Gujarat and Himachal Elections

गुजरात में ‘आप’ किसके लिए बनेगी ‘वोट कटवा’ पार्टी?

गुजरात में चुनावी मुकाबला हमेशा दो पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा है, लेकिन इस बार एक और राजनीतिक दल ने इस अखाड़े में कदम रखा है. आम आदमी पार्टी ने अपना पूरा ध्यान गुजरात पर लगा दिया है. पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान लगातार रोड शो, नुक्कड सभाएं और बड़ी रैलियां कर रहे हैं.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ आप ही ताबड़तोड़ रैलियां कर रही है. भाजपा और कांग्रेस भी पीछे नहीं हैं. भाजपा के प्रचार के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित आधा दर्जन मुख्यमंत्री और अन्य केंद्रीय नेता, अब तक लगभग 150 छोटी-बड़ी चुनावी जनसभाएं कर चुके हैं.

कांग्रेस पार्टी बड़ी-बड़ी सभाएं तो नहीं कर रही है, लेकिन पार्टी के प्रभारी रघु शर्मा कहते हैं कि हम बड़ी सभाएं नहीं कर रहे लेकिन हम अपनी बात मतदाताओं तक पहुंचा रहे हैं. 

गुजरात में 2017 के चुनावों में भाजपा को 49.1 प्रतिशत वोट के साथ 99 सीटें मिली थीं, वहीं कांग्रेस को 41.4 प्रतिशत वोट के साथ 77 सीटें मिली थीं. आम आदमी पार्टी को 24,918 वोट (0.1 प्रतिशत) मिले थे.

लेकिन 2022 के चुनावों में वही 0.1 प्रतिशत वाली पार्टी, भाजपा व कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गई है. ताज़ा सी वोटर ओपिनियन पोल के मुताबिक, भाजपा को 134-142 सीटें, कांग्रेस को 28-36 सीटें और आप को 7-15 सीटें मिलने का अनुमान है.

पिछले चुनावों में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 1 और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने 2 सीटें जीती थीं. जिसके बाद विधानसभा में यूपीए की कुल संख्या 80 हो गई थी, भाजपा से मात्र 19 सीटें कम. अगर अभी के ओपिनियन पोल को देखें तो पिछले चुनावों में भाजपा और कांग्रेस में जितनी सीटों का अंतर था, लगभग उतनी ही सीटें ‘आप’ को मिल रही हैं.

विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के नाम से जाति की पहचान के आधार पर न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि 43 सीटों पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवार एक ही जाति से हैं. अर्थात इन सीटों पर ‘कांग्रेस’ का वोट ‘आप’ काटेगी, या दूसरे शब्दों में कहें तो 43 सीटों पर कांग्रेस के लिए आप ‘वोट कटवा’ साबित हो रही है.

साल 2017 के चुनावों में 16 ऐसी सीटें थीं जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच जीत का अंतर 3000 वोट से कम था. इसमें से 10 भाजपा और 6 कांग्रेस ने जीती थीं. वहीं कुल 36 ऐसी सीटें थीं, जहां जीत का अंतर 5,000 वोटों से कम का था.   

ऐसी ही एक सीट है विसनगर विधानसभा सीट. यहां से भाजपा के उम्मीदवार ने कांग्रेस को 2,869 वोटों से हराया था. 2022 के चुनावों में कांग्रेस की तरह आप ने भी इस सीट से पाटीदार समुदाय से एक उम्मीदवार खड़ा किया है, वहीं बीजेपी ने पटेल. 

इसी तरह उमरेठ विधानसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार ने कांग्रेस के उम्मीदवार को 1,883 वोटों से हराया था. यहां भी आप और कांग्रेस के उम्मीदवार एक ही जाति से आते हैं. 

लुनावाडा सीट पर भाजपा ने 2017 के चुनावों में कांग्रेस को 4,805 वोट से हराया था. इस सीट पर भी कांग्रेस और आप के उम्मीदवार राजपूत समुदाय से हैं, वहीं भाजपा के उम्मीदवार अहीर समुदाय से हैं.

