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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के करीबी का कारनामा, 70 दिन और 75 लाख में करोड़ों की ज़मीन अपने नाम की
ऐसा बहुत कम सुनने में आता है कि कोई करोड़ों में एक जमीन खरीदे और फिर दो महीने के भीतर उसे महज कुछ लाख रुपए में बेच दे. उस स्थिति में संशय और बढ़ जाता है जब ये पता चलता है कि उक्त जमीन की कीमत कई करोड़ बढ़ चुकी है क्योंकि उसका लैंडयूज़ बदल कर कॉमर्शियल हो चुका है, वह भी सिर्फ 19 दिन के भीतर.
आम आदमी के लिए यह सब सोच पाना भी मुश्किल है लेकिन अगर आप हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रिंसिपल ओएसडी नीरज दफ्तुआर हैं तो आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं है. नीरज दफ्तुआर साल 2016 में हरियाणा में भाजपा की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रिंसिपल ओएसडी के तौर पर नियुक्त हुए और अक्टूबर 2022 तक इस पद पर रहे. देखते ही देखते वो हरियाणा में एक शक्तिकेंद्र बन गए. उन्हीं की पत्नी अनुपम दफ्तुआर और बेटे आदित्य दफ्तुआर को नौ एकड़ जमीन का विशाल टुकड़ा और एक कंपनी कौड़ियों के भाव सौंप दी गई. आइए जानते हैं इस संदेहास्पद मामले को जहां सीधे तौर पर दफ्तुआर परिवार को फायदे पहुंचाने के लिहाज़ से पहले एक कंपनी बनायी गई, उसके जरिए ज़मीन खरीदी गई और फिर इसे दफ्तुआर परिवार के हवाले कर दिया गया. यह सब सिर्फ 70 दिनों में हुआ.
24 फ़रवरी, 2022 को एएनए रियल लॉजिस्टिक्स नाम से एक कंपनी का गठन हुआ. इस कंपनी का पंजीकृत पता है 4/212 हनुमान मंदिर, शिवाजी नगर, गुड़गांव. एएनए रियल लॉजिस्टिक्स की शुरुआत करने वाले दो लोग थे सिद्धार्थ लाम्बा और आशीष चांदना. दोनों इसके शुरुआती निदेशक बने. यह कंपनी ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स का काम करने के उद्देश्य से बनायी गई थी. कंपनी के गठन के ठीक 30 दिन बाद लाम्बा और चांदना ने रिलायंस कंपनी द्वारा संचालित मॉडल इकनॉमिक टाऊनशिप लिमिटेड (एमईटी) से हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित बादली तहसील के ख़ालिकपुर गांव में नौ एकड़ ज़मीन खरीदी. इसकी कीमत 2.73 करोड़ रुपए बताई गई. (न्यूज़लॉन्ड्री के पास इससे जुड़े दस्तावेज मौजूद हैं)
22 मार्च को ज़मीन खरीदने के बाद 15 अप्रैल, 2022 को कंपनी के निदेशक चांदना ने डायरेक्टरेट ऑफ़ टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग में भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू यानी चेंज ऑफ़ लैंड यूज़) की अर्जी दाखिल की. अर्जी के मुताबिक़ वो लोग उक्त नौ एकड़ कृषि भूमि के ऊपर वेयर हाउस बनाना चाहते थे. हैरत की बात यह है कि मात्र 19 दिनों में डायरेक्टरेट ऑफ़ टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग ने उनकी अर्जी मंजूर कर सीएलयू पास कर दिया. हरियाणा भूमि राजस्व विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक आम तौर पर इस प्रक्रिया में कई-कई महीने लग जाते हैं. लेकिन इस लेन-देन के पीछे नीरज दफ्तुआर थे इसलिए सारा काम बिजली की तेजी से हुआ.
