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झटका सर्टिफिकेट अथॉरिटी: “हलाल का समर्थन करना आतंकवाद को बढ़ावा देना है”

देश में अब लोगों को क्या खाना है और कब खाना है इसको भी बताया जा रहा है. ताजा मामला कर्नाटक का है जहां हिजाब विवाद के बाद हिंदू संगठनों ने हलाल मीट पर बैन लगाने की मांग की. इस बीच आपको याद होगा कि दिल्ली दक्षिणी नगर निगम के मेयर ने नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानें बंद करने को लेकर एक पत्र जारी किया था.

यह दोनों ही कदम मुस्लिम समाज के खिलाफ नजर आते हैं क्योंकि मीट व्यवसाय में ज्यादातर मुस्लिम लोग ही जुड़े हुए हैं. वहीं हलाल मीट भी मुस्लिम लोग ही काटते हैं. एक ओर जहां अजीबो-गरीब फरमान जारी हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ देशभर में ‘धर्म संसद’ कर लोगों को एक धर्म के खिलाफ बरगलाया जा रहा है.

झटका सर्टिफिकेट अथॉरिटी के प्रमुख रवि रंजन सिंह भी उनमें से एक हैं जो धर्म संसद में हिस्सा लेते हैं और वहां आए लोगों को संबोधित भी करते हैं. पेशे से कभी खुद को पत्रकार कहने वाले रवि रंजन आज झटका का प्रचार प्रसार और हलाल के जरिए मुसलमानों को कोसने का काम करते हैं.

रवि रंजन सिंह, विवादित बयान देने वाले गाजियाबाद स्थित डासना देवी मंदिर के मंहत यति नरसिंहानंद सरस्वती के साथ कई धर्म संसद में हिस्सा ले चुके हैं. रवि रंजन कहते हैं, वह दो-तीन बार डासना मंदिर पर झटका के प्रचार- प्रसार के लिए गए. साथ ही वह दिसंबर 2021 में हरिद्वार में हुए धर्म संसद में भी गए थे. वहीं रवि हाल ही में हिमाचल प्रदेश में हुए धर्म संसद में भी गए थे.

क्या है ‘झटका सर्टिफिकेट अथॉरिटी?’

साल 2018 में झटका सर्टिफिकेट अथॉरिटी (जेसीए) की शुरूआत हुई. उससे पहले वह लाइव वैल्यू फाउंडेशन के नाम से जाना जाता था. इस फाउंडेशन की शुरूआत साल 2016 में रवि रंजन सिंह ने की थी.

रवि रंजन सिंह कहते हैं, “झटका की हिंदुओं, सिखों आदि भारतीय, धार्मिक परंपराओं में ‘बलि/बलिदान’ देने की पारंपरिक पद्धति है. इसमें जानवर की गर्दन पर एक झटके में वार कर रीढ़ की नस और दिमाग का संपर्क काट दिया जाता है, जिससे जानवर को मरते समय दर्द कम होता है. यह भारतीय सम्मान की बात है. प्राचीन भारतीय परंपरा को बचाए रखना बहुत जरूरी है जो विलुप्त होने के कगार पर है. मांस माफियाओं ने पारंपरिक तौर पर कटाई को बदल दिया है.”

यह अथॉरिटी देशभर में झटका पद्धति से मीट कटाने वाले दुकानदारों और बड़े मीट कारोबारियों को सर्टिफिकेट जारी करती है. सिंह कहते हैं, “हमने अभी तक 2000 से ज्याद सर्टिफिकेट जारी किए हैं. जो देश के अलग-अलग हिस्सों में दिए गए हैं. हमारे साथ 20-25 सहयोगी हैं जो झटका के प्रचार-प्रसार पर काम करते हैं. सर्टिफिकेट के लिए हम छोटे दुकानदारों से 2500 रूपए सलाना फीस लेते हैं वहीं बड़े कारोबारियों से 30-40 हजार रूपए और कुल मुनाफे का 0.25 प्रतिशत लेते हैं.”

झटका सर्टिफिकेट कुल तीन तरह के हैं. पहले लेवल पर ‘ए’, दूसरे लेवल पर ‘एए’ और तीसरे पर ‘एएए’ सर्टिफिकेट मिलता है. पहला सर्टिफिकेट केवल दुकानदारों के लिए होता है. दूसरे सर्टिफिकेट के लिए टीम मौके पर जाकर जांच करती है और तीसरे सर्टिफिकेट के लिए जांच के अलावा कंपनी के बैंक और अकाउंट भी चेक करते हैं, कि कहीं कोई हलाल मीट तो नहीं दे रहा है.

सिंह आगे कहते हैं, “झटका के जरिए हम खटीक जाति को इस व्यवसाय से जोड़ना चाहते हैं. जो बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं.”

झटका की आड़ में मुसलमानों पर टारगेट

रवि रंजन झटका के जरिए हिंदू तरीकों को आगे बढ़ाने की बात करते हैं तो वहीं हलाल के विरोध में मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते हैं. वह कहते हैं, “हलाल को सपोर्ट करना दरअसल में आतंकवाद को बढ़ावा देना है. वह (मुस्लिम) हलाल के जरिए लव जिहाद करते हैं और इस्लाम के प्रचार-प्रसार में इसका उपयोग करते हैं.”

सिंह हलालो-नॉमिक्स शब्द का उपयोग कर कहते हैं, “हलाल सिर्फ मांस नहीं है, यह हर जगह है... ये आर्थिक ब्लैक होल हैं जो आर्थिक गुलामी की ओर ले जा रहा है. गैर-मुसलमानों को रोजगार से वंचित किया जा रहा है. हम सब गुलाम हो जाएंगे."

“इस दुनिया में हर उत्पाद, हर अवधारणा हलाल है. वे (मुसलमान) इसे हम पर थोप रहे हैं.” सिंह के अनुसार, हलालो नॉमिक्स में अस्पताल, हाउसिंग कॉम्प्लेक्स, स्कूल और एयरलाइंस शामिल हैं. वह इसे गैर-मुसलमानों को बाहर रखने के लिए हलाल गठजोड़ का हिस्सा बताते हैं.

सिंह बताते हैं, “हलाल के जरिए मिलने वाले पैसे का उपयोग इस्लाम को बढ़ाने के लिए करते है.”

वह साजिश का जिक्र करते हुए कहते हैं कि मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को इस्लाम में परिवर्तन करने के एकमात्र उद्देश्य से बहकाते हैं. “मैं अपनी बेटी को भगाने के लिए क्यों पैसे दूं.” सिंह कहते हैं.

वह आगे कहते हैं, “बैंकिग, आवास, अस्पताल, दवा, हर जगह हलाल है. अब तो हलाल डेटिंग साइट और हलाल वेश्यावृत्ति भी है.” सिंह आरोप लगाते हुए कहते हैं, ”हलाल स्कूल, अस्पताल और अन्य सस्थान” गैर-मुसलमानों से पैसा लेते हैं और इसका इस्तेमाल अपने उद्देश्यों के लिए करते हैं. यह पैसे का एकतरफा लेनदेन है.”

"वे पैसों का उपयोग इस्लाम, आतंकवाद और लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए करते हैं”, सिंह हलाल प्रोडक्ट के जरिए मिलने वाले पैसों को लेकर बताते हुए कहते है.

हाउसिंग कॉमप्लेक्स के जरिए किस तरह से इस्लाम को बढ़ाया जा रहा है. इस पर एक उदाहरण देते हुए कहते हैं, “इस्लाम में घर के अंदर बाथरूम को मक्का की दिशा की तरफ नहीं बनाया जाता. वह अपने धर्म को ध्यान में रखकर घर बनाते हैं और फिर उसे गैर मुसलमानों को बेचते हैं.”

इसी तरह वह बैंकिग में हलाल को समझाते हुए कहते हैं, ”इस्लाम धर्म में ब्याज पर पैसे देने की मनाही है, क्योंकि सूदखोरी को हराम माना जाता है. ऐसे में जो इस्लामिक बैक हैं वह लोन पर ब्याज नहीं लेंगे. जबकि वह गैर मुसलमानों से लेंगे. यह एक तरह से भेदभाव है.”

पत्रकार से एक्टिविस्ट बने रवि रंजन सिंह

रवि रंजन ने अपने करियर की शुरूआत साल 1987 में पत्रकार के तौर पर की थी. वह कहते हैं कि उन्होंने दो-तीन साल शुरूआत में संसद को कवर किया. उसके बाद अमेरिका चले गए वहां उन्होंने एनबीसी के साथ किया. फिर 1989 में वापस भारत आ गए और फिर यहां एसीएमएडीआईए नाम से एक समाचार एजेंसी की शुरूआत की.

हालांकि न्यूज़लॉन्ड्री "एसीएमएडीआईए" एजेंसी की पुष्टि नहीं कर पाया. झटका की शुरूआत करने से पहले सिंह ‘लाइव वैल्यू फाउंडेशन’ चलाते थे. साल 2014 में उन्होने झटका सर्टिफिकेट ऑथारिटी की स्थापना की. यह एक एनजीओ के तौर पर पंजीकृत है. सिंह बताते हैं, “साल 2020 के बाद से झटका सर्टिफिकेट के बारे में लोगों को ज्यादा पता चला. पिछले दो सालों में हमने अधिकतर सर्टिफिकेट जारी किए हैं. उससे पहले यह आंकडा मात्र 100 सर्टिफिकेट प्रति साल का था.”

