Media
बीबीसी दफ्तर में आयकर विभाग का ‘सर्वे’, शाम को कर्मचारियों को दी गई बाहर जाने की इजाजत
बीबीसी के नई दिल्ली और मुंबई स्थित ऑफिस पर दोपहर करीब 12 बजे आयकर विभाग की टीम ने दबिश दी. नई दिल्ली स्थित ऑफिस में आयकर विभाग के करीब 24 अधिकारी पहुंचे थे. शुरुआत में बीबीसी के कर्मचारियों ने गेट नहीं खोला, जिसके बाद आयकर विभाग के एक अधिकारी ने कहा “हम लोग 10 मिनट से बाहर हैं.. आप दरवाजा नहीं खोल रहे हैं.”
आयकर विभाग के अधिकारियों ने हिंदुस्तान टाइम्स हाउस बिल्डिंग में पांचवी और छठी मंजिल पर स्थित बीबीसी के दफ्तर पहुंचते ही सभी कर्मचारियों को फोन बंद करने का आदेश दिया. इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर भी बंद करवा दिए. बीबीसी के एक कर्मचारी बताते हैं कि करीब “दो-तीन घंटे बाद कंप्यूटर में लॉगिन किया, लेकिन काम ज्यादा हुआ नहीं. आप हमारी वेबसाइट भी देख सकते हो.”
शाम को भारत सरकार ने पत्रकारों से जानकारी साझा करते हुए बताया कि, यह आयकर विभाग का सर्वे है, न कि रेड. आगे बताया गया कि बीबीसी द्वारा ट्रांसफर प्राइसिंग नियमों के जानबूझकर गैर-अनुपालन और इसके मुनाफे के विशाल डायवर्जन के मद्देनजर, आज आयकर अधिकारियों ने दिल्ली में बीबीसी परिसर में सर्वे किया.
इस बयान के बाद बीबीसी ने भी एक बयान जारी किया. संस्थान ने लिखा, “आयकर अधिकारी इस समय नई दिल्ली और मुंबई में बीबीसी कार्यालयों में हैं और हम पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि यह स्थिति जल्द से जल्द सुलझ जाएगी.”
शाम को करीब 5 बजे कर्मचारियों को बाहर जाने दिया गया. जिसके बाद वहां सुबह की शिफ्ट में काम कर रहे कर्मचारी बाहर गए. उसके बाद बीबीसी के एक शीर्ष अधिकारी ने कर्मचारियों को बताया कि सभी बुलेटिन रोजाना की तरह ही जाएंगे. जिसके बाद शाम की शिफ्ट के कर्मचारियों को ऑफिस बुला लिया गया.
खबर लिखे जाने तक आयकर विभाग की टीम बीबीसी ऑफिस में मौजूद थी. बताया जा रहा है कि आयकर विभाग की कार्यवाही बुधवार को भी जारी रहेगी.
Also Read
-
From farmers’ protest to floods: Punjab’s blueprint of resistance lives on
-
TV Newsance 313: What happened to India’s No. 1 China hater?
-
No surprises in Tianjin show: Xi’s power trip, with Modi and Putin as props
-
In upscale Delhi neighbourhood, public walkways turn into private parking lots
-
Delhi’s iconic Cottage Emporium now has empty shelves, workers and artisans in crisis