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एडिट-ए-आजम: कार्टूनों के जरिए पाठ्यपुस्तकों में एनसीईआरटी के 'संशोधन' पर निशाना
आज यानी बुधवार के इंडियन एक्सप्रेस का मुख्य पन्ना काफी प्रभावशाली है. शायद आपातकाल के बाद सबसे ज्यादा प्रभावशाली. आज अख़बार की राष्ट्रीय शिक्षा संपादक रितिका चोपड़ा की रिपोर्ट को मुख्य ख़बर बनाया गया है, जो कि एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में से महात्मा गांधी की हत्या पर कुछ वाक्यों को गुपचुप हटाए जाने को लेकर है. पाठ्यक्रम में जो नए वाक्य जोड़े गए, वो हैं "हिंदू-मुस्लिम एकता के उनके दृढ़ प्रयास ने हिंदू चरमपंथियों को इतना उकसाया कि उन्होंने गांधीजी की हत्या के कई प्रयास किए..."
एनसीईआरटी द्वारा अपने पाठ्यक्रम को "संशोधित" करना और इतिहास की कुछ पाठ्यपुस्तकों से मुगलों के अध्यायों को हटाना ज्वलंत मुद्दा है. एनसीईआरटी के निर्देशक ने ‘संशोधन’ को लेकर कहा कि यह "तर्कसंगत प्रक्रिया" का हिस्सा था.
यह ख़बर जंगल की आग की तरह फैली और इसने सत्ता के समक्ष सच कहने वाली सबसे पुरानी, सबसे साहसिक कलात्मक शैलियों में से एक - कार्टून की श्रृंखला को पुनर्जीवित कर दिया. लोगों ने इस मुद्दे पर कई कार्टून शेयर किए हैं.
मत भूलिए कि आज कार्टूनिस्टों को सत्ता में बैठे लोगों को नाराज न करने का दबाव होता है. उन्हें अक्सर ‘सेल्फ सेंसर’ रहने के लिए मजबूर किया जाता है. न्यूज़लॉन्ड्री कोशिश करता है कि वह अपने संपादकीय कार्टूनिस्ट मंजुल के साप्ताहिक कॉलम ‘औघट घाट’ के साथ यह तीखापन बनाए रखे.
आप मंजुल का कार्टून कोना यहां देख सकते हैं.
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