Gujarat and Himachal Elections
सालों से पाकिस्तान की जेल में बंद गुजरात के मछुआरे, इंतजार में भटकते परिजन
35 वर्षीय भावना गोद में अपने बच्चे को लिए हुए खड़ी हैं. जब उनका बच्चा महज पांच महीने का था, उसी समय भावना के पति भाया भाई मछली पकड़ते हुए पाकिस्तान के क्षेत्र में चले गए और वहां की नौ सेना ने उन्हें साथियों समेत पकड़ लिया.
भावना बताती हैं, "फरवरी महीने में तीन साल हो जाएंगे उन्हें वहां की जेल में. अब तक सिर्फ एक चिट्ठी आई है. कभी फोन पर बात नहीं हो पाई. न जाने किस हाल में हैं? कुछ पता नहीं चल पाता."
भावना गुजराती में लिखा हुआ एक पत्र दिखाती हैं, जो पाकिस्तान के कराची शहर में स्थित लांधी जेल से लिखा गया है. यहां के बैरक नंबर 7 में बंद भाया भाई अपनी पत्नी को लिखते हैं, “बेटी और बेटे को डांटना मत. सड़क पर न चले जाएं इसका ख्याल रखना. पैसे की ज़रूरत हो तो किसी से कर्ज ले लेना. मैं छूट कर आऊंगा तो वापस कर दूंगा. मैंने एक सोने की चेन दी थी, अगर मुश्किल समय आए तो उसे बेच देना. हमारी चिंता मत करना. हम यहां पर ठीक हैं.”
भावना को पढ़ना नहीं आता तो उन्होंने अपने पड़ोस के एक बच्चे से ये ख़त पढ़वाया. ख़त में भय ये भी पूछते हैं कि सरकार से तुम्हें कोई मदद मिल रही है या नहीं? भावना हमें बताती हैं, “सरकार हमें हर महीने आठ हजार रुपए देती है. कोरोना के समय में चार-पांच महीने तक पैसे नहीं आए, लेकिन सब जोड़कर एक बार मिल गए. घर में बुजुर्ग सास है, चार बच्चे हैं. तेल हो या चावल हर चीज महंगी हो गई. कैसे गुजारा चलेगा? मैं मजदूरी करने जाती हूं जहां 200 रुपए मिलते हैं, तब भी घर चलाना मुश्किल होता है. सरकार हमें मदद न दे लेकिन हमारे मानुस को छुड़ा दे.”
भावना अपने पति को छुड़ाने के लिए भटक रही हैं. वे कहती हैं, “भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल यहां आए थे. हमारे गांव की 10-12 महिलाएं उनसे मिलने गईं. देर शाम तक हम बैठे रहे लेकिन वहां किसी ने हमारी बात नहीं सुनी. हम लोग वापस लौट आए.”
हाल ही में किसी ने गांव में अफवाह उड़ा दी कि पाकिस्तान ने कहा है कि वर्ल्ड कप में भारत अगर पाकिस्तान से हार जाए, तो वो लोग जेल में बंद भारतीय मछुआरों को छोड़ देंगे. जब भारत मैच जीत गया तो भावना जैसी महिलाएं चिंतित हो गईं कि शायद ही उनके पति अब जेल से छूट पाएं.
भावना गुजरात के आखिरी गांव ताड़ की रहने वाली हैं. इस गांव में भावना जैसी कई महिलाएं हैं. जिस नाव में भावना के पति पकड़े गए थे, उसमें इसी गांव के पांच अन्य लोग भी थे.
चार दिन पहले समुद्र से मछली पकड़कर लौटे ताड़ निवासी 22 वर्षीय प्रकाश मकवाड़ा बताते हैं, “हमारे गांव के करीब 25 लोग अभी पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. कुछ लोग छूट कर भी आए हैं, वे दोबारा मछली पकड़ने भी चले गए हैं. यहां कोई दूसरा रोजगार का साधन नहीं है. मजबूरी है, इसलिए यही काम करना पड़ता है.”
जब हम भावना से बात कर रहे थे तभी वहां सेजल बहन आ गईं, गुजरात में नाम के पीछे भाई या बहन लगाने की परंपरा है. उन्हें लगा कि कोई सरकारी अधिकारी पूछताछ करने आए हैं. सेजल के ससुर मालराम सरवाहिया बीते एक साल से पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. पिछले दिनों गांव के कुछ लोग छूटकर आए तो उनके हाथों ही सरवाहिया ने एक पत्र भिजवाया था. इसके अलावा सेजल के ससुर से कभी संपर्क नहीं हो पाया.
