Gujarat and Himachal Elections
सूरत में लंबे समय से भाजपा के वोटर रहे लोगों को क्यों पसंद आ रही है ‘आप’?
“मैं पहले भाजपा को वोट करता था, इस बार बिल्कुल नहीं कर रहा. आप देखिए न, रोड शो में अरविंद केजीरवाल को कितना जनसमर्थन मिल रहा है. दिल्ली के अंदर शिक्षा में जो काम हुआ है, हम सोशल मीडिया के जरिए देखते हैं. हम चाहते हैं कि वो काम यहां भी हो, हमारे बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले.”
यह कहना सूरत में रहने वाले पीयूष सिरोया का.
हालांकि ऐसा कहने वाले सिर्फ पीयूष ही नहीं हैं. उनके साथ ही खड़े जयेश परसनिया कहते हैं, “गुजरात में कुछ हुआ नहीं है. यहां सिर्फ वादा ही हुआ है. चुनाव आता है तो वादा करते हैं. चुनाव के बाद उनके पास जाते हैं तो कहते हैं कि हमें तुम्हारी ज़रूरत नहीं है. भाजपा को लगता है कि वो कहीं से किसी को भी खड़ा कर दे, तो जीत जाएगा. हमको अहसास हो गया है कि जो काम होगा वो केजरीवाल ही करेंगे.”
बातचीत के दौरान सौराष्ट्र के रहने वाले एक नौजवान हमारे बीच आते हैं. वो गुजरात की भाजपा सरकार को भ्रष्ट बताते हुए कहते हैं, “इस बार दिल्ली मॉडल, गुजरात मॉडल पर भारी पड़ेगा. जो दिल्ली में आप सरकार ने किया वो पंजाब में भी लागू हुआ है. ऐसे में गुजरात के लोगों को उम्मीद जग रही है कि केजरीवाल के अलावा कोई कुछ कर नहीं सकता है. यहां हर दिन महंगाई बढ़ रही है लेकिन आमदनी नहीं बढ़ रही.”
वराछा विस्तार विधानसभा के एक बाजार में कुंदन भाई दुकान चलाते हैं. कुंदन भाई काठियावाड़ के रहने वाले हैं. इनका परिवार शुरू से भाजपा समर्थक रहा है, लेकिन अब वे आप को वोट करेंगे.
यह जानने के बाद कि यह संवाददाता दिल्ली से है, वो पूछते हैं कि केजरीवाल कह रहे हैं कि दिल्ली को हमने बदल दिया. वहां सरकारी स्कूल, प्राइवेट से बेहतर हैं. अस्पताल में मुफ्त इलाज होता है. ऐसा है क्या?
लेकिन हमारे कुछ बोलने से पहले वहां मौजूद भाजपा के एक समर्थक कहते हैं, “सब झूठ है. केजरीवाल से बड़ा कोई झूठा नहीं होगा. हम तो मोदी को वोट करते हैं. जब तक मोदी है उन्हें ही करेंगे.”
सूरत में ‘आप’
गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी की सबसे ज्यादा उपस्थिति सूरत में नजर आती है. पार्टी नेता यहां सबसे ज्यादा समय भी दे रहे हैं. अरविंद केजीरवाल और भगवंत मान यहां लगातार रोड शो करते नजर आए और पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह लगभग एक सप्ताह यहां रुके रहे. यहां आप की रैलियों में भारी संख्या में भीड़ भी नजर आती है.
21 नवंबर को एलएच रोड पर गायत्री मंदिर के पास से अरविंद केजरीवाल का रोड शो था. रोड शो का समय तीन बजे था. वहां तीन बजे से ही लोग इकठ्ठा होने लगे और रोड शो करीब पांच बजे शुरू हुआ. इसमें अरविंद केजीरवाल के साथ आप के सूरत के सभी उम्मीदवार मौजूद थे. रोड शो के दौरान केजरीवाल ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यहां सरकार एक पेपर ठीक से नहीं करा पाती है. पेपर लीक हो जाता है. हमें रोजगार देना आता है. हमने दिल्ली में 12 लाख युवाओं को रोजगार दिया है.
केजीरवाल के इतना कहते है कि वहां मौजूद युवा तेजी से नारा लगाते हैं. हालांकि केजरीवाल का यह दावा कि आठ साल में दिल्ली में 12 लाख युवाओं को रोजगार मिला है, संदेहास्पद है. ऐसा ही एक दावा जुलाई महीने में मनीष सिसोदिया ने किया था. जिसके बाद द हिंदू ने अपनी खबर के जरिए बताया कि यह दावा भ्रामक है.
