Report
जामिया नगर में लगी धारा 144 की जद में आयी यूनिवर्सिटी, शिक्षक-छात्र नाराज़
19 सितम्बर को दिल्ली पुलिस ने जामिया नगर,ओखला और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के पूरे इलाके में 2 महीने के लिए धारा 144 लगा दी. इसके बाद 26 सितंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रॉक्टर ने एक नोटिस जारी किया जिसमें कैंपस के अंदर और बाहर धरना-प्रदर्शन नहीं करने की सलाह दी गई.
26 सितम्बर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रॉक्टर ने नोटिस में कहा कि दिल्ली पुलिस ने पूरे ओखला में धारा 144 लगा दी है, इसलिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों, शिक्षण-प्रशिक्षण और गैर शिक्षण कार्यों से जुड़े लोगों से अपील की जा रही है कि वे जामिया कैंपस के अंदर या बाहर धरना, आंदोलन, मीटिंग या एक जगह इक्ठ्ठा न हों. अगर वे दिल्ली पुलिस के इस आदेश का उल्लंघन करते हुए पाए जाते हैं तो वे दिल्ली पुलिस के द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होंगे.
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने अपने एक पुराने नोटिस में दक्षिणी दिल्ली में 19 सितम्बर से लेकर 17 नवम्बर तक धारा 144 लगाने का आदेश दिया है.
जामिया के प्रॉक्टर का यह आदेश जामिया टीचर एसोसिएशन के 27 सितंबर के उस जुलूस से ठीक एक दिन पहले आया, जब जामिया टीचर एसोसिएशन अपनी मांगों को लेकर मार्च निकालते हुए जामिया के रजिस्ट्रार से मिलने वाला था.
27 सितम्बर को जामिया टीचर एसोसिएशन ने अपने कार्यालय में एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाते हुए अपनी मांगों को एक बार फिर से दोहराया. एसोसिएशन ने अपने एक डिमांड लेटर में बताया कि उनकी प्रमुख मांगों में एक मांग है कि 8 सितम्बर को जामिया की कुलपति के साथ हुई मीटिंग में उठाए गए मुद्दों पर तुरंत अमल किया जाए. इसके साथ ही लेटर में विभिन्न विभागों में नियुक्तियों और अन्य परेशानियों को भी जल्द से जल्द दूर करने की मांग की गई है.
एसोशिएशन के प्रेसिडेंट माजिद जमील ने न्यूज़लांड्री से बातचीत में बताया, “जामिया टीचर्स एसोशिएशन की कुछ मांगे हैं जिन्हें जामिया प्रशासन ने अभी तक नहीं माना है. इसके लिए हमने कई लेटर लिखे लेकिन हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया. 8 सितम्बर को कुलपति महोदया के साथ हुई मीटिंग में हमारी कुछ मांगे मान ली गईं, हालांकि कुछ पर अभी भी कोई सुनवाई नहीं हुई है. जिसके लिए हमने 27 सितंबर को एक शांतिपूर्ण मार्च बुलाया था.”
प्रॉक्टर के द्वारा जामिया कैंपस में लगी धारा 144 के लिए नोटिस जारी करने के समय को लेकर वे सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं, “जामिया नगर क्षेत्र में धारा 144, 19 सितम्बर से लगी है. फिर प्रॉक्टर साहब ने यह नोटिस 19 सितम्बर को क्यों नहीं निकाला? हमारे प्रोटेस्ट मार्च के एक दिन पहले ही यह नोटिस क्यों निकाला गया?”
एसोसिएशन के प्रेसिडेंट माजिद का कहना है कि प्रॉक्टर को इस तरह का नोटिस जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. वे कहते हैं, “यूनिवर्सिटी में अकादमिक माहौल है. सभी बच्चे क्लासेज कर रहे हैं, शिक्षक पढ़ा रहे हैं, लेकिन जब से यह नोटिस आया है तब से कैंपस में कंफ्यूज़न का माहौल हो गया है. इसलिए आज हमने मीटिंग में यह तय किया है कि हम कुलपति महोदया से मांग करेंगे कि मौजूदा प्रॉक्टर को हटाया जाए, और एक समझदार आदमी को इस यूनिवर्सिटी का प्रॉक्टर बनाया जाए.”
गौरतलब है कि एसोसिएशन ने अपने इस डिमांड लेटर में अपनी समस्याओं के साथ बच्चों के लिए हॉस्टल खोलने की मांग को भी दोहराया है. मार्च 2020 से जामिया के हॉस्टल बंद हैं. अब नया सत्र शुरू होने के साथ ही छात्र ऑफलाइन क्लासेस के लिए आ रहे हैं. इस बीच हॉस्टल न खुलने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
प्रॉक्टर के नोटिस के बाद जामिया के अंदर धारा 144 लागू होने पर छात्रों में नाराजगी देखने को मिल रही है. छात्र समय-समय पर जामिया में हॉस्टल और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन करते रहते हैं लेकिन इस आदेश के बाद छात्रों का कहना है कि यह उनका मुंह बंद करने का एक नया तरीका है.
नोटिस पर बात करते हुए स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की एक सदस्य नवेदया कहती हैं, “जामिया में इससे पहले भी एक नोटिस निकाली गई थी कि स्टूडेंट एक जगह इकट्ठा नहीं हो सकते हैं और मीटिंग नहीं कर सकते हैं. यह हमारी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है.” वह आगे सवाल करती हैं, “धारा 144 कैंपस के अंदर लागू नहीं हो सकती और दिल्ली पुलिस कैसे कैंपस में इसको लागू कर सकती है?”
जामिया नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया के वाईस प्रेसीडेंट दिव्य ज्योति कहते हैं, “हमें यह लगता है हमारे जो प्रोटेस्ट हो रहे हैं और आगे भी हम हॉस्टल और अन्य चीज़ों के लिए जो प्रोटेस्ट करने वाले हैं, ये उसे दबाने की साज़िश है. हम टीचर्स एसोशिएशन की मांगों के साथ खड़े हैं और कैंपस में धारा 144 लागू करने खिलाफ हैं.”
इस मुद्दे पर एक अन्य छात्र साहिल शेख अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहते हैं, “जब जामिया कैंपस में दिल्ली पुलिस की दखलंदाजी अच्छे तरीके से हो गई है तो फिर प्रॉक्टर साहब को अपना पद छोड़ देना चाहिए.”
वहीं इस पूरे मुद्दे पर जामिया के चीफ प्रॉक्टर डॉ. अतीकुर्रहमान का कहना है कि "जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कैंपस में धारा 144 लागू नहीं की गई है."
छात्राओं और शिक्षकों के द्वारा नोटिस को साजिश बताने पर प्रॉक्टर कहते हैं, "जामिया टीचर एसोसिएशन के मुद्दे पर मुझे कुछ नहीं कहना. रही बात छात्रों की तो उन्हें पढ़ाई लिखाई करनी चाहिए, और धरना-प्रदर्शन और कैंपस में इकठ्ठा होकर कैंपस का माहौल खराब नहीं करना चाहिए."
Also Read
-
Corruption, social media ban, and 19 deaths: How student movement turned into Nepal’s turning point
-
India’s health systems need to prepare better for rising climate risks
-
Muslim women in Parliament: Ranee Narah’s journey from sportswoman to politician
-
नेपाल: युवाओं के उग्र प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री का इस्तीफा
-
No bath, no food, no sex: NDTV & Co. push lunacy around blood moon