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फ्रिंजत्व ही हिंदुत्व है

भाजपा ने आपत्तिजनक बयान देने वाले अपने 38 नेताओं की पहचान की है. इन नेताओं को पार्टी की ओर से धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले बयान देने से बचने की हिदायत दी गई है. इनसे कहा गया है कि धार्मिक मुद्दों पर बयान देने से पहले पार्टी से इजाज़त लें. दरअसल भाजपा नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने हाल ही में पैगंबर मोहम्मद को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी. यह टिप्पणी उन्होंने टाइम्स नाउ की एंकर नविका कुमार के एक डिबेट कार्यक्रम में की थी.

इसके बाद न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नुपुर शर्मा के इस बयान का विरोध होने लगा. सऊदी अरब, कुवैत, ईरान और कतर जैसे देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी. कतर के विदेश राज्य मंत्री सुल्तान बिन साद अल मुरैखी ने रविवार को भारतीय राजदूत दीपक मित्तल को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ दिए गए बयान की निंदा की. इस ज्ञापन में नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल को हटाए जाने के फैसले का स्वागत किया गया और साथ ही मांग की गई कि भारत सरकार इस बयान की आलोचना करे और माफी मांगे. ज्ञापन में कहा गया है कि इस तरह के बयान अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे सकते हैं.

बता दें कि इस्लामिक देशों के विरोध के बाद कार्रवाई करते हुए भाजपा ने नुपुर शर्मा को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है. साथ ही नवीन जिंदल को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया.

कतर विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के संबंध में भारतीय दूतावास के प्रवक्ता ने जवाब दिया कि कुछ लोगों के द्वारा किए गए ट्वीट किसी भी तरह से भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. ये फ्रिंज एलिमेंट्स के विचार हैं.

ऐसा लगता है कि भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं पर सख्ती की है. लेकिन क्या भाजपा ने वाकई अपने शीर्ष नेताओं में 'फ्रिंज' तत्वों की पहचान की है? चलिए बात करते हैं भाजपा के उन कुछ नेताओं की जिनकी राजनीति मुस्लिम विरोधी बयानबाजी से शुरू हुई और अब वे संसद में बैठकर जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

इस सूची में सबसे पहला स्थान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही है. पीएम मोदी साल 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. उन्हीं के कार्यकाल के दौरान 2002 में गुजरात में भयानक दंगे हुए. गोधरा कांड के बाद गुजरात में मुस्लिम विरोधी लहर चली. इन दंगों में कई मुस्लिम परिवार खत्म हो गए. उस समय नरेंद्र मोदी के भाषणों में मुसलमानों के खिलाफ उनका आक्रोश दिखाई देता था. गुजरात के मेहसाणा जिले के बेसराजी गांव में 9 सितंबर 2002 को गौरव यात्रा को संबोधित करते हुए, तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने कहा था, "हम क्या करें? उनके (मुसलमानों) लिए राहत शिविर चलाएं? क्या हमें बच्चे पैदा करने का सेंटर खोलना है? हम पांच, हमारे पच्चीस. गुजरात अपनी बढ़ती आबादी पर काबू नहीं पा सका है और गरीब लोगों को पैसा नहीं मिल पा रहा है... हमें उन लोगों को सबक सिखाना होगा जो खतरनाक दर से आबादी बढ़ा रहे हैं. राहत शिविर असल में बच्चे पैदा करने की फैक्ट्री हैं."

प्रधानमंत्री बनने के बाद भी, उनका समय-समय पर मुस्लिम समुदाय को लेकर विवादास्पद बयान देना जारी रहा. साल 2019 में देशभर में सीएए- एनआरसी को लेकर जगह- जगह प्रदर्शन हो रहे थे. झारखंड में एक रैली को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा था, "जो लोग आग लगा रहे हैं, टीवी पर उनके जो दृश्य आ रहे हैं, ये आग लगाने वाले कौन हैं, वो उनके कपड़ों से पता चल जाता है." इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर मुसलमानों के खिलाफ तरह- तरह के वीडियो और ट्वीट वायरल होने लगे थे.

