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पत्रकार संजय राणा के सवालों की ग्राउंड पर क्या है सच्चाई
उत्तर प्रदेश के संभल जिले का बुद्धनगर गांव तब सुर्खियों में आया जब पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री गुलाबो देवी से अपने गांव की समस्याओं को लेकर सवाल करने के अगले दिन ही पत्रकार संजय राणा को गिरफ्तार कर लिया गया था. संजय राणा संभल जिले के स्थानीय अखबार मुरादाबाद उजाला में बतौर रिपोर्टर कार्यरत हैं.
हम संजय राणा द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब जानने के लिए उनके गांव पहुंचे. संजय राणा ने मुख्य रूप से चार सवाल पूछे थे जिनमें गांव में सरकारी शौचालय का न होना, पक्की सड़क का न होना, देवी मां के मंदिर की बाउंड्री न होना और मंदिर से मुख्य मार्ग को जोड़ने वाली सड़क का न बनना शामिल है.
राजधानी दिल्ली से करीब 250 किलोमीटर दूर इस गांव में घुसते ही पता चलता है कि विकास का पहिया यहां पहुंचने से पहले ही थम गया है. एक हाजर की आबादी वाले इस गांव में करीब 115 घर हैं.
गांव की पहली समस्या गांव में शौचालय की कमी है.
गांव की आशा वर्कर कृष्णा देवी बताती हैं, "गांव के कुल 115 में से केवल 6-7 घरों को ही सरकारी शौचालय मिला है. जिसकी वजह गांव के अधिकतर लोग शौच के लिए जंगल में जाते हैं."
गांव में रहने वाली 70 वर्षीय शांति कहती हैं, "मैं ज्यादा दूर चल नहीं सकती. मेरे पैरों में दर्द रहता है. घर में शौचालय न होने की वजह से मुझे जंगल में जाना पड़ता है यहां तक कि बरसात में भी. बरसात के मौसम में कई बार ऐसा होता है कि शौच जाते वक्त खेतों में फिसल कर गिरने से मुझे चोट लग जाती है."
कुछ ऐसी ही कहानी 50 वर्षीय मालती की है. मालती एक पैर से विकलांग हैं और लाठी के सहारे चलती हैं. मालती बताती हैं, "रास्ता ठीक न होने के कारण कई बार जब मैं शौच के लिए जाती हूं तो गिर जाती हूं और उठ भी नहीं पाती. जब तक परिवार या गांव से कोई उठा कर नहीं लाता तब तक वहीं पड़ी रहती हूं."
गांव की दूसरी समस्या टूटी सड़कें और और उन पर बहता गंदा नाला है. गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाला कच्चा रास्ता पूरी तरह से टूट चुका है. सड़क के दोनों तरफ आने वाले नाले जाम होने के कारण उनका पानी सड़कों पर फैला रहता है. इसकी वजह से इस सड़क पर पैदल चलना लगभग नामुमकिन है.
40 वर्षीय विश्वनाथ बताते हैं, "दिन में तो किसी तरह हम लोग इस रास्ते से निकल जाते हैं लेकिन रात में बिना लाइट के नहीं निकल सकते."
यह सड़क गांव के बीच से गुजरती है जिसके दोनों ओर घर हैं. सुंदर राणा का घर सड़क से सटा हुआ है. जिसकी वजह से उनके घर के बाहर नाले का गंदा पानी भरा रहता है. सुंदर बताते हैं, "घर के बाहर हमेशा कीचड़ रहने के कारण बहुत मच्छर लगते हैं. मेरे छोटे-छोटे बच्चे अक्सर बीमार पड़ते रहते हैं. अभी तो गनीमत है लेकिन जब बरसात आती है तो यह गंदा पानी घर में घुस जाता है. और पूरा घर नाला बन जाता है."
गांव में दीवारों पर स्वच्छ भारत अभियान के स्लोगन लगे हुए हैं. लेकिन गांव में स्वच्छता का कोई भी साधन मौजूद नहीं है. गांव के सभी नाले खुले हुए और जाम हैं. नालों के पानी को बाहर निकालने का कोई इंतजाम नहीं है. जगह-जगह कूड़ा फैला है क्योंकि गांव में कूड़े को रिसाइकल करने का कोई इंतजाम नहीं है.
सुंदर बताते हैं, "गांव में कभी सफाई कर्मचारी नहीं आते जिस कारण हमें खुद ही नाला साफ करना पड़ता है, नाले की निकासी की व्यवस्था नहीं है इसलिए उस सफाई से भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता."
गांव की तीसरी समस्या है बारात घर
गांव की ज्यादातर आबादी खेती और मजदूरी पर निर्भर है. अधिकतर लोगों के घर टूटे हुए हैं. बहुत लोगों को यहां आवास की जरूरत है, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास नहीं मिल पा रहा है.
मोहर सिंह बताते हैं, "गांव में किसी के घर के सामने इतनी जगह नहीं है कि 50-100 लोगों को ठहराया जा सके. इसलिए गांव में जब कोई शादी होती है तो बारात रोकने में बहुत समस्या होती है. बारात को तीन-चार घरों में अलग-अलग ठहराना पड़ता है. मंत्री जी ने कहा था कि चुनाव जीतने के बाद बारात घर बनवाएंगे लेकिन जीतने के बाद वह एक बार झांकने भी नहीं आईं."
संजय राणा ने चौथा सवाल गांव के मंदिर की बाउंड्री के निर्माण से को लेकर किया था. गांव के पश्चिम में खेतों के बीच देवी मां का मंदिर है. जिसे लेकर गांव वालों की काफी आस्था है. जब हम मंदिर पर पहुंचे तो वहां हमें संजीव चौधरी पूजा करते हुए मिले. संजीव चौधरी ने हमें बताया, "गुलाबो देवी आज से छह साल पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में इस मंदिर पर आई थीं. उन्होंने इस मंदिर पर शपथ ली थी कि मैं चुनाव जीतने के बाद मंदिर की बाउंड्री करवाऊंगी और मंदिर से गांव को जोड़ने वाली सड़क को पक्का कराऊंगी. लेकिन वह झांकने भी नहीं आई"
इसके अलावा पत्रकार संजय राणा के गांव में और भी कई समस्याएं हैं. देखिए वीडियो रिपोर्ट.
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