Media
ज़ी मीडिया में सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी
इन दिनों टेक कंपनियों से लोगों के निकाले जाने की खबरें हर दिन मीडिया में छाई हैं. 9 नवंबर को मेटा ने अपने 11 हजार कर्मचारियों को निकालने का ऐलान किया. इस खबर को अन्य मीडिया समेत ज़ी ने भी प्रमुखता से छापा.
ज़ी ग्रुप में जहां एक ओर टेक कंपनियों से लोगों के निकाले जाने की खबरें लिखी जा रही हैं, वहीं उन खबरों को लिखने और दिखाने वालों की छंटनी हो रही है. जानकारी के मुताबिक अभी तक करीब 150 लोगों को निकाला जा चुका है.
इस छंटनी में डिजिटल और टीवी दोनों के लोग हैं. ज़ी न्यूज़ के अलावा ग्रुप के क्षेत्रीय टीवी चैनलों जैसे ज़ी मध्यप्रदेश-छत्तीसढ़, ज़ी बिहार-झारंखड, ज़ी राजस्थान, ज़ी दिल्ली-एनसीआर हरियाणा चैनलों व अन्य चैनलों के लोगों को भी निकाला जा रहा है.
ऐसा ही कुछ इन चैनलों की वेबसाइट में भी हो रहा है. ज़ी के एक कर्मचारी ने बताया, “जब क्लस्टर सिस्टम खत्म किया गया, उसके बाद से ही लोगों की छंटनी हो रही है. पहले एक मेल भेजते हैं, उसके बाद एचआर फोन करके भी बता रहे हैं.”
कर्मचारियों को निकाले जाने की संख्या अलग-अलग बताई जा रही है. कई कर्मचारी कहते हैं पहले करीब 350 लोगों को निकालने की लिस्ट बनाई गई. अब इसमें और भी नाम जुड़ते जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ज़ी ग्रुप अपने कुल वर्कफोर्स का 10 प्रतिशत कम कर रहा है.
हमने ज़ी से निकाले जाने वाले कर्मचारियों की सही संख्या का पता लगाने के लिए ज़ी ग्रुप के एचआर विभाग को मेल किया है. उनका जवाब आने पर खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.
यह छंटनी क्यों?
ज़ी ग्रुप में यह छंटनी दरअसल कंपनी में हुए एक बड़े बदलाव के कारण हो रही है. अभी तक ज़ी मीडिया में क्लस्टर सिस्टम था. यहां तीन कलस्टर थे. तीनों के अपने-अपने सीईओ और अन्य कर्मचारी थे. यह तीनों ही अलग-अलग काम करते थे.
क्लस्टर 1 में ज़ी न्यूज़, ज़ी बिजनेस, डीएनए और वियोन आते थे. कलस्टर 2 में ज़ी हिंदुस्तान, ज़ी राजस्थान, ज़ी बिहार झारखंड और अन्य भाषा के चैनल और वेबसाइट आते थे. वहीं क्लस्टर 3 में ज़ी एमपी-छत्तीसगढ़, यूपी-उत्तराखंड, दिल्ली-एनसीआर हरियाणा और ज़ी सलाम शामिल थे. इसके अलावा चैनलों के साथ-साथ वेबसाइट भी क्लस्टर सिम्टम में बंटे हुए थे.
लेकिन अब इन क्लस्टर सिस्टम को खत्म कर दिया गया है. कंपनी प्रबंधन द्वारा लिए गए फैसले के बाद अब अभय ओझा ज़ी बिजनेस और वियोन को छोड़कर सभी लीनियर चैनलों के चीफ बिजनेस ऑफिसर होंगे.
इसी तरह मधु सोमन ज़ी बिजनेस और वियोन के चीफ बिजनेस ऑफिसर होंगे. इसमें लीनियर और डिजिटल दोनों शामिल हैं.
देवदास कृष्णन, ‘ज़ी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (जडएमसीएल), इंडिया डॉट कॉम डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड (आईडीपीएल) और डिलिजेंट मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएमसीएल) का बिजनेस देखेंगे.
