Report
मीडिया ने मुझे आतंकवादी बना दिया: पीएफआई जासूस घोषित कर दी गई मध्यप्रदेश की लॉ इंटर्न
"मुझे सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का है कि मैं अपने तीसरे सेमेस्टर की सभी परीक्षाएं नहीं दे पाई. कॉलेज के अधिकारियों ने अब मुझे सुरक्षा कारणों से कक्षाओं में जाने से मना किया है और सीधे परीक्षा देने को कहा है. उन्होंने कहा कि वे 'दबाव में' हैं."
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के बोरनवा में रहने वाली सोनू मंसूरी 50 दिन जेल में बिताकर घर वापस आई हैं. लेकिन बाहर निकलने में अब भी संकोच कर रही हैं. सोनू अपने परिवार में पहली हैं, जिन्होंने स्नातक की पढ़ाई में दाखिला लिया है. वह एक क्रिमिनल लॉयर बनना चाहती हैं, लेकिन अब उन्हें चिंता है कि उनके खिलाफ इस मामले से कहीं उनका करियर प्रभावित न हो.
इंदौर की जिला अदालत में इंटर्नशिप कर रही लॉ द्वितीय वर्ष की इस छात्रा का जीवन इस साल जनवरी में पूरी तरह बदल गया. हिंदुत्व संगठनों से जुड़े वकीलों के एक समूह ने उन्हें "पीएफआई एजेंट" बताकर उनके साथ दुर्व्यवहार किया, जिसके बाद सोनू को गिरफ्तार कर लिया गया. उनपर आरोप लगा कि उन्होंने एक वकील की वेश-भूषा में अदालत की कार्यवाही का वीडियो बनाकर प्रतिबंधित संगठन पीएफआई को लीक किया था. स्थानीय वकीलों ने धमकियों का हवाला देते हुए मध्य प्रदेश में उनकी जमानत याचिका पर बहस करने से मना कर दिया, जिसके बाद कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सोनू को उनकी गिरफ्तारी के लगभग दो महीने बाद सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली.
न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले सोनू के मीडिया ट्रायल और उनके परिवार के इस आरोप पर रिपोर्टिंग की थी कि स्थानीय वकील उनका केस नहीं ले पा रहे हैं.
एक वकील की अनुपस्थिति के कारण सोनू अदालत से यह अनुरोध नहीं कर सकीं कि वह जेल अधिकारियों को उनके परीक्षा में शामिल होने की व्यवस्था करने का निर्देश दें. बाद में उन्होंने देवास के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के अधिकारियों से उनके तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा लेने का अनुरोध किया. "लेकिन उन्होंने कहा कि मुझे फिर से तीसरा सेमेस्टर पढ़ना होगा."
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अजय चौहान ने इस बात से इंकार किया कि उन्होंने सोनू को कॉलेज आने से मना किया है. “अगर वह चाहती हैं तो हमें उसके नियमित कक्षाओं में जाने से कोई समस्या नहीं है. उसने परीक्षाओं में शामिल होने का मौका गंवा दिया है और हम उसके लिए तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा देने का कोई विशेष प्रावधान नहीं कर सकते हैं. उसे सेमेस्टर दोहराना होगा,” डॉ. चौहान ने कहा.
'मीडिया ने मुझे लगभग आतंकवादी घोषित कर दिया, मेरा चरित्र हनन किया'
न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले रिपोर्ट की थी कि कैसे मीडिया के कुछ वर्गों ने जनवरी में सोनू की गिरफ्तारी के बाद उनका बयान लिए बिना ही उन्हें पीएफआई एजेंट करार दे दिया.
सोनू ने आरोप लगाया कि उनकी सात दिन की पुलिस हिरासत के दौरान, थाने में कुछ मीडियाकर्मी उनके साथ बातचीत करने में सफल रहे. "लेकिन जब मैं जेल से बाहर आई, तो मुझे पता चला कि मैंने पत्रकारों को जो कुछ भी बताया था वह छपा नहीं, इसके बजाय उन्होंने मनगढ़ंत कहानियां बनाईं."
मीडिया में सोनू की जो छवि बनाई गई वह इंदौर सेंट्रल जेल तक पहुंच गई, जहां वह न्यायिक हिरासत के दौरान बंद थीं. "पहले हफ्ते में पुराने कैदियों के बीच दबी जुबान में बातचीत होती थी कि मैं एक आतंकवादी हूं, और कोई मुझसे बात न करे," उन्होंने बताया, "स्थिति बहुत खराब थी".
