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दिल्ली स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय: कैंपस बना नहीं, पढ़ाई शुरू नहीं हुई, विज्ञापन पर खर्च हो गए 1 करोड़ 71 लाख
3 अक्टूबर 2019 को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में ‘स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय’ बनाने की घोषणा की. इसके बाद 2 दिसंबर को दिल्ली विधानसभा ने ‘दिल्ली स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय विधेयक, 2019’ को पारित किया.
विधानसभा से पारित होने के बाद मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेज दिया गया. वहां से भी मंजूरी मिल गई. हालांकि अब तक ‘दिल्ली स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय’ का कैंपस नहीं बना है. पढ़ाई शुरू नहीं हुई है लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसके विज्ञापन पर अब तक एक करोड़ 71 लाख रुपए खर्च कर दिए हैं. यह जानकारी सरकार ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में दी है.
विश्वविद्यालय बनाने में नहीं लगी है अभी एक भी ईंट
विश्वविद्यालय बनाए जाने की घोषणा करते हुए 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बताया था कि इसके लिए जमीन तय कर ली गई है. केजरीवाल के मुताबिक, मुंडका में ये विश्वविद्यालय बनेगा. इसके लिए 90 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है.
इस जमीन को लेकर मनीष सिसोदिया ने बताया था, ‘‘हमारे पास जमीन है. पहले से ही उसपर काम चल रहा था. उसे हम डेवलप करेंगे. इसके वाइस चांसलर भी एक खिलाड़ी ही होंगे.’’
तकरीबन दो साल बाद 23 जून 2021 को ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी को विश्वविद्यालय का कुलपति बना दिया गया. लेकिन जहां विश्वविद्यालय बनना तय हुआ है वहां अब तक एक ईंट भी नहीं लगी है. वहां पहुंचना अपने आप में एक ‘मिशन’ की तरह है. क्योंकि आसपास इसको लेकर कोई बोर्ड नहीं लगा है और न ही किसी को इसके बारे में जानकारी है. यहां तक की आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी इसकी कोई जानकारी नहीं है.
लंबे समय तक इधर-उधर भटकने और लोगों से पूछने के बाद जब हम विश्वविद्यालय के लिए चयनित जगह पर नहीं पहुंच पाए तो हमने स्थानीय आप विधायक धर्मपाल लकड़ा को फोन किया. लकड़ा ने हमें न सिर्फ रास्ता बताया बल्कि यह भी कहा, ‘‘वहां अभी कुछ भी नहीं हुआ है.’’
घेवरा मेट्रो स्टेशन के बिलकुल बगल में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहेब सिंह वर्मा का समाधि स्थल है. इसके ठीक पीछे के हिस्से को दिल्ली सरकार ने विश्वविद्यालय के लिए तय किया है.
यहां हमारी मुलाकात सतेंद्र राणा से हुई. राणा घेवरा गांव के ही रहने वाले हैं. सरकारों से नाउम्मीद राणा न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, ‘‘विश्वविद्यालय के नाम पर साल 1996 में ही सरकार ने इस जमीन का अधिग्रहण किया. लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और न ही होने की उम्मीद है. यह जमीन गांव वालों से ली गई थी. तब यह 12 लाख रुपए प्रति एकड़ जमीन ली थी. आज यह करोड़ों की है. मेरे परिवार की जमीन भी इस अधिग्रहण में गई थी. लेकिन गांव वालों को कोई फायदा इससे नहीं हुआ.’’
केजरीवाल सरकार के लिए यह ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसके बाद भी आप नाउम्मीद है. ऐसा क्यों? इस पर राणा कहते हैं, ‘‘हमें कोई उम्मीद नहीं कि यहां पर कुछ होगा. जैसे चुनाव नजदीक आता है वैसे सब बात करने लगते हैं. अगर बन गया होता तो हमारे देहात के लड़के बेहतर कर रहे होते. उन्हें खेलने के लिए दूर नहीं जाना पड़ता.’’
राणा की तरह इसी गांव में रहने वाले नितिन को भी सरकार से कोई उम्मीद नजर नहीं आती है. वे कहते हैं, ‘‘बीते दिनों मनीष सिसोदिया और यहां के विधायक आए थे. लेकिन अब तक न यहां बोर्ड लगा है और न ही कुछ काम हुआ है. ऐसे में कब काम शुरू होगा इसको लेकर कुछ कह नहीं सकते हैं.’’