सेजल बहन कहती हैं, “ससुर की कमाई पर ही पूरा परिवार निर्भर था. अब वो जेल में हैं तो हम लोग मजदूरी करते हैं, उसी से काम चलता है. सरकार को पाकिस्तान से बात कर हमारे लोगों को छुड़ाना चाहिए. उन्होंने कोई अपराध तो किया नहीं है. पानी में बॉर्डर का पता नहीं चलता, गलती से चले जाते हैं. अब इसकी सजा एक साल, दो साल, पांच साल जेल में रखना तो नहीं है न?”
सेजल की तरह ही सविता बहन के ससुर गोविंद भाई भी बीते चार साल से जेल में हैं. गोविंद भाई की उम्र काफी हो चुकी है, दांत गिर चुके हैं. सविता बताती हैं, “सास के मरने के बाद एक साल तक उन्होंने कोई काम नहीं किया. फिर एक दिन मछली पकड़ने के लिए निकल गए. कुछ ही दिनों बाद वीडियो आया तो पता चला कि पाकिस्तान वालों ने पकड़ लिया है. उनके साथ गांव के ही सात लोग थे. उसके बाद सिर्फ एक चिट्ठी आई है. चार साल में एक चिट्ठी. मुझे चिंता होती है, जेल में उन्हें किस तरह का खाना मिलता होगा?”
बुजुर्ग गोविंद भाई अपने पत्र में परिवार के सभी लोगों का नाम लिखकर नए साल की बधाई देते हैं. साथ ही लिखते हैं कि हमारी चिंता मत करना, माताजी की कृपा हुई तो हम 20 लोग एक साथ ही जेल से रिहा होंगे.
चार साल हो गए गोविंद भाई जेल से वापस नहीं लौटे. उनका परिवार आज भी उनके लौटने का इंतज़ार कर रहा है.
एक ही परिवार के चार लोग जेल में
एक तरफ जहां भाजपा गुजरात मॉडल का प्रचार कर देश की सत्ता पर काबिज हुई, वहीं दीव टापू के आसपास गांवों में शिक्षा का स्तर बदहाल है. यहां के ज़्यादातर युवा सातवीं या आठवीं कक्षा तक पढ़ने के बाद मछली पकड़ने के काम में लग जाते हैं.
प्रोफेसर नेहा शाह के बीबीसी हिंदी में प्रकाशित लेख के मुताबिक गुजरात में साक्षरता का आंकड़ा 2001 में 69.14 फीसदी था, जो 2011 में बढ़कर 78.03 फीसदी हुआ. लेकिन दूसरे राज्यों की तुलना करें तो गुजरात साक्षरता में काफी पीछे है. इस सूची में गुजरात 16वें स्थान से गिर कर 18वें स्थान पर आ गया है. मोटे तौर पर स्कूलों में बच्चों के दाखिलों की संख्या बढ़ी है, लेकिन 11 से 14 साल के पांच फीसदी बच्चे अभी भी स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं. इस सूची में गुजरात अन्य राज्यों की तुलना में 22वें स्थान पर है.
ताड़ या उसके आसपास के गांवों पालड़ी या लेसवाड़ा में युवाओं का पढ़ाई बीच में छोड़ देना सामान्य बात है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह गरीबी है. ताड़ में हमारे साथ करीब चार युवा बैठे थे. उनमें से किसी ने भी 10वीं से आगे की पढ़ाई नहीं की है. किसी ने 8वीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ दी तो किसी ने 9वीं कक्षा के बाद. इन्हीं युवाओं में से एक प्रकाश मकवाड़ा हैं. प्रकाश 9वीं तक पढ़ाई करने के बाद मछली पकड़ने का काम करते हैं.
15 दिन समुद्र पर बिताने के बाद, दो दिन पहले ही प्रकाश घर लौटे हैं. वे कहते हैं, “इधर के ज़्यादातर लोग आगे की पढ़ाई नहीं करते हैं. मैं भी नहीं पढ़ा और मछली पकड़ने के काम में लग गया. दीव न हो तो इधर लोग भूख से मर जाएंगे. दीव में काम मिल जाता है. पढ़ाई कुछ अमीर घर के बच्चे कर पाते हैं.”
