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बिना रॉय दंपत्ति को सूचित किए अडानी समूह बन बैठा #NDTV का मालिक
एक अप्रत्यक्ष सौदे के माध्यम से, दुनिया के चौथे सबसे अमीर आदमी गौतम अडानी की अडानी एंटरप्राइजेज की मीडिया विंग अगले दो दिनों में एनडीटीवी के लगभग 30 प्रतिशत शेयरों का अधिग्रहण करेगी. अडानी समूह की घोषणा के मुताबिक एनडीटीवी के 26 प्रतिशत अतिरिक्त शेयरों के अधिग्रहण का भी प्रस्ताव है. अगर ऐसा होता है तो अडानी समूह एनडीटीवी में सबसे बड़ा शेयरधारक बन जाएगा और एनडीटीवी के संस्थापक प्रणय रॉय और राधिका रॉय की हिस्सेदारी सिमट जाएगी. रॉय दंपत्ति देश में टेलीविजन पत्रकारिता उद्योग के सबसे प्रतिष्ठित नामों में गिने जाते हैं.
इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद अडानी देश के सबसे भरोसेमंद समाचार ब्रांड्स में से एक के मालिक बन जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गौतम अडानी के संबंध बहुत करीबी और प्रगाढ़ हैं. पिछले आठ वर्षों के भाजपा शासन में उनकी संपत्ति नित नए आसमान छू रही है. वहीं एनडीटीवी ने टेलीविजन रिपोर्टिंग में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.
अडानी द्वारा एनडीटीवी के अधिग्रहण की खबरें करीब एक साल से हवा में थीं, लेकिन रॉय दंपत्ति ने हर बार इसे खारिज किया था.
पिछले साल सितंबर में एनडीटीवी ने एक बयान में कहा था कि कंपनी 'स्वामित्व में बदलाव या किसी भी प्रकार के विनिवेश के लिए किसी के साथ न चर्चा में है, न कभी थी'. साथ ही कहा गया कि 'संस्थापक-प्रवर्तक राधिका और प्रणय रॉय, जो खुद भी पत्रकार हैं, कंपनी के 61.45 प्रतिशत हिस्से के मालिक हैं और इसके नियंत्रक हैं.'
उन बयानों में यह भी कहा गया कि एनडीटीवी 'न तो निराधार अफवाहों को नियंत्रित कर सकता है, न ही उनमें भाग लेता है'.
अडानी समूह की घोषणा से एक दिन पहले यानी सोमवार को भी एनडीटीवी ने एक ऐसा ही बयान स्टॉक एक्सचेंज को भेजा था. इसमें उन्होंने कहा कि एक बिज़नेस अख़बार के पत्रकार ने उनसे सवाल किया था कि क्या 'न्यू दिल्ली टेलीविज़न लिमिटेड (एनडीटीवी) के संस्थापक-प्रवर्तक, आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से एनडीटीवी में उनकी हिस्सेदारी बेच रहे हैं'? इसके जवाब में कंपनी ने कहा कि यह 'निराधार अफवाह' है और राधिका और प्रणय रॉय एनडीटीवी के स्वामित्व में बदलाव या अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश के लिए किसी भी संस्था के साथ बातचीत नहीं कर रहे हैं.
उनके पास व्यक्तिगत रूप से और उनकी कंपनी, आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से, एनडीटीवी की कुल शेयर पूंजी का 61.45 प्रतिशत हिस्सा है. हालांकि अब कहा जा रहा है स्वामित्व में परिवर्तन के लिए रॉय दंपत्ति के साथ परामर्श की कोई आवश्यकता नहीं है.
इस सौदे के केंद्र में विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) नाम की एक शेल कंपनी है. इसके पास अपनी स्थापना से लेकर पिछले 14 वर्षों में कोई संपत्ति नहीं रही, सिवाय एनडीटीवी की प्रवर्तक इकाई आरआरपीआर के कुछ डिबेंचर्स के.
2009 में राधिका और प्रणय रॉय ने आरआरपीआर की ओर से वीसीपीएल से 403.85 करोड़ रुपए का ब्याजमुक्त लोन लिया था. इसके तहत उन्होंने वीसीपीएल को अधिकार दिया था कि यदि वह चाहे तो आरआरपीआर के 99.99 प्रतिशत शेयरों का स्वामित्व ले सकती है. जैसा कि पहले रिपोर्ट किया जा चुका है, वीसीपीएल को यह लोन रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनियों के जरिए होते हुए आरआरपीआर तक आया था. इसके चलते आरआरपीआर पर रिलायंस का एक हद तक मजबूत प्रभाव था.
आरआरपीआर, यानी रॉय दंपत्ति का नाम (राधिका रॉय-प्रणव रॉय), 29.18 प्रतिशत शेयरों के साथ एनडीटीवी की सबसे बड़ी शेयरधारक है. राधिका रॉय के पास 16.32 फीसदी शेयर हैं और प्रणय रॉय के पास 15.94 फीसदी. रॉय दंपत्ति और आरआरपीआर मिलकर एनडीटीवी का प्रमोटर ग्रुप बनाते हैं. कुल मिलाकर इस प्रमोटर ग्रुप के पास कंपनी के 61.45 प्रतिशत शेयर हैं, जो इसे कंपनी का पूर्ण नियंत्रण प्रदान करते हैं.
