Report
हरियाणा बीजेपी आईटी सेल के पूर्व प्रमुख अरुण यादव ने फिर फैलाई भ्रामक सूचना
गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के पूर्व आईटी सेल प्रमुख अरुण यादव ने एक ट्वीट किया. जिममें उन्होंने लिखा, ‘‘हरियाणा, भिवानी में पीर साहब मजार में लेटे थे. पता नहीं रात को हनुमान जी का अवतरण हुआ”. उन्होंने ट्वीट में दो तस्वीरें भी लगाई हैं. एक में मजार नजर आ रही है तो वहीं दूसरी तस्वीर में मजार वाली जगह पर हनुमान जी की मूर्ति रखी हुई है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि जो तस्वीरें यादव ने अपने ट्वीट में लगाई हैं, वो करीब एक साल पुरानी हैं. दरअसल, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने अप्रैल 2022 को भिवानी में एक मज़ार को तोड़कर वहां हनुमान जी की मूर्ति रख दी थी.
यह मामला तब काफी चर्चा में आया था. इसे दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और टीवी-9 समेत कई मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित किया था.
दैनिक भास्कर की खबर में बताया गया कि एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, उसमें बजरंग दल के कार्यकर्ता ‘जय श्री राम’ के नारों के बीच मजार सरीखे पत्थर पर हथौड़े बरसाते नजर आ रहे हैं. मजार तोड़ने के बाद यहां पर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित की गई. वीडियो हनुमान जयंती का बताया जा रहा है. तब अखबार में भिवानी के एसपी अजीत सिंह शेखावत का बयान भी छपा था. उन्होंने बताया था कि मजार तोड़ने के पूरे मामले की पुलिस जांच कर रही है.
वहीं टीवी-9 में "Haryana: भिवानी में पहले मजार पर चले हथौड़े, फिर स्थापित हुई भगवान हनुमान की प्रतिमा, पुलिस बोली- जांच का विषय" शीर्षक से खबर छपी थी. खबर में बताया गया कि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल है. इसमें भगवाधारी युवक एक मजार को तोड़कर भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित करते नजर आ रहे हैं. मजार पर हथौड़ा चला रहे हैं. वहीं मंदिर के उद्धाटन का बोर्ड भी लगा है. अंदर मजार कैसे है, पुलिस एसपी जांच कर रहे हैं.
इसी तारीख को दैनिक जागरण में छपी खबर का शीषर्क था, "भिवानी में मजार तोड़कर हनुमान जी की प्रतिमा रखने के विवाद में दोनों पक्षों के बीच हुआ समझौता". खबर के मुताबिक, ढाणा रोड स्थित पीर बाबा की मजार को तोड़कर हनुमान जी की प्रतिमा रखे जाने का विवाद पूरी तरह से नहीं सुलझ पाया, मगर लोगों की राय पर समझौता करने की बात फाइनल हो गई है. बताया गया है कि दादरी गेट ढाणा रोड पर प्राचीन पीर बाबा की मजार तोड़कर हनुमान जी की प्रतिमा रख दी थी.
कई अन्य वेबसाइट पर भी यह खबर एक साल पहले ही प्रकाशित हो चुकी है. लेकिन यादव ने इसे 20 अप्रैल को शेयर किया है.
इस मामले पर न्यूज़लॉन्ड्री ने अरुण यादव से भी बात की. हमने उनसे इस ट्वीट के बारे में पूछा तो वह कहते हैं, “मुझे नहीं पता कहां का है, लेकिन ये भिवानी का मामला है, परसों का.”
आपको यह जानकारी कहां से मिली? इस सवाल पर वह कहते हैं, “मुझे ये सूचना भिवानी से ही मिली थी, मैंने इसे सिर्फ जानकारी के तौर पर लिखा है.”
जब हमने उन्हें बताया कि ये एक साल पुराना मामला है, इस पर वह कहते हैं, “मुझे यह हमारे एक भिवानी के लोकल ग्रुप से ही मिला है.”
हरियाणा बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख रहे हैं आप, काफी बड़ा और जिम्मेदारी वाला पद होता है, तो लिखने से पहले आपने क्रॉस चेक नहीं किया? इसके बाद वह कहते हैं, “आईटी प्रमुख पहले था अब नहीं. लेकिन मैंने इस पर ऐसा तो कुछ लिखा नहीं है. सिंपल सिर्फ एक इन्फॉर्मेशन के रूप में डाला है. मैंने किसी के अगेंस्ट नहीं लिखा है. पुरानी है तो होगी… लेकिन है तो ठीक ना.”
तो क्या ये खबर सही है? इसपर वे नाराज़ होकर कहते हैं, ‘‘सही होगी… आपको जो पूछना है पूछो ज्ञान मत दो ना भाई आप.’’
आप बीजेपी में अभी किसी पद पर हैं? “नहीं मैं किसी पद पर नहीं हूं.” बीजेपी कार्यकर्ता हैं सिर्फ? “नहीं मैं वो भी नहीं हूं.”
लेकिन आपकी ट्विटर प्रोफाइल पर तो बीजेपी वर्कर लिखा है? “क्या लिखा है, अरे हां वो तो हर कोई वर्कर ही है बीजेपी का.”
