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'रोजगार देने के बजाय, रोजगार छीन रहे हैं ये लोग': बिफरे मीट व्यवसाई
“हमारे देश में कहते हैं यहां ‘मतदाता ही मालिक है’ लेकिन इनके फरमान देखकर क्या लगता है कि ‘मतदाता ही मलिक है?” यह कहते हुए आईएनए मार्केट में मीट की दुकान पर काम करने वाले 45 वर्षीय संजय कुमार अपना गुस्सा जाहिर करते हैं.
संजय कुमार और इनके जैसे कई मजदूर और दुकानदार इसलिए गुस्सा हैं क्योंकि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यान ने नवरात्रि के मौके पर मीट बेचने वाली दुकानों को 11 अप्रैल तक बंद रखने का आदेश दिया है. जिसके बाद मंगलवार को दुकानें बंद हो गईं. आदेश का सबसे ज्यादा असर आईएनए के मीट मार्केट पर पड़ा. इस मार्केट में करीब 40 मीट-मछली की दुकाने हैं, जहां करीब 700 से 800 मजदूर काम करते हैं.
इस फरमान के बाद न्यूज़लॉन्ड्री की टीम ने दक्षिणी दिल्ली के आईएनए मार्केट के अलावा चितरंजन पार्क और कालकाजी इलाके का दौरा किया. हालांकि बंद का असर सिर्फ आईएनए मार्केट में देखने को मिला. वहीं चितरंजन पार्क और कालकाजी में दुकानें खुली हुई थीं. बता दें कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में चिकन और मीट की कुल 1500 दुकानें रजिस्टर हैं.
निगम का नहीं मिला कोई नोटिस
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यान ने निगम के कमिश्नर ज्ञानेश भारती को 4 अप्रैल को मीट बैन को लेकर निर्देश दिया. उन्होंने नोटिस में कहा, "2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक नवरात्रि हैं इस दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा की उपासना करते हैं और अपने और परिजनों के लिए मां से आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर जाते हैं. इन दिनों में श्रद्धालु केवल शाकाहारी भोजन करते हैं कुछ लोग प्याज और लहसुन का भी इस्तेमाल नहीं करते. मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन वर्जित रहता है लेकिन मंदिर के आसपास और खुले में मीट बिकने से श्रद्धालु असहज महसूस करते हैं और उनकी धार्मिक भावनाओं और आस्था पर फर्क पड़ता है."
मेयर का यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होते ही कई मीडियाकर्मी आईएनए मार्केट पहुंच गए. दरअसल आईएनए का मीट मार्केट एशिया में प्रसिद्ध है. क्योंकि यहां से कई देशों में मांस भेजा भी जाता है, साथ ही दिल्ली के कई होटलों और रेस्टोरेंट में भी यहीं से मांस-मछली की सप्लाई की जाती है.
करीब 20 साल से आईएनए में मीट की दुकान चला रहे मोहम्मद साबिर, 1974 से इस काम में जुड़ गए थे. वह कहते हैं, “यहां इंटरव्यू के लिए जी न्यूज़ के रिपोर्टर आए थे तब हमें पता चला की यहां दुकानें बंद रहेंगी.”
वह आगे कहते हैं, “हमें कोई सूचना नहीं दी गई. न ही अभी तक कोई नोटिस मिला है. अखबार में खबर छपी जिसके बाद हम लोग यहां दुकान नहीं खोल रहे हैं. वैसे यहां दुकान बंद करवाने कोई नहीं आया, हम खुद से ही बंद कर रहे हैं.”
36 वर्षीय मोहम्मद साजिद भी आईएनए में मीट की दुकान पर मजदूरी का काम करते हैं. इस मार्केट में दुकान पर काम करने वाले मजदूर दिहाड़ी मजदूर हैं, जिन्हें प्रतिदिन काम के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं. यानी जितने दिन दुकानें बंद रहेंगी उतने दिन उनको पैसे नहीं मिलेंगे. साजिद न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “अगर बंद करना ही था तो 1 तारीख को ही नोटिस दे देते. ताकि हम मजदूर लोग 10 दिनों के लिए घर चले जाते और मालिक लोग मांस-मछली नहीं मंगाते इससे उनका भी नुकसान नहीं होता. पहले ही कोविड की वजह से बहुत नुकसान हुआ था."
वह आगे कहते हैं, “दुकाने बंद कराने को लेकर न तो अभी तक निगम से कोई अधिकारी आए और न ही थाने से कोई पुलिस. हमें जो पता चला वह मीडिया से ही पता चला. कुछ मीडिया वाले सोमवार शाम को यहां आए तब हमें इसके बारे में पता चला, फिर आज अखबार में भी यह खबर छपी है.”
राजनीति के लिए बना रहे ‘बलि का बकरा’
45 वर्षीय संजय कुमार मीट दुकान पर अकाउंटिंग का काम देखते हैं. बंद किए जाने के फैसले पर वह कहते हैं, “यह सब जो किया जा रहा है वह राजनीति के लिए किया जा रहा है. अपनी राजनीति रोटी सेकने के लिए हमें बलि का बकरा बनाया जा रहा है. हिंदुस्तान आजाद है लेकिन यहां फरमान जारी होता है. कहते हैं ‘मतदाता ही मालिक है’ लेकिन इनके फरमान को देखकर लगता है कि ‘मतदाता मालिक है?’ मालिक तो फरमान जारी करने वाले हैं. यह फैसला गैरकानूनी है और गैरकानूनी रहेगा.”