उत्तर प्रदेश: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

हिंदुओं की वकालत करने का दावा करने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत से ही मुस्लिम विरोधी भाषण बाजी के लिए जाने जाते हैं. 1998 में वह गोरखपुर से पहली बार सांसद चुने गए और तब से पांच बार लोकसभा में सांसद रह चुके हैं.

साल 2014 में उनका एक वीडियो वायरल हुआ. एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में वह बताते हैं कि यह वीडियो 2007 में आजमगढ़ में हुई किसी रैली का है. इस वीडियो में वह कहते नजर आ रहे हैं, "हम लोगों ने तय कर रखा है कि अगर वो एक हिंदू बालिका को ले जाएंगे, तो हम कम से कम सौ मुस्लिम बालिकाओं को हिंदू बना देंगे. अगर वो (मुसलमान) एक हिंदू आदमी को मारेंगे, तो हम 100 मुस्लिम आदमियों को मार डालेंगे."

2015 में योगी आदित्यनाथ विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम 'विराट हिंदू सम्मेलन' में भाग लेने वाराणसी गए थे. वहां ज्ञानवापी मस्जिद पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मौका मिला तो वह भगवान गौरी, गणेश और नंदी की मूर्ति हर मस्जिद में लगवा देंगे.

8 नवंबर 2021 को, कैराना में दिए एक भाषण में योगी आदित्यनाथ ने कहा था, "जो लोग अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर नहीं चाहते थे, जो लोग कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करने का विरोध करते थे... यह लोग कब खुश होते हैं? जब मुजफ्फरनगर में दंगा होता है. जब कैराना से पलायन होता है और जब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन होता है, तब इनके नारे लगते हैं. लेकिन तालिबानीकरण कतई हम स्वीकार नहीं होने देंगे और जो भी तालिबान का समर्थन यूपी की धरती पर करेगा, सख्ती के साथ उससे निपटने का कार्य भी सरकार करेगी."

कपिल मिश्रा

दिल्ली के भाजपा नेता कपिल मिश्रा अपने विवादित बयानों के लिए सुर्खियों में बने रहते हैं. हाल ही में कपिल मिश्रा पर मध्यप्रदेश के खरगोन में रामनवमी के अवसर पर लोगों को भड़काने का आरोप लगा था. उनका एक वीडियो भी सामने आया था जहां वो कहते सुनाई दे रहे हैं, "हिंदू के अलावा हमारी कोई पहचान नहीं होनी चाहिए. अगर हिंदू के अलावा कोई और बात करता है तो समझना तुम्हारी भी कश्मीर फाइल बनाने की तैयारी है. जिस घर से मूसा-अफजल-बुरहान निकलेंगे, उस घर में घुसकर मारेंगे." यह बयान वो अन्य टीवी डिबेट और जगह-जगह दे चुके हैं.

कपिल मिश्रा पहले भी इस तरह के भड़काऊ भाषण दे चुके हैं. वह हर टीवी डिबेट में मुसलमानों को टारगेट करते हैं. अपने फेसबुक पेज से शेयर किए एक वीडियो में वह कहते हैं, "देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को." उन्होंने टीवी पर अनेक बार सीएए और एनआरसी को लेकर शाहीन बाग में आंदोलनकारियों को 'आतंकवादी' कहकर संबोधित किया, जो देश में 'आतंक' फैला रहे थे.