यहां हमारी मुलाकात बिहार के रहने वाले अनुराग से हुई. अनुराग का परिवार 30 साल पहले सूरत आया और अब यहीं रहते हैं. अनुराग बेरोजगार हैं. उन्हें उम्मीद है कि आप सरकार बनने पर रोजगार की संभावना बढ़ेगी.
अनुराग कहते हैं, “अरविंद केजरीवाल खुद काफी पढ़े लिखे हैं. वो दिल्ली और पंजाब में युवाओं को बेहतर शिक्षा और रोजगार दे रहे हैं. हमारे यहां एक तो वेकेंसी कम आती है और अगर आती है तो पेपर फूट (लीक) जाता है. भाजपा को हमने 27 साल मौका दिया. हमें मिला क्या, बेरोजगारी और महंगाई. एक बार इन्हें भी मौका दिया जाना चाहिए. अगर ये नहीं करेंगे तो हम इन्हें भी हटा देंगे.”
अरविंद केजरीवाल रोड शो में भी यही बात दोहराते है. वो कहते हैं, “आपने उन्हें (भाजपा को) 27 साल दिए. हमें पांच साल दीजिए. अगर काम नहीं किया तो वोट मांगने नहीं आऊंगा.”
रोड शो का कारवां आगे बढ़ता है. केजरीवाल महिलाओं, नौजवानों को साधते हुए आगे बढ़ जाते हैं. कंपनी में काम से लौट रहे सौराष्ट्र के विट्ठल भाई पहले भाजपा को वोट देते थे. इस बार आप को वोट देने की बात करते हैं. वजह पूछने पर कहते हैं, ‘‘सबसे ज्यादा हम लोगों का पैसा शिक्षा पर खर्च होता है. यहां न बढ़िया सरकारी स्कूल हैं और न कॉलेज हैं. एक तरफ महंगाई बढ़ी है और आमदनी कम हुई है. ऐसे में बच्चों को पढ़ाना और अस्पताल का खर्च करना भारी पड़ रहा है. इसलिए हम सब चाहते हैं कि केजरीवाल की सरकार बने. उनका शिक्षा और अस्पताल में मेन फोकस है. यहां प्राइमरी में एक बच्चे को पढ़ाने के लिए साल भर का एक लाख रुपए खर्च होता है. अगर वो काम करेंगे तो लोगों को बड़ी राहत मिलेगी.’’
यहां लोगों से बात कर पता चलता है कि वे बदहाल सरकारी शिक्षा और बेरोजगारी की वजह से आम आदमी पार्टी की तरफ उम्मीद लगाए हैं. सूरत हो या कोई और गुजरात में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति बेहतर नहीं है. यहां कई प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं जहां पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए महज एक या दो शिक्षक हैं. खुद सूरत में ही योगी आदित्यनाथ की रैली में मिले नौजवान ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि वो सरकारी कॉलेज से पढ़ाई नहीं करता क्योंकि उसमें बेहतर शिक्षा व्यवस्था नहीं है.
सभा में हमारी मुलाकात सुनीता बेन से हुई. बेन भी महंगाई से परेशान हैं. वो कहती हैं, ‘‘जो दिल्ली में सिस्टम है हम वो यहां पर चाहते हैं. महंगाई से थोड़ा छुटकारा मिले.’’ क्या दिल्ली में महंगाई नहीं है. इस सवाल पर वो कहती हैं कि यहां कोई भी सरकारी काम कराने जाओ तो पैसे लगते हैं. दिल्ली में आधार कार्ड बनवाना हो या दूसरा कोई भी लोग खुद घर आते हैं और बिना एक्स्ट्रा पैसा लिए वो काम कर देते हैं. वहीं सिस्टम हमें भी चाहिए.’’
सूरत के लोगों को जहां ‘आप’ से उम्मीदें हैं, वहीं आप को भी गुजरात में सबसे ज्यादा उम्मीद सूरत से ही है. केजीरवाल अपने रोड शो में भी कहते हैं कि “सूरत वालों इज्जत बचा लेना. सारी सीटें जिताकर भेजना.” दरअसल गुजरात में आम आदमी पार्टी की उम्मीदों का रास्ता 2021 में सूरत से ही शुरू हुआ. यहां हुए नगर निगम चुनाव में आप ने 27 सीटें जीतीं, वहीं भाजपा 93 सीटों पर विजयी रही. कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था.
नगर निगम चुनाव के नतीजों के बाद आप नेताओं का सूरत में आना जाना शुरू हो गया. सूरत में आम आदमी पार्टी से शुरुआती समय से जुड़े एक सदस्य बताते हैं, “जहां हम चुनाव जीते थे वहां तो काम कर ही रहे थे, जहां नहीं जीते वहां भी लोगों की शिकायतें सुनना. उन्हें अधिकारियों तक पहुंचना. सड़क टूटी हो तो उसे बनवाने के लिए आवेदन देना और उसको बनवाना. यह सब पार्टी ने तेज कर दिया. संगठन का विस्तार किया गया. लोगों को जिम्मेदारी दी गई. हम लोगों को दिल्ली मॉडल समझाने लगे. महंगाई और बदहाल शिक्षा से लोग परेशान हैं तो वो हमारी बात सुनते भी है.”
यहां ‘आप’ के सिर्फ वरिष्ठ नेता प्रचार करने नहीं आ रहे बल्कि पंजाब से विधायक और कार्यकर्ता भी पहुंचे हुए हैं.
अब विधानसभा चुनाव में सूरत का माहौल देखकर ऐसा लगता है कि यहां लड़ाई भाजपा और आप के बीच है. कांग्रेस यहां लोगों की बातचीत से गायब है. हालांकि सूरत (ईस्ट) कांग्रेस कार्यालय के प्रमुख धर्मेश बी मिस्त्री की मानें तो लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच है, आम आदमी पार्टी लड़ाई में कही नहीं है. वो लोग बस प्रचार कर रहे हैं और आप मीडिया वाले दिखा रहे हैं.
मिस्त्री के अनुसार, सूरत से आप एक भी सीट नहीं जीत पाएगी. मिस्त्री हमसे अपना नंबर साझा करते हुए कहते हैं कि जिस रोज नतीजे आएं, उस रोज आप मुझे फोन करना.
वराछा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी ने पाटीदार आंदोलन का चेहरा रहे अल्पेश कथीरिया को उम्मीदवार बनाया है. यहां हमारी मुलाकात राजीव कापड़िया से हुई. राजीव पूर्व में कांग्रेस के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं. वे कहते हैं, ‘‘कांग्रेस से बेहतर कोई पार्टी नहीं है, लेकिन हमारे नेता संघर्ष करना भूल गए हैं. पहले गैस की कीमत 10 रूपए बढ़ जाए तो भाजपा के लोग सड़कों पर आ जाते थे. पेट्रोल की कीमत बढ़ने पर साईकिल से चलते थे. मीडिया में लोगों को दिखता था कि कोई उनके लिए लड़ रहा है. पुलिस से मार खा रहा है. आप सड़कों पर उतरेंगे भी नहीं और चाहेंगे कि लोग आपको ही विपक्ष माने तो यह मुमकिन नहीं है. सूरत में कम से कम मैं कह सकता हूं कि ज्यादातर विधानसभाओं पर आप और भाजपा आमने सामने हैं. जीत किसकी होगी यह आठ तारीख को पता चलेगा.’’
आप भले ही सूरत में सभी सीटें जितने का दावा कर रही है, लेकिन उसकी मज़बूत स्थिति सिर्फ चार विधानसभा क्षेत्रों में मानी जा रही है. ये विधानसभा क्षेत्र कतारगाम, वराछा रोड, सूरत नार्थ और करंज हैं. कतारगाम से आप के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया मैदान में हैं.
सूरत ईस्ट से आप के वरिष्ठ नेता, जो यहां से उम्मीदवार की रेस में थे, न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘पार्टी यहां से तीन सीटें जीत रही है. कतारगाम, वराछा रोड और करंज. यहां के जातीय समीकरण हमारे पक्ष में हैं. वहीं दो विधानसभा क्षेत्र कामरेज और ओलपाड में पार्टी अच्छी फाइट दे रही है. बाकी जगहों पर हम कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब तक की स्थिति में तीन सीट हम जीत रहे हैं.’’
आप के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं कि गुजरात की जनता परिवर्तन की तैयारी कर चुकी है. आप आठ मार्च को नतीजे देखिएगा. यहां लोग परेशान हैं. पहले भाजपा के खिलाफ लोग बोलने से डरते थे लेकिन अब बोलने लगे हैं.
