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जब मिल बैठे दो भगवाधारी.. एक पत्रकार और एक नेता

सुदर्शन टीवी के संपादक सुरेश चव्हाणके की मुस्लिम समुदाय के प्रति गहरी नफरत कई बार उनके भाषणों से सामने आ चुकी है. लेकिन इस घृणा का एक और ताजा नमूना फिर से टीवी पर देखना को मिला है.

उत्तर प्रदेश में जारी विधानसभा चुनावों के बीच सुदर्शन टीवी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक इंटरव्यू प्रसारित हुआ. इस इंटरव्यू में सुरेश चव्हाणके ने पूछा, “आपने कोरोना काल में बहुत अच्छा काम किया, विदेशों में भी तारीफ हुई, एक छोटे से वायरस को आपने गंभीरता से लिया लेकिन एक सात फुट ऊंचा, तीन फुट चौड़ा हैदराबाद से एक वायरस आता है और सुअरों को संक्रमित करता है, उससे कैसे अपने राज्य को बचाएंगे?” दरअसल यहां पर चव्हाणके, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को 'वायरस' बोल रहे हैं.

इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा, “जितने भी प्रकार के वायरस आएंगे उनको नियंत्रित करने का अब हमारे पास बहुत अच्छा प्रबंधन है.” इसके बाद चव्हाणके अपने चैनल पर चलाए जा रहे मजहबी युद्ध शो की बात करते हैं. इस पर योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि जो दंगा, अराजकता और माफिया का समर्थक है, वह बीजेपी के विरोध में वोट डालने आ रहा है और डालेगा भी.

बता दें कि सुदर्शन टीवी के एक कार्यक्रम में, मुस्लिम धर्म को मानने वालों के खिलाफ, बिना किसी सबूत या वक्तव्य के बताया गया कि मुस्लिम समुदाय के लोग, उत्तर प्रदेश चुनावों में भाजपा को हारने के लिये वोट डालने साजिश के तहत आ रहे हैं.

सुदर्शन टीवी के करीब आधे घंटे के इस इंटरव्यू में भाजपा और योगी आदित्यनाथ के तारीफों के पुल बांधे गए, वही सवाल सिर्फ नाम के थे. खुद सुरेश चव्हाणके ने भी इंटरव्यू के अंत में कह दिया, “इंटरव्यू क्या, एक तरह से वचन ही दिया.”

यह इंटरव्यू, 25 फरवरी को चुनावी मौसम के बीच में प्रसारित हुआ. 27 फरवरी को प्रदेश में पांचवें चरण के चुनाव हैं. इस शो को दक्षिणपंथी समर्थकों का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कहे जाने वाले ‘कू’ द्वारा स्पॉन्सर किया गया था.

इंटरव्यू के दौरान कू एक प्रचार

धार्मिक उन्माद की बातों के अलावा, योगी आदित्यनाथ ने इस इंटरव्यू के दौरान कई झूठ भी बोले, जिन्हें सुरेश चव्हाणके ने हंसकर टाल दिए और वर्तमान मुख्यमंत्री की बात में न तो सुधार किया, और न ही अपनी ज़िम्मेदारी के अनुसार पलट कर सवाल किया. वे बातचीत को आगे बढ़ाते गए. इंटरव्यू में हुई अधिकतर बातें, योगी आदित्यनाथ के सुदर्शन टीवी को दिए पांच साल पहले इंटरव्यू में दिए गए जवाबों के आधार पर ही पूछी गईं.

इंटरव्यू में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा बोले गए झूठों से पहले इसके बारे में कुछ जानकारी. यह इंटरव्यू लखनऊ में किया गया. हमेशा की तरह योगी आदित्यनाथ ने भगवा कपड़े पहने हुए थे, उनके कपड़ों के रंग से मेल खाते हुए भगवा रंग का कपड़े सुरेश चव्हाणके ने भी पहने हुए थे. यह बताने के लिए काफी है क इंटरव्यू का रंग और रूप कैसा होगा.

सुरेश चव्हाणके और सीएम योगी आदित्यनाथ

इतना ही नहीं, इंटरव्यू की शुरूआत चव्हाणके कपड़ों के एक ही रंग के होने की बात भी करते हैं. इस पर सीएम आदित्यनाथ कहते हैं, “हमारे सिर्फ कपड़े ही समान नहीं हैं, बल्कि विश्वास करता हूं कि भावना भी समान होंगीं.”

कर्ज़ माफी

बातचीत में चव्हाणके सीएम आदित्यनाथ से कर्ज माफी को लेकर किए गए दावों का ज़िक्र करते हैं, जिसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री कहते हैं कि हमारी सरकार ने 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया है.

जबकि सच्चाई इससे अलग है. जो आंकड़े सीएम योगी इंटरव्यू में गिना रहे हैं, उन्हीं आंकड़ों को उत्तर प्रदेश भाजपा ने चार साल पूरे होने पर ट्वीट भी किया था.

जबकि एक आरटीआई के जवाब में खुद उत्तर प्रदेश सरकार ने ही कहा था कि साल 2017 से 2020 तक, 45 लाख किसानों का ही कर्ज माफ हुआ, जो कुल मिलाकर 25 हजार करोड़ होता है. यानि जो आंकड़ा मुख्यमंत्री इंटरव्यू में बता रहे हैं, वह गलत है.

70 लाख रोजगार

पांच साल पहले पूछे गए इंटरव्यू के सवाल को अपने मोबाइल में देखकर पूछ रहे सुरेश चण्हाणके ने ‘70 लाख रोजगार देने के वचन’ को लेकर भी सवाल किया.

जवाब मे सीएम आदित्यनाथ कहते हैं कि हमने 70 लाख से ज्यादा नौकरियां दी हैं. पांच लाख सरकारी नौकरी दीं बिना किसी के जुगाड़ के. वह आगे कहते हैं कि सुरक्षा का जो माहौल बनाया गया है, उसके कारण जो इंडस्ट्री यहां लगी उससे युवाओं को रोजगार मिला। ओपीओडी के जरिए भी लोगों की रोजगार मिला. इस तरह हमने कुल एक करोड़ 61 लाख लोगों को नौकरी और रोजगार दिया. वहीं विश्वकर्मा श्रम सम्मान के जरिए हमने 60 लाख अन्य लोगों को भी रोजगार के साथ जोड़ने का काम किया.

मुख्यमंत्री के इस दावे पर खुद राज्य सरकार के आंकड़े सवाल उठाते हैं. मार्च 2020 में राज्य विधानसभा में तत्कालीन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने बताया था कि प्रदेश में 33.93 लाख लोग बेरोजगार हैं. इसका अर्थ हुआ कि प्रदेश में करीब 34 लाख बेरोजगार हैं, और राज्य सरकार ने नौकरी एक करोड़ से ज्यादा लोगों को दे दी है.

जहां एक तरफ हर रैली में, पीएम मोदी समेत अन्य नेता दावा कर रहे हैं कि सरकार ने पांच लाख नौकरियां दी हैं. इसका कोई आंकड़ा नहीं है. आरटीआई में पूछे गए एक सवाल में उत्तर प्रदेश के कार्मिक विभाग ने कहा कि युवाओं को नौकरी दिए जाने का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. वहीं दिसंबर 2021 में योगी आदित्यनाथ ने एक रैली में कहा था कि उनकी सरकार ने 4.5 लाख नौकरियां दी हैं, और अब दो महीने में यह आंकड़ा बढ़कर पांच लाख हो गया है.

इंटरव्यू में सीएम आदित्यनाथ आगे कहते हैं, “2017 में बेरोजगारी दर 18 प्रतिशत थी, लेकिन अब वह घटकर 3 प्रतिशत है”.

यह दावा भी झूठा है. सीएम जिस गैर-सरकारी संस्था सीएमआईई के आंकड़ों का हवाला दे रहे थे, उसकी वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ो के मुताबिक मार्च 2017 में, जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, तब बेरोजगारी दर 2.4 प्रतिशत थी. उससे पहले बात करें तो बेरोज़गारी दर जनवरी 2017 में 3.7 प्रतिशत और फरवरी 2017 में 3.0 प्रतिशत थी. यानी मुख्यमंत्री का यह दावा कि उनके कार्यकाल से पहले बेरोज़गारी दर 18 प्रतिशत थी, वह सही नहीं है.