कपिल मिश्रा हर मुद्दे पर ट्वीट करते हैं. कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के स्कूल में हिजाब पहनकर जाने पर छिड़े बवाल के बीच उन्होंने ट्वीट किया था, “आज स्कूल हिजाब में आने दो, कल स्कूल में नमाज की जगह दो, फिर हलाल वाली कैंटीन दो, फिर सन्डे नहीं जुम्मे की छुट्टी दो, फिर रमजान में स्कूल बंद करो, फिर काफिरों के बच्चों का स्कूल आना बंद करो. यहीं है पैटर्न तालिबानी सोच.”

कपिल मिश्रा मुसलमानों के प्रति नफरत फैलाने के लिए चर्चित कथित बाबा यति नरसिंहानंद सरस्वती के शुभचिंतक भी हैं. 2021 में कपिल मिश्रा ने यति नरसिंहानंद सरस्वती के लिए 25 लाख रुपए का चंदा जमा करने की अपील की थी. समय- समय पर कपिल मिश्रा, सरस्वती से मिलते भी रहते हैं और उनके लिए चंदा इकट्ठा करते हैं. यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कुछ समय पहले हरिद्वार में हिंदू महासभा में मुसलमानों को लेकर विवादित बयान दिया था. वह समय-समय पर हिंदू महापंचायत में बतौर अतिथि बुलाए जाते हैं, जहां वह मंच से मुसलमानों का बहिष्कार करने को कहते हैं.

केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह

बिहार भाजपा के फायरब्रांड नेता केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अपने ऊट- पटांग बयानों के लिए सुर्खियों में बने रहते हैं. 2020 में गिरिराज ने कहा था, "1947 से पहले हमारे पूर्वज देश के लिए लड़ाई लड़ रहे थे और जिन्ना भारत को इस्लामिक स्टेट की योजना बना रहा था. हमारे पूर्वजों से यह बहुत बड़ी भूल हुई जिसका खामियाजा हम भुगत रहे हैं. अगर उस समय मुसलमान भाईयों को वहां (पकिस्तान) भेज दिया होता और हिंदुओं को भारत ले आते तो आज सीएए की जरूरत न पड़ती."

इस तरह के विवादों से उनका हमेशा का नाता है. साल 2014 में बोकारो में एक रैली के दौरान गिरिराज सिंह ने ऐलान किया था कि जो कोई भी नरेंद्र मोदी का विरोध कर रहा है वो पाकिस्तान का समर्थक है. इस बयान के सामने आने के बाद, गिरिराज के ऊपर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की गई थी.

2018 में गिरिराज ने यह दावा किया था कि भारत के मुसलमान, भगवान राम के ही वंशज हैं.

अपने विवादित बयानों पर जवाब देते हुए आज तक को 2015 में दिए एक इंटरव्यू में गिरिराज सिंह ने कहा था, "मैं केवल राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं. मैं एक सनातन व्यक्ति भी हूं, हिंदू भी हूं. इसलिए मेरे लिए प्रतिकार करने के सिवा कोई रास्ता नहीं है."

सांसद तेजस्वी सूर्या

बेंगलुरु दक्षिण से सांसद और भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने पिछले वर्ष एक रैली के दौरान डीएमके को 'एंटी- हिंदू' बताया था, और कहा था कि तमिलनाडु को बचाने के लिए हिंदुत्व लाना होगा.

2021 में उनका एक वीडियो सामने आया जिसमें उनकी मौजूदगी के दौरान कोविड वॉर रूम के मुस्लिम कर्मचारियों के खिलाफ सांप्रदायिक टिप्पणियां की गईं. वीडियो में नगर पालिका कोविड वॉर रूम में तेजस्वी सूर्या, भाजपा के तीन विधायकों के साथ अधिकारियों पर बरसते हुए दिखाई दे रहे हैं. यहां तेजस्वी ने 17 मुसलमानों के नाम पढ़े जिन्हें कोविड के दौरान बेड की कमी के लिए कसूरवार ठहराया गया. सूर्या को कहते सुना जा सकता है, "उन्हें (मुसलमानों) कारपोरेशन के लिए रखा है या मदरसे के लिए?"