लेकिन मंगलवार को अडानी ने इस इस स्थिति को पूरी तरह बदल दिया.
अडानी एंटरप्राइजेज ने मंगलवार को घोषणा की कि उन्होंने वीसीपीएल के मालिकों -- नेक्स्टवेव टेलीवेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड (एनटीपीएल) और एमिनेंट नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड (एएनपीएल) से उनकी कंपनी को करीब 113.75 करोड़ रुपए नकद देकर खरीद लिया है. इस सौदे के बाद वीसीपीएल, एएमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड (एएमएनएल) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन गई. एएमएनएल अदानी एंटरप्राइजेज की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है. इसका उल्लेख शेयर बाजारों को दी गई सूचना में किया गया है.
एएमजी मीडिया नेटवर्क्स के सीईओ संजय पुगलिया ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "समाचार जगत में अग्रणी एनडीटीवी विविध क्षेत्रों और स्थानों पर सशक्त पहुंच रखता है. अतः, यह हमारी कल्पना को साकार करने के लिए सबसे उपयुक्त प्रसारण और डिजिटल प्लेटफॉर्म है. हम समाचार वितरण में एनडीटीवी के नेतृत्व को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं.”
अडानी एंटरप्राइजेज ने घोषणा की कि चूंकि वीसीपीएल के पास आरआरपीआर के शेयर वारंट हैं, इसलिए उसने मंगलवार को 'वारंट एक्सरसाइज नोटिस' जारी करके, आरआरपीआर के 1,990,000 वारंट्स को 1,990,000 इक्विटी शेयरों में बदलने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है. यह आरआरपीआर की इक्विटी शेयर पूंजी का 99.5% है.
"वीसीपीएल किसी भी समय अपने विवेकाधिकार का प्रयोग निम्न के लिए कर सकता है: (i) आरआरपीआर की इक्विटी शेयर पूंजी का 99.99% तक अधिग्रहण करने के लिए वारंट्स का प्रयोग; और (ii) श्री प्रणय रॉय और श्रीमती राधिका रॉय द्वारा धारित आरआरपीआर के सभी मौजूदा इक्विटी शेयरों को खरीदने और आरआरपीआर की इक्विटी शेयर पूंजी का 100% प्राप्त करने के लिए पर्चेस ऑप्शन का प्रयोग."
आरआरपीआर को अपने 99.50 प्रतिशत शेयर वीसीपीएल को दो कार्य दिवसों के भीतर आवंटित करने होंगे, जिसके बाद एएमजी मीडिया नेटवर्क एनडीटीवी के 29.18 प्रतिशत शेयरों का मालिक बन जाएगा. इसके अलावा बाजार के नियमों के अनुसार एएमजी मीडिया नेटवर्क ने 26 प्रतिशत अतिरिक्त शेयरों को खरीदने के लिए एनडीटीवी के आम शेयरधारकों को खुला ऑफर दिया है. अडानी ग्रुप ने प्रति शेयर 294 रुपए देने की पेशकश की है.
एनडीटीवी के स्वतंत्र शेयरधदारकों की संख्या 29,691 है. इन लोगों ने दो लाख या उससे कम का निवेश कंपनी में कर रखा है. ये आम शेयरधारक कंपनी की 23.85 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं.
मंगलवार को सौदे की घोषणा से पहले एनडीटीवी के शेयर 376.55 रुपए पर बंद हुए. हालांकि रॉय दंपत्ति के पास अभी भी एनडीटीवी के लगभग 32 प्रतिशत शेयर हैं, जो कि वीसीपीएल के माध्यम से अडानी को मिले हिस्से से अधिक हैं. लेकिन अगर अडानी ग्रुप अपने ऑफर के जरिए आम शेयरधारकों से 26 अतिरिक्त शेयर खरीदने में सफल रहता है तो कंपनी का नियंत्रण अडानी समूह के हाथ में जा सकता है.
पिछले कुछ महीनों के दरम्यान मीडिया क्षेत्र में एएमजी मीडिया नेटवर्क्स का यह दूसरा बड़ा निवेश है. मई में इसने एक अज्ञात राशि का भुगतान करके पत्रकार राघव बहल की क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया प्राइवेट लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी.
लेकिन एनडीटीवी का स्वामित्व बदलने से से टीवी समाचार मीडिया में एक आमूल-चूल परिवर्तन हो सकता है. भले ही एनडीटीवी रिपब्लिक, टाइम्स नाउ या इंडिया टुडे टीवी जितना न देखा जाता हो, लेकिन इसे उन चंद बचे-खुचे मीडिया प्लेटफॉर्म्स में गिना जाता है जो स्वतंत्र रूप से सरकार के आलोचक हैं. इसका स्वामित्व नरेंद्र मोदी के एक बेहद करीबी के पास जाने से टीवी पर अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध समाचारों की विविधता पर गहरा असर पड़ेगा.
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