दीव से लगे पालड़ी गांव के एक ही परिवार के चार लोग डेढ़ महीने पहले मछली पकड़ने गए और पाकिस्तान के क्षेत्र में पकड़ लिए गए. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. पकड़े गए युवाओं में दो 20 साल से कम उम्र के हैं. 24 वर्षीय भावेश भीमाभाई बताते हैं, “27 अक्टूबर को मेरे चाचा 40 वर्षीय राजू भाई, मेरा अपना भाई 19 वर्षीय मनीष, एक दूसरा चचेरा भाई 19 वर्षीय अशोक और एक दूसरे चाचा मंगेश पकड़े गए. मंगेश को तो कुछ महीने पहले ही एक बच्चा हुआ है.”
भावेश न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए रोने लगते हैं. उन्हें डर है कि बाकियों की तरह उनके भाई को भी चार साल तक पाकिस्तान की जेल में न फंस जाए. वे कहते हैं, ‘‘मेरे चाचा राजू भाई इससे पहले भी एक बार पाकिस्तान में पकड़े गए थे, तब चार साल जेल रहे थे. मेरा भाई अगर चार साल रहा तो मैं मर जाऊंगा. अपने भाई से मैं बहुत प्यार करता हूं. मुझे छोटा है न.”
भावेश के परिवार को सरकार से अब तक कोई मदद नहीं मिली है. नेता हों या अधिकारी, किसी ने उनके परिवार के लोगों से मुलाकात तक नहीं की. भावेश सरकारी मदद चाहते भी नहीं, वे बस अपने परिजनों की जल्द से जल्द रिहाई चाहते हैं.
यहां ध्यान देने वाली बात है कि राजू भाई पहले पाकिस्तान की जेल में सजा काटकर आने के बावजूद, वे कोई अन्य काम करने की बजाय फिर से मछली पकड़ने के काम में ही लग गए. ऐसा करने वाले राजू अकेले नहीं है. इस रिपोर्ट के लिए जानकारी एकत्रित करते हुए जब इस संवाददाता ने जेल में रहकर लौटे लोगों को ढूंढा, जानकारी मिलने पर हम जिस भी घर जाते तो पता चलता कि वो शख्स दोबारा मछली पकड़ने जा चुका है.
ताड़ में ही हमारी मुलाकात जीतू भाई से हुई. 40 वर्षीय जीतू भाई दो बार पाकिस्तान की जेल में रह चुके हैं. जीतू पहली बार साल 1999 में 20 साल की उम्र में पकड़े गए थे, तब वे आठ महीने जेल में रहे और 2001 में छूट कर आए. तब इनके साथ 18 लोग पकड़े गए थे. उसके बाद 2018 में वे दूसरी बार पकड़ लिए गए और लगभग 18 महीने जेल में रह कर वापस आए. इस बार जीतू के साथ छह लोग पकड़े गए थे.
दो बार जेल में रहने के बाद भी जीतू भाई मछली पकड़ने का ही काम कर रहे हैं. हालांकि वे अब समुद्र में दूर तक नहीं जाते. वे कहते हैं, “इधर कोई दूसरा काम है नहीं. बच्चे को पढ़ना है. महंगाई बढ़ गई है. काम नहीं करेंगे तो घर कैसे चलेगा? जब तक बेटा कमाना शुरू न कर दे तब तक तो काम करना ही पड़ेगा.”
55 वर्षीय मोगी बहन के पति लखमनभाई रामभाई बाड़ा, तीन साल से पाकिस्तान की जेल में हैं. कोरोना से पहले इनके पास पत्र आ जाते थे लेकिन अब वो भी नहीं आते. सरकार से आर्थिक मदद मिलने के बाद भी परिवार का खर्च नहीं चल पाता, इसलिए मोगी बहन ने भी अपने छोटे बेटे को मछली पकड़ने के लिए भेज दिया है.
जब हमने पूछा कि आपके पति जेल में हैं, फिर भी आपने अपने बेटे को मछली पकड़ने के लिए भेज दिया, क्या डर नहीं लगता? मोगी बहन जवाब में कहती हैं, “डर तो लगता है लेकिन क्या कर सकती हूं. अगर वो काम नहीं करेगा तो खाएंगे क्या? पहले तो लोग छह-सात महीने में छूट आते थे, लेकिन अब दो साल-चार साल से पहले कोई आ नहीं रहा है. सरकार से मांग करती हूं कि मेरे पति को छुड़ा दे.”