2021 में ही उडुपी में एक कार्यक्रम, 'विश्वरपणम' के दौरान तेजस्वी ने कहा था, "हमें बड़ा सोचना होगा. केवल हमारे घरों के पास के मुसलमानों या ईसाइयों का पुनः धर्म-परिवर्तन करना काफी नहीं है. आज के पाकिस्तान में उन मुसलमानों को फिर हिंदू धर्म में परिवर्तित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए."

संबित पात्रा

संबित पात्रा का नाम टीवी पर होने वाली डिबेट में शायद सबसे चर्चित और विवादित है. वह हर डिबेट में चिल्लाने और उसमें शामिल मुसलमान प्रतियोगियों पर बरसने के लिए मशहूर हैं.

साल 2018 में रिपब्लिक टीवी पर हो रही एक बहस में संबित पात्रा आक्रामक हो जाते हैं. वह फहीम बेग को कहते हैं, "कितना भी चिल्ला ले मंदिर वहीं बनेगा. घोड़े खोल ले. मंदिर वहीं बनेगा मौलाना."

एबीपी न्यूज़ की एक डीबेट में संबित, ऑल इंडिया इमाम संघ के प्रतिनिधि मौलाना साजिद रशीदी को 'आतंकवादी मौलाना' कहकर चुप कराते हैं कि वह राम मंदिर के विषय में न बोले. इसी डिबेट में रशीदी कहते हैं कि उन्हें दुख होता है जब हिंदू भगवान राम के नाम पर राजनीतिक रोटी सेकते हैं. इस पर भड़के हुए संबित कहते हैं, "क्यों मौलाना आप अल्लाह के नाम पर राजनीतिक रोटी सकते हैं? अल्लाह रोटी सेकता है.."

वह कई बार इन कार्यक्रमों में मौलानाओं को 'आईएसआई का एजेंट' कहकर बुलाते हैं.

अनुराग ठाकुर

2020 में तत्कालीन केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर का एक वीडियो सामने आया था. यह वीडियो 27 जनवरी 2020 में दिल्ली चुनाव के दौरान का था. रिठाला विधानसभा में भाषण के दौरान वह कहते सुनाई देते हैं, "देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को" इस दौरान स्टेज पर सांसद हंस राज हंस भी मौजूद थे. इस वीडियो के सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने अनुराग ठाकुर को सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए नोटिस भी भेजा था.

नंदकिशोर गुर्जर

इस साल उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान, लोनी से भाजपा उम्मीदवार नंदकिशोर गुर्जर ने अपना चुनाव प्रचार 'न अली, न बाहुबली - यहां सिर्फ बजरंगबली चलेंगे' से शुरू किया था. इसके लिए उन्हें चुनाव आयोग ने नोटिस भी जारी किया था.

2020 में नवरात्रि के दौरान गाजियाबाद के लोनी में उन्होंने खुद जाकर मांस की दुकानें बंद कराई थीं.

उसी साल, ईद-उल-अधा के अवसर पर उन्होंने एक विवादित टिप्पणी की थी. गुर्जर ने कहा था, "जो लोग ईद पर कुर्बानी देना चाहते हैं, वे अपने बच्चों की कुर्बानी दें. मैं लोनी में लोगों को मांस और शराब का सेवन नहीं करने दूंगा. हम लोगों को निर्दोष जानवरों की बलि नहीं देने देंगे क्योंकि मांस से कोरोना वायरस फैलता है."

यह भारतीय जनता पार्टी के चंद नेता हैं, जो भाजपा के ही अनुसार 'फ्रिंज' कही जा सकने वाली बयानबाजी करते हैं. लेकिन भाजपा अपने चर्चित और शीर्ष के नेताओं को 'फ्रिंज' मानने से मुंह मोड़ लेती है. नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल पर हुई कार्रवाई के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इन नेताओं के आचरण में कोई सुधार आएगा भी या नहीं?

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