विधानसभा में स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय से संबंधित लक्ष्मी नगर से भाजपा के विधायक अभय वर्मा ने जब सरकार से सवाल पूछा तो जवाब मिला, ‘‘दिल्ली स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय का निर्माण मूलतः घेवरा मोड़ मुंडका में प्रस्तावित है. लेकिन विश्वविद्यालय ने फिलहाल सिविल लाइंस स्थित अस्थायी कैंप से काम करना शुरू कर दिया है. इसमें दाखिले के लिए अगले वर्ष से प्रक्रिया प्रारंभ होगी.’’
स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की नियुक्ति और उनको मिलने वाले वेतन को लेकर वर्मा द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया, ‘‘स्पोर्ट्स विश्विधालय में अभी तक कुलपति की नियुक्ति की गई है. जिनका वेतन 2 लाख 10 हजार रूपए और इसके अतिरिक्त विशेष भत्ता 11,250 रुपए प्रति माह दिए जाते हैं. इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार, उप रजिस्ट्रार अधीक्षक तथा अन्य प्रशासनिक कर्मचारी दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों से प्रतिनियुक्त के आधार पर कार्यरत हैं. कंसलटेंट की नियुक्ति संबंधित प्रक्रिया जारी है.”
यह जवाब 24 मार्च को विधानसभा में दिया गया है.
न्यूज़लॉन्ड्री अस्थायी तौर पर चल रहे स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय पहुंचा. कश्मीरी गेट मेट्रों स्टेशन से करीब 500 मीटर की दूरी पर ‘लुडलो कैसल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स’ में अस्थायी विश्वविद्यालय चल रहा है. यहां वाइस चांसलर कर्णम मल्लेश्वरी भी बैठती हैं.
यहां काम करने वाले एक कर्मचारी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘यहां पर अभी 20 कर्मचारी काम कर रहे हैं. सब दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों के कर्मचारी हैं. जिसमें ज्यादातर शिक्षा विभाग के हैं. कुछ टैक्स विभाग से भी हैं. जब तक यहां के लिए स्थायी भर्ती नहीं हो जाती तब तक हम लोग काम करेंगे. अभी वेतन हमारे मूल विभाग से ही मिलता है. जैसे कि कोई शिक्षा विभाग में कार्यरत है तो उसका वेतन वहीं से आता है. सिर्फ वाइस चांसलर को विश्वविद्यालय विभाग से वेतन मिलता है.’’
सरकार का दावा है कि इस सत्र से पढ़ाई शुरू हो जाएगी. क्या मुमकिन लग रहा है आप लोगों को? इस सवाल के जवाब में कर्मचारी कहते हैं, ‘‘हमारी कोशिश है कि स्पोर्ट्स स्कूल इस साल से शुरू हो जाए.’’
विश्वविद्यालय के साथ ही सरकार स्पोर्ट्स स्कूल का भी निर्माण कर रही है. जहां छठीं क्लास ने 12वीं तक की पढ़ाई होगी. 'लुडलो कैसल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स’ के बगल में ही इस स्कूल को बनाया जा रहा है. यहां छात्र रहकर पढ़ाई करेंगे इसलिए हॉस्टल का भी निर्माण किया जा रहा है. हालांकि यह भी अभी आधा-अधूरा ही बना है. कर्णम मल्लेश्वरी से जब हमने नामांकन को लेकर पूछा तो वे कहती हैं, ‘‘विश्वविद्यालय में तो अभी नामांकन नहीं होगा, लेकिन स्कूल में नामांकन होगा और जून से पढ़ाई शुरू होगी.’’
लेकिन स्कूल पूरी तरह तैयार नहीं होने के सवाल पर मल्लेश्वरी कहती हैं, ‘‘थोड़ा बहुत काम बचा हुआ है. इसलिए जून तक नामांकन किया जाएगा.’’
दिल्ली सरकार ने दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल के परिसर के लिए संशोधित अनुमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में 15.00 करोड़ का प्रावधान किया है. वहीं विश्वविद्यालय के लिए सरकार ने कुल 63 करोड़ का आवंटन किया है.
अभी तक जारी नहीं हुआ टेंडर
3 अक्टूबर 2019 को विश्वविद्यालय की घोषणा के बाद 2 दिसंबर 2019 को अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी को कट्टर देशभक्त बताया था, साथ ही उन्होंने भारत को अब तक ओलंपिक में मिले मेडल्स की चीन और दूसरे देशों से तुलना करते हुए चिंता जाहिर की थी.
उन्होंने कहा था, ‘‘हमारे देश के खिलाड़ी कमजोर नहीं हैं. कमी व्यवस्था के अंदर है. जो सपोर्ट दूसरे देशों की सरकारें खिलाड़ियों को देती हैं. हमारे देश के अंदर बिलकुल उल्टा होता है. हमारे यहां होनहार खिलाड़ियों को दबाया जाता है. आज स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय का जो बिल सदन में पेश किया गया. देश के हर उस देशभक्त के सपने को पूरा करने के लिए रखा गया कि एक न एक दिन अपने को चीन से ज्यादा मेडल लाने हैं.’’