भारत सरकार ने जुलाई 2022 में लोकसभा में एक सवाल के जवाब देते हुए बताया कि पाकिस्तान की जेल में भारत के 663 मछुआरे बंद हैं. हैरान करने की बात ये है कि इनमें से ज़्यादातर गुजरात के रहने वाले हैं. कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल द्वारा राज्यसभा में अगस्त 2022 में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि पाकिस्तान की जेल में 546 मछुआरे गुजरात के हैं.
जेल में बंद कैदियों की राजनीतिक अनदेखी
बता दें कि गुजरात की नौ विधानसभा सीटों पर मछुआरा समुदाय नतीजे तय करता है. गिर सोमनाथ जिले में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार के लिए आये थे. पाकिस्तान की जेल में बंद ज्यादातर मछुआरे इसी जिले के रहने वाले हैं. यहां उन्होंने लगभग 35 मिनट का भाषण दिया, लेकिन जेल में बंद मछुआरों को लेकर कुछ नहीं कहा.
प्रधानमंत्री मोदी के यूट्यूब चैनल पर भाषण का वीडियो काटकर “मछुआरा समाज के कल्याण के लिए समर्पित भाजपा सरकार” शीर्षक के साथ 02:09 मिनट का वीडियो साझा किया गया. इसमें प्रधानमंत्री मछुआरों के लिए भाजपा सरकार द्वारा किए कामों की चर्चा करते हुए कहते हैं कि यहां से मछली का निर्यात दोगुना हो गया, पर इस बात का कोई जिक्र नहीं करते कि जेल बंद मछुआरों को कब तक वापस लाया जाएगा.
गुजरात सरकार जेल में बंद मछुआरों के परिजनों को 300 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से आर्थिक मदद देती है. कुछ मछुआरों के परिजनों को यह राशि भी नहीं मिलती. सबसे ज़्यादा आर्थिक नुकसान नाव मालिकों का होता है क्योंकि उनकी ही लाखों की नाव पकड़ी जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के कब्जे में गुजरात की करीब 1188 छोटी-बड़ी नाव हैं.
बीते दिनों कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर जेल में बंद मछुआरों को छुड़ाने के लिए कोशिश नहीं करने का आरोप लगाते हुए इस समुदाय को गारंटी दी थी कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो रोजाना मिलने वाली रही को बढ़ाकर 400 रुपए कर दिया जाएगा. वहीं जिनकी नौका पकड़ी जाएगी उन मालिकों को 50 लाख का पैकेज दिया जाएगा.
गुजरात चुनावों में पहली बार मज़बूती से लड़ रही आम आदमी पार्टी ने भी मछुआरों को कई गारंटी दी हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मछुआरों के लिए घर देने, दुर्घटना होने पर आर्थिक मदद करने और सब्सिडी से जुड़ी घोषणाऐं की थीं, लेकिन उन्होंने भी जेल में बंद मछुआरों का जिक्र तक नहीं किया.
हमने भाजपा प्रवक्ता यग्नेश दावे से पाकिस्तान की जेल में बंद मछुआरों को वापस लाने संबंधी सवाल किया. जवाब में वे कहते हैं, “हमने इसको लेकर चुनाव में कोई वादा नहीं किया है, लेकिन लगातार वहां से हम भारतीय नागरिकों को वापस ला रहे हैं.”
जब न्यूज़लॉन्ड्री ने पूछा कि अभी भी कोई चार साल तो कोई पांच साल से वहां की जेल में बंद है. इसका जवाब देने के बजाय उन्होंने फोन काट दिया.
गुजरात के जिन परिवारों के लोग जेल में बंद हैं उनका कहना है कि राजनीतिक दल जेल में बंद लोगों की बात तो नहीं कर रहा है लेकिन वोट देना तो हमारा अधिकार है हम वोट देकर अपना अधिकार पूरा करेंगे.
Also Read
-
Adani indicted in US for $265 million bribery scheme in solar energy contracts
-
What’s Your Ism? Kalpana Sharma on feminism, Dharavi, Himmat magazine
-
Progressive legacy vs communal tension: Why Kolhapur is at a crossroads
-
BJP’s Ashish Shelar on how ‘arrogance’ and ‘lethargy’ cost the party in the Lok Sabha
-
Voter suppression in UP? Police flash pistol, locals allege Muslims barred from voting