Report
हरियाणा पंचायत चुनावों में महिला आरक्षण से आ रहे बदलाव
“मेरा नाम जास्मीन है. मैं बीए सेकेंड ईयर में पढ़ती हूं. मेरी उम्र 22 साल है. मैं इस बार पंचायत चुनाव में पंच का चुनाव लड़ रही हूं. मैं गांव का विकास तो चाहती हूं, लेकिन मैं गांव की लड़कियों को बताना चाहती हूं कि वे खूब पढ़ें लिखें और अपने पैरों पर खड़ी हों.” जास्मीन का आत्मविश्वास देखते ही बनता है. वह हरियाणा के नूंह जिले के नूंह ब्लॉक के गांव खेड़ला की निवासी हैं.
हरियाणा में इन दिनों पंचायतों, ब्लॉकों और जिला परिषद के चुनाव चल रहे हैं. पहले चरण में राज्य के नौ जिलों में ब्लॉक और जिला परिषद के लिए मतदान 30 अक्टूबर 2022 को हो चुका है, जबकि पंचायतों के लिए मतदान 2 नवंबर को होगा. इन जिलों में नूंह भी शामिल है.
राज्य सरकार के निर्णय के मुताबिक इस बार पंचायतों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है. यही वजह है कि इन चुनावों में महिलाओं की संख्या काफी बढ़ गई है और जास्मीन जैसी युवतियां भी चुनाव मैदान में हैं.
जास्मीन मानती हैं कि पिछले कुछ सालों में उनके गांव और आसपास के गांवों में महिलाओं में शिक्षा का स्तर बढ़ा है. उनकी सबसे बड़ी बहन फरहीन भी बीए कर रही हैं. समाज की मनाही के बावजूद माता-पिता की इच्छा थी कि उनकी बेटियां पढ़ें, लेकिन गांव में केवल आठवीं तक का स्कूल ही था, तो फरहीन उससे आगे नहीं पढ़ पाईं. परंतु बाद में वह भी आगे पढ़ने लगीं.
फरहीन गांव से साथ लगते कस्बे में एक खुले सामुदायिक रेडियो मेवात में जॉकी और रिपोर्टर हैं. वे गांव-गांव घूमकर महिलाओं के बीच जाकर प्रोग्राम करती हैं. वह कहती हैं कि पिछले कुछ सालों में बदलाव का बड़ा कारण पंचायत चुनाव हैं. पहले पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण था, पर तब तक न्यूनतम शिक्षा की अनिवार्यता नहीं थी. लेकिन 2016 में हुए चुनाव में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शिक्षा अनिवार्य कर दी गई. जो महिलाएं चुनाव लड़ना चाहती हैं, उनका कम से कम आठवीं पास होना जरूरी है.
फरहीन कहती हैं कि सरकार के इस कदम से बड़ा बदलाव आया और परिवार के लोग महिलाओं को पढ़ाने लगे. दूसरा, इस साल जो पंचायत चुनाव हो रहे हैं उनमें महिलाओं का आरक्षण बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दिया गया, तो इसने बदलाव की बयार को और तेजी प्रदान कर दी है.
जास्मीन, फरहीन चार बहनें हैं, दो बहनें बीए कर रही हैं तो दो बहनें एमए. दिलचस्प बात यह है कि जास्मीन की तरह उनकी एक और बहन शाहीन भी वार्ड आठ से पंच का चुनाव लड़ रही है. वह एमए (उर्दू) की पढाई कर रही हैं.
फरहीन कहती हैं, “हमारा परिवार मुस्लिम जरूर है, लेकिन वालिद साहब (पिता) ड्राइवर हैं, देश भर में घूमते हैं. उन्होंने पहले अम्मी को मदर (प्रौढ़) स्कूल में पढ़ने की इजाजत दी, फिर सभी बच्चियों को पढ़ाया, लेकिन हमें पढ़ाने पर गांव के लोग टोकते थे. परंतु अब जब चुनावों में पढ़ाई अनिवार्य हो गई है तो गांव के लोगों की प्रतिक्रिया बदल गई है और वे भी अपनी बेटियों को पढ़ने के लिए भेज रहे हैं.“
हरियाणा सरकार ने 7 सितंबर 2015 को हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 में संशोधन किया था और पंचायत प्रतिनिधियों के लिए शिक्षा अनिवार्य कर दी थी. इस संशोधन के मुताबिक, सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को कम से कम 10 वीं पास होना चाहिए, जबकि महिला और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को कम से कम आठवीं पास होना चाहिए. हालांकि सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती दी गई और 10 दिसंबर को, सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस याचिका की सुनवाई की एवं “उचित” प्रतिबंध घोषित करते हुए कानून को वैध ठहरा दिया.
दो नवंबर को नूंह जिले में 325 पंचायतों के लिए चुनाव होगा. कुल 1,680 उम्मीदवार सरपंच पद के लिए खड़े हैं, जिनमें 754 (44.8 प्रतिशत) महिलाएं हैं और पुरुषों की संख्या 926 है. इसी तरह पंचों के लिए 4,692 उम्मीदवार मैदान में है जिनमें महिला उम्मीदवारों की संख्या 2,140 (45.6 प्रतिशत) है, जबकि पुरुषों की संख्या 2,552 है.
इससे पहले 30 अक्टूबर 2022 को हुए ब्लॉक समिति के मतदान में नूंह से कुल उम्मीदवारों की संख्या 897 थी, जिनमें महिलाओं की संख्या 395 रही. जबकि जिला परिषद के चुनाव में कुल 203 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा था, जिनमें महिलाओं की संख्या 82 थी.
(डाउन टू अर्थ से साभार)
Also Read
-
Newsance 274: From ‘vote jihad’ to land grabs, BJP and Godi’s playbook returns
-
‘Want to change Maharashtra’s political setting’: BJP state unit vice president Madhav Bhandari
-
South Central Ep 1: CJI Chandrachud’s legacy, Vijay in politics, Kerala’s WhatsApp group row
-
‘A boon for common people’: What’s fuelling support for Eknath Shinde?
-
हेट क्राइम और हाशिए पर धकेलने की राजनीति पर पुणे के मुस्लिम मतदाता: हम भारतीय हैं या नहीं?