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बंगाल हिंसा: नियमों को ताक पर रख, पुलिस के आदेशों की धज्जियां उड़ा निकाली गई यात्रा

पश्चिम बंगाल के हावड़ा में पुलिस ने बिना किसी औपचारिक अनुमति के रामनवमी के जुलूसों को निकलने दिया, जबकि आयोजकों के पत्रों में यह झलक रहा था वह कम से कम एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देश का पालन नहीं करेंगे. इन जुलूसों के वीडियो और संबंधित दस्तावेजों की समीक्षा से यह स्पष्ट होता है कि इनमें अंततः कई दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ, चाहे वह संगीत को लेकर हो, या हथियार, मोटरसाइकिल अथवा रैली कार्यक्रम को लेकर.

इनमें से एक जुलूस को विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित किया गया था, वहीं दूसरा जुलूस स्थानीय हिंदुत्व संगठन अंजनी पुत्र सेना द्वारा आयोजित किया गया था. रैलियों के लिए मंजूरी मांगने के कुछ दिनों बाद यानी 21 मार्च को हावड़ा पुलिस ने उन्हें दिशानिर्देश भेजे थे. इन रैलियों के बाद 30 और 31 मार्च को शिबपुर में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी.

हमने जो दस्तावेज देखे उनके अनुसार, विहिप ने 3 मार्च को शाम 4 बजे से 8 बजे तक जुलूस निकालने की योजना के बारे में पुलिस को सूचित किया था. अंजनी पुत्र सेना ने भी ऐसा ही एक पत्र दिया था. हावड़ा पुलिस आयुक्त ने 21 मार्च को दोनों संगठनों को पत्र लिखकर दिशानिर्देश जारी किए थे.

इन निर्देशों के अनुसार रैलियों को दोपहर 2.30 बजे शुरू होकर 'किसी भी तरह' शाम 5 बजे समाप्त हो जाना था, प्रतिभागियों को 'भड़काऊ हावभाव और मुद्राएं प्रकट करने या दूसरे समुदाय के लोगों के प्रति दुर्भावनापूर्ण नारे लगाने" की मनाही थी, और रैली के किसी भी सदस्य को "हथियार रखने" की और "मोटरसाइकिल और डीजे का किसी भी तरह से उपयोग करने" की अनुमति नहीं थी.

हालांकि, 23 मार्च को अंजनी पुत्र सेना ने पुलिस को फिर से पत्र लिखकर बताया कि उनकी रैली दोपहर 3.30 बजे शुरू होगी, लेकिन उन्होंने रैली समाप्त होने का समय नहीं बताया. 28 मार्च को पुलिस ने दोनों आयोजकों को पत्र लिखकर रैलियों के सटीक विवरण मांगे, जैसे समय, मार्ग, प्रतिभागियों की संख्या और स्वयंसेवकों की सूची. 

विहिप ने 29 मार्च को पुलिस को सूचित किया कि उनकी रैली दोपहर 3 बजे शुरू होगी और शाम 7 बजे समाप्त होगी. अंजनी पुत्र सेना ने पुलिस के पत्र का कोई जवाब नहीं दिया. कोई औपचारिक अनुमति या 'अनापत्ति पत्र' न होने के बावजूद पुलिस ने अंततः आयोजकों को रैलियां निकालने की अनुमति दे दी.

दिशानिर्देशों की अवहेलना

दोनों रैलियां तय समय से देरी से शुरू हुईं, विहिप की रैली अंजनी पुत्र सेना के जुलूस के बाद निकली. पुलिस स्रोतों और इस रिपोर्टर द्वारा देखे गए वीडियोज़ के अनुसार जुलूस मोटरबाइकों पर निकले, 'भारत का बच्चा बच्चा जय श्री राम बोलेगा' जैसे गीतों के साथ डीजे पर संगीत बजाया गया, और प्रतिभागियों ने तलवार और हथियार लहराए.

जब आयोजकों ने पहले ही समय को लेकर निर्देशों का पालन करने से मना कर दिया था, तो रैलियों को अनुमति क्यों दी गई, इस सवाल पर हावड़ा में कई पुलिस अधिकारियों ने टिप्पणी करने से मना कर दिया. हावड़ा पुलिस कमिश्नरेट में तैनात एक आईपीएस अधिकारी ने कहा, "मामले की सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय में चल रही है और कार्यक्रम की अनुमति और उसके बाद की कार्रवाई के संबंध में राज्य सरकार के दृष्टिकोण को अदालत में विस्तार से बताया जाएगा." 

