Report
जहांगीरपुरी हिंसा: हनुमान जंयती, भगवा झंडा और उकसाऊ भीड़
“हमें बांग्लादेशी आतंकवादी कहा जा रहा है. बिना वजह बताए हमारे घर से लोगों को उठाकर ले गए. महिलाओं को पीटा. बच्चों को चोटें आईं. सुबह से पुलिस स्टेशन के बाहर खड़े हैं. हमें एक बार भी अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है.” पुलिस स्टेशन के बाहर खड़ीं आयशा रोते हुए कहती हैं.
इस दौरान पुलिस ने स्टेशन का दरवाजा बंद कर दिया.
इसके कुछ ही देर बाद भाजपा कार्यकर्ता और बजरंग दल समेत कई हिंदू संगठनों के लोग पुलिस स्टेशन के बाहर भीड़ के साथ पहुंच गए और “जय श्री राम” का नारा लगाने लगे. देखते ही देखते कुछ ही देर में सांसद हंस राज हंस और भाजपा नेता आदेश गुप्ता भी वहां पहुंचे.
यह सब रविवार 17 अप्रैल को जहांगीरपुरी पुलिस स्टेशन के बाहर हो रहा था. जब मुस्लिम समुदाय की महिलाएं पुलिस से बात करने के लिए थाने पहुंची थीं.
32 वर्षीय आयशा के शरीर पर चोट के घाव अब भी ताजा हैं. वह कहती हैं, “रात को 2 बजे पुलिस हमारे घर का दरवाजा पीटने लगी और जबरदस्ती हमारे घर के आदमियों को उठाकर ले गई. जब हम रोकने लगे तो हम पर हाथ उठाया गया.”
बीते शनिवार 16 अप्रैल को दिल्ली में हनुमान जयंती के दौरान निकाली गई शोभायात्रा में दो समुदायों के बीच हुई हिंसा में पुलिस ने मोहम्मद अंसार समेत 22 लोगों की गिरफ्तारी की है. इन लोगों में आयशा के देवर 28 वर्षीय मुख्तार, 25 वर्षीय अक्सार और 15 वर्षीय असलम भी हैं.
हादसे के बाद से ही भारी सुरक्षा बल सीआरपीएफ, रैपिड एक्शन फाॅर्स और दिल्ली पुलिस घटना स्थल पर तैनात कर दी गई. हर गली के अंदर और बाहर जाने के रास्ते के गेट को पुलिस ने बंद कर दिया है. जिसके कारण कोई भी गली से बाहर नहीं जा पा रहा. यह सब उस समय हो रहा है जब रमजान का समय चल रहा है.
क्या है मामला?
बीते शनिवार को दिल्ली में दो पक्षों के बीच हिंसा हुई. मामला जहांगीरपुरी ब्लॉक सी में स्थित जामा मस्जिद का है. हनुमान जयंती के मौके पर भाजपा, वीएचपी, बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों द्वारा दिन भर में तीन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इनमें सुबह नौ बजे शोभायात्रा, दूसरा दोपहर 3:30 बजे बाइक रैली और शाम 4 बजे शोभायात्रा का आयोजन किया गया. आखिरी शोभायात्रा जहांगीरपुरी ईई ब्लॉक से शुरू हुई थी. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि इसमें हजारों लोग शामिल हुए थे.
इस पूरे मामले को जानने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री की टीम ग्राउंड पर पहुंची और दोनों समुदायों के लोगों से बातचीत की.
शाम का समय था और रोजा खोलने का समय नजदीक था. उसी दौरान करीब 6:15 बजे शोभायात्रा मस्जिद के बाहर आकर रुक गई. यात्रा में बज रहे स्पीकर पर गानों की आवाज भी तेज हो गई.
यह घटना 30 वर्षीय मेहदुल के सामने की है. मेहदुल 16 अप्रैल की शाम को नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद गए थे. वह बताते हैं, “शाम 6:15 बजे का समय था. यात्रा का झुंड मस्जिद के सामने रूककर तेज आवाज में बज रहे गानों पर नाच रहा था. उनके हाथ में तलवारें थीं. कुछ लोगों ने मस्जिद में भगवा झंडा लहराने का प्रयास किया. उन्हें रोकने के लिए हमारे समुदाय के लोग गए थे. इसके बाद दोनों पक्षों में बहस हुई जिसने हिंसक रूप ले लिया.”
जब न्यूज़लॉन्ड्री की टीम घटनास्थल पर पहुंची तब हमने पाया कि टूटी हुई कांच की बोतलें, पत्थर और भगवा रंग के झंडे मस्जिद के अंदर पड़े हुए थे.
इस पूरे मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एक एफआईआर दर्ज की है. इस एफआईआर में शिकायतकर्ता खुद इंस्पेक्टर राजीव रंजन सिंह हैं. एफआईआर के अनुसार अंसार अपने 4-5 अन्य साथियों के साथ शोभायात्रा में आया और लोगों से बहस करने लगा. जिसके कारण दोनों पक्षों में पथराव हुआ व भगदड़ मच गई. इस पूरी घटना में पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हुए.