इटालिया के डोर टू डोर कैंपेन में काफी संख्या में युवा नजर आते हैं. उनसे जब हमने पूछा कि गुजरात के दूसरे हिस्से में इस तरह खुलकर लोग भाजपा के खिलाफ कम ही बोलते नजर आते हैं. आखिर क्या वजह है कि सूरत में भाजपा के खिलाफ आप लोग न सिर्फ बोल रहे बल्कि हराने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं? इस पर एक युवा कहते हैं, ‘‘बदलाव की शुरुआत सूरत से ही होगी. डर कर कब तक हम अपना नुकसान करते रहेंगे. जब से बड़े हुए भाजपा को ही देख रहे हैं. उनके खूब झंडे उठाए. रैलियों में दौड़े. सूरत, जहां से राज्य सरकार को करोड़ों रुपए का टैक्स मिलता है वहां न पढ़ाई की सुविधा है और न इलाज की. पढ़ाई के लिए प्राइवेट संस्थानों पर लोग निर्भर हैं. धर्म और जाति की राजनीति हमने खूब देख ली, अब बदलाव की राजनीति चाहिए और वो आप ही कर सकती है.’’
अल्पेश कथिरिया के खिलाफ किशोर भाई कनानी मैदान में हैं. यहां से दो बार विधायक रहे कनानी, रुपाणी सरकार में आयुष मंत्री थे. स्थानीय नागरिकों की माने तो कोरोना के समय में वे आयुष मंत्री थे लेकिन कोई भी मदद मांगने गया तो भगा दिया. वहीं सीआर पाटिल लोगों की मदद कर रहे थे. जब दुख के समय मदद करने नहीं आए तो उन्हें यहां लोग क्यों वोट करें.
कथिरिया से हमने पूछा कि भाजपा गुजरात मॉडल की बात करती है. जिसके मुताबिक गुजरात खूब विकास हुआ है. पर आप लोग परिवर्तन के पांच साल मांग रहे हैं. क्या नहीं हुआ यहां? इस पर कथिरिया कहते हैं, “गुजरात मॉडल सिर्फ बनाया हुआ मॉडल है. गुजरात के लोग कह रहे हैं कि 27 साल जिसे हमने दिए, उसने इसे बनाया नहीं बिगाड़ दिया है. यह है गुजरात मॉडल. यहां का सिस्टम सड़ चुका है. युवा रोजगार के लिए परेशान हैं. घर के कोने में जाकर रोता है, पढ़ाई के लिए डोनेशन देने को मजबूर है. हमें पांच साल देने के लिए जनता मन बना चुकी है. यहां जो भाजपा के उम्मीदवार हैं, वे पूर्व मंत्री हैं. अब पूर्व विधायक होंगे और पूर्व ही रहेंगे.”
एक तरफ जहां आप और कांग्रेस अपने-अपने जीत के दावे कर रही हैं. वहीं भाजपा नेता हो या कार्यकर्ता, उन्हें विश्वास है कि सूरत में भाजपा 2017 के नतीजे दोहराएगी. 2017 में जब जीएसटी आंदोलन चरम पर था और व्यापारी वर्ग भाजपा से नाराज था, तब भी यहां की 16 में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस जीत पाई थी. यहां का व्यापारी वर्ग आज भी भाजपा के साथ मज़बूती से खड़ा नजर आता है.
2017 से पहले सूरत में जीएसटी को लेकर हुए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एक व्यापारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, “जीएसटी में कोई खास सुधार नहीं हुआ है. हम आज भी परेशान हैं लेकिन वोट हम भाजपा को ही करेंगे. इसके पीछे कारण है कि सरकार उनकी ही बनती नजर आ रही है. केंद्र में भी भाजपा ही है. ऐसे में लड़कर लें या प्रेम से. लेना तो उन्हीं से है.”
सूरत में बड़ी आबादी प्रवासी लोगों की है. इसमें से ज्यादातर लोग बिहार और यूपी के रहने वाले हैं. भाजपा इन वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रवि किशन का रोड शो करा रही है, वहीं बिहार से पार्टी ने कई कार्यकर्ताओं को बुलाया है जो यहां प्रवासियों की बस्ती में जाकर पार्टी का प्रचार कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां रैली और रोड शो कर चुके हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव में कुछ ही रैलियां की हैं. उनकी पहली रैली सूरत में ही थी.
गुजरात में दो चरण में मतदान होने हैं. पहले चरण का मतदान 1 दिसंबर को होगा वहीं दूसरे चरण का 5 दिसंबर को, नतीजे 8 दिसंबर को घोषित होंगे.
Also Read
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream
-
Inside Dharali’s disaster zone: The full story of destruction, ‘100 missing’, and official apathy
-
August 15: The day we perform freedom and pack it away