Gujarat and Himachal Elections
2017 विधानसभा चुनाव के बाद शुगर फैक्ट्री शुरू कराने का अमित शाह का वादा और हकीकत
1 दिसंबर 2017, भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चुनाव प्रचार करने के लिए गिर सोमनाथ जिले के कोडिनार तालुका आए थे. यहां रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा और अपने काम गिनाए. इसके बाद उन्होंने कहा कि कोडिनार में बंद शुगर फैक्ट्री को चुनाव बाद शुरू करा दिया जाएगा.
पांच साल बाद, मार्च 2022, गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल एक सभा में कहते हैं, ‘‘कोडिनार शुगर फैक्ट्री को चलाने के लिए सरकार ने 30 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है.’’ इसके लिए वे गुजरात के मुख्यमंत्री और गन्ना मंत्री को धन्यवाद देते हैं. इस घोषणा की खबर मीडिया में छपती है और स्थानीय नेता इस फैसले के लिए बधाई का वीडियो भी रिलीज करते हैं.
18 नवंबर 2022, वर्तमान में देश के गृह मंत्री अमित शाह, एक बार फिर विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए गुजरात में हैं. न्यूज़लॉन्ड्री की टीम शाह और पाटिल के दावे की पड़ताल के लिए जब कोडिनार पहुंची तो फैक्ट्री बंद देखकर हैरानी हुई. गेट पर मौजूद गार्ड हमें अंदर जाने से रोक देते हैं, लेकिन बाहर से देखने पर भी फैक्ट्री की हालत उसके बंद होने का सबूत देती है.
शाम के पांच बजे फैक्ट्री के एमडी राजेश वैश्य अपने घर के लिए निकल रहे थे. जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि फैक्ट्री की मशीन को हम महीने में चार बार साफ करते हैं. मशीन चलाने के लिए ठीक है. इसे शुरू कराने को लेकर फाइल राज्य सरकार के पास है.
हम वीडियो पर उनसे बात करने के लिए माइक निकालते हैं तो वे कहते हैं कि चुनाव का समय है, मैं बोलकर कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहता. फिर वे अपनी गाड़ी में बैठ कर चले जाते हैं.
कोडिनार की शुगर फैक्ट्री, गुजरात की दो बड़ी शुगर फैक्ट्रियों में से एक थी. इसे साल 2015 में बंद कर दिया गया. फैक्ट्री के बाहरी हिस्से में जहां कभी इसके अधिकारी या कर्मचारी बैठते होंगे, वहां अब कोडिनार पुलिस स्टेशन है. यह जगह किराए पर पुलिस को दी गई है.
फैक्ट्री क्यों बंद हुईं, इसको लेकर सबकी अलग-अलग कहानी है. शहर के भाजपा कार्यालय पर हमारी मुलाकात शुगर फैक्ट्री के कर्मचारी रहे एक शख्स से हुई. भाजपा के लिए चुनाव प्रचार कर रहे ये शख्स अपना नाम नहीं बताते लेकिन ये उन 500 कर्मचारियों में से हैं, जो फैक्ट्री के बंद होने के बाद से बेरोजगार हैं. इन्हें उम्मीद है कि जल्द ही फैक्ट्री खुलेगी और वे काम पर लौटेंगे.
जब हमने फैक्ट्री के बंद होने को लेकर सवाल किया तो वे हैरान करने वाला जवाब देते है. कहते हैं, ‘‘इस फैक्ट्री में पहले कांग्रेस के लोग थे. जब यहां भाजपा सत्ता में आई और फैक्ट्री में भी भाजपा के लोगों को बड़े पदों पर जगह मिली तो कोंग्रेसियों ने किसानों को गन्ने के उत्पादन करने से मना कर दिया. नतीजतन फैक्ट्री को गन्ना मिलना कम हुआ और बंद करना पड़ा.’’
कांग्रेस के नेता हों, या किसान, सभी भाजपा के इस कार्यकर्ता की बातों को झूठ बताते हैं. एक किसान कहते हैं, ‘‘किसी नेता के कहने पर किसान खेती छोड़ देगा? यह मूर्खतापूर्ण बात है. किसान के लिए खेती पहले है, बाकी बातें बाद में.’’
इनकी मानें तो भाजपा के नेता जब फैक्ट्री के मैनेजमेंट में शामिल हुए तो जमकर भ्रष्टाचार किया. जिसके बाद इसे बंद करना पड़ा. भारतीय किसान संघ से जुड़े नौगड़ भाई कहते हैं, ‘‘इस फैक्ट्री में 14 हजार किसानों का शेयर था. यह जब से बंद हुई तब से किसानों को काफी नुकसान हुआ. किसानों ने गन्ने की खेती कम कर दी. जो किसान गन्ना उपजाते भी हैं तो उसका गुड़ बनता है, लेकिन गुड़ वाले बेहतर कीमत नहीं देते है.’’
कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष मनु भाई गुरडिया न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, ‘‘इस फैक्ट्री का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ के आसपास था. इसमें 800 तक कर्मचारी थे. करीब 14 हजार मजदूर महाराष्ट्र समेत दूसरे राज्यों से आते थे. ये तमाम पैसे कोडिनार में ही होते थे. ऐसे में यहां का मार्केट ठीक चलता था. अब सब बंद हो गया. इस चुनाव में कांग्रेस इस मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है. किसानों को भी पता है कि इसके बंद होने से उनका ही नुकसान हुआ. चुनाव के समय वादे करके जाने वाली भाजपा, पांच साल में कुछ नहीं कर पाई तो आगे उससे उम्मीद क्या ही करेंगे?’’
भाजपा नेता इस मामले पर बात करने से बचते नजर आ रहे हैं. हालांकि किसानों की मानें तो इस चुनाव में शुगर फैक्ट्री उनके लिए बड़ा मुद्दा है.
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