“लोगों की मदद करने गया था अंसारी”
मामले में मुख्य आरोपी 40 वर्षीय मोहम्मद अंसार मोबाइल रिपेयरिंग का काम करते हैं. अंसार का परिवार पश्चिम बंगाल के हल्दिया का रहने वाला है. 16 अप्रैल को शाम के 6 बज रहे थे. अंसार अपने परिवार के साथ जहांगीरपुरी ब्लॉक सी में बने अपने मकान में इफ्तारी की तैयारी कर रहे थे. इतने में ही उन्हें एक कॉल आया.
अंसार की पत्नी 35 वर्षीय सकीना न्यूज़लॉन्ड्री से कहती हैं, “अंसार को शाम 6 बजे किसी का कॉल आया था कि वह मस्जिद आ जाएं. वहां भीड़ जमा हो रही है. उसे हटाने के लिए उनसे मदद मांगी गई थी. जिसके बाद वह चले गए. उनका हमेशा से यह स्वभाव रहा है. जब भी कोई उन्हें मदद के लिए बुलाता है तो वह तुरंत चले जाते हैं.”
जहांगीरपुरी में अंसार का खुद का घर है. उनकी शादी को 20 साल हो गए हैं. अंसार के पांच बच्चे हैं. और वह महीने में 7000 रुपए तक कमा लेते हैं.
16 अप्रैल के बारे में बताते हुए सकीना आगे कहती हैं, “जब माहौल ठंडा हो गया था तो वह रात 7:30 से 8 बजे तक घर आ गए थे. रात को 11 बजे पुलिस घर आकर अंसार को ले गई. हमें इसकी वजह भी नहीं बताई गई.”
नाम गोपनीय रखने की शर्त पर अंसार की मौसी ने हमें बताया कि उसी शाम अंसार के भतीजे 19 वर्षीय जाहिद को भी पुलिस उठाकर ले गई थी.
उनका आरोप है, “शाम को 6 बजे जाहिद रोज की तरह मस्जिद गया था. वह मस्जिद में इफ्तारी के लिए मदद कराता था, उस शाम वह लौटकर वापस नहीं आया. पुलिस उसे बीच रास्ते से ही उठाकर ले गई.”
बांग्लादेशी आतंकवादी बताकर एक ही घर से तीन लोगों को किया गिरफ्तार
32 वर्षीय आयशा का परिवार पिछले 40 साल से जहांगीरपुरी के सी ब्लॉक गली नंबर 5 में रहता है. उनके दादा-दादी पश्चिम बंगाल के मेधनीपुर (हल्दिया) से दिल्ली आए थे.
आयशा के तीन देवरों, मुख्तार, अक्सार और असलम को पुलिस पकड़कर ले गई. आयशा ने हमें बताया कि पुलिस रात को ढाई बजे उनके घर आई थी.
वह कहती हैं, “रात को जब एक बजे पुलिस आई तो मोहल्ले के लोग अपने घरों के बाहर खड़े थे. इस दौरान पुलिस ने उनसे अंदर जाने को कहा. इसके बाद पुलिस करीब ढाई बजे फिर से मोहल्ले में आई और हमारे घर का दरवाजा जोर-जोर से पीटने लगी. जब हमने दरवाजा खोला तो पुलिस हमारे घर में घुस गई और मुख्तार, अक्सार और असलम को पीटकर बाहर ले गई. हमने वजह पूछी तो हमें ही डंडे और लातों से मारने लगे.”
आयशा का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें और महोल्ले की अन्य महिलाओं को लात और डंडों से मारा. आयशा ने हमें अपने शरीर पर घाव भी दिखाए. वह गली में लगे सीसीटीवी कमरे की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, “अगर मैं झूठ बोल रही हूं तो सीसीटीवी कैमरा की फुटेज निकालकर देख लो.”
मुख्तार पास में स्थित सीडी पार्क में चाय और खाने की दुकान चलाते हैं. छोटा भाई अक्सार की पनवाड़ी की दुकान है और असलम दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं. तीनों महीने का 8000 से 10000 रुपए कमा लेते हैं.
असलम पर हिंसा के दौरान गोली चलाने का आरोप लगाया गया है. वह महज 15 साल का है. आयशा कहती हैं, “पुलिस घर आई थी. उन्होंने अपनी पिस्टल असलम के हाथ में रख दी और कहने लगे तेरे पास बंदूक है, तूने गोली चलाई थी. जबकि हमारे घर में कोई बंदूक नहीं है.”
आयशा आगे कहती हैं, “पुलिस ने हमें बांग्लादेशी आतंकवादी कहकर बुलाया. जबकि यहां हिंदू व मुस्लिम परिवार पिछले 40 साल से साथ रह रहे हैं. चुनाव के समय ये नेता हमारे घर हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं. अब हमें रोहिंग्या कहकर बुला रहे हैं.”