पुलिस ने ऐसे इंतजाम किए थे, जिससे रैलियां शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सकें. हावड़ा के पुलिस आयुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारी दोपहर 2.30 बजे से पहले ही उस जगह पर पहुंच गए थे जहां से विहिप का जुलूस निकलने वाला था. लेकिन विहिप और अंजनी पुत्र सेना की रैलियां क्रमश: दोपहर 3 बजे और 3.30 बजे के बाद शुरू हुईं और पुलिस की अपेक्षा से धीमी गति से आगे बढ़ीं. 

नतीजतन, जहां प्रशासन चाहता था कि जुलूस शाम 5 बजे तक समाप्त हो जाए, शाम पांच बजे के बाद जुलूस प्रिय मन्ना बस्ती के मुस्लिम इलाकों में पहुंच गया, जहां पिछले साल भी झड़प हुई थी. यह जगह जुलूस के गंतव्य से दो किलोमीटर पहले पड़ती है.

अंजनी पुत्र सेना ने अपनी रैली के दौरान पूरे समय "डीजे पर गाने" बजाए. विहिप के जुलूस को देखने वाले कई लोगों ने पुष्टि की कि उसमें पारंपरिक बंगाली ढाक और ढोल के साथ डीजे भी शामिल था. देखी गईं वीडियो क्लिप्स के अनुसार, रैलियों में शामिल लोग न केवल तलवार और लाठियां बल्कि तमंचे भी लिए हुए थे (देखें वीडियो- यहां और यहां). हमने पुलिस के साथ इन वीडियोज़ की सत्यता की पुष्टि की.

हावड़ा कमिश्नरेट के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि समय सारिणी का सख्ती से पालन करने का निर्देश यह ​​सुनिश्चित करने के लिए दिया गया था कि जुलूस इफ्तार के समय से पहले समाप्त हो सकें. "हम जानते हैं कि कैसे डीजे पर बजने वाले इन गानों ने अतीत में हमारे राज्य के साथ-साथ बाहर भी दंगे भड़काए हैं, और इसलिए हमने इसके उपयोग पर पहले से ही रोक लगा दी थी." 

हालांकि अभी तक पता नहीं है कि ताजा हिंसा किस वजह से भड़की, ऑनलाइन उपलब्ध कई वीडियो क्लिप्स में रैलियों में शामिल भगवाधारी मुस्लिमों के समूह से भिड़ते हुए देखे जा सकते हैं.

विवादित वीडियो में दिख रहा शख्स हिरासत में: पुलिस

तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने रामनवमी की रैली में रिवाल्वर लिए हुए एक युवक की फुटेज शेयर की थी. हालांकि भाजपा और विहिप ने सोमवार को दावा किया कि यह फुटेज शिबपुर रैली की नहीं थी. वहीं पुलिस ने मंगलवार को बिहार के मुंगेर से उस संदिग्ध युवक को गिरफ्तार करने का दावा किया. उसकी पहचान हावड़ा जिले के सलकिया निवासी 19 वर्षीय सुमित शॉ के रूप में हुई है.

इसके पहले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया था कि पुलिस उस व्यक्ति की तलाश कर रही है. अधिकारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "यह वीडियो शिबपुर रैली का है, लेकिन विहिप की रैली का है या अंजनी पुत्र सेना की, इसकी पुष्टि की जानी अभी बाकी है." 

वीडियो को करीब से देखने पर, तमंचा लिए हुए इस संदिग्ध को ले जा रही झांकी के पीछे जीटी रोड स्थित कलकत्ता हार्ट रिसर्च सेंटर की शिबपुर इकाई दिखाई देती है. यह स्थान जुलूस के मार्ग पर ही है और प्रिय मन्ना बस्ती, जहां हिंसा हुई, वहां से बमुश्किल 400 मीटर दूर है. वीडियो को तोड़कर रिवर्स इमेज सर्च करने पर इस फुटेज के पुरानी होने का भी कोई प्रमाण नहीं मिलता.

बंगाल टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने मंगलवार को संदिग्ध की गिरफ्तारी को लेकर भाजपा पर निशाना साधा. 'बीजेपी ने वीडियो को फर्जी बताया था. अबं वह क्या कहेंगे जब अपराधी को पकड़ लिया गया है?' उन्होंने फेसबुक पर लिखा.

