Saransh
सारांश: एफआईआर ट्रांसफर मामले में नुपुर शर्मा के अधिकार और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों को दुनिया भर में आप कहीं से भी देख, सुन, या पढ़ सकते हैं. यदि यह टिप्पणी आपराधिक दायरे में आ जाए तो इसमें अपराध का कोई निश्चित स्थान नहीं होता. और जब कोई निश्चित न्यायिक क्षेत्राधिकार न हो तो नतीजे में मामले की शिकायत देश के किसी भी कोने में की जा सकती है.
बात करें नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिए विवादित बयान की तो एक रिपोर्ट के अनुसार महज़ कोलकाता में उनके खिलाफ जून माह में 10 एफआईआर दर्ज हुई हैं. नुपुर ने सुप्रीम कोर्ट से इन सभी एफआईआर को दिल्ली शिफ्ट करने की गुहार लगाई थी. हालांकि कोर्ट ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया, इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नुपुर को उनकी टिप्पणी के लिए फटकार भी लगाई.
नुपुर शर्मा को मिली फटकार के बाद से यह मुद्दा चर्चा में है कि एक ही आरोप में अलग-अलग राज्यों में दर्ज एक से ज्यादा एफआईआर को क्लब करने का नियम क्या है. आरोपी कैसे इस स्थिति से निपटे और इस मामले में अदालत की क्या भूमिका होती है?
सुप्रीम कोर्ट के बयान से कई कानूनी पहलू और पेचीदगियां सामने आई हैं. सारांश के इस अंक में हम नुपुर शर्मा के अधिकार और सुप्रीम कोर्ट के बयान का निहितार्थ जानेंगे.
Also Read
-
Encroachment menace in Bengaluru locality leaves pavements unusable for pedestrians
-
Delays, poor crowd control: How the Karur tragedy unfolded
-
एनडीटीवी ने डिलीट की रेलवे हादसों की स्टोरी पर की गई एक्स पोस्ट
-
Garba nights and the death of joy
-
Anxiety and survival: Breaking down India’s stampedes