आयशा ने शोभायात्रा को देखा था. उन्होंने हमें बताया, “शोभायात्रा में जय श्री राम के नारे लगाए जा रहे थे. और साथ ही कहा जा रहा था, ‘हिंदुस्तान में रहना होगा जय श्री राम कहना होगा.’ हमें हिंदुओं से कोई तकलीफ नहीं है. हम चाहते हैं सब साथ रहें लेकिन हमें दबाया क्यों जा रहा है?”
क्या कहता है दूसरा पक्ष?
घटना के बाद से ही लोगों ने इसे सांप्रदायिक रूप देना शुरू कर दिया. “अगर ये गद्दारों की औलाद हैं तो इन्हें पाकिस्तान, अफगानिस्तान चले जाना चाहिए. इनको यहां रहकर परेशानी किस बात की है? क्यों रह रहे हैं यहां पर?” यह सब जहांगीरपुरी पुलिस स्टेशन के बाहर बोला गया और यह कहने वाला व्यक्ति भाजपा नेता सूर्य प्रकश मैथिलि हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री ने शोभायात्रा के संयोजकों से भी बातचीत की. लक्ष्मीशंकर शुक्ला आदर्श नगर भाजपा मंडल उपाध्यक्ष हैं. 16 अप्रैल की घटना के बारे में कहते हैं, “उस शाम शोभायात्रा बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से निकल रही थी. एक दम से ही हम पर पथराव होने लगा. भगदड़ मच गई. पीछे मुड़कर देखा तो महिलाएं भी पत्थर चला रही थीं. रोहिंग्या मुसलमान ही इसी तरह की हरकत करते हैं.”
इस पर भाजपा की पार्षद गरिमा गुप्ता कहती हैं, “यहां बांग्लादेशी रहते हैं. हर आपराधिक गतिविधि में वे शामिल होते हैं. इन्होंने डीडीए की जमीन पर अवैध अतिक्रमण किया हुआ है. सालों से यहां हिंदू- मुस्लिम साथ रह रहे हैं लेकिन कल (16 अप्रैल) इन बांग्लादेशी शरारती तत्वों ने ही हिंसा भड़काई और दंगे करवाए हैं.”
“दिल्ली पुलिस हाय- हाय. हमें इंसाफ चाहिए.”
ये नारे शाम को सी-ब्लॉक गली नंबर- 5 में लगाए जा रहे थे. इन नारों के बीच मुस्लिम समुदाय की महिलाएं अपने देवर, पति और भाई के लिए पुलिस प्रशासन से सवाल कर रही थीं.
गली में मौजूद अनवरा कहती हैं, “हमारे छोटे-छोटे बच्चों को चोट आई है. लेकिन पुलिस को सिर्फ हम दोषी दिखते हैं. हिंसा करने वाले दूसरे पक्ष के लोगों को गिरफ्तार नहीं किया गया. ऐसा क्यों?”
इसी मोहल्ले में रहने वाले हिंदू परिवारों से भी हमने बातचीत की. 63 वर्षीय गोपालचंद ने कहा, “हमारी चाय की टपरी मुसलमान की दुकान के साथ जुड़ी हुई है. यहां पहले कभी सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई. सब साथ रहते हैं. लेकिन इन नेताओं ने वोट के लिए हमें बांट दिया है.”
इस पूरे मामले के बाद रविवार 17 अप्रैल को डीसीपी उत्तर-पश्चिमी ऊषा रंगनानी ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, “दोनों समुदायों को खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए था. कानून और व्यवस्था के साथ सांप्रदायिक सद्भाव होना चाहिए. पुलिस निष्पक्षता से जांच करेगी.”
बता दें कि इस मामले में सोमवार को भी कुछ गिरफ्तारियां हुई हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक अब तक 22 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
इस मामले में हमने एसएचओ संजीव कुमार से भी बात की. उन्होंने हमारे सवालों पर कहा कि आप इस मुद्दे पर डीसीपी से बात कीजिए.
वहीं जब हमने डीसीपी ऊषा रंगनानी से बात की तो उन्होंने कहा, "मैं एक एक मीडियाकर्मी से बात नहीं कर सकती हूं. मैंने घटना के बारे में सभी जानकारी ट्वीट कर रही हूं."
दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने सोमवार को मीडिया से बात की. उन्होंने कहा, "आरोपियों के पास से अब तक तीन बंदूकें और पांच तलवारें बरामद की गई हैं. मामला अपराध शाखा को सौंप दिया गया है. फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला ने मौके से साक्ष्य एकत्र किए हैं. सोशल मीडिया से डिजिटल साक्ष्य की जांच की जा रही है."
Also Read
-
CEC Gyanesh Kumar’s defence on Bihar’s ‘0’ house numbers not convincing
-
Hafta 550: Opposition’s protest against voter fraud, SC stray dogs order, and Uttarkashi floods
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream