SO SKETCHY
कार्टून: रक्षक ही बना भक्षक!
सत्ता से सच बोलने के लिए, कार्टून एक बहुत ही पुरानी और साहसिक विधा है. हालांकि भारत में कार्टूनिस्टों पर, चाहे वह मीडिया में हों या फिर उसके बाहर, अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति को सीमित कर देने का दबाव है जिससे वे सत्तारूढ़ लोगों को चिढ़ा न दें, जिसमें वो निपुण हैं. उन्हें सेंसर किया जा रहा है या फिर वे खुद को सेंसर करने के लिए मजबूर हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री पर संपादकीय कार्टूनिस्ट मंजुल का यह साप्ताहिक स्तंभ (सो स्केची) इस दबाव को कम करने का एक प्रयास है.
हम कार्टून के ज़रिए से राजनीतिक टिप्पणी की ख़त्म होती परंपरा को पुनर्जीवित करना चाहते हैं. यह एक ऐसा माध्यम है जिसे अब पहले से कहीं ज़्यादा पुरस्कृत करने की ज़रूरत है, न कि सेंसर करने की. सो स्केची इसी दिशा में बढ़ता एक कदम है. हम इससे कहीं ज्यादा करना चाहते हैं और उसके लिए आपका सहयोग आवश्यक है, क्योंकि हम केवल आपके समर्थन से ही चलते हैं. हमारा सहयोग करें:
Also Read: कार्टून: वाह मोदी जी, वाह!
Also Read: कार्टून: दशा से दिशा परिवर्तन तक
Also Read
-
‘They find our faces disturbing’: Acid attack survivor’s 16-year quest for justice and a home
-
From J&K statehood to BHU polls: 699 Parliamentary assurances the government never delivered
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy