Assembly Elections 2022

मऊ: क्या सीएए प्रदर्शन के दौरान थोपे गए झूठे मुकदमे चुनावी मुद्दा नहीं हैं?

2019 में, जामिया और एएमयू के बाद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी का विरोध, पूर्वांचल के मऊ जिले में भी होने लगा था. 16 दिसंबर को मऊ के मिर्जाहादीपुरा चौराहे पर जमा हुई भीड़ हिंसक हो गई. जानकारी के मुताबिक जिले के दक्षिणटोला थाने की दीवारें प्रदर्शनकारियों ने गिरा दीं और जगह-जगह आगजनी की. 16 दिसंबर को हुई इस घटना में पुलिस प्रशासन ने, 85 नामजद और 600 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इनमें से कई लोगों पर गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला अदालत में चला. जिसके कुछ ही दिन बाद छह लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया.

14 महीने केस चलने के बाद, 26 नवंबर 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी छह आरोपियों को बेगुनाह बताते हुए जमानत दे दी. कोर्ट ने रासुका के गलत इस्तेमाल और पुलिस द्वारा कोई ठोस सबूत न पेश कर पाने के कारण आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया. न्यूज़लॉन्ड्री ने उन लोगों से बात की, जिन पर झूठा मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल में बंद रखा गया. देखिए हमारी ये ग्राउंड रिपोर्ट.

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