लगभग ढाई साल बीत जाने के बावजूद विश्वविद्यालय निर्माण के लिए टेंडर तक जारी नहीं हुआ. इस पर वाइस चांलसर मल्लेश्वरी बताती हैं, ‘‘अभी लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और एक कंपनी के बीच बात चल रही है. उन्होंने नक्शा बनाकर दिया है. उसमें कुछ सुझाव हमने दिए हैं. जैसे यह फाइनल हो जाता है टेंडर जारी हो जाएगा और अगले छह महीने में निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.’’
जहां एक ओर विश्वविद्यालय का निर्माण भी शुरू नहीं हुआ है. वहीं इसके प्रचार प्रसार पर सरकार ने करोड़ो रूपए खर्च कर दिए. यह बात खुद सरकार ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में बताई.
दरअसल भाजपा विधायक अभय वर्मा ने सवाल किया कि स्पोर्ट्स विश्व विधालय के प्रचार-प्रसार पर अब तक कुल कितना खर्च किया गया है. जिस पर जवाब देते हुए सरकार ने कहा, ‘‘दिल्ली स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय में पूरे देश के प्रतिभावान खिलाड़ियों और संभावित प्रतिभाओं को दाखिला दिया जाएगा. इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से दाखिला संबंधी विज्ञापन जारी किया गया था. जिस पर लगभग 1 करोड़ 71 लाख 17 हजार 233 रुपए खर्च हुए.’’
दाखिला संबंधी विज्ञापन?
विज्ञापन पर हुए खर्च के जवाब में सरकार ने कहा विश्वविद्यालय की ओर से दाखिला संबंधी विज्ञापन जारी किए गए थे. ऐसे में सवाल उठता है कि जब नामांकन की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हुई, विश्वविद्यालय बना ही नहीं तो दाखिले से जुड़ा विज्ञापन कैसे जारी हो गया? इसको लेकर जब हमने वीसी मल्लेश्वरी से सवाल किया तो उन्होंने जानकारी होने से इंकार कर दिया.
किस तरह के विज्ञापन जारी हुए
सरकार के दावे से इतर न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि दिल्ली स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय के द्वारा अलग-अलग विज्ञापन जारी हुए हैं. अगस्त 2021 में टोक्यो में हुए ‘ओलिंपिक 2020’ में दिल्ली की तरफ से शामिल होने वाले खिलाड़ियों को लेकर ज्यादातर मेट्रों स्टेशन, बस स्टॉप, बसों के पीछे और अलग-अलग सार्वजनिक जगहों पर होर्डिंग्स लगाए गए थे.
इन होर्डिंग्स में खिलाड़ी मनिका बत्रा, दीपक कुमार, अमेज जेकब, सार्थक बम्बरी और सुमित नागल की तस्वीरों के नीचे लिखा हुआ था, ‘दिल्ली बोले जीत के आना.’’
बीते आठ मार्च को दिल्ली स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय का एक विज्ञापन अलग-अलग अखबारों में छपा था. जिसमें लिखा है, “जल्द आ रहा है! दिल्ली के पहले आवासीय स्कूल के लिए दिल्ली स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय द्वारा भारत का सबसे बड़ा स्पोर्ट्स टैलेंट हंट.”
विश्वविद्यालय से जुड़े एक कर्मचारी बताते हैं कि अभी तक यह टैलेंट हंट नहीं हुआ है. हम उसकी तैयारी कर रहे हैं.’’
विधानसभा में सवाल पूछने वाले विधायक अभय वर्मा न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, ‘‘ये सरकार केवल प्रचार में लगी रहती है. दिल्ली के लोगों को गुमराह करके अपनी वाहवाही लेने के लिए इस तरह के विज्ञापन निकालते रहते हैं. स्पोर्ट्स विश्व विद्यालय के नाम पर भी इन्होंने गुमराह किया है और विज्ञापन ही विज्ञापन निकाला है. जबकि जमीन पर कुछ नहीं हुआ है.’’
विश्वविद्यालय बनने में समय तो लगता है? इस पर वर्मा कहते हैं, ‘‘आप विश्वविद्यालय बनाइए, अच्छी बात है. लेकिन एडवांस में विज्ञापन करना, एडवांस में एडमिशन की बात करना. जब विश्वविद्यालय शुरू हो जाए तब ये काम कीजिए ना.’’
इस पूरे मामले पर हमने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया को सवाल भेजे हैं. अगर जवाब आता है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
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