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टीवी-9 के वर्ल्ड एक्सक्लूसिव खुलासे का सच

श्रीलंका भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है. इसकी रिपोर्टिंग के लिए भारत से कई पत्रकार श्रीलंका पहुंचे थे. कई पत्रकारों ने वहां से ग्राउंड रिपोर्टिंग की और वहां के हालात से लोगों को रूबरू कराया. अब कुछ पत्रकारों पर श्रीलंका से फर्जी रिपोर्टिंग करने का आरोप लग रहा है. यह सब दैनिक भास्कर की रिपोर्टर पूनम कौशल के एक फेसबुक पोस्ट से सामने आया है.

पत्रकार पूनम कौशल भी रिपोर्टिंग के लिए श्रीलंका गई हुईं थीं. वहां से लौटने के बाद उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिए टीवी-9 भारतवर्ष की एक रिपोर्ट पर सवाल खड़ा किया है. वह लिखती हैं कि श्रीलंका के हंबनटोटा के गांव से जो रिपोर्ट टीवी -9 ने की है, वो सच से परे है.

टीवी-9 ने 10 अप्रैल को श्रीलंका के हंबनटोटा से एक वीडियो रिपोर्ट की थी. इसमें उनके रिपोर्टर विवेक बाजपेयी ने कई दावे किए थे. इसको लेकर चैनल ने एक शो भी किया है. जिसमें रिपोर्टर, कैमरामैन के साथ-साथ विदेश मामलों के जानकार भी मौजूद थे.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हंबनटोटा में चीनी अतिक्रमण से स्थानीय लोग नाराज हैं. यहां के लोगों को समुद्र में जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. कहा गया कि यह धीरे-धीरे श्रीलंका पर कब्जे की तैयारी है.

विवेक बाजपेयी दावा करते हैं कि इस पूरे इलाके को चीन ने अपने कब्जे में ले लिया है. पहले चीन ने यहां के अधिकारियों को भरोसे में लिया, फिर अरबों डॉलर का निवेश किया. इसके बाद चीन ने श्रीलंका से निवेश के पैसों को वापस मांगा और जब श्रीलंका ने पैसे वापस नहीं किए तो उसने हंबनटोटा पोर्ट को अपने कब्जे में ले लिया.

रिपोर्ट के मुताबिक रिपोर्टर को ऑफ कैमरा बताया गया है कि धीरे-धीरे पूरे श्रीलंका पर चीन कब्जा करने जा रहा है.

रिपोर्टर विवेक बाजपेयी कहते हैं कि जब वो हंबनटोटा जा रहे थे तब उन्हें रोकने की कोशिश की गई और कहा गया कि अगर आप आगे बढ़े तो आपको गोली भी मारी जा सकती है. इसके बाद भी वह आगे बढ़ गए.

बाजपेयी कहते हैं कि उइगर मुसलमानों को चीन गुलाम बनाकर हंबनटोटा पहुंचा रहा है और उनसे जबरदस्ती पोर्ट पर काम कराया जा रहा है. हंबनटोटा में चीन ने पूरा एक गांव बसा रखा है जिसे टीवी-9 ने अपने कैमरे में कैद किया है.

शो के एंकर अपने रिपोर्टर और कैमरामैन की बहादुरी बयां करते हुए कहते हैं कि टीवी 9 के रिपोर्टर समुंद्र को चीर कर उस इलाके तक भी गए जहां पर श्रीलंकाई लोगों को भी जाने की इजाजत नहीं है. हालांकि पहले दिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली लेकिन बाद में उन्होंने यह कामयाबी हासिल की.

शो में रिपोर्टर कहते हैं, “चीन की फौज को चकमा देकर हम लोग उस जगह घुसने वाले थे जहां बड़ी संख्या में चाइना के लोग मौजूद हैं. इनमें ज्यादातर लोग उइगर गुलाम हैं जिन्हें कुछ भी बोलने की इजाजत नहीं है. इस दौरान बहुत खतरा था और हमें बार-बार कैमरा छुपाना पड़ रहा था. हमें डर था अगर किसी की नजर कैमरे पर पड़ जाती तो श्रीलंका से हमारी वापसी मुश्किल हो जाती.”

शो के दौरान विवेक बाजपेयी के साथ श्रीलंका गए कैमरामैन मदन कहते हैं कि जब हम हंबनटोटा जा रहे थे तब हर दस कदम पर चेकपोस्ट नजर आ रहे थे. हम छुपते छुपाते आगे बढ़ रहे थे.

यह सब जिस शो में कहा गया उसका नाम 'ऑपरेशन 'हंबनतोता' देखेगा... विश्व विलेन कांप उठेगा' है. इस शो के दौरान चीन को बार-बार विलेन बताया जा रहा था.

पूनम कौशल क्या कहती हैं…

पूनम, टीवी-9 की खबर को सच से परे बताते हुए लिखती हैं, ‘‘मैं टीवी-9 भारतवर्ष की एक रिपोर्ट के बारे में लिख रही हूं. टीवी-9 इस समय टीआरपी के हिसाब से देश का नंबर वन चैनल है. ऐसे में मैं ये समझती हूं कि वहां काम करने वाले पत्रकार अपने आपको पहले से अधिक ज़िम्मेदार महसूस कर रहे होंगे. लेकिन टीवी-9 ने श्रीलंका के हंबनटोटा के गांव से जो रिपोर्ट की है वो सच से परे है.’’