“जब मैं जेल से बाहर आई, तो मुझे पता चला कि मीडिया ने लगभग मुझे आतंकवादी घोषित कर दिया है. उन्होंने तथ्यों को जाने बिना ही मुझे पीएफआई से जोड़ दिया. मैंने उन्हें जो बताया, उन्होंने उसे रिपोर्ट नहीं किया और जो उन्हें अच्छा लगा, उन्होंने लिख दिया और मेरा चरित्र हनन किया.”
'भारत जोड़ो यात्रा, नमाज, पीएफआई और दाऊद इब्राहिम'
21 वर्षीय सोनू ने दावा किया कि सात दिनों में पांच से अधिक अलग-अलग जांच दलों ने उनसे पूछताछ की, उन्हें अपने परिवार से मिलने या यहां तक कि कपड़े बदलने भी नहीं दिया गया. "सात दिनों तक मुझसे सुबह से लेकर आधी रात तक पूछताछ की गई." सोनू ने कहा कि उन्हें हर सुबह एमजी रोड पुलिस स्टेशन ले जाया जाता था और आधी रात के बाद महिला पुलिस स्टेशन वापस लाया जाता था.
"मेरे परिवार को या किसी को कुछ नहीं बताया गया," उन्होंने दावा किया. सोनू ने बताया कि उनके परिवार को जेल में उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी, और जब उनकी बहन ने उन्हें बताया कि "वकीलों पर उनका केस नहीं लेने का दबाव बढ़ रहा है" तो वह जेल में बेहोश हो गईं.
उन्होंने कहा कि उनसे बार-बार नमाज, मदरसा, पाकिस्तान और पीएफआई से जुड़े प्रश्न पूछे जा रहे थे. उन्होंने कहा कि वह "कभी भी मदरसे में नहीं गई हैं". कथित तौर पर सोनू से यह भी पूछा गया था कि क्या वह दाऊद इब्राहिम को जानती हैं, और क्या वह अपनी असली पहचान छिपा रही हैं. पुलिस ने कथित तौर पर यह भी पूछा कि क्या उनके भारत जोड़ो यात्रा के कुछ प्रतिभागियों के साथ संबंध हैं.
“उन सभी ने मुझसे एक ही तरह के सवाल पूछे- क्या मैं मदरसे गई हूं, मैं दिन में कितनी बार नमाज़ अदा करती हूं, मैंने कितनी बार पाकिस्तान की यात्रा की है और क्या मेरे वहां किसी से संबंध हैं. उन्होंने मुझसे यह भी पूछा कि मैं पीएफआई के संपर्क में कैसे आई. जब मैंने जोर देकर कहा कि मैं (पीएफआई के संपर्क में) नहीं हूं, तो उन्होंने बार-बार मुझे यह स्वीकार करने के लिए मजबूर किया कि मैंने एक मदरसे में पढ़ाई की है और पाकिस्तान और पीएफआई से मेरे संबंध हैं."
"उन्होंने मुझे भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी के साथ एक महिला की तस्वीरें दिखाईं और पूछा कि क्या मैं उन्हें जानती हूं."
एमजी रोड थाने के एसएचओ संतोष यादव ने सोनू से की गई पूछताछ का ब्यौरा नहीं दिया. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया कि पूछताछ सांप्रदायिक थी. "आपको इस बारे में किसने बताया? हमने ऐसे सवाल नहीं पूछे हैं. किसी ने आपको गलत जानकारी दी है."
क्यों हुई सोनू मंसूरी की गिरफ्तारी?
सोनू छह महीने से अधिक समय तक वकील नूरी खान की इंटर्न के रूप में इंदौर जिला अदालत आती-जाती थीं. विश्व हिंदू परिषद से जुड़े वकीलों द्वारा कई आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें 29 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया.
यह घटना बजरंग दल नेता तनु शर्मा के खिलाफ एक मामले की सुनवाई के दिन हुई. शर्मा को शाहरुख खान अभिनीत फिल्म पठान के विरोध के दौरान पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
“उस दिन सुप्रीम कोर्ट के वकील एहतेशाम हाशमी तनु शर्मा केस के लिए इंदौर आए थे. हालांकि, मुझे मामले की जानकारी भी नहीं थी, लेकिन चूंकि वह मेरे गुरु नूरी खान के सीनियर हैं, इसलिए मैं कोर्ट रूम नंबर 42 में गई,” सोनू ने बताया.
