Khabar Baazi
दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यूज़लॉन्ड्री के खिलाफ कॉपीराइट मामले में इंडिया टुडे को अंतरिम राहत देने से किया इनकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इंडिया टुडे और आज तक की मालिक कंपनी टीवी टुडे नेटवर्क को ऑनलाइन पोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री के खिलाफ मानहानि और कॉपीराइट उल्लंघन के मुकदमे में किसी भी कार्रवाई से इंकार कर दिया. जस्टिस आशा मेनन ने न्यूज़लॉन्ड्री को इंडिया टुडे और आज तक की क्लिप वाले वीडियो को यूट्यूब से हटाने का निर्देश देने से भी इंकार कर दिया है.
जस्टिस मेनन ने कहा कि टीवी टुडे नेटवर्क के पास न्यूज़लॉन्ड्री के खिलाफ कोई कोई पुख़्ता सबूत नहीं है, और न ही चैनल की छवि को कोई बड़ा नुकसान हुआ है. ऐसे में न्यूज़लॉन्ड्री पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा की इस विवाद को व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के रूप में लेना चाहिए, कॉपीराइट के बजाय प्रसारण अधिकारों के तहत चर्चा की जानी चाहिए.
टीवी टुडे नेटवर्क ने अक्टूबर 2021 में मानहानि, व्यावसायिक अपमान और कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए न्यूज़लॉन्ड्री और इसके संस्थापक-निदेशकों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. टीवी टुडे के चैनलों ने इससे पहले 50 से अधिक कॉपीराइट स्ट्राइक और दावे न्यूज़लॉन्ड्री के खिलाफ भेजे थे, जिससे हमारा (न्यूज़लॉन्ड्री) यूट्यूब चैनल कुछ समय के लिए सस्पेंड हो गया था.
टीवी टुडे ने अपने अंतरिम आवेदन में कथित रूप से उल्लंघन करने वाले वीडियो को हटाने और वेबसाइट और उसके यूट्यूब चैनल के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश देने को कहा था. साथ ही चैनल पर दो करोड़ के जुर्माने की मांग की थी.
टीवी टुडे की ओर से पेश वकील हृषिकेश बरुआ ने कहा कि न्यूज़लॉन्ड्री के शो उनकी (टीवी टुडे की) सामग्री पर निर्भर थे. उन्होंने हमारे वीडियो का एक मिनट से अधिक समय तक इस्तेमाल किया है, जबकि उनकी अपनी टिप्पणी मुश्किल से पांच या छह सेकेंड की है.
इसके जवाब में न्यूज़लॉन्ड्री की तरफ से कहा गया कि वीडियो को गलत रूप देकर पेश किया गया है. हम मीडिया पर रिपोर्ट और उसकी आलोचना करने वाला संस्थान हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने टीवी टुडे नेटवर्क पर आरोप लगते हुए कहा कि वे हर किसी की आलोचना करना चाहते हैं और चाहते हैं कि उनके द्वारा की गयी आलोचना पर कोई प्रतिक्रिया न दे, लेकिन जब हम उनकी आलोचना करते हैं तो यह उन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
Also Read
-
‘No staff, defunct office’: Kashmir Times editor on ‘bizarre’ charges, ‘bid to silence’
-
Is Modi saving print media? Congrats, you’re paying for it
-
India’s trains are running on luck? RTI points to rampant drunk train driving
-
98% processed is 100% lie: Investigating Gurugram’s broken waste system
-
SIR leaves BLOs overworked, citizens confused