जॉय चक्रवर्ती पहले की तरह ही चीफ बिजनेस ऑफिसर के रूप में एडवरटाइजिंग, डिस्ट्रीब्यूशन, सेल्स और मार्केटिंग की जिम्मेदारी संभालते रहेंगे.
क्लस्टर हटने के बाद अब सारे चैनल एक व्यक्ति के पास आ गए, वहीं सभी वेबसाइट्स एक के पास. इससे जो कर्मचारियों का दोहराव था वह भी खत्म हो जाएगा. ज़ी न्यूज़ के एक रिपोर्टर बताते हैं, “अलग-अलग चैनल होने के कारण एक ही प्रेस कांफ्रेंस में ज़ी के 5-6 माइक होते थे. चैनलों के बीच में कोई कोआर्डिनेशन नहीं था.”
ऐसा ही कुछ वेबसाइट में भी था. वेबसाइट के एक संपादक बताते हैं कि ज़ी में चैनल तो अलग-अलग हैं, लेकिन वेबसाइट अलग-अलग नहीं हैं. ज़ी न्यूज़ की वेबसाइट पर ही क्षेत्रीय चैनलों का एक पेज बना हुआ है. जैसे कि ज़ी बिहार-झारखंड, ज़ी मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ इत्यादि. ऐसे ही अन्य भाषाओं के पेज भी हैं.
वह कहते हैं, “कई बार खबरें रिपीट हो जाती हैं. अगर कोई भोपाल की बड़ी खबर है तो उसे ज़ी न्यूज़ भी बनाता है और ज़ी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में काम करने वाला भी. तो ऐसे में दोहराव होता है. जिससे गूगल पर वेबसाइट की रैंकिग पर असर पड़ता है.”
ज़ी के ही एक अन्य कर्मचारी कहते हैं कि चैनल में जो छंटनी चल रही है, उसके आंकड़े बढ़ ही रहे हैं. कर्मचारी के मुताबिक ज़ी राजस्थान में कई ब्यूरो बंद कर दी गईं. ज़ी बिहार झारखंड में भी यही हाल है. वहां इनपुट-आउटपुट से लोगों को हटाया गया. वहीं कई जिला स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों को निकाल दिया गया है. ज़ी दिल्ली एनसीआर हरियाणा से भी लोगों को निकाला गया है. ज़ी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के रेजिडेंट एडिटर हर्षवर्धन सिंह को निकाल दिया गया, उनके साथ कई अन्य कर्मचारियों को भी निकाला गया है. उड़िया भाषा में चलने वाला ज़ी ओडिशा चैनल बंद कर दिया गया है. जिसके कारण वहां बहुत लोगों की नौकरी चली गई.
ज़ी के एक कर्मचारी कहते हैं कि इस छंटनी से, एक ही काम के लिए कई लोग होने के साथ-साथ कंपनी अपने घाटे को कम करना चाहती है. वहीं निकाले जाने वालों में कई ऐसे लोग भी हैं जिनके काम का प्रदर्शन अच्छा नहीं था.
ज़ी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड कंपनी को जुलाई-सितंबर की तिमाही में 12 करोड़ का घाटा हुआ है. कंपनी ने बताया कि उसके राजस्व में पिछले साल की इसी तिमाही की तुलना में 5.51 प्रतिशत की गिरावट आई है.
इससे पहले 31 मार्च 2022 को चौथी तिमाही में कंपनी ने बताया था कि ज़ी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड कंपनी को 51.45 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था.
बता दें कि हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ज़ी मीडिया के 10 चैनलों की डिश टीवी टेलीपोर्ट के जरिए अपलिंकिंग की मंजूरी को रद्द कर दिया. इसके बाद चैनल ने खुद को बार्क की रेटिंग व्यवस्था से भी अलग कर लिया था.
Also Read
-
TV Newsance 304: Anchors add spin to bland diplomacy and the Kanwar Yatra outrage
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
South Central 34: Karnataka’s DKS-Siddaramaiah tussle and RSS hypocrisy on Preamble
-
Reporters Without Orders Ep 375: Four deaths and no answers in Kashmir and reclaiming Buddha in Bihar