Report

गुजरात में भाजपा की प्रचंड जीत तो हिमाचल में रिवाज जारी, जानिए चुनाव से जुड़ी बड़ी बातें

पिछले 27 सालों से गुजरात की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अभूतपूर्व जीत हासिल की है. 182 विधानसभा सीटों पर लड़े गए इस चुनाव में 156 सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा ने भारी बहुमत हासिल किया है.

वहीं हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन का रिवाज जारी रहा. यहां कांग्रेस ने फिर से सत्ता में वापसी की है. परिणामों के मुताबिक कांग्रेस को 40 सीटें मिलीं हैं और पार्टी का वोट प्रतिशत 43.9 रहा. वहीं भाजपा 43 प्रतिशत मतों के साथ 25 सीटें जीती है. जबकि आप को 1.10 प्रतिशत वोट मिले और कोई सीट हासिल नहीं हुई. वहीं अन्य को 10.40 प्रतिशत मतों के साथ 3 सीटें मिलीं हैं.

गुजरात में भाजपा की प्रचंड जीत

राज्य की दूसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस 17 सीटों पर सिमट गई. वहीं गुजरात में दूसरी बार उतरी आम आदमी पार्टी पांच सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. तीन सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों और एक सीट समाजवादी पार्टी ने अपने नाम की है.

2017 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 99 सीटों के साथ सरकार बनाई थी, जबकि कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी.

जीत को लेकर आश्वस्त भाजपा का इस बार मत प्रतिशत भी बढ़ा है. औसतन देखा जाए तो भाजपा को लगभग 53%, कांग्रेस को 27% और आप को 13% वोट मिले. यहां गौर करने वाली बात यह है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 41 फीसदी था और भाजपा का 49 प्रतिशत, लेकिन इस बार के नतीजों से जाहिर है कि कांग्रेस का वोट प्रतिशत काफी कम हुआ है.

नतीजों के कुछ घंटे बाद ही अप्रत्याशित हार की सम्पूर्ण नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस के प्रभारी रघु शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे को भेजा है.

भाजपा की यह जीत, गुजरात विधानसभा में अब तक की सबसे बड़ी जीत है. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपनी सीट घाटलोडिया से कांग्रेस के डॉ.अमी याज्ञिक को 1 लाख 92 हजार वोटों से मात दी है. चुनाव जीतने के बाद पटेल ने कहा, “गुजरात विधानसभा चुनाव का जनादेश अब स्पष्ट हो चुका है. यहां की जनता ने मन बना लिया है कि दो दशक से चली आ रही गुजरात की इस विकास यात्रा को अविरत चालू रखना है. यहां के लोगों ने एक बार फिर बीजेपी पर अटूट भरोसा दिखाया है.”

मीडिया से बात करते हुए गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने कहा कि 12 दिसंबर को दोपहर 2 बजे गुजरात के मुख्यमंत्री शपथ लेंगे. 12 दिसंबर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे.

गुजरात में मिली हार के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, ‘‘हम गुजरात के लोगों का जनादेश विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं. हम पुनर्गठन कर, कड़ी मेहनत करेंगे और देश के आदर्शों और प्रदेशवासियों के हक़ की लड़ाई जारी रखेंगे.’’

बड़े चेहरे

गुजरात के युवा नेताओं की बात करें तो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हार्दिक पटेल ने विरमगाम से 51 हजार वोटों से जीत दर्ज की है. पटेल ने आप के अमर सिंह आनंद जी को हराया. यहां 2017 में कांग्रेस के लाखा भाई चुनाव जीते थे. वे इस बार तीसरे नंबर पर रहे. 

जीत के बाद हार्दिक पटेल ने ट्वीट कर लिखा, यह जीत सामान्य नहीं है, इस प्रचंड बहुमत से गुजरात का विकास ओर तेजी से आगे बढ़ेगा. गुजरात की जनता को भाजपा और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र जी पर अपार भरोसा और विश्वास है. मैं गुजरात की जनता का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं.

कांग्रेस से अपना राजनीतिक सफर शुरू कर भाजपा में शामिल हुए अल्पेश ठाकोर ने गांधीनगर दक्षिण सीट से जीत हासिल की है. यहां इन्होंने कांग्रेस के हिमांशु पटेल को 43 हज़ार वोटों से हराया है.