इस पूरे मामले को जानने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री ने कौशल से बात की. वह कहती हैं, “टीवी-9 की इस रिपोर्ट को देखने के बाद मैंने वहां मौजूद श्रीलंका और भारत के अन्य पत्रकारों को भी दिखाया. जिसे देखने के बाद वे इसका मजाक बनाने लगे. मुझे दुख हुआ कि भारतीय मीडिया का यहां (श्रीलंका) मजाक बन रहा है. फिर मैंने खुद हंबनटोटा जाने का फैसला किया.”

वह कहती हैं, ‘‘जहां से टीवी-9 ने रिपोर्ट की है वह श्रीलंका का एक गांव रूची विलेज है. वहां कोई भी आसानी से आ जा सकता है. लोग भी आसानी से बात करते हैं. वहां रास्ते में न तो कोई चेकपोस्ट है और न ही कोई स्नाइपर.’’

टीवी-9 ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि हंबनटोटा पोर्ट पर जाते समय उनको 500 चेक पोस्ट और 1000 स्नाइपर मिले.

रिपोर्टर ने जिसे चीनी लोगों का गांव बताया है. उस पर पूनम कहती हैं, “वे वहां के स्थानीय मुसलमान हैं. श्रीलंका में 2004 में आई सुनामी में जिनके घर उजड़ गए थे, वही लोग रह रहे हैं. वहां कोई चाइना का उइगर मुसलमान नहीं हैं.”

इस पूरे मामले पर हमने टीवी-9 का पक्ष भी जानने की कोशिश की. टीवी-9 के संपादक संत प्रसाद राय को फोन किया, लेकिन उन्होंने व्यस्तता बताते हुए फोन काट दिया. हमने उन्हें और टीवी-9 के सीईओ बरुण दास को कुछ सवाल मेल पर भेजे हैं. लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया है. जवाब आने पर इस रिपोर्ट में जोड़ दिया जाएगा.

रिपोर्ट के लिए दो दिन तक यह शूट चलता रहा

टीवी-9 की श्रीलंका गई टीम के एक सदस्य नाम नहीं छापने की शर्त पर 500 चेकपोस्ट और 1000 स्नाइपर के सवाल पर कहते हैं, “हमारी टीम का टैक्सी ड्राइवर श्रीलंका की बहुत पुरानी कैब सर्विस का कर्मचारी था. करीब 25-30 साल पुराना ड्राइवर. वो रास्ते में पड़ने वाली हर चेकपोस्ट पर बात करता था. उसने हमारे सहकर्मियों को बताया था कि अगर कोई पूछे तो कहना कि कोलंबो में कर्फ्यू लगा हुआ है इसलिए हम इधर घूमने आ गए हैं. हम टूरिस्ट हैं.”

वो कहते हैं, “हम आहत हैं कि जान पर खेलकर हमारे सहकर्मियों ने यह रिपोर्ट की है, और उनके बारे में ऐसा कहा जा रहा है.”

वहीं एक अन्य संस्थान के रिपोर्टर जो भारत से श्रीलंका कवरेज के लिए गए थे, अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘‘हर चीज को सनसनीखेज बनाकर दिखाया गया. टीवी-9 अकेले ऐसा नहीं कर रहा है. अन्य दूसरे चैनल भी ऐसा ही कर रहे हैं. टीवी 9 की रिपोर्ट पूरी तरह नाटकीय है. उसमें जो दावे किए जा रहे थे वह भी रिपोर्ट में कुछ साबित नहीं कर पा रहे थे. वह बहुत फनी था.’’

वे आगे कहते हैं, ‘‘चीन, श्रीलंका में अपनी पैठ बना रहा है और यह भारत के लिए भी खतरा है. यह सच्चाई है. लेकिन तिल का ताड़ और राई को पहाड़ बनाकर ख़बर को पेश करना गलत है.’’

हंबनटोटा बंदरगाह

चीन और श्रीलंका में 2017 में एक समझौता हुआ था. इसके मुताबिक चीन की सरकारी कंपनियों को 99 साल की लीज पर हंबनटोटा बंदरगाह की 70 फीसदी की हिस्सेदारी दे दी गई. इसके बाद चीन ने इसमें दोबारा निवेश शुरू किया.

बता दें कि हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आईएंडबी) ने टीवी चैनलों के लिए एडवाइजरी जारी की है. मंत्रालय ने जारी चेतावनी में कहा कि सैटेलाइट टीवी चैनलों ने घटनाओं के कवरेज में अप्रमाणिक, भ्रामक, सनसनीखेज तथा सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा एवं टिप्पणियों का इस्तेमाल किया है. यह कवरेज मानहानिकारक और सांप्रदायिकता को भड़काने वाला है.

यूक्रेन और रूस युद्ध को लेकर की गई रिपोर्टिंग पर मंत्रालय ने कहा कि इन चैनलों ने निंदनीय सुर्खियां चलाई है, पत्रकारों ने मनगढ़ंत दावे किए और दर्शकों को उकसाने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर खबरों को प्रस्तुत किया. यह दर्शकों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं और बड़े पैमाने पर शांति भंग कर सकते हैं.

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