सिंह बताते हैं गैर हिंदू लोग झटका को समर्थन करते हैं साथ ही उन्हें ईसाई धर्म का भी समर्थन है. वह खुद को ‘कट्टर हिंदू’ बताते हैं. वह कहते हैं कि इंसान अपने जीवन में कई धर्म निभाता है जैसे कि पिता धर्म, बेटा धर्म, देश धर्म लेकिन उन्हें इस धर्म से दिक्कत नहीं है लेकिन हिंदू-मुस्लिम वाले ‘धर्म से दिक्कत’ है. उनके मुताबिक देश के संविधान में धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा सही से नहीं बताई गई है.

रवि रंजन सिंह (फोटो साभार - फेसुबक)

रवि रंजन, विवादस्पद यति नरसिंहानंद के साथ न सिर्फ कई बार स्टेज साझा कर चुके हैं. बल्कि बलूचिस्तान और सिंध की आजादी का समर्थन करने के लिए मीटिंग करते हैं. वह गुरूग्राम में नमाज विवाद के दौरान भी मौजूद थे. गुरूद्वारे द्वारा मुसलमानों को दी गई नमाज की जगह का सिंह विरोध कर रहे थे.

यही नहीं सिंह रामजन्म भूमि विवाद पर दाखिल केस में भी याचिकाकर्ता थे. वह कहते हैं, ”हम चाहते थे कि अयोध्या वेटिकन की तरह भारत का पवित्र शहर हो और यही हमारी लड़ाई थी.”

वह यति के साथ अपने संबंधों पर कहते हैं, ”स्वामी यति नरसिंहानंद मुझे झटका के बारे में बोलने और पूरे देश में गैर-मुस्लिम धर्मों को बढ़ावा देने का मंच देते हैं. हम दोनों मिलकर काम करते हैं.”

सिंह आगे कहते हैं, “यति के संदेश देने का तरीका गलत हो सकता है लेकिन मैं उनके विचारों का पूरी तरह से समर्थन करता हूं.”

झटका मीट और हलाल मीट

दिल्ली के उत्तम नगर में झटका मीट की दुकान मुकेश गंगवाल चलाते हैं. जाति से मुकेश खटीक हैं. मीट की दुकान चलाने वाले गंगवाल ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उन्होंने यूट्यूब पर झटका सर्टिफिकेट अथॉरिटी का वीडियो देखने के बाद सिंह की संस्था में सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था.

गंगवाल कहते हैं, ”मुसलमान हलाल मीट को सस्ते दामों पर बेचकर हमारा धंधा छीन लेते हैं लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे. मैं खटीक हूं और हलाल हमारी परंपरा के खिलाफ है.”

हालांकि हलाल दुकान चलाने वाले मुस्लिम व्यापारी इस बात से इंकार करते हैं की हलाल मांस सस्ता बिकता है.

दिल्ली में मीट की दुकान के मालिक जुहैब कुरैशी कहते हैं, “दाम की बात गलत है. यह तो दुकान के मालिक पर निर्भर करता है कि वह कितना लाभ कमाना चाहता है और वह मीट कितने में बेचता है. मेरी दुकान को 12 साल हो गए और मेरे 90 प्रतिशत ग्राहक हिंदू हैं.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने झटका सर्टिफिकेट अथॉरिटी में बतौर वालंटियर काम करने वाली लता गंगवाल से भी बात की और पूछा कि वह हलाल मीट के खिलाफ अभियान क्यों चला रही हैं?

वह कहती हैं, “हलाल मीट खाना सेहत के लिए सही नहीं है. यह मेडिकल तौर पर सिद्ध हो चुका है.” हालांकि उन्होंने इस दावे के समर्थन में कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं दिया. वह दिल्ली के आस-पास कसाई और मांस व्यापारियों के साथ बैठक कर उन्हे झटका मीट के बारे में जागरूक करती हैं.

क्या सरकार से झटका को लेकर कोई मदद मिली है? इस पर रवि रंजन कहते हैं, “सरकार से मदद तो नहीं मिली है लेकिन वह हमारे प्रति उदार है.”

यह पूछे जाने पर क्या आप राजनीति में आना चाहते हैं? इस पर सिंह कहते हैं “राजनीति नहीं. मेरा सिर्फ एक ही लक्ष्य है कि मैं अपने लोगों के लिए धर्म सेवा करता रहूं.”

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