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करने के कुछ देर बाद ही यादव ने अपना यह ट्वीट डिलीट कर दिया.
वहीं इस मुद्दे पर भिवानी जिले के मौजूदा पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनिया कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे हमसे भ्रामक ट्वीट का लिंक मांगते हैं. जो कि उन्हें कर दिया जाता है.
बातचीत के दौरान वह कहते हैं कि उनके पास भ्रामक ट्वीट को लेकर कोई शिकायत नहीं आई है लेकिन अगर ऐसे कोई भ्रामक ट्वीट करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
हमारे ये पूछने पर कि अक्सर यादव के इस तरह के ट्वीट सामने आते हैं, क्या इससे पहले या हाल ही में इन पर कोई कार्रवाई हुई है? तो एसपी नरेंद्र कहते हैं इनकी कोई शिकायत तो नहीं मिली है लेकिन हम खुद से भी उनके ट्वीट मॉनिटर कर रहे हैं. अगर कोई लीगल कार्रवाई बनती है तो हम जरुर करेंगे. वे ऐसा लिख रहे हैं तो गलत कर रहे हैं.
जब एसपी साहब से पूछा गया कि आप ट्वीट मॉनिटर कर रहे हैं तो आपको कभी नहीं लगा कि वह गलत सूचना फैलाते हैं? इस पर वह कहते हैं कि अभी आपने बताया तो मेरे संज्ञान में आया.
इससे पता चलता है कि पुलिस ऐसे मामलों को कितनी गंभीरता से मॉनिटर कर रही है.
अक्सर गलत और सांप्रदायिक सूचना फैलाते हैं यादव
यह पहली बार नहीं है जब यादव ने इस तरह का ट्वीट किया है. वह इससे पहले भी ऐसे ट्वीट करते रहे हैं. अपनी सोशल मीडिया पोस्ट्स में वह खासतौर पर समुदाय विशेष के लोगों को टारगेट करते रहते हैं. अगर उनकी प्रोफाइल पर नजर दौड़ाएंगे तो आपको इस तरह के अनेक पोस्ट मिल जाएंगे. जिनमें भ्रामक जानकारी, समुदाय विशेष को टारगेट करना, सांपद्रायिकता को बढ़ावा देने जैसे ट्वीट शामिल हैं.
पिछले साल सोशल मीडिया पर यादव को गिरफ्तार करने की मांग भी उठी थी. इससे पहले इन्होंने पैगंबर साहब पर विवादित टिप्पणी की थी. जिसके चलते हरियाणा बीजेपी आईटी सेल प्रमुख का पद भी गंवाना पड़ा था. यादव ने 2017 के एक ट्वीट में पैगंबर की तुलना शराब से करते हुए लिखा था, ‘‘मुझे तो पेग में पैगंबर नजर आता है.”
वहीं, लता मंगेशकर के निधन के बाद जब बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे तब उन्होंने लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर के आगे खड़े होकर फातिहा पढ़ने के बाद दुआ फूंकी थी. इसका वीडियो शेयर करते हुए अरुण यादव ने लिखा था "क्या इसने थूका है" इसके बाद इस पर काफी विवाद हुआ था.
इसी तरह उन्होंने अभिनेता दिलीप कुमार के निधन पर भी विवादित ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था, “फिल्मी जगत में हिंदू नाम रखकर पैसा कमाने वाले मोहम्मद यूसुफ खान (दिलीप कुमार) का निधन भारतीय फिल्म जगत के लिए अपूरणीय क्षति है! शोक संतप्त परिवार के प्रति गहन संवेदना! दिवंगत आत्मा को शांति दे भगवान। भावभीनी श्रद्धांजलि!” इस ट्वीट के बाद भी उनकी काफी आलोचना हुई थी.
यादव के ट्विटर पर 7 लाख से ज्यादा फॉलोवर हैं. इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर समेत कई केंद्रीय और राज्यमंत्री ट्विटर पर फॉलो करते हैं.
सोशल मीडिया पर अक्सर आपत्तिजनक, समुदाय विशेष के खिलाफ, भड़काऊ पोस्ट या कमेंट करने के चलते केस दर्ज कर लिया जाता है, वहीं यह भी जगजाहिर है कि मौजूदा सत्तारुढ़ दल से संबंधित या उनके समान विचारधारा वाले ऐसे ट्वीट या भ्रामक सूचना फैलाते हैं तो उन पर कोई कानूनी कार्रवाई देखने को नहीं मिलती है. जबकि सोशल मीडिया पर सत्तारूढ़ दल की आलोचना करने मात्र पर भी कई लोगों के खिलाफ न सिर्फ कानूनी कार्रवाई हुई बल्कि जेल तक भेज दिया जाता है.
Also Read
-
2 UP towns, 1 script: A ‘land jihad’ conspiracy theory to target Muslims buying homes?
-
‘River will suffer’: Inside Keonjhar’s farm resistance against ESSAR’s iron ore project
-
Who moved my Hiren bhai?
-
I was at the India-Pakistan Oxford Union Debate and here’s what happened.
-
A conversation that never took off: When Nikhil Kamath’s nervous schoolboy energy met Elon Musk