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एनएल चर्चा 238: यूके के नए प्रधान मंत्री ऋषि सुनक, नोटों पर भगवान के फोटो की मांग और द वायर बनाम मेटा
एनएल चर्चा के इस अंक में भाजपा की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के द वायर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने, अरविंद केजरीवाल द्वारा नोटों पर भगवान गणेश और लक्ष्मी की फोटो लगाने की मांग, ऋषि सुनक के ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनने, तेलंगाना में बीआरएस का भाजपा पर सरकार गिराने का आरोप, मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष पद की शपथ लेने, न्यूज़18 इंडिया पर एनबीडीएसए ने लगाया 50 हजार का जुर्माना, बीसीसीआई का महिला और पुरुष खिलाड़ियों को बराबर मैच फीस देने का फैसला और चीन में शी जिनपिंग को बतौर राष्ट्रपति तीसरा कार्यकाल मिलने समेत कई अन्य विषयों का जिक्र हुआ.
चर्चा में इस हफ्ते वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी, पत्रकार स्मिता शर्मा, न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन शामिल हुए. संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत ऋषि सुनक के ब्रिटेन के नए पीएम बनने के विषय से की. उन्होंने इस विषय पर हर्षवर्धन से टिप्पणी मांगी.
शुरुआती टिप्पणी करते हुए हर्षवर्धन कहते हैं, “ऋषि सुनक के पास गंभीर चुनौतियों का अंबार है. वह पहले भी सरकार का हिस्सा रहे हैं. इसलिए वह चुनौतियों से वाकिफ हैं. पिछली बार वह पीएम इसलिए नहीं बन सके क्योंकि वह अंग्रेज नहीं थे. अभी उन्हें मजबूरी में पीएम बनाया गया है, वहां के सांसदों का बहुत खुशी का फैसला नहीं है. दूसरी बात ब्रिटेन अभी बहुत सी आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. सवाल है कि ऋषि सुनक कैसे इन चुनौतियों से ब्रिटेन को उबार पाएंगे.”
स्मिता इस विषय पर कहती हैं, “ब्रिटेन का जो अपना समाज है, उसमें धीरे-धीरे बदलाव आया है. वह बदलाव बहुत ज्यादा तो नहीं है लेकिन उसके कारण एक प्रवासी ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बने हैं. ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की हालात खराब हुई थी, बीच में कोविड आ गया. तो ऋषि सुनक के लिए यह बहुत मुश्किल समय है. उनके लिए आसान नहीं होगा बतौर प्रधानमंत्री का कार्यकाल.”
वह आगे कहती हैं, “हमें यहां देखना चाहिए कि ऋषि सुनक न तो ब्रिटेन की जनता और न ही पार्टी की पहली पसंद हैं. वह बोरिस जॉनसन, लिज़ ट्रस के बाद चुने गए. उसमें भी दूसरे नेताओं की बातचीत हो रही थी. सवाल है कि सुनक कितने दिन प्रधानमंत्री पद पर बने रहते हैं और दूसरा क्या उनकी पार्टी उनके नेतृत्व में जनता के बीच चुनाव में जाएगी.”
इस विषय पर आनंद कहते हैं, “ऋषि सुनक पर ब्रिटेन के सामान्य प्रधानमंत्रियों की तुलना में खुद को ज्यादा ब्रिटिश दिखाने का दबाव होगा. दूसरा, कई चीजें जो एक सामान्य ब्रिटिश प्रधानमंत्री को नहीं झेलनी पड़तीं, उनका सामना सुनक को करना पड़ेगा. वहां की अर्थव्यवस्था खराब है, इसलिए सुनक के लिए ब्रिटेन की जनता का मापदंड अलग होगा.”
इस विषय के विभिन्न पहलुओं के अलावा चर्चा में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के बयान पर भी विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
00:00:00 - 00:13:26 - इंट्रो, हेडलाइंस और जरूरी सूचना
00:12:45 - 00:44:05 - ऋषि सुनक
00:44:06 - 01:07:15 - अरविंद केजरीवाल का बयान
01:07:16 - 01:21:40 - द वायर और मेटा विवाद साथ में अमित मालवीय
01:21:41-1:28:37 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
हर्षवर्धन त्रिपाठी
राम बहादुर राय की किताब - भारतीय संविधान की अनकही कहानियां
संगीत रागी की किताब - आरएसएस और गांधी
आनंद वर्धन
गोपाल कृष्ण गांधी का लेटर टू एडिटर - द हिंदू में प्रकाशित पत्र
दिनयार पटेल की किताब - ‘नौरोजी: पायनियर ऑफ इंडियन नेशनलिज्म
स्मिता शर्मा
बीबीसी पर प्रकाशित ऋषि सुनक की प्रोफाइल
द अटलांटिक पर प्रकाशित ऋषि सुनक की प्रोफाइल
अदनान भट्ट का द वायर और मेटा विवाद पर आर्टिकल
अतुल चौरसिया
फेसबुक व्हिसलब्लोअर सोफी झांग का इंटरव्यू
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प्रोड्यूसर- आदित्या वारियर
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह
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