Saransh
सारांश: सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को माना पेशा, जानिए भारत में क्या हैं नियम?
हमारे देश में सेक्स वर्क को घृणा की नजर से देखा जाता है. हम उनके लिए 'तवायफ', 'वेश्या', और 'गंदा काम करने वाली' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. भले ही समाज में अब भी उनके काम को सम्मान से न देखा जाता हो, लेकिन हाल ही में देश की सर्वोच्च अदालत ने सेक्स वर्क को एक पेशा माना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक सेक्स वर्कर को सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीवन जीने का अधिकार है. साथ ही अदालत ने पुलिस को भी हिदायत दी है.
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संविधान पुलिस को सेक्स वर्कर्स के साथ बदसलूकी करने, उन्हें गालियां देने, और उन्हें प्रताड़ित करने का कोई अधिकार नहीं देता. अदालत ने कहा कि एक यौनकर्मी के बच्चे को सिर्फ इस आधार पर मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए कि वह देह व्यापार में शामिल है. अदालत की ओर से मीडिया को भी हिदायतें दी गईं.
बेंच ने कहा कि मीडिया को इस बात का अत्यधिक ध्यान रखना चाहिए कि गिरफ्तारी, छापे और बचाव कार्यों के दौरान यौनकर्मियों की पहचान सामने न आए. चाहे वह पीड़ित हो या आरोपी, ऐसी कोई भी तस्वीर प्रकाशित या प्रसारित न करें जिससे उनकी पहचान का खुलासा हो.
सेक्स वर्कर्स को लेकर अदालत ने क्या कहा और इसे लेकर देश का कानून क्या कहता है यह जानने के लिए सारांश का यह एपिसोड देखें.
Also Read
-
No FIR despite complaints: Muslim families say forced to leave Pune village amid ‘boycott, threats’
-
Why are tribal students dropping out after primary school?
-
Let Me Explain: CBFC or censorship bureau? Who’s deciding what India can watch
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
At least 300 end-of-life vehicles in Delhi Police fleet, RTI suggests