लेकिन कोर्टरूम खचाखच भरा था, इसलिए जज ने इंटर्न और जूनियरों को बाहर जाने के लिए कहा. "इसके तुरंत बाद मुझे (नूरी) खान का फोन आया, और उन्होंने मुझे उनके एक क्लाइंट से पांच वकालतनामे और पैसे लेने के लिए कहा, मैंने ऐसा ही किया," उन्होंने बताया. लेकिन जैसे ही उन्होंने जाने की कोशिश की, उन्हें एक महिला वकील और दो पुरुषों ने रोक लिया. "उन्होंने मुझे रोका और पूछा कि मैं कोर्ट नंबर 42 में क्या कर रही हूं, तो मैंने बताया कि मैं सुनवाई देखने के लिए आई थी."
सोनू की जेब से उनका आईडी कार्ड निकाल लिया गया और कथित तौर पर उनसे उनके धर्म के बारे में पूछा गया. उन्होंने आरोप लगाया कि वकीलों के एक समूह ने उन्हें राज्य बार कार्यालय में बंधक बनाकर रखा था. उन्होंने दावा किया कि जब एक वकील ने उनकी तलाशी लेने की कोशिश की तो उन्होंने आपत्ति जताई. "लेकिन उन्होंने मेरा मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि 'तुम कौन सी शिकायत दर्ज करोगी? हम तुम पर ऐसा केस कर देंगे कि तुम कभी जेल से बाहर नहीं आ सकोगी. उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया और मेरी पैंट की जेब से पैसे निकाले और मेरे कोट में रख दिए. उन्होंने मेरा फोन और वकालतनामा छीन लिया."
सोनू ने बताया कि लगभग एक घंटे बाद एक महिला वकील को बार ऑफिस में बुलाया गया और फिर से उनकी तलाशी लेने के लिए कहा गया और एक वीडियो रिकॉर्ड किया गया. “उन्होंने मुझे परेशान किया. इसके बाद जय श्री राम के नारों के बीच मुझे एमजी रोड पुलिस स्टेशन ले जाया गया."
"लगभग एक घंटे तक वे मुझे झूठे बयान देने के लिए मजबूर करते रहे, लेकिन जब मैंने इनकार कर दिया, तो वे मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस इंस्पेक्टर के पास गए," सोनू ने कहा, और बताया कि उन वकीलों ने पहले उनपर अदालत की कार्यवाही के वीडियो बनाने का आरोप लगाया था. "लेकिन जब पुलिस ने उनसे कहा कि इस तरह के आरोपों में गिरफ्तारी नहीं की जा सकती, तो उन्होंने पुलिस को बताया कि मैं एक पीएफआई एजेंट हूं और सांप्रदायिक घटनाओं की अदालती कार्यवाही के वीडियो पीएफआई को लीक करती हूं."
सोनू ने दावा किया कि इन वकीलों ने सोनू के बड़े भाई और उनके गांव के सरपंच पर दबाव बनाया कि वह सोनू को झूठे बयान देने के लिए राजी करें. 29 जनवरी को सोनू के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 419 (प्रतिरूपण द्वारा धोखा देने के लिए सजा), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति का वितरण करने के लिए प्रेरित करना) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
सरपंच ने इन आरोपों पर टिप्पणी करने से मना कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने सोनू को जमानत देते हुए अभियोजन पक्ष से अगली सुनवाई पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.
इस बीच, सोनू ने कहा कि इस कानूनी लड़ाई से वह हतोत्साहित नहीं होंगीं और अपने लक्ष्यों को पाने की कोशिश करती रहेंगी. “मेरे परिवार को मुझसे बहुत उम्मीदें हैं, उन्होंने मुझे शिक्षित करने के लिए बहुत संघर्ष किया है … मैं हार मानने वाली नहीं हूं. मैं अपनी पढ़ाई जारी रखूंगी."
Also Read
-
Happy Deepavali from Team NL-TNM! Thanks for lighting the way
-
TV Newsance 317 Diwali Special: Godi hai toh mumkin hai, NDTV’s Adani makeover, Taliban flip
-
Delhi’s Diwali double standard: Markets flout cracker norm, govt’s pollution plan falters
-
‘Jailing farmers doesn’t help anyone’: After floods wrecked harvest, Punjab stares at the parali puzzle
-
In coastal Odisha, climate change is disrupting a generation’s education