Khabar Baazi

अमेरिका में रॉयटर्स के पत्रकारों की हड़ताल

मीडिया कंपनी रॉयटर्स के अमेरिकी पत्रकार गुरुवार 4 अगस्त को दशकों में पहली बार एक दिन की हड़ताल पर गए. लगभग 300 अमेरिकी रॉयटर्स कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियन न्यूज़गिल्ड की ओर से बताया गया कि पत्रकार 24 घंटे का वॉकआउट करेंगे जो कि अमेरिकी समय के मुताबिक सुबह 6 बजे शुरू होगा.

यूनियन में शामिल पत्रकारों का कहना है कि रॉयटर्स ने वेतन वृद्धि के संबंध में कर्मचारियों से वाजिब बातचीत नहीं की. न्यूज़गिल्ड का कहना है कि उनके प्रतिनिधित्व में आने वाले संचार श्रमिकों में से लगभग 90 प्रतिशत कर्मचारी हड़ताल में भाग लेने के लिए रजामंद हैं.

ब्लूमबर्ग के अनुसार, रॉयटर्स ने अपने पत्रकारों के साथ तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट किया था, जिसके अनुसार प्रतिवर्ष कर्मचारियों के वेतन में सालाना एक प्रतिशत की वृद्धि की बात कही गई थी. हड़ताल इसी करार के विरोध में की जा रही है.

यूनियन का कहना है कि एक प्रतिशत की बढ़ोतरी, नौ प्रतिशत मुद्रास्फीति की दर के समकक्ष कर्मचारियों की खर्च करने की क्षमता को कम कर देगी और वेतन में बढ़ोतरी अर्थहीन हो जाएगी. कर्मचारियों को यह करार कहीं ज़्यादा इसलिए भी अखर रहा है क्योंकि संस्थान ने मई में इस वर्ष की पहली तिमाही की आय में छह प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की थी. जो इस बढ़त के बाद 1.67 बिलियन डॉलर हो गई थी.

बता दें कि न्यूज़गिल्ड में शामिल रॉयटर्स के कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी अपने कर्मचारियों की शिकायत पर ध्यान नहीं दे रही और कंपनी के अधिकारी भी इस पर बात नहीं करना चाहते. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के कर्मचारियों ने रॉयटर्स के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रीय श्रमिक संबंध बोर्ड में शिकायत भी दर्ज कराई है.

ब्लूमबर्ग को दिए बयान में रॉयटर्स की तरफ से कहा गया कि कंपनी न्यूज़गिल्ड के साथ बातचीत के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि बातचीत जारी है और हम पत्रकारों की शर्तों पर विचार कर रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कहा जा रहा है कि यह हड़ताल सिर्फ ध्यान आकर्षित करने के लिए की जा रही है, इससे कर्मचारियों को कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं होगा. जबकि न्यूज़गिल्ड का मानना है कि हड़ताल रॉयटर्स के संचालन को प्रभावित करेगी क्योंकि उन्होंने हड़ताल के लिए कंपनी की दूसरी तिमाही की आय को घोषित किए जाने वाले दिन को ही चुना है, जिससे प्रबंधन और ग्राहकों का ध्यान हड़ताल पर ज़्यादा जाए.

वहीं रॉयटर्स ने कहा है कि हमारे पास हड़ताल के बावजूद भी कंपनी के व्यवस्था को सतत रूप से बनाए रखने के उपाय उपलब्ध हैं, और हम अपने सभी ग्राहकों को उच्चतम गुणवत्ता की सेवा प्रदान करते रहेंगे.

रॉयटर्स की वेबसाइट के अनुसार, रॉयटर्स दुनिया भर के 200 शहरों में लगभग 2,500 पत्रकारों को रोजगार देता है.

Also Read: राज्यसभा में सुभाष चंद्रा के 6 साल: मीडिया पर चुप्पी, धारा 370 पर डिबेट

Also Read: 5 सालों में भारत सरकार ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिए 3,305 करोड़ रुपए के विज्ञापन