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गांव-गांव घूमकर ‘अग्निपथ’ योजना के फायदे बता रही उत्तर प्रदेश पुलिस
14 जून की शाम को देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना प्रमुखों ने सेना में भर्ती की नई योजना 'अग्निपथ' की घोषणा की. इसके बाद देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. इस भर्ती योजना से नाराज युवाओं ने ट्रेनों, बसों और अन्य कई सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया. इस दौरान पुलिस और सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं के बीच पत्थरबाजी भी हुई. हिंसक प्रदर्शन करने के आरोप में कई युवाओं को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया.
विरोध उग्र होता देख प्रदर्शनकारी युवाओं को नई योजना की विशेषताएं बताने की कोशिश सरकार ने शुरू की. इस काम के लिए उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पुलिस मैदान में उतर गई. अग्निपथ योजना के फायदे समझाने की जिम्मेदारी एसपी, एसडीएम, तहसीलदार और थाना इंचार्ज ने ली. इन्होंने गांव-गांव जाकर चौपालें लगाईं और युवाओं को अग्निपथ योजना के फायदे बताए. हालांकि इस काम के लिए शासन में ऊपर से कोई आदेश या लिखित निर्देश जारी नहीं हुआ है.
जानकारों का कहना है कि सरकार की नीतियों के प्रति जागरुकता फैलाने का काम पुलिस का नहीं बल्कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं और सरकार की सूचना मशीनरी का होता है. लेकिन अग्निपथ योजना के मामले में सरकार के प्रतिनिधियों जैसे मंत्री, सांसद, विधायक या सत्ताधारी पार्टियों से जुड़े लोगों के बजाए प्रशासन के कर्मचारी यह काम कर रहे हैं.
यूपी पुलिस के इस जागरुकता अभियान को समझने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री की टीम उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर पहुंची. बुलंदशहर के अहमदगढ़ थाना इंचार्ज नीरज कुमार के साथ हमने पूरा दिन बिताया. वो हमें अपने साथ लेकर क्षेत्र के गांव ढाक नगला गए.
कच्ची-पक्की और कहीं-कहीं पर पानी से भरे गड्ढों वाली सड़कों से होते हुए हम गांव ढाक नगला पहुंचे. गांव में बने एक मंदिर में चौपाल की व्यवस्था थी. गांव के काफी युवा और अन्य ग्रामीण वहां पहले से मौजूद थे. सबसे पहले नीरज कुमार ने यहां पर सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं और गांव के अन्य लोगों को अग्निपथ योजना के फायदे बताए.
नीरज कुमार ने कहा, “सरकार साढ़े सत्रह साल के युवाओं को इतना अच्छा प्रोग्राम दे रही है. अग्निपथ योजना के बारे में आपको पूरी जानकारी नहीं होने के कारण युवा भ्रमित हो रहे हैं. इसलिए हम आपकी समस्या दूर करने आए हैं. जैसे आप आठवीं क्लास पास हैं, और आप इंडियन आर्मी में जाना चाहते हैं. इसके लिए भी योजना है और आप भी सेना में जा सकते हैं.”
कुमार आगे कहते हैं, “आप जब सेना की नौकरी करके लौटोगे तो अग्निवीर कहलाओगे. इसका आपको बहुत जबरदस्त फायदा होने वाला है, लेकिन लोग हमें अज्ञानतावश भ्रमित हो रहे हैं. साढ़े सत्रह साल का युवा जब हमारे देश का हिस्सा बनेगा और चार साल बाद जब वह सर्टिफिकेट लेकर आएगा, तो उस सर्टिफिकेट की बड़ी वैल्यू होगी.”
अग्निपथ को लेकर थानाध्यक्ष ने आगे कहा, “आप लोग इंजीनियरिंग करते हो, डिप्लोमा करते हो, यह सब पैसे देकर करते हो न? लेकिन जब आप भारतीय सेना का सर्टिफिकेट लेकर लौटोगे न, तो मल्टीनेशनल कंपनियां बुलाएंगी. देश विदेश के लोग आपको बुलाएंगे कि आप यहां का हिस्सा बनिए. इसलिए भ्रमित होने की जरूरत नहीं है.”
बता दें कि सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक, सेना ने अग्निवीरों के लिए 5 श्रेणियों में भर्तियां निकाली हैं. इन्हीं श्रेणियों और पदों पर ‘अग्निवीरों’ की भर्तियां होंगी.
1- अग्निवीर जनरल ड्यूटी
2- अग्निवीर टेक्निकल (एविएशन/एम्यूनिशन)
3- अग्निवीर क्लर्क/ स्टोरकीपर टेक्निकल
4- अग्निवीर ट्रेड्समैन (10वीं पास)
5- अग्निवीर ट्रेड्समैन (8वीं पास)
बुलंदशहर की तर्ज पर ही संभल जिले की पुलिस भी गांव-गांव जाकर, युवाओं को अग्निपथ योजना के फायदे गिना रही है.