4 मई, 2022 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने लैंडयूज़ परिवर्तित करने की अनुमति दी लेकिन इसके दो दिन पहले यानी 2 मई को एक महत्वपूर्ण घटना घटी. सिद्धार्थ लाम्बा और आशीष चांदना ने एक कानूनी करार के तहत एएनए रियल लॉजिस्टिक्स कंपनी और इसकी सारी संपत्तियां अनुपम दफ्तुआर और आदित्य दफ्तुआर के नाम कर दीं. ये दोनों लोग हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रिंसिपल ओएसडी नीरज दफ्तुआर की पत्नी और बेटे हैं. लांबा और चांदना ने इस हस्तांतरण की वजह बताई कि उनके पास वेयर हाउस बनाने और ट्रांसपोर्ट/ लॉजिस्टिक्स के व्यापार के लिए पैसे नहीं हैं.
यह पूरा लेनदेन बहुत सारे सवाल खड़े करता है. महज़ 20 दिन पहले वेयर हाउस बनाने के लिए भूमि उपयोग परिवर्तन की अर्ज़ी लगाने वाले चांदना और लाम्बा के पास अचानक से पैसे खत्म कैसे हो गए, जबकि लैंडयूज़ बदलने के बाद उस ज़मीन की कीमत कई गुना बढ़ गई थी.
करार में इस बात का ज़िक्र करते हुए लिखा है- "एएनए लॉजिस्टिक्स ने नौ एकड़ कृषि भूमि खरीद कर उस पर ट्रासंपोर्ट/लॉजिस्टिक्स का व्यापार करने हेतु हरियाणा सरकार के सामने भूमि उपयोग परिवर्तन की अर्जी दाखिल की है जिसकी इज़ाज़त कभी भी मिल सकती है. पैसों की कमी के चलते एएनए लॉजिस्टिक्स अब व्यापार करने की स्थिति में नहीं है और इसलिए उसके दोनों निदेशकों (चांदना और लाम्बा) ने अनुपम और आदित्य दफ्तुआर से एएनए लॉजिस्टिक्स को अपने अधीन करने की गुजारिश की है. एएनए लॉजिस्टिक्स की गुज़ारिश को अनुपम और आदित्य दफ्तुआर ने मानकर कम्पनी को अपने अधीन ले लिया है जिसके चलते दोनों ही पूर्व निदेशकों ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया है और कंपनी से अपने सभी अधिकारों को त्याग दिया है.”
दूसरा सवाल इससे भी अहम है और इस पूरे लेन-देन की वैधता पर सवालिया निशान खड़ा करता है. जो ज़मीन एएनए रियल लॉजिस्टिक्स ने करीब दो महीने पहले 2 करोड़ 73 लाख रुपए में खरीदी थी उसे सिर्फ 75 लाख रुपए में कंपनी सहित अनुपम और आदित्य दफ्तुआर को सौंप दिया. क्या ऐसा सामान्य हालत में संभव है?
इस मामले से जुड़े जानकार बताते हैं कि पहले दिन से एएनए रियल लॉजिस्टिक्स कंपनी दरअसल नीरज दफ्तुआर की ही थी. एएनए का अर्थ है अनुपम, नीरज और आदित्य.
जिस बादली तहसील के खालिकपुर गांव में लाम्बा और चांदना ने नौ एकड़ ज़मीन 2.73 करोड़ में खरीद कर नीरज दफ्तुआर के परिवार को 75 लाख में बेच दी, वहां जमीनों के भाव आसमान छू रहे हैं क्योंकि झज्जर ज़िला दिल्ली एनसीआर रीज़न के तहत आता है. यहां आम तौर पर ज़मीनों की कीमत प्रति एकड़ दो से चार करोड़ रुपए हैं. अगर हम दफ्तुआर परिवार की नौ एकड़ जमीन की बात करें तो उसकी मौजूदा बाजार कीमत छह करोड़ रुपए प्रति एकड़ से ऊपर जा चुकी है क्योंकि उसका लैंडयूज़ बदल चुका है.
झज्जर में एलकेवीएस मालिक रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड नाम की रियल फर्म चलाने वाले सुरिंदर सिंह मलिक कहते हैं, "खलिकपुर के इलाके में एक एकड़ ज़मीन का भाव दो करोड़ रुपए से ऊपर है. जब से हमारे इलाके में कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे आया तब से जमीनों की कीमत आसमान छूने लगी है. खालिकपुर पहले से ही रिलायन्स स्पेशल इकोनॉमिक जोन से लगा हुआ था, इसलिए यहां ज़मीन के भाव बहुत ज़्यादा हैं."