वह आगे कहते हैं, “एक धर्म के लिए दुकान बंद कर देना सरासर गलत है. यहां विदेशी लोग आते हैं हम उनकों क्या कहेंगे कि.. आपको मीट नहीं मिल सकता क्योंकि यहां नवरात्रि है. आप सोचिए भारत की इमेज विश्व में कैसी बनेगी. यह सब राजनीति के लिए किया जा रहा है. जब हम सभी धर्म भाई-भाई हैं तब इसमें हिंदू-मुस्लिम की बात कहा से आ गई.”
इसके अलावा बंद का आदेश जारी होने के बाद डीएलएफ वसंत कुंज मॉल में भी फूडहॉल स्टोर ने मीट सेक्शन बंद कर दिया.
बॉम्बे फिश शॉप के नाम से आईएनए में दो-तीन दुकानों के मालिक एके बजाज न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “हमें पहले कोई जानकारी नहीं दी गई. सब तानाशाही चल रही है कि दुकान बंद कर दो. हमारा लाखों का माल है जो अब खराब हो जाएगा. हमें धमकी दी जा रही है कि अगर बंद नहीं किया तो लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा.”
मोहम्मद अफताब करीब 20 साल की उम्र से मीट की दुकान पर काम करते हैं. उन्हें हर दिन 700 रूपए मिलते हैं, जिसे वह उत्तर प्रदेश में रहने वाले अपने परिवार को भेज देते हैं. उनके परिवार में पांच बच्चे और पत्नी हैं.
अफताब कहते हैं, “अगर यह दुकान 10 दिन बंद रहेगी तो हम क्या करेंगे. हमारे बाल-बच्चे भी हैं उन्हें कौन देखेगा. पढ़ाई-लिखाई कैसे होगी हमारे बच्चों की?”
वह कहते हैं, "अगर बंद करना था तो पहले बताना था. ताकि दुकानदार मीट और मछली का स्टॉक नहीं रखते ताकि उन्हें नुकसान नहीं होता. अगर पहले पता होता तो हम गांव चले जाते. यह पहली बार हो रहा है कि दुकानें बंद करने का आदेश आया है."
दिहाड़ी मजदूरी पर काम करने वाले मोहम्मद साजिद कहते हैं, "उन्हें 500-600 रूपए मिलते हैं. लेकिन अब दुकानें बंद होने से हमारे सामने समस्या आ गई है. रमजान हैं सबको पैसे चाहिए लेकिन दुकानें बंद हो गईं."
वह आगे कहते हैं, “बंद होने से हम लोगों को दिक्कत हो रही है. गाजीपुर से आईएनए आते हैं किराया-भाड़ा देकर. ऊपर से त्यौहारों का मौसम है, पैसे कहां से लाएंगे. जब किसी को दिक्कत नहीं थी तो फिर बंद करने का आदेश क्यों जारी कर दिया.”
मेयर के पत्र में कहा गया है कि मंदिरों के आसपास दुकानों को बंद किया जाए. जबकि आईएनए मार्केट में जिस जगह पर मीट की दुकानें हैं उसके आस-पास कोई मंदिर नहीं है. दुकानदार कृष्ण कुमार कहते हैं, “क्या हमारे मीट और मछली से ही नवरात्रि में दिक्कत है. क्या शराबियों के लिए कोई नवरात्रि नहीं है? उन्हें तो डिस्काउंट देकर शराब बेची जा रही है, वह नवरात्रि में नहीं आते हैं क्या? दूसरी बात इस फैसले से धर्म का कोई लेना-देना नहीं है यह सीधे-सीधे हमारे व्यापार पर मार है.”
मीट दुकान के मालिक मोहम्मद साबिर कहते हैं, “दुकानें बंद करवाना खराब पॉलिसी है. सरकार रोजगार देने के बजाय, रोजगार छीनने का काम कर रही है. दुकानें खुल जाएंगी तो सभी का भला होगा, नहीं तो दिक्कत ही दिक्कत हैं.”
मेयर के इस आदेश से दुकानदारों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. क्योंकि अभी तक इसको लेकर कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. और दुकानदार डर के कारण दुकान नहीं खोल पा रहे हैं.
एसडीएमसी के प्रेस और सूचना ब्यूरो के निदेशक अमित कुमार ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि पत्र को अभी आदेश के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.
वह कहते हैं, “महापौर ने बंद को लेकर कमिश्नर को एक पत्र लिखा है लेकिन इसकी जांच की जानी बाकी है. यह कोई आदेश नहीं है. हम इसकी जांच करेंगे और एक या दो दिन में निर्देश जारी करेंगे."
उन्होंने कहा कि दुकानें अभी खोली जा सकती हैं और जो भी निर्णय लिया जाएगा वह ‘कानून’ को ध्यान में रखकर होगा.
इस पूरे मामले पर न्यूज़लॉन्ड्री ने दक्षिणी दिल्ली के मेयर मुकेश सूर्यान से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
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