Video
ब्लिंकिट डिलीवरी पार्टनर्स के साथ एक दिन, जोखिमों से भरी 10 मिनट की सर्विस
अप्रैल महीने की शुरुआत में ब्लिंकिट ने डिलीवरी पार्टनर के पे-आउट स्ट्रक्चर में बदलाव किया. जिसके मुताबिक कंपनी डिलीवरी पार्टनर्स को डिस्टेंस बेस्ट इंसेंटिव के साथ 15 रुपए प्रति डिलीवरी देगी. इसके विरोध में एनसीआर के दिल्ली, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में डिलीवरी पार्टनर्स प्रदर्शन कर रहे थे.
प्रदर्शनकारी डिलीवरी पार्टनर्स का कहना था कि कंपनी का जो पुराना पे-आउट स्ट्रक्चर था उसके मुताबिक उन्हें 25 रुपए प्रति डिलीवरी के साथ पीक आवर में सात रुपए का इंसेंटिव मिलता था. हालांकि, कंपनी के नए पे-आउट स्ट्रक्चर की वजह से उन्हें अब 15 से 20 रुपए ही मिल पा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में करीब 1000 डिलीवरी पार्टनर्स ने ब्लिंकिट को छोड़ उसकी प्रतिद्वंदी कंपनियों जैसे इंस्टामार्ट, जेप्टो, बिग बास्केट में काम करना शुरू कर दिया है.
ब्लिंकिट में डिलीवरी पार्टनर के तौर पर काम करने वाले राकेश हमें बताते हैं, “पहले हमें एक दिन में 32 डिलीवरी करने पर 1300-1500 रुपए मिल जाते थे, लेकिन अब 32 डिलीवरी करने पर केवल 700-800 रुपए ही मिल पाते हैं. इसके चलते घर चलाना मुश्किल हो रहा है."
वहीं जितेंद्र यादव बताते हैं, “पेमेंट कम हो जाने से बहुत घाटा हो रहा है क्योंकि हम डिलीवरी के लिए बाइक और पेट्रोल अपना ही इस्तेमाल करते हैं. ऊपर से बाइक की ईएमआई भी देनी होती है, मेंटेनेंस अलग से है.”
समय पर डिलीवरी देने के लिए ब्लिंकिट के डिलीवरी पार्टनर अक्सर शॉर्टकट का इस्तेमाल करते हैं. कई बार तो विपरीत दिशा से गाड़ी चला कर जाते हैं. डिलीवरी पार्टनर अरविंद कुमार ऐसी ही एक घटना का जिक्र करते हैं. 8 मार्च को जब अरविंद डिलीवरी देने के लिए जा रहे थे तो जल्दबाजी के कारण उनका एक्सीडेंट हो गया था, उनके पैर और शरीर के बाकी हिस्सों पर गंभीर चोटें आई थीं. अरविंद बताते हैं, “एक्सीडेंट के बाद मैं सात दिन तक अस्पताल में भर्ती रहा और दो हफ्तों तक बेड रेस्ट पर रहा.”
वह आगे कहते हैं, “तीन हफ्तों के बाद मैं वापस काम पर आया क्योंकि घर का किराया और खर्च चलाना था. लेकिन यहां तो कंपनी ने पेमेंट ही घटा दिया है. एक तो पहले ही इलाज पर काफी खर्च हो चुका है और अब कमाई भी घट गई है.”
इस रिपोर्ट के लिए हमने ब्लिंकिट के डिलीवरी पार्टनर्स के साथ पूरा दिन बिताया और जानने की कोशिश की आखिर 10 मिनट में डिलीवरी कितने जोखिम और चुनैतियों से भरा काम है.
Also Read
-
Gujarat’s invisible walls: Muslims pushed out, then left behind
-
Let Me Explain: Banu Mushtaq at Mysuru Dasara and controversy around tradition, identity, politics
-
गुरुग्राम: चमकदार मगर लाचार मिलेनियम सिटी
-
Gurugram’s Smart City illusion: Gleaming outside, broken within
-
Full pages for GST cheer, crores for newspapers: Tracking a fortnight of Modi-centric ads