Report
क्यों संभल में रेल पटरी पर कट मरी गायें
उत्तर प्रदेश के संभल जिले के लहरावन गांव में पिछले एक महीने में करीब 30 गायों की मौत ट्रेन के कटने से हो चुकी है. यहां एक घटना 11 फरवरी को हुई जहां सुबह करीब 5:00 बजे एक दर्जन से अधिक गाय देहरादून एक्सप्रेस की चपेट में आ आईं. इनमें से 11 गायों की मौके पर ही मौत हो गई और तीन गाय गंभीर रूप से घायल हो गईं. मौके पर पहुंचे प्रशासन ने आनन-फानन में मृत गायों को जेसीबी लगाकर दफना दिया और घायल गायों को पास के गौशाला में शिफ्ट कर दिया, जहां उनका इलाज चल रहा है.
13 तारीख को जब न्यूज़लॉन्ड्री की टीम लहरावन गांव पहुंची तो पता चला कि प्रशासन गायों की मौत के आंकड़ों को छुपा रहा है. हमें यहां प्रशासन, ग्राम प्रधान और स्थानीय पत्रकारों के बयानों में काफी अंतर देखने को मिला.
लहरावन गांव के ग्राम प्रधान अजीत सिंह ने बताया कि 11 फरवरी को आठ गायों की मौत हुई थी और दो गाय घायल हुई थीं. वही संभल जिले के चिकित्सा अधिकारी रविंद्र कुमार सिंह ने बताया कि 11 फरवरी को छह गायों की मौत हुई थी और दो गाय घायल हैं. जबकि स्थानीय पत्रकार अंकुर गोयल बताते हैं कि 11 तारीख को 11 गायों की मौत हुई थी और तीन गाए घायल हुई थीं.
वहीं एक अन्य ग्रामीण भानु प्रताप सिंह कहते हैं कि पिछले एक महीने में लहरावन गांव में ट्रेन से कटकर करीब 30 गायों की मौत हो चुकी है लेकिन प्रशासन कोई सुध नहीं ले रहा है.
हमने गायों की हो रही मौतों के कारण और किसानों की परेशानियों को खंगाला तो पता चला की गायों की मौत मुख्यतः दो कारणों से हो रही है. पहला गायों से फसलों के नुकसान के कारण किसानों का तंग आ जाना जिसकी वजह से वह अपने खेतों से गायों को भगा देते हैं और वह रेलवे ट्रैक के पास आ जाती हैं.
बता दें कि लहरावन गांव में बरेली मुरादाबाद रेलवे ट्रैक के एक तरफ बिसारू और दुधापुर के खेत हैं. और दूसरी तरफ लहरावन गांव के खेत हैं. होता यह है कि जब लहरावन गांव के किसान गायों को अपने खेतों से खदेड़ते हैं तो गायों का झुंड रेलवे ट्रैक पार करके बिसारू और दूधापुर की तरफ चला जाता है. वहीं जब बिसारू और दूधापुर के किसान गायों को खदेड़ते हैं तो उनका झुंड रेलवे ट्रैक पार कर लहरावन गांव की तरफ आ जाता है. इसके कारण गाय ट्रेन की चपेट में आ जाती हैं और उनकी मौत हो जाती है.
दूसरा कारण है जिले की गौशालाओं का निष्क्रिय होना. हमने पास की दो गौशालाओं का दौरा किया तो पाया कि एक गौशाला के अंदर 20-25 गाए हैं लेकिन गेट पर ताला लगा है और उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. वहीं हम जब दूसरी गौशाला पहुंचे तो हमने देखा कि गौशाला में कई गाय गंभीर रूप से बीमार हैं. पांच गायें अपनी जगह से उठ भी नहीं पा रही हैं. खाने के नाद सूखे पड़े हैं. चारे के अभाव में अधिकतर गायों की ठठरियां दिख रही हैं.
गौशाला प्रबंधक कृष्ण कुमार शर्मा ने बताया कि गौशाला में कुल 290 गायें हैं. लेकिन जरूरत के हिसाब से सरकारी अनुदान नहीं मिलता इसलिए हम गायों को भरपेट नहीं खिला पाते. उन्होंने बताया कि सरकार एक गाय के हिसाब से 30 रुपए देती है. जबकि इस समय भूसे का रेट 1500 रुपए प्रति कुंतल यानी 15 रुपए किलो है. 30 रुपए में हम केवल दो किलो भूसा ही खिला पाते हैं जबकि एक गाय को एक दिन में कम से कम पांच किलो भूसा चाहिए होता है.
उन्होंने यह भी बताया कि सिर्फ भूसा खाने से गाय स्वस्थ नहीं रह सकती. इसके लिए हरा चारा और पशु आहार भी चाहिए होता है लेकिन 30 रुपए में क्या-क्या खिलाएं.
देखिए पूरा वीडियो-
Also Read
-
Hafta x South Central feat. Josy Joseph: A crossover episode on the future of media
-
Encroachment menace in Bengaluru locality leaves pavements unusable for pedestrians
-
Let Me Explain: Karur stampede and why India keeps failing its people
-
TV Newsance Rewind: Manisha tracks down woman in Modi’s PM Awas Yojana ad
-
A unique October 2: The RSS at 100