SO SKETCHY
कार्टूनः द केरला स्टोरी- बैन, अद्भुत और टैक्स फ्री
सत्ता से सच बोलने के लिए, कार्टून एक बहुत ही पुरानी और साहसिक विधा है. हालांकि भारत में कार्टूनिस्टों पर, चाहे वह मीडिया में हों या फिर उसके बाहर, अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति को सीमित कर देने का दबाव है जिससे वे सत्तारूढ़ लोगों को चिढ़ा न दें, जिसमें वो निपुण हैं. उन्हें सेंसर किया जा रहा है या फिर वे खुद को सेंसर करने के लिए मजबूर हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री पर संपादकीय कार्टूनिस्ट मंजुल का यह साप्ताहिक स्तंभ (सो स्केची) इस दबाव को कम करने का एक प्रयास है.
हम कार्टून के ज़रिए से राजनीतिक टिप्पणी की ख़त्म होती परंपरा को पुनर्जीवित करना चाहते हैं. यह एक ऐसा माध्यम है जिसे अब पहले से कहीं ज़्यादा पुरस्कृत करने की ज़रूरत है, न कि सेंसर करने की. सो स्केची इसी दिशा में बढ़ता एक कदम है. हम इससे कहीं ज्यादा करना चाहते हैं और उसके लिए आपका सहयोग आवश्यक है, क्योंकि हम केवल आपके समर्थन से ही चलते हैं. हमारा सहयोग करें:
Also Read: कार्टून: उल्टे बांस बरेली को!
Also Read
-
Ambedkar or BN Rau? Propaganda and historical truth about the architect of the Constitution
-
Month after govt’s Chhath ‘clean-up’ claims, Yamuna is toxic white again
-
The Constitution we celebrate isn’t the one we live under
-
Why does FASTag have to be so complicated?
-
Malankara Society’s rise and its deepening financial ties with Boby Chemmanur’s firms