टाइमलाइन
24 फरवरी को एएनए रियल लॉजिस्टिक्स एलएलपी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) खोली गई.
24 मार्च को जमीन खरीदी गई.
15 अप्रैल को लैंड यूज़ परिवर्तन की अनुमति मांगी गई.
4 मई को लैंड यूज़ परिवर्तन की अनुमति मिल गई.
2 मई को कंपनी मय संपत्ति नीरज दफ्तुआर की पत्नी अनुपम और बेटे आदित्य को सौंप दी गई.
लगभग 70 दिनों के भीतर हुआ यह सारा खेल कई सारे सवाल खड़े करता है. आइए अब इस मामले के सभी किरदारों पर गौर फरमाते हैं.
सिद्धार्थ लांबा-आशीष चांदना
लांबा और चांदना, जिन्होंने एएनए लॉजिस्टिक कंपनी का गठन किया, गुड़गांव स्थित ऐवेक ग्रुप (Evac Group) नाम की एक कंपनी में काम करते हैं. यह कम्पनी प्रॉपर्टी मॅनेजमेंट का काम करती है जिसके गुड़गांव के अलावा दुबई और सिंगापुर में भी दफ्तर हैं. मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स के दस्तावेजों के मुताबिक इस कंपनी के तीन निदेशक हैं वैभव ढींगरा, उनकी पत्नी वसुधा ढींगरा और उनकी मां दयावंती ढींगरा.
वसुधा ढींगरा के भाई सिद्धार्थ लाम्बा हैं जो कि एएनए लॉजिस्टिक्स के एक निदेशक थे. सिद्धार्थ 2018 से ऐवेक ग्रुप में काम कर रहे हैं और अभी वह इस कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट एडवाइज़री और ट्रांसैक्शन हैं. एएनए लॉजिस्टिक्स के दूसरे निदेशक आशीष चांदना भी ऐवेक ग्रुप में रेसिडेंशियल सेल्स मैनेजर के रूप में काम करते हैं. गौरतलब है कि एएनए लॉजिस्टिक्स का पंजीकृत पता किसी व्यवसायी इमारत का नहीं बल्कि चांदना के घर का पता था. आज भी दोनों ऐवेक ग्रुप में काम करते हैं.
इस मामले में हमने सिद्धार्थ लाम्बा से बात की. उन्होंने सीधे तौर पर इस तरह की किसी जानकारी से इनकार किया. उन्होंने कहा, "इस बारे में मुझे कुछ पता नहीं सर. मुझे आइडिया नहीं है, थैंक यू सो मच." यह कहकर उन्होंने हमारा फोन काट दिया. इसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका.
आशीष चांदना से संपर्क करने की हमारी सारी कोशिशें नाकाम रहीं. हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं. लेकिन अभी तक उनका कोई जवाब नहीं मिला है.
नीरज दफ्तुआर और परिवार
झारखंड के चाईबासा स्थित मांगीलाल रुंगटा स्कूल के पढ़े नीरज दफ्तुआर ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में मास्टर्स की पढ़ाई की है. कोलकाता की एक कंपनी ऑडियो विजुअल आर्ट्स से अपने करियर की शुरुआत करने वाले दफ्तुआर ने इंटर ग्लोब फायनेंशियल लिमिटेड, वाइब्रेंट मीडिया आदि कंपनियों में काम किया है. हिम उर्जा प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के वो सीईओ रहे. साल 2016 तक अपनी पत्नी और बेटे के साथ कई कंपनियों में बतौर निदेशक काम कर रहे थे.
दफ्तुआर की पत्नी अनुपम तिवारी, जिनके नाम पर एनएनए लॉजिस्टिक्स हस्तांतरित हुई है, वह एनर्जी नेक्स्ट नाम की एक मैगज़ीन भी निकालती थीं जो फोकल पॉइंट मीडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के अधीन थी. अनुपम तिवारी इस मैगज़ीन की पब्लिशिंग डायरेक्टर, बिज़नेस एंड इवेंट्स हेड थीं, जबकि उनके बेटे आदित्य दफ्तुआर इसके मार्केटिंग मैनेजर के पद पर थे.