सीएसडीएस के प्रोफेसर संजय कुमार न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “गुजरात चुनावों में अगर बात करें कि ‘आप’ से किस पार्टी को ज्यादा नुकसान होगा, तो यह औसत अस्सी-बीस का है. कांग्रेस को 80 प्रतिशत और भाजपा को 20 प्रतिशत नुकसान होगा.”

वह कहते हैं, “आम आदमी पार्टी कांग्रेस के वोट का एक बड़ा हिस्सा काट रही है. वहीं एक छोटा हिस्सा बीजेपी का.”

इसी तरह भाजपा को भी ‘आप’ कुछ सीटों पर नुकसान पहुंचा रही है. भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 21 ऐसी सीटें ऐसी हैं जहां आप से भाजपा को सीधा नुकसान हो रहा है. इसमें बनासकांठा की कांकरेज, पाटण की पाटण व सिद्धपुर, गांधीनगर की मानसा, अहमदाबाद की निकोल, धंधूका, सूरती की पांच सीटें और भावनगर की तीन सीटें शामिल हैं.

इनमें से अधिकतर सीटें शहरी क्षेत्र की हैं. गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार राजीव शाह कहते हैं, “सूरत की करीब 16 सीटों में से एक सीट कांग्रेस जीत पाई थी. ऐसा ही कुछ हाल अहमदाबाद का भी है.”

चुनाव विश्लेषक रशीद किदवई कहते हैं, “जहां भी त्रिकोणीय संघर्ष होता है वहां कांग्रेस तीसरे-चौथे स्थान पर चली जाती है.”

जाति-समुदाय में सेंध से आते बदलाव

ऐसा माना जाता है कि शहरी क्षेत्र में भाजपा का दबदबा है और ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस मजबूत है. आंकड़े बताते हैं कि 2017 के चुनावों में कुल 73 शहरी सीटों में से 55 सीट भाजपा के खाते में गई थीं, वैसे ही 109 ग्रामीण सीटों में से कांग्रेस ने 62 और भाजपा ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

न्यूज़लॉन्ड्री ने गुजरात विधानसभा चुनावों में लोगों से बातचीत में पाया कि गांवों में भी आम आदमी पार्टी पहुंच गई है. पार्टी सोशल मीडिया के जरिए शहरों से लेकर गांव तक अपनी पैठ बना रही है, लेकिन जाति और समुदाय के आधार पर मिलने वाले वोट बैंक में पार्टी अभी सेंध नहीं लगा पाई है.

गुजरात में कांग्रेस को आदिवासी, एससी-एसटी, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम वोट मिलता दिख रहा है. साल 2017 के चुनावों के मुताबिक, कांग्रेस को 41.4 प्रतिशत वोट मिले थे वहीं भाजपा को 49.04 प्रतिशत. आंकड़ों के मुताबिक राज्य में एसटी जनसंख्या 14.75 प्रतिशत, मुस्लिम 9.67 प्रतिशत और दलित 8 प्रतिशत हैं. 

संजय कुमार कहते हैं, “कांग्रेस के पास आदिवासी, दलित और मुस्लिम वोट बैंक है, जो इनके साथ दिखते हैं. अब इन्हीं में से कुछ आम आदमी पार्टी को जा रहा है.”

वह कहते हैं कि थोड़ा बहुत तो हर समुदाय से वोट ट्रांसफर ‘आप’ को हो रहा है, लेकिन भाजपा का कोर वोट बैंक नहीं खिसक रहा है.

सीएसडीएस द्वारा हाल ही में गुजरात को लेकर किए गए सर्वे के मुताबिक कांग्रेस का वोट बैंक - आदिवासी, मुस्लिम और दलित समुदाय हैं. वे सरकार से नाखुश दिखाई दे रहे हैं. सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि 49 प्रतिशत मुसलमान, 41 प्रतिशत आदिवासी, 45 प्रतिशत दलित, 35 प्रतिशत अन्य ओबीसी, सरकार के कामकाज से नाखुश हैं.

वहीं इससे विपरीत 62 प्रतिशत सामान्य वर्ग, 48 प्रतिशत पाटीदार, 44 प्रतिशत कोली और 56 प्रतिशत ओबीसी सरकार के कामकाज से खुश हैं. ये जातियां ही निरंतर भाजपा के पक्ष में वोट करती रही हैं.

जहां आम आदमी पार्टी कांग्रेस को ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में नुकसान पहुंचा रही है, तो वहीं भाजपा को सूरत, अहमदाबाद थोड़ा जैसे शहरी क्षेत्रों में नुकसान हो रहा है.

सूरत में तो आम आदमी पार्टी नगर निगम चुनाव में अपना खाता खोल चुकी है. इसलिए भाजपा के लिए आम आदमी पार्टी सूरत में मुसीबत बनती जा रही है. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कई स्थानीय लोगों ने आप को वोट देने की बात कही. वहीं आम आदमी पार्टी भी सूरत पर ज्यादा ध्यान दे रही है. इसी तरह सौराष्ट्र में पाटीदार वोट पर फोकस कर रही है. 

आप के कामकाज पर रशीद किदवई कहते हैं, “आम आदमी पार्टी आक्रामक रवैए के साथ चुनाव में जाती है. वोटर को लगने लगता कि कांग्रेस को इतने साल वोट देकर खराब किया है तो वह आप की तरफ रूझान करता है. लेकिन जमीनी स्तर पर वह चीजें बदल जाती हैं. क्योंकि सेंध लगाने में भी समय लगता है.”

वह आगे कहते हैं, “आम आदमी पार्टी इस स्थिति में है कि अगर वह ट्रेडिंग समुदाय को अपने साथ जोड़ ले, तो वह कई सीटें निकाल लेगी.” 

राजीव शाह कहते हैं, “आप की जो तैयारी शुरुआत में दिख रही थी, वह अब कम हो गई है. धीरे-धीरे पार्टी का क्रेज लोगों में कम हो रहा है. इसलिए यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में हो होगा.”

चुनावों में भाजपा का किससे मुकाबला है, इस सवाल पर संजय कुमार कहते हैं, “आप और कांग्रेस दोनों पार्टियों से भाजपा बहुत आगे है. चुनाव में उसे कोई पार्टी चुनौती देती नजर नहीं आ रही है.”

सबसे ज्यादा दागी ‘आप’ में

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात चुनाव में इस बार कुल 1,621 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है. इनमें से 330 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. अगर राजनीतिक दलों के हिसाब से देखा जाए तो इसमें आम आदमी पार्टी सबसे आगे है. आप के कुल 181 उम्मीदवारों में से 61 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. वहीं कांग्रेस के 179 में से 60 पर और भाजपा के 182 में से 25 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

इसी तरह अगर करोड़पतियों की  बात करें तो भाजपा के 154 उम्मीदवार, कांग्रेस के 142 और आप के 68 उम्मीदवार करोड़पति हैं.

वहीं महिला उम्मीदवारों की बात करें तो भाजपा में सबसे ज्यादा 17 महिलाओं यानी 9 प्रतिशत को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने 13 उम्मीदवारों के साथ 7 प्रतिशत और आप ने 7 उम्मीदवार यानी 4 प्रतिशत टिकट महिला उम्मीदवारों को दिए हैं.

क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सकता है? बिल्कुल कर सकता है, लेकिन तभी जब वह धन के लिए सत्ता या कॉरपोरेट स्रोतों के बजाय जनता पर निर्भर हो. इसका अर्थ है कि आपको खड़े होना पड़ेगा और खबरों को आज़ाद रखने के लिए थोड़ा खर्च करना होगा. सब्सक्राइब करें.

Also Read: गुजरात चुनाव: कैसे टूटा 'आप' और बीटीपी का गठबंधन और क्या है मौजूदा स्थिति?

Also Read: गुजरात चुनावों में बेअसर नजर आता उना दलित आंदोलन