वहीं जिग्नेश मेवानी ने कांग्रेस के टिकट पर वडगाम विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की है. पिछले चुनावों में मेवानी ने यहां से निर्दलीय के तौर पर जीत दर्ज की थी और बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

आम आदमी पार्टी के तीन बड़े चेहरों को इन चुनावों को हार का मुंह देखना पड़ा. पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इशुदान गढ़वी लगभग 18 हजार मतों से हार गए. वे खंभालिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे. दूसरी ओर आप के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया भी कतारगाम सीट से चुनाव हार गए. इटालिया को 50 हजार से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा. आप के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पाटीदार आंदोलन के चेहरों में से एक अल्पेश कथीरिया, वराछा से 16 हज़ार मतों से हार गए. आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने इन तीनों की जीत की भविष्यवाणी लिखित में की थी.

गुजरात में आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा है और पार्टी लगभग 30 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है. आप को महज पांच सीटों पर जीत मिली है. आप को सबसे ज्यादा उम्मीद सूरत से थी लेकिन यहां पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है. विसावदर, बोटाद, डेडियापाडा, गारियाधार और विसावदर सीटों से आप के उम्मीदवार विजयी रहे.

आप के टिकट पर लड़ रहे चैतर वसावा ने डेडियापाडा विधानसभा से बड़ी जीत हासिल की है. चैतर ने भाजपा के उम्मीदवार को 40 हज़ार मतों से हराया. बता दें कि यह सीट 2017 में बीटीपी के महेश भाई ने जीती थी, चैतर खुद भी पहले बीटीपी के ही सदस्य थे. हालांकि इस बार टिकट नहीं मिलने पर वे आप में शामिल हो गए. बीटीपी उम्मीदवार को यहां महज तीन हज़ार वोट ही मिले हैं.

2017 में ही स्थापित बीटीपी ने उस साल हुए चुनावों में दो सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार बीटीपी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई. डेडियापाडा के साथ-साथ झागड़िया से छोटू भाई वसावा भी हार गए. वसावा यहां से बीते सात बार से विधायक थे. वसावा को आदिवासी समाज का बड़ा नेता माना जाता है.

नरोदा से भाजपा की उम्मीदवार पायल कुकरानी को बड़ी जीत मिली है. उन्हें एक लाख बारह हज़ार वोट मिले, वहीं कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन के उम्मीदवार मेघराज डोडवानी को महज सात हजार वोट मिले हैं. 28 हज़ार वोट हासिल कर, आप के उम्मीदवार ओमप्रकाश तिवारी नरोदा में दूसरे नंबर पर रहे.

गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने अपने प्रतिद्वंद्वी, आप के पीवीएस शर्मा को एक लाख मतों से हराया. सांघवी सूरत की माजूरा सीट से उम्मीदवार थे.

जामनगर उत्तर से रिवाबा जडेजा ने बड़ी जीत हासिल की है. यहां से जडेजा ने आप के उम्मीदवार करशनभाई करमुर को 50 हजार वोटों से हराया.

समाजवादी पार्टी के कांधलभाई शर्मनभाई जडेजा ने कुटियाना से भाजपा के ढेलिबेन मालदेभाई ओदेदारा को 26 हज़ार मतों से हराया.

चुनाव मुद्दे 

गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने महंगाई, बेरोज़गारी और पेपर लीक जैसे मामलों को मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन जमीन पर यह मुद्दे बनते नजर नहीं आए. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस शुरुआत से ही जमीन पर, और लोगों की बातचीत से गायब नजर आ रही थी. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी चुनाव प्रचार से गायब ही रहे. 

आप ने जमीन पर अपनी उपस्थित दर्ज कराई, हालांकि उसे जीत में तब्दील नहीं कर पाई.

भाजपा ने एक बार फिर हिंदुत्व का सहारा लिया. चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय मुद्दे कम, राम मंदिर, गौ रक्षा, लव जिहाद, कश्मीर और धारा 370 की चर्चा ज्यादा रही. वोटर भी खुलकर कहते नजर आ रहे थे कि महंगाई भले ही कितनी भी हो जाए, भाजपा को ही चुनेंगे क्योंकि वे हिंदुत्व की बात करते हैं.

क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सकता है? बिल्कुल कर सकता है, लेकिन तभी जब वह धन के लिए सत्ता या कॉरपोरेट स्रोतों के बजाय जनता पर निर्भर हो. इसका अर्थ है कि आपको खड़े होना पड़ेगा और खबरों को आज़ाद रखने के लिए थोड़ा खर्च करना होगा. सब्सक्राइब करें.

Also Read: कहानी गुजरात के उन गांवों की जो खुद को ‘हिंदू राष्ट्र का गांव’ घोषित कर चुके हैं

Also Read: अमूल दूध की कीमत कैसे गुजरात में एक-तिहाई वोटरों को भाजपा के पक्ष में लाती है?