गौरतलब है कि इस मैगज़ीन को चलाने में इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी जो की भारत सरकार का प्रकल्प है से भी मदद मिलती थी. अनुपम दफ्तुआर मौजूदा समय में सात कंपनियों में निदेशक हैं. इसमें इनकोर बिज़नेस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, जियोस्पेशियल सोल्यूशंस एंड कंसल्टेंसी सर्विसेस, एएनए लॉजिस्टिक्स, स्ट्रेटकॉम एडवायज़री प्राइवेट लिमिटेड, इनविजन रिसर्च एंड कम्युनिकेशन्स प्राइवेट लिमिटेड, इनकोर एग्रो बिज़नेस और इनविजन स्ट्रेटेजिक एंड रेगुलेटरी अफेयर्स कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड. इन सभी कंपनियों में उनके बेटे आदित्य भी उनके साथ निदेशक हैं.
अप्रैल 2016 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का प्रिसिंपल ओएसडी बनने के बाद नीरज दफ्तुआर लगातार ताकतवर होते गए. सरकारी कामों में मुख्यमंत्री की मदद करने के अलावा दफ्तुआर खट्टर के इतने भरोसेमंद और विश्वासपात्र बन चुके थे कि सितम्बर 2021 में करनाल में हुआ किसानों का एक धरना खत्म करवाने के लिए खट्टर ने दफ्तुआर को भेजा था. उन्होंने अपना काम बखूबी किया और धरना समाप्त करवाया था. अक्टूबर 2022 में दफ्तुआर ने प्रिंसिपल ओएसडी के पद से त्यागपत्र दे दिया और दिल्ली आ गए.
जानकार बताते हैं कि दफ्तुआर के अवैध लेनदेन की भनक भाजपा में ऊपर तक लग गई थी इसलिए उन्हें चुपचाप हरियाणा से हटाकर दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन आज भी वो हरियाणा सरकार के कामकाज में गहरी दखल रखते हैं.
इस मामले में हमने नीरज दफ्तुआर से बात की. उन्होंने कहा, "जब यह कंपनी गठित हुई, उसके बाद इन लोगों (चांदना और लाम्बा ने) 2.73 करोड़ रुपए में एक ज़मीन खरीदी. इन्होंने 50 लाख रुपए एडवांस दिए थे और बाकी पोस्ट डेटेड चेक्स दिए थे. लेकिन बाकी पैसे ये नहीं दे पा रहे थे. तब इन्होंने हमसे बात की. इन लोगों ने 2.93 करोड़ मेरी पत्नी और बेटे से ज़मीन की कीमत के तौर पर लिया जिसमे रजिस्ट्री की कीमत भी शामिल थी. बाद में 75 लाख रुपए अलग से मुनाफे के तौर पर लिए. कुल मिलाकर हमारा लगभग चार करोड़ खर्च हो गया. यह गलत बताया जा रहा है कि 75 लाख में नौ एकड़ ज़मीन ली गई.”
हमने उनसे पूछा कि जिस इलाके में जमीन की कीमत दो करोड़ प्रति एकड़ के ऊपर है वहां पर उन्हें पौने तीन करोड़ में नौ एकड़ जमीन कैसे मिल गई. इस सवाल को टालते हुए बोले, "आप तो कुछ भी लिख सकते हैं. (फिर हंसते हुए) आप भी जानते हो, हम भी जानते हैं, छोड़ दो ना बाकी, बाकी देश में क्या हो रहा है, छोड़ दो ना आप.”
हमने एक बार फिर नीरज दफ्तुआर से पूछा कि अगर आपने लांबा और चांदना को अलग से 2.93 करोड़ का भुगतान किया है तो उसका प्रमाण है क्या? इस पर नीरज कहते हैं, "मेरे पास कागज़ात हैं, लेकिन मैं उन्हें साझा नहीं कर सकता.”
न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मामले में नीरज दफ्तुआर के बेटे आदित्य दफ्तुआर से भी बात की लेकिन उन्होंने खराब नेटवर्क का जिक्र करते हुए कॉल बीच में ही काट दिया.
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