स्थानीय पुलिस ने कहा कि हाथ में बंदूक लिए नाचते हुए एक व्यक्ति की एक दूसरी क्लिप में जुलूस के मार्ग में पड़ने वाले चौरा बाजार स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा दिखाई दे रही है. इस वीडियो के रिवर्स इमेज सर्च से भी इसके पुराने होने का कोई प्रमाण नहीं मिलता.

बदनाम करने का प्रयास: विहिप

अंजनी पुत्र सेना के संस्थापक-सचिव सुरेंद्र वर्मा से उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क नहीं हो सका है क्योंकि शनिवार से उनके फोन नंबर बंद हैं.

विहिप की रैली के संयोजक इंद्र देव दुबे ने जुलूस के किसी भी तरह भड़काऊ होने की बात से इनकार किया. उन्होंने कहा कि रैली धीरे-धीरे आगे जरूर बढ़ रही थी, लेकिन जब हजारों लोग भाग ले रहे हों तब ऐसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग जो मोटरसाइकिल पर थे, वह भीड़ को नियंत्रित करने के लिए थे और कार्यक्रम में हुई देरी में कुछ भी गलत नहीं था.

“रमजान पूरे महीने के लिए होता है. हमारे रामजी की पूजा एक दिन की ही होती है. नमाज या इफ्तार के लिए भी उन्हें सड़क की जरूरत नहीं है. क्या वह हमारे त्योहार के लिए एक दिन भी रास्ता नहीं छोड़ सकते?” दुबे ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा. उनके अनुसार यह "पश्चिम बंगाल के पश्चिम बांग्लादेश में बदलने" के संकेत हैं. 

“हम शांति से आगे बढ़ रहे थे. काजीपारा इलाके में मुसलमानों ने हमें जलपान भी कराया. हालांकि जैसे ही जुलूस पीएम बस्ती पहुंचा, मुसलमानों ने बहुमंजिला इमारतों की छतों से पत्थर और कांच की बोतलें फेंकनी शुरू कर दीं. पुलिस ने छतों पर खड़े अपराधियों को पकड़ने के लिए उनमें से एक भी इमारत में प्रवेश नहीं किया,” दुबे ने आरोप लगाया.

रैली में शामिल लोगों द्वारा हथियार लहराने की बात पर उन्होंने कहा, "पुलिस ने हथियार रखने वालों को वहीं उसी समय गिरफ्तार क्यों नहीं किया? हमें संदेह है कि हमें बदनाम करने के लिए इन लोगों को हमारी रैली में घुसपैठ कराई गई थी."

हालांकि, हावड़ा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने ज्यादातर हथियारबंद लोगों की पहचान कर ली है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए विहिप रैली के आयोजकों और हावड़ा पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दोनों आयोजकों को औपचारिक अनुमति आखिरी बार 2019 में दी गई थी.

एकाएक आई पत्रकारों की बाढ़ 

एक स्थानीय पत्रकार ने बताया कि शिबपुर में मीडिया की उपस्थिति ज्यादा नहीं थी, लेकिन उस दिन विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष की रामराजातला यात्रा ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया. यह इलाका शिबपुर से लगभग चार किलोमीटर दूर है, जिसका नाम सौ साल पुराने एक मंदिर पर रखा गया है. झड़प शुरू होते ही शिबपुर इलाके में विभिन्न मीडिया घरानों के पत्रकारों की बाढ़ आ गई.

पिछले साल हावड़ा के शिबपुर में रामनवमी के दौरान होने वाली हिंसा की पुनरावृत्ति इस बार भी हुई. 30 और 31 मार्च को राज्य सचिवालय से बमुश्किल दो किमी और स्थानीय पुलिस स्टेशन से कुछ ही दूरी पर आवासीय परिसरों, दुकानों और वाहनों में तोड़फोड़ की गई. अब तक लगभग 40 लोगों को कथित तौर पर गिरफ्तार किया गया है और दो मामले दर्ज किए गए हैं.

जहां भाजपा और विहिप ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग की है, वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा और संघ से जुड़े लोगों पर आरोप लगाते हुए सीआईडी ​​जांच का आदेश दिया है. सीआईडी ​​ने रविवार को पहली बार मौके का मुआयना किया.

30 मार्च को हिंसा की खबर आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ''आपने अपना रास्ता क्यों बदल लिया? आप एक अनधिकृत मार्ग पर क्यों गए? जानबूझकर एक समुदाय को चोट पहुंचाने और उन पर हमला करने के लिए?”

लेकिन न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी ओर से पुष्टि की है कि पुलिस को दिए गए रूट मैप और दोनों जुलूसों के वास्तविक रूट में कोई अंतर नहीं था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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