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दिल्ली सरकार का बहुप्रचारित ‘दिल्ली शॉपिंग फेस्टिवल’ 28 जनवरी से नहीं होगा, पर क्यों?

6 जुलाई 2022 को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली शॉपिंग फेस्टिवल की घोषणा की. 28 जनवरी से 26 फरवरी 2023 तक चलने वाले इस फेस्टिवल को भारत का सबसे बड़ा शॉपिंग उत्सव बताया गया, हालांकि न्यूज़लॉन्ड्री को प्राप्त जानकारी के मुताबिक तय समय पर यह फेस्टिवल नहीं होगा.

इसके आयोजन से जुड़ी दिल्ली सरकार की एक सीनियर अधिकारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘28 जनवरी से शुरू होने वाला फेस्टिवल अभी नहीं हो रहा है. कब तक होगा यह नहीं बता सकते हैं हालांकि इसी साल होगा.’’ 

6 जुलाई 2022 को इस फेस्टिवल की घोषणा करते हुए अरविंद केजरीवाल ने बताया था कि 34 दिनों तक चलने वाले इस फेस्टिवल के दौरान दिल्ली दुलहन की तरह सजेगी. खरीदारी पर भारी डिस्काउंट मिलेगा. जगह-जगह प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी. मनोरंजन के बहुत सारे प्रोग्राम किए जाएंगे. देश और दुनिया से कलाकार बुलाए जाएंगे. एक महीने में 200 कंसर्ट होंगे.’’

वे आगे कहते हैं, ‘‘इस फेस्टिवल की ओपनिंग और क्लोज सेरेमनी होगी जिसमें हजारों लोग शामिल होंगे. इस दौरान लोगों को दिल्ली लाने के लिए हम होटल और एयरलाइन्स से रियायत देने को लेकर बात करेंगे. मुझे लगता है कि इस किस्म का फेस्टिवल देश में पहली बार हो रहा है. इसके तहत दिल्ली की अर्थव्यवस्था को बड़ा बुस्ट मिलेगा. इससे हजारों रोजगार पैदा होंगे.’’

मुख्यमंत्री द्वारा इस फेस्टिवल की घोषणा होते ही दिल्ली में जगह-जगह इसको लेकर होर्डिंग्स लगाए गए. अख़बारों में विज्ञापन दिए गए. 

तय समय पर नहीं होगा शॉपिंग फेस्टिवल 

इस फेस्टिवल का आयोजन दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) द्वारा किया जा रहा है. न्यूज़लॉन्ड्री ने डीटीटीडीसी के एक सीनियर अधिकारी से बात की जो इस फेस्टिवल से जुड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि फेस्टिवल तय समय पर नहीं होगा. 

जून में सरकार ने इसको लेकर घोषणा की थी. 2022-23 के बजट में भी इसको लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने चर्चा की थी और बताया था कि इसका मकसद दिल्ली में रोजगार बढ़ाना है. 

देरी की पीछे क्या कारण है? इस सवाल के जवाब में अधिकारी कहते हैं, ‘‘कुछ फाइनेंशियल प्रोसीज़रल इश्यूज हैं. जिसको लेकर दिल्ली सरकार से बात हो रही है. यह जल्द ही खत्म हो जाएगा. अभी तक जो हालात हैं उसके मुताबिक मई, जून या उसके बाद ही यह फेस्टिवल हो पाएगा.’’   

फाइनेंशियल प्रोसीज़रल इश्यूज क्या हैं? इसपर अधिकारी कहते हैं, ‘‘सरकार चाहती है कि हम कोस्ट टू कोस्ट पर यह फेस्टिवल करें. यह बड़ा इवेंट है. इसमें मेनपॉवर काफी लगेगा. हमारा दूसरा काम चल रहा है. ऐसे में हम इस फेस्टिवल को कोस्ट टू कोस्ट पर नहीं कर सकते हैं. सरकार से हमने मांग की है कि हमें ओवरहेड (ज्यादा रकम) दिया जाए. इसको लेकर फाइल सरकार को भेजी गई है.’’

डीटीटीडीसी के इस अधिकारी की बातों की पुष्टि दिल्ली सरकार के टूरिज्म डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी करते हैं. वे कहते हैं कि डीटीटीडीसी इससे पहले कोस्ट टू कोस्ट पर ही दिल्ली सरकार का इवेंट करता था लेकिन इसबार वो ओवरहेड की मांग कर रहे हैं. यह हैरान करता है. हालांकि इससे जुड़ी फाइल टूरिज्म डिपार्टमेंट ने आगे भेज दी है.’’

अधिकारी आगे कहते हैं, ‘‘मेरी जानकारी के मुताबिक अभी वो फाइल फाइनेंस और प्लानिंग विभाग के पास है. इन दोनों जगहों से अप्रूव होने के बाद यह फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा. अभी तक जो स्थिति है उसके मुताबिक 28 जनवरी से यह फेस्टिवल शुरू नहीं हो पाएगा.’’

डीटीटीडीसी ने इस फेस्टिवल का नोडल अधिकारी सुंदरी साथियामनी को बनाया है. सुंदरी यहां चीफ फाइनेंस अफसर हैं. उनके साथ दो और अधिकारी इस फेस्टिवल के काम को देख रहे हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने सुंदरी से फेस्टिवल तय समय पर नहीं होने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.’’

वहीं दिल्ली टूरिजम डिपार्टमेंट के असिस्टेंट डायरेक्टर खेमचंद बडगुजर से भी न्यूज़लॉन्ड्री ने बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने ने भी इसको लेकर कमेंट करने से इंकार कर दिया.

क्या सिर्फ यही वजह है? 

डीटीटीडीसी की एक महिला अधिकारी से जब हमने पूछा कि इस फेस्टिवल को समय पर नहीं कराने के पीछे क्या सिर्फ ‘कोस्ट टू कोस्ट’ का ही मामला है या कुछ और भी? क्योंकि आम आदमी पार्टी लगातार दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना पर अधिकारियों के जरिए सरकार के काम रुकवाने के आरोप लगाती रहती है. क्या ‘शॉपिंग फेस्टिवल’ भी इसी रस्साकशी में फंस गया. 

महिला अधिकारी कहती हैं, ‘‘यह सब राजनीतिक मामला है. ऊपर के अधिकारी जानते हैं. हमारा काम फाइल को आगे बढ़ाना है. हमने अपने यहां से जो भी मांग है वो लिखकर टूरिजम डिपार्टमेंट को भेज दी है. हमारी मांग को मान लें तो हम फेस्टिवल कराने को तैयार हैं.’’

बता दें कि इसको लेकर कोई अधिकारी साफ जवाब नहीं देते नजर आते हैं. 

दरअसल इससे पहले भी दिल्ली सरकार के बहुप्रचारित ‘दिल्ली की दिवाली’ कार्यक्रम को नहीं कराने का आरोप टूरिज्म डिपार्टमेंट और फाइनेंस डिपार्टमेंट पर लगा था.

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 9 नवंबर 2022 को एफिडेविट दिया था जिसमें बताया था कि यह सालाना फ्लैगशिप प्रोग्राम है. इसका बजट भी तय होता है बावजूद इसके टूरिज्म डिपार्टमेंट ने इसे कराने को लेकर कोई पहल नहीं की. 

आगे चलकर जब उपमुख्यमंत्री ने खुद पहल की तो टूरिज्म डिपार्टमेंट ने दिल्ली की दिवाली के आयोजन को लेकर समय दिया था. इसी बीच फाइल फाइनेंस डिपार्टमेंट के पास गई. समय कम होने के बावजूद फाइल को रोक दिया गया. इसके बाद टूरिज्म डिपार्टमेंट की सेक्रेटरी द्वारा कहा गया कि समय की कमी के कारण दिल्ली की दिवाली कार्यक्रम नहीं करा सकते हैं. इस तरह साल 2022 में ‘दिल्ली की दिवाली’ कार्यक्रम का आयोजन नहीं हुआ. 

इस एफिडेविट के माध्यम से दिल्ली सरकार ने बताने की कोशिश की थी कि कैसे अधिकारी एक चुनी हुई सरकार की बात नहीं सुनते हैं. मीटिंग में नहीं आते हैं. फाइलों को लंबे समय तक दबा कर रखते हैं. जिस कारण कोई भी काम वक़्त पर नहीं हो पता है. 

दिल्ली सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में 9 नवंबर 2022 को दिया गया एफिडेविट

इस कार्यक्रम से जुड़े आम आदमी पार्टी के एक नेता बताते हैं, ‘‘एलजी साहब, अधिकारियों को कंट्रोल में किए हुए हैं. सरकार कुछ भी नया करना चाहती है. दिल्ली की जनता की भलाई में जो फैसले लेती है, एलजी साहब अधिकारियों के जरिए उसे रुकवा देते हैं या देरी करवाते हैं. दिल्ली शॉपिंग फेस्टिवल के साथ भी यही हो रहा है. यहां के व्यापारियों के साथ हमने बैठक की. वे बेहद खुश थे. कोरोना के बाद से वे नुकसान में हैं. फेस्टिवल बड़े स्तर पर होना है तो उनकी कमाई होगी. हालांकि अभी तक जिस रफ्तार से चीजें चल रही हैं उसे देखकर लगता नहीं कि 28 जनवरी से ये फेस्टिवल हो पाएगा.’’

दिल्ली टूरिजम डिपार्टमेंट के मंत्री मनीष सिसोदिया हैं, न्यूज़लॉन्ड्री ने उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें इससे संबंधित कुछ सवाल भेजे हैं. जवाब आने पर खबर में जोड़ दिया जाएगा.

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