Gujarat and Himachal Elections

गुजरात चुनाव: ‘मौका मिलने पर अपने लोगों के अंधेरे गलियारों तक ले जाऊंगा उजाला’

2017 गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान अल्पेश ठाकोर, हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवानी - भाजपा के लिए सिरदर्द बन गए थे. इसका असर नतीजों पर भी पड़ा और 2017 में भाजपा 99 सीटों पर सिमट गई, लेकिन पांच साल बाद स्थिति बदली हुई है. हार्दिक और अल्पेश भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.

अल्पेश ठाकोर को भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर दक्षिणी गांधीनगर से उम्मीदवार बनाया है. इस कदम का क्षेत्र में विरोध भी हुआ और जगह-जगह पोस्टर लगाए गए. विरोध असर करता दिखाई भी दिया क्योंकि ठाकोर की उम्मीदवारी की घोषणा काफी देरी से हुई. टिकट घोषित होने में हुई देरी पर अल्पेश कहते हैं, “कोई खास वजह नहीं थी. पार्टी ने अपने समय पर टिकट की घोषणा की है.”

2017 विधानसभा चुनावों में अल्पेश ठाकोर राधनपुर से चुनाव लड़े थे. अल्पेश चुनाव जीते भी, लेकिन कुछ ही दिनों बाद कांग्रेस से उनका मोहभंग शुरू हुआ और वे कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ चलने लगे. उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद राधनपुर के उपचुनाव में ठाकोर भाजपा के टिकट से मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

इस बार राधनपुर के बजाय दक्षिणी गांधीनगर से चुनाव लड़ने के सवाल पर ठाकोर कहते हैं, “यहां पर पार्टी तय करती है कि किसे कहां से चुनाव लड़ना है. मेरी पार्टी ने तय किया कि मुझे यहां से चुनाव लड़ना है, इसलिए मैं इधर आ गया.”

अल्पेश जब कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए तो उन्होंने कहा था कि मैं जिन लोगों की लड़ाई लड़ता हूं, उनकी भलाई के लिए सत्तारूढ़ पार्टी में रहना जरूरी है. हमने ठाकोर से पूछा कि बीते तीन सालों से आप भाजपा में हैं, जिन लोगों की लड़ाई आप लड़ते हैं उनके हित के लिए सरकार से क्या कार्य करवाए, आंकड़ों में बता सकते हैं? इस पर वे नाराज होकर कहते हैं, “देखिए, आंकड़ों की बात मत कीजिए आप. सरकार सभी वर्ग के लिए काम कर रही है. वक़्त आने दीजिए. जब मुझे मौका मिलेगा, मैं उनके घर तक वो सब कुछ ले जाऊंगा. उनके अंधेरे गलियारों तक उजाला ले जाऊंगा. मुझे आने दीजिए.”

यानी जिस समाज की बात आप करते हैं, उनके यहां अब भी अंधेरा है?  यह अंधेरा 27 साल में दूर नहीं हुआ? इस पर ठाकोर कहते हैं, “सरकार अपना काम कर रही है. जिन लोगों को लेकर मेरे सपने हैं, मेरी लड़ाई है, वो अलग तरह की है. मैं उसे समझता हूं. मुझे मौका मिलेगा तो मैं उसे बेहतर तरह से करूंगा.”

ठाकोर, भाजपा सरकार की तारीफ करते हुए कहते हैं कि पहले इधर हर रोज दंगे होते थे, अब यहां दंगे नहीं होते. इसके बाद हमने ठाकोर से बिलकिस बानो के मामले में दोषी लोगों की रिहाई और नरोदा पटिया से गुजरात दंगे के दोषी मनोज कुकरानी की बेटी पायल को भाजपा द्वारा टिकट दिए जाने को लेकर सवाल किया. 

इस पर ठाकोर कहते हैं, “बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के मामले में मैं पहले ही बोल चुका हूं. नरोदा पटिया में किसे टिकट मिला इसकी मुझे जानकारी नहीं है.”

अल्पेश शराब को लेकर लंबी लड़ाई लड़ चुके हैं. हाल ही में गुजरात में शराबबंदी के बावजूद नकली शराब पीने से 46 लोगों की मौत हुई थी. इसको लेकर हमने ठाकोर से सवाल किया. साथ ही मोरबी घटना समेत दूसरे अन्य मुद्दों पर बात हुई.

देखिए पूरा इंटरव्यू-

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