संभल जिले में तैनात बनियाठेर थाने के एसआई अजय यादव कहते हैं, "अग्निपथ योजना के बारे में हम गांव-गांव जाकर फायदे बता रहे हैं. हम अपनी एक टीम बना लेते हैं जिसमें एक महिला कांस्टेबल, सब इंस्पेक्टर और सिपाही होते हैं. इस दौरान टीम के पास पैम्फलेट होता है जो कि महिला कांस्टेबल बांटती हैं. जिसमें अग्निपथ योजना के फायदे लिखे हुए हैं."
बुलंदशहर देहात के पुलिस अधीक्षक बजरंगबली चौरसिया पुलिस के जागरुकता अभियान के बारे में कहते हैं, "बीच-बीच में पुलिस अधिकारी, मजिस्ट्रेट बच्चों से मिलते हैं और इस योजना के बारे में समझाते हैं. हमने गांव-गांव जाकर लोगों को समझाया कि आप ऐसा आक्रामक रुख न अपनाएं."
वह आगे कहते हैं, “कोई भी सरकार अपने ही लोगों की दुश्मन कैसे हो सकती है? समझाने का असर हुआ है. लोगों को धीरे धीरे समझ आ रहा है. पहले तो लोगों ने बिना जाने ही हल्ला काटना शुरू कर दिया था.”
क्या इस तरह से लोगों को समझाने के लिए सरकार की ओर से आदेश मिला है? इस सवाल का उत्तर देते हुए चौरसिया कहते हैं, "शासन लेवल पर देखिए, आप लोगों ने तो पेपर में भी निकाला है, मुख्यमंत्रीजी का बयान भी छपा है पेपरों में कि अधिकारी बच्चों को समझाएं कि क्या स्थिति है. उनको सही तथ्यों से अवगत कराएं, जो लोग गुमराह हो रहे हैं उनको गुमराह होने से बचाएं."
साथ में वो ये भी जोड़ते हैं कि हमें लिखित में कोई आदेश नहीं मिला है.
बुलंदशहर से दिल्ली वापस लौटते वक्त जिले के सिकंदराबाद में सड़क के किनारे एक मैदान में काफी युवा सेना में भर्ती की तैयारी करते दिखे. ग्राउंड में मौजूद इन युवाओं ने हमारी गाड़ी को अंदर आने नहीं आने दिया. उनका कहना था कि यह हमारी रोजी-रोटी है, इस पर गाड़ी मत चलाइए.
वे ऐसा क्यों कह रहे हैं यह पूछने पर उन्होंने कहा, “इस ग्राउंड से सैंकड़ों लड़के आर्मी में नौकरी करने गए हैं. हम यहां सेना में जाने की तैयारी करते हैं. इसलिए यह ग्राउंड हमारी रोजी रोटी है.”
सेना में भर्ती की नई योजना से यहां के युवा खासे नाराज दिखे. वहां तैयारी कर रहे 22 वर्षीय हरीश यादव कहते हैं, "हम सेना की नई भर्ती योजना से खुश नहीं हैं. हम तो अब इसलिए तैयारी कर रहे हैं ताकि घरवाले और मोहल्ले-पड़ोस के ताने नहीं सुनने पड़ें. वरना हम चार साल के लिए तो बिल्कुल न जाएं. हम अब इज्जत की खातिर तैयारी कर रहे हैं.”
वह आगे कहते हैं, “पहले इस ग्राउंड में करीब 100 से 150 लड़के रोजाना तैयारी करने आते थे. उनका सेना में जाने का ही सपना था लेकिन जब से सरकार ने ये चार साल की भर्ती योजना निकाली है, तब से काफी लड़कों ने यहां आना ही बंद कर दिया है.”
वहां मौजूद 21 वर्षीय दीपक सैनी कहते हैं, “यह अग्निपथ योजना अब चेंज तो हो नहीं सकती है, बहुत कोशिश कर ली है बच्चों ने. अब जो होगा देखा जाएगा. लेकिन हम इससे खुश नहीं हैं.”
अग्निपथ योजना के तहत सरकार साढ़े सत्रह साल से 23 साल तक के युवाओं को सेना के तीनों अंगों में अल्पकालिक सेवा का मौका दे रही है. नयी योजना के तहत भर्ती होने वाले सभी जवानों को अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा. चार साल के कार्यकाल से पहले इन जवानों को छह महीने ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद उन्हें चार साल सेना में बिताने होंगे. चार साल की नौकरी के बाद सरकार अधिकतम 25 फीसदी तक ‘अग्निवीरों’ को मेरिट के आधार पर स्थायी कमीशन दिया जाएगा. बाकी 75 फ़ीसदी ‘अग्निवीरों’ को रिटायर कर दिया जाएगा. ऐसे जवानों को 12वीं का सर्टिफिकेट और 11.75 लाख रुपए एकमुश्त दिए जायेंगे.
सरकार अपने तमाम अंगों के जरिए इस योजना के फायदे गिना रही है, लेकिन बहुत से युवा इन वादों से अभी तक संतुष्ट नहीं हैं.
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