कानून व्यवस्था

सुरेश चव्हाणके इंटरव्यू में कानून व्यवस्था और दलितों के मुद्दे पर भी मुख्यमंत्री से सवाल पूछते हैं. जवाब में मुख्यमंत्री उत्साह से कहते हैं, “अगर किसी राज्य को दंगा कैसे रोकना है सीखना हो, तो हम बिंदुवार उसे बता सकते हैं.”

आगे चव्हाणके खुद कहते हैं, “दलितों के खिलाफ अपराध कम हुआ है. बस मैं आपसे आंकड़े सुनना चाहता हूं.” इस पर सीएम कहते है कि हमारी सरकार ने दलितों को फ्री अन्न दिया, फ्री बिजली दी, घर दिया, उज्जवला योजना के तहत फ्री गैस सिलेंडर दिया - हमारी सरकार से ज्यादा काम दलितों और पिछड़ों के लिए किसी सरकार ने नहीं किया है.

प्रदेश की कानून व्यवस्था कितनी ‘सही’ है इसका अंदाजा एनसीआरबी के आंकड़ों से लगाया जा सकता है. आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में उत्तर प्रदेश में कुल 6,126 दंगों के मामले दर्ज किए गए. 2020 में “राज्य के खिलाफ अपराध” को लेकर यूपी में 2217 मामले दर्ज हुए, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा हैं. वहीं दलितों के खिलाफ हुए मामलों की बात करें तो हाथरस या आगरा जैसे मामले लगातार प्रशासन की इच्छा के खिलाफ ख़बरों में आते रहे हैं. एनसीआरबी के आंकडों के मुताबिक 2020 में दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर राज्य में 12,714 मामले दर्ज किए गए. पुलिस हिरासत में देश में होने वाले कुल मौत के मामलों में से करीब 23 प्रतिशत मामले सिर्फ उत्तर प्रदेश से हैं.

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आधे घंटे के इस इंटरव्यू में सुरेश चव्हाणके ने कोई कठोर सवाल नहीं पूछा. जो जवाब दिया गया केवल उसी को सही मानकर चव्हाणके आगे बढ़ते गए. इस इंटरव्यू में सीएम आदित्यनाथ ने जो बातें कहीं, उन्हें वो ज्यादातर रैलियों में अपने भाषणों में भी कहते रहते हैं. उदाहरण के लिए कैराना से पलायन, एंटी रोमियो स्क्वायड, लव जिहाद कानून, आजम खान इत्यादि.

एक पत्रकार या साक्षात्कारकर्ता के बजाए एक भक्त की तरह, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के जवाब सुनकर सुरेश चव्हाणके चुनाव परिणाम आने से पहले ही कहते हैं, “अब आपकी सरकार बनने जा रही है. आंकड़े भी यही कहते हैं, भले ही चुनाव आयोग ने अभी एक्जिट पोल पर रोक लगा रखी हो. आप आगे क्या करेगें?”

इंटरव्यू में जहां भी योगी आदित्यनाथ विपक्ष के नेताओं पर कोई कटाक्ष करते, वहां चव्हाणके खुश होकर हंसने लगते. एक मौके पर चव्हाणके, राहुल गांधी का उपहास करते हुए उनको भाजपा का स्टार प्रचारक बताकर सवाल पूछते हैं, जिसको मुख्यमंत्री पहली बार में समझ नहीं पाते.

यह इंटरव्यू इसका एक उदाहरण है कि एक जिम्म्मेदार पत्रकार और मीडिया होने के नाते क्या नहीं करना चाहिए. यह जानने के बाद भी अगर आप पूरी बातचीत देखना चाहते हैं, तो हमारी ओर से एक स्पष्टीकरण. इस इंटरव्यू में इस्लाम को मनाने वालों को निशाना बनाकर पूछे गए सवालों और योगी सरकार के प्रचार के अलावा कुछ नहीं है.

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