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘इसकी हरकतों के कारण कोई जमानत के लिए तैयार नहीं था. जैसे-तैसे अप्रैल में हम इसे जेल से बाहर लाए. तब यह जमानत के लिए गिड़गिड़ाता था. लेकिन बाहर आते ही यह उलटी सीधी बातें करने लगा है. हमने भी टाइम्स नाउ पर इसे उल्टा सीधा बोलते सुना. बहुत अफसोस हुआ.’’

अगर हम टाइम्स नाउ की मानें तो जब तौकीर जेल में था, उसी दौरान उसके ऊपर लैपटॉप चोरी का मामला दर्ज हुआ और उसे गुडम्बा थाने की पुलिस ने गिरफ्तार भी किया और जेल भी भेजा. 

उपलब्ध दस्तावेज और व्हाट्सएप चैट बताते हैं कि तौकीर 2021 में जेल में नहीं था. जिस डेफ सोसायटी के बच्चों के धर्मांतरण का आरोप तौकीर पर लगाया गया उस मामले में एफआईआर और गिरफ्तारियां जून-जुलाई 2021 में हुई. लेकिन तौकीर का नाम उसमें नहीं है. 

डेफ सोसायटी धर्मांतरण मामले में एफआईआर 20 जून 2021 दर्ज हुई. तब इसमें उमर गौतम समेत छह आरोपी थे. इसके बाद 13 अगस्त को इस मामले में चार्जशीट दाखिल हुई. जिसमें और आरोपी जुड़े. इसके बाद चार सप्लेंटरी चार्जशीट- 17 सितंबर, 21 अक्टूबर, 13 दिसंबर 2021 और 31 जनवरी 2022 को दाखिल हुई. कुल मिलकार इस मामले में 18 आरोपी बनाए गए. 

यह जानकारी हमें इनमें से तीन का केस देख रहे वकील इमरान अहमद ने दी. क्या इसमें तौकीर अहमद का नाम था? इसपर वो कहते हैं, ‘‘मेरे पास एफआईआर और इसमें दाखिल चार्जशीट हैं. तौकीर अहमद का नाम इसमें कहीं नहीं है.’’

इसकी पुष्टि एक और दस्तावेज से होती है. 28 नवंबर, 2021 को तौकीर ने एक एफिडेविट बनवाया था. जिसमें लिखा है- उसका अपनी मां, बड़े भाई और अविवाहित छोटी बहन से कोई रिश्ता नहीं है. उनसे कोई लेना देना नहीं है. वह पूरी तरह से आत्मनिर्भर है.

तौकीर की नानी फरहाना अमीर बताती हैं, ‘‘ये मुरादाबाद का रहने वाला है. इसके पिता ने 20 साल पहले मेरी बेटी को तलाक दे दिया था. जिसके बाद मेरी बेटी अपने बड़े बेटे और बेटी को लेकर रामपुर चली आई. ये अपनी दादी के पास रह गया. इससे हमारा 20 सालों से कोई ताल्लुक नहीं था. हमने कानूनी तौर पर इससे रिश्ता खत्म कर दिया. इसे इसकी बुआ और दादी ने पाला. यह शुरू से ही ऐसी हरकतें करता है.’’

हमने बुआ को भी फोन किया लेकिन उन्होंने तौकीर की बुआ होने से ही इंकार कर दिया. तौकीर के बड़े भाई तौहीद अहमद खान ने भी उसके बारे में बात करने से इंकार कर दिया.

तौकीर की जमानत संबंधी कागजात
तौकीर के बारे में यूपी पुलिस का प्रेस नोट

तौकीर ने एफिडेविट क्यों बनवाया, इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. दरअसल, उसने पहले भी एक बड़ी धांधली को अंजाम दिया था. इसके चलते उसके परिवार के लोग नाराज थे.  इसने सेना के एक जवान करण कुमार से 55 हजार रुपए ऐंठ लिए थे. उस वक्त यह ‘मैजिक ब्रिक्स’ कंपनी में काम करता था. कुमार से इसने इंस्टॉलमेंट के 55 हजार रुपए अपने अकाउंट में मंगा लिए और फिर फोन बंद करके गायब हो गया. 

करण ने पुलिस की मदद से इसे पकड़वाया. उस वक्त ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले एक शख्स से इसने मदद मांगी, जिससे यह सोशल मीडिया के जरिए मिला था. 

ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले शख्स से यह पूर्व में भी आर्थिक मदद ले चुका था. दरअसल, तौकीर ने उसे बताया था कि वह यतीम (अनाथ) है. उसके साथ एक बुजुर्ग दादी रहती है. जब पुलिस तौकीर को उठाकर ले  गई तब भी उसने इसी शख्स से मदद की मांग की. 

इस बार विदेश में रहने वाले शख्स ने आर्मी वाले को 55 हजार रुपए दे दिए और ये जेल जाने से बच गया. लेकिन 21 सितंबर, 2021 को एक एफिडेविट बनवाया गया, जिसमें तौकीर की तरफ से ये पैसा 11 महीने में चुकाने की बात लिखी गई.

यह तौकीर के फ्रॉड का आखिरी उदाहरण नहीं था. इससे पहले भी उसने अपने भाई के नाम पर फ्रॉड किया था. यह साल 2019 की बात है. तौकीर के एक बेहद करीबी अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘जामिया मिल्लिया इस्लामिया और दूसरे अन्य कॉलेज से पढ़े हुए छात्रों का एक ग्रुप है जो जरूरतमंद, गरीब छात्रों की आर्थिक मदद करता है. साल 2019 में इसने अपने बड़े भाई की फीस के लिए इस ग्रुप से संपर्क किया. अपने भाई के तमाम डॉक्यूमेंट भी दिए. जब उन्होंने इसे पैसे दे दिए तो इसने अपने भाई को दिए ही नहीं.’’

इस घटना की पुष्टि तौकीर की नानी ने भी हमसे की.

हमने तौकीर से बात करने की कोशिश की. उसने धमकी देते हुए कहा कि सब आरोप झूठे हैं. आप अपने से मतलब रखिए. उसने कहा, ‘‘आप मेरे पीछे पड़े हुए हैं. मैं आप पर उगाही का केस कर दूंगा.’’

आखिर तौकीर ऐसा क्यों कर रहा है. उसके जानने वाले बताते हैं कि उसे मशहूर होने का बेहद शौक है. उसके एक जानकार कहते हैं कि वो अभिनेता बनने का सपना देखता है. लेकिन इसका सही जवाब वही दे सकता है.

वहीं एक सबसे बड़ा सवाल यह है कि टाइम्स नाउ ने तौकीर से संपर्क किया या तौकीर ने उनसे? अगर टाइम्स नाउ ने उससे संपर्क किया तो क्या रिपोर्टर मनीष यादव को इसके अतीत के बारे में मालूम नहीं था. इसका जवाब टाइम्स नाउ ही दे सकता है.

टाइम्स नाऊ का फर्जीवाड़ा

न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद तमाम दस्तावेज और व्हाट्सप मैसेज बताते हैं कि तौकीर साल 2021 में जेल से बाहर था. उसका नाम डेफ सोसाइटी धर्मांतरण के मामले में नहीं है और वह साल 2022 में जेल गया, वो भी लैपटॉप चोरी के अपराध में. टाइम्स नाउ ने ठग के बयान को बिना किसी जांच-पड़ताल या बैकग्राउंड चेक किए धर्मांतरण और सांप्रदायिकता के फर्जीवाड़े से जोड़ दिया. एक फर्जी खबर को सनसनीखेज बनाकर दिखाया. 

इस खबर को कवर करने वाले टाइम्स नाउ के रिपोर्टर मनीष यादव ने हमसे बात करने से इनकार कर दिया. उन्होंने बस इतना कहा कि सारे दावे तौकीर कर रहा है, हम नहीं.

हमने टाइम्स नाउ के कम्युनिकेशन टीम की प्रमुख हीना जाफरी से इसको लेकर संपर्क किया. उन्होंने कहा कि आप सवाल भेज दीजिए. खबर लिखे जाने तक उनका हमें कोई जवाब नहीं आया. 

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