Media

मोदी सरकार से विज्ञापन का पैसा पाने वाले प्रसारकों में नेटवर्क 18 सबसे आगे

मोदी सरकार ने इस हफ्ते की शुरुआत में संसद में अपने मीडिया विज्ञापन व्यय को जारी किया. 2014 में सत्ता में आने के बाद से सरकार ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों पर 6,491 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

मंगलवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह आंकड़े लोकसभा में प्रस्तुत किए.

राज्यसभा में मंत्रालय ने विस्तृत विवरण दिया कि 2020 और 2022 के बीच, प्रसारकों को इस कुल खर्च का एक हिस्सा किस प्रकार आवंटित किया गया. यह आंकड़े कांग्रेस नेता नारनभाई राठवा के एक सवाल के जवाब में सबा के सामने रखे गए थे.

नेटवर्क 18 और उसकी समाचार संपत्तियों, जिनमें अंग्रेजी चैनल CNN-News18, हिंदी चैनल News18 India और बिज़नस चैनल CNBC-TV18 के अलावा कई क्षेत्रीय चैनलों को, 9 करोड़ रुपए के साथ विज्ञापन की राशि का सबसे बड़ा हिस्सा मिला.

इसके बाद ज़ी मीडिया समूह को 7.8 करोड़ रुपये, जिसमें उसके हिंदी चैनल ज़ी न्यूज़ को अकेले ही लगभग 2 करोड़ रुपये मिले. समूह के मराठी समाचार चैनल ज़ी 24 तास को मोदी सरकार के विज्ञापनों में 1 करोड़ रुपये मिले. ज़ी की अंग्रेजी संपत्ति WION के हिस्से में केवल 11.6 लाख रुपए ही आए.

ज़ी मीडिया, मीडिया मैग्नेट सुभाष चंद्रा के स्वामित्व वाले एस्सेल समूह का हिस्सा है, जो 2016 में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए थे.

इस व्यय रिपोर्ट में "ज़ी तेलुगु" और "ज़ी कन्नड़" को भी सरकार से मिले विज्ञापन के धन का भी उल्लेख है. हालांकि रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह उल्लेख समाचार चैनलों के लिए है, या इसी नाम वाले मनोरंजन चैनलों के. इसी वजह से इन दोनों चैनलों को दी गई विज्ञापन की राशि को न्यूज़लॉन्ड्री की गणना में शामिल नहीं किया गया है.

"आवाज़" नामक चैनल के विज्ञापन के आंकड़े भी हमारी गणना से हटा दिए गए हैं. इसकी वजह यह स्पष्ट नहीं होना है कि यह उल्लेख नेटवर्क 18 की CNBC आवाज़ का है, या नागपुर स्थित आवाज़ इंडिया का.

विज्ञापन राशि में 4.6 करोड़ रुपये के साथ एबीपी समूह तीसरे स्थान पर है. इसमें आधे से ज्यादा यानी करीब 2.6 करोड़ रुपए हिंदी न्यूज़ चैनल एबीपी न्यूज से आए.

टाइम्स नाउ, टाइम्स नाउ वर्ल्ड एचडी, मिरर नाउ और ईटी नाउ के साथ, टाइम्स समूह 2020 और 2022 के बीच केंद्र सरकार से विज्ञापनों में केवल 27 लाख रुपये ही पा सका. समूह के हिंदी चैनल टाइम्स नाउ नवभारत का रिपोर्ट में ज़िक्र तक नहीं था.

रिपब्लिक टीवी, रिपब्लिक भारत और रिपब्लिक बांग्ला जैसे न्यूज़ चैनल चलने वाले रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क का नाम भी रिपोर्ट से गायब था.

न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले 2012 और 2019 के बीच समाचार चैनलों पर मोदी सरकार के विज्ञापन खर्च पर रिपोर्ट किया था. पिछले साल, न्यूज़लॉन्ड्री ने यह भी रिपोर्ट किया था कि 2020 और 2021 के बीच उद्योगपति मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाले नेटवर्क 18 को लगभग 29 करोड़ रुपए के रूप में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से सबसे ज़्यादा विज्ञापन के पैसे मिले थे.

एनडीटीवी ने टाइम्स समूह से बेहतर प्रदर्शन किया. उसे 2020 से 2022 के बीच विज्ञापनों के लिए 78 लाख रुपये की आमदनी हुई. इसमें से 54.6 लाख रुपये उसके हिंदी चैनल एनडीटीवी इंडिया से आए, शेष अंग्रेजी चैनल एनडीटीवी 24x7 और बिजनेस चैनल एनडीटीवी प्रॉफिट और एंटरटेनमेंट चैनल गुडटाइम्स से आए थे.

हालांकि इंडिया टुडे समूह नीचे से तीसरे स्थान पर था, लेकिन इसके अंग्रेजी चैनल इंडिया टुडे ने विज्ञापनों से 34 लाख रुपये कमाए और इस सूची में दुसरे स्थान पर रहा. इस सूची में सीएनएन-न्यूज 18, 48.4 लाख रुपये के साथ शीर्ष पर रहा.

अंग्रेजी समाचार चैनल NewsX ने विज्ञापनों में 26 लाख रुपये के साथ तीसरा स्थान हासिल किया. यह चैनल उद्योगपति कार्तिकेय शर्मा द्वारा नियंत्रित ITV नेटवर्क का हिस्सा है, जिन्हें इस साल की शुरुआत में भाजपा और हरियाणा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी के समर्थन से निर्दलीय के रूप में राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था.

लेकिन बड़ी कमाई हिंदी समाचार चैनलों ने की. News18 India को विज्ञापनों में 3 करोड़ रुपये मिले, जो केंद्र सरकार के विज्ञापन खर्च का एक तिहाई हिस्सा है

न्यूज़ नेशन एक अन्य नेटवर्क है जिसमें अंबानी का बड़ा हिस्सा है, 2.4 करोड़ रुपये के साथ तीसरे स्थान पर रहा.

इंडिया टुडे समूह के प्रमुख समाचार चैनल आज तक को विज्ञापनों में केवल 1.71 करोड़ रुपये ही मिले. समूह के जून 2020 में बंद होने वाले स्थानीय चैनल दिल्ली आज तक को विज्ञापनों में 13 लाख रुपये मिले. हैरत की बात है कि इसमें से 5.4 लाख रुपये, दिल्ली आज तक को 2021-22 में आवंटित किए गए थे.

इस पर स्पष्टीकरण लेने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से संपर्क किया. प्रतिक्रिया मिलने पर इस कहानी में जोड़ दिया जाएगा.

1.4 करोड़ रुपए के साथ न्यूज 24, सूची में आज तक के पीछे रहा. इस चैनल की मालिक कांग्रेस नेता और बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला की पत्नी अनुराधा प्रसाद हैं. इसकी क्षेत्रीय सेवा न्यूज 24 मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ को भी अतिरिक्त 80 लाख रुपये मिले.

विज्ञापन का धन पाने वालों की इस तालिका में सबसे नीचे TV9 भारतवर्ष रहा. यह चैनल इस साल यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के अपने कवरेज की वजह से चर्चा में आया. चैनल को 2020 से 2022 के बीच, केंद्र से विज्ञापन राजस्व के रूप में केवल 20 लाख रुपए ही मिल सके. हालांकि क्षेत्रीय समाचार चैनल TV9 कन्नड़ 1.21 करोड़ रुपये के साथ इसके विपरीत रहा. चैनल ने पूरे नेटवर्क में क्षेत्रीय समाचार चैनलों के बीच, विज्ञापन राजस्व के ज़रिए सबसे ज़्यादा कमाई की.

TV9 भारतवर्ष का विज्ञापन राजस्व सुदर्शन न्यूज से भी कम था, जिसने इस अवधि में 37 लाख रुपये कमाए.

सुदर्शन इस लीग में एक विचित्र उपस्थिति है. अपने कट्टर मुस्लिम विरोधी कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध सुरेश चव्हाणके के नेतृत्व वाले चैनल के दर्शकों की संख्या, व्यय रिपोर्ट में मौजूद अन्य समाचार चैनलों की दर्शकों की संख्या से मेल नहीं रखती. न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा देखे गए इस साल सितंबर से दिसंबर की शुरुआत तक के बार्क व्यूअरशिप डेटा से पता चलता है कि सुदर्शन चैनल का उल्लेख व्यूअरशिप टेबल में शीर्ष 12 हिंदी समाचार चैनलों में तक नहीं है. डेटा बताता है कि भारतीय टेलीविजन जगत के हिंदी भाषी बाजारों में इसकी हिस्सेदारी 0.1 प्रतिशत से भी कम है.

क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सकता है? बिल्कुल कर सकता है, लेकिन तभी जब वह धन के लिए सत्ता या कॉरपोरेट स्रोतों के बजाय जनता पर निर्भर हो. इसका अर्थ है कि आपको खड़े होना पड़ेगा और खबरों को आज़ाद रखने के लिए थोड़ा खर्च करना होगा. सब्सक्राइब करें.

Also Read: एनएल चर्चा 245: भारत-चीन सेना के बीच झड़प और ईडी कार्रवाइयों पर सरकार का जवाब

Also Read: तेलंगाना: पानी की अधिक खपत के बावजूद धान के बाद अब